Class 9th Social Science (Civics) Chapter 6 लोकतांत्रिक अधिकार

लोकतांत्रिक अधिकार

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. इनमें से कौन-सा मौलिक अधिकारों के उपयोग का उदाहरण नहीं है?
(क) बिहार के मजदूरों का पंजाब के खेतों में काम करने जाना।
(ख) ईसाई मिशनों द्वारा मिशनरी स्कूलों की श्रृंखला चलाना।
(ग) सरकारी नौकरी में औरत और मर्द को समान वेतन मिलना।
(घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पानी।
उत्तर: (घ) बच्चों द्वारा माँ-बाप की सम्पत्ति विरासत में पाना।
प्रश्न 2. इनमें से कौन-सी स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों को नहीं है?
(क) सरकार की आलोचना की स्वतंत्रता।
(ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता।
(ग) सरकार बदलने के लिए आन्दोलन शुरू करने की स्वतंत्रता।
(घ) संविधान के केंद्रीय मूल्यों का विरोध करने की स्वतंत्रता।
उत्तर: (ख) सशस्त्र विद्रोह में भाग लेने की स्वतंत्रता।
प्रश्न 3. भारतीय संविधान इनमें से कौन-सा अधिकार देता है?
(क) काम का अधिकार।
(ख) पर्याप्त जीविका का अधिकार
(ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।
(घ) निजता का अधिकार।
उत्तर: (ग) अपनी संस्कृति की रक्षा का अधिकार।
प्रश्न 4. उस मौलिक अधिकार का नाम बताएँ जिसके तहत निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ आती हैं?
(क) अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता।
(ख) जीवन का अधिकार।
(ग) छुआछूत की समाप्ति।
(घ) बेगार का प्रतिबन्ध।
उत्तर:
(क) धर्म की (धार्मिक) स्वतंत्रता का अधिकार।
(ख) स्वतंत्रता का अधिकार।
(ग) समानता का अधिकार।
(घ) शोषण के विरुद्ध अधिकार।

प्रश्न 5. लोकतंत्र और अधिकारों के बीच सम्बन्धों के बारे में इनमें से कौन-सा बयान ज्यादा उचित है? अपनी पसंद के पक्ष में कारण बताएँ?
(क) हर लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है।
(ख) अपने नागरिकों को अधिकार देने वाला हर देश लोकतांत्रिक हैं।
(ग) अधिकार देना अच्छा है, पर यह लोकतंत्र के लिए जरूरी नहीं है।

उत्तर:
(क) यह बयान अधिक वैध और उपयुक्त है। प्रत्येक लोकतांत्रिक देश अपने नागरिकों को अधिकार देता है। लोकतन्त्र में प्रत्येक नागरिक को मतदान करने तथा चुनाव लड़ने का अधिकार दिया जाता है। चुनाव लोकतांत्रिक हों, इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने, राजनैतिक दल का निर्माण करने तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार प्राप्त हो। लोकतंत्रीय राज्यों में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। अधिकतर राज्यों में नागरिकों के महत्वपूर्ण अधिकारों को संविधान में शामिल कर दिया जाता है। भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों को शामिल किया गया है और उनकी सुरक्षा के भी उपाय किए गए हैं।

प्रश्न 6. स्वतन्त्रता के अधिकार पर ये पाबन्दियाँ क्या उचित हैं? अपने जवाब के पक्ष में कारण बताएँ।
(क) भारतीय नागरिकों की सुरक्षा कारणों से कुछ सीमावर्ती इलाकों में जाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।
(ख) स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा के लिए कुछ इलाकों में बाहरी लोगों को सम्पत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है।
(ग) शासक दल को अगले चुनाव में नुकसान पहुँचा सकने वाली किताब पर सरकार प्रतिबन्ध लगाती है।

उत्तर:
(क) स्वतन्त्रता के अधिकार के अन्तर्गत देश के किसी भी भाग में घूमने-फिरने का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है, किन्तु देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश के कुछ भागों जैसे सेना की छावनी, सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्रों में किसी को जाने की अनुमति लेनी पड़ती है। यह प्रति उचित एवं न्यायसंगत है क्योंकि किसी भी देश के लिए उसकी सुरक्षा सर्वोपरि है।
(ख) कुछ क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था को अनुचित नहीं कहा जा सकता है। कुछ जनजातीय क्षेत्रों में तथा जम्मू-कश्मीर एवं हिमाचल आदि राज्यों के बारे में ऐसा प्रतिबन्ध लगाया गया है जिससे वहाँ के लोग अपनी संस्कृति को बनाए रख सकें।
(ग) ऐसे प्रतिबन्ध को उचित नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुला उल्लंघन है।
प्रश्न 7. मनोज एक सरकारी दफ्तर में मैनेजर के पद के लिए आवेदन देने गया। वहाँ के अधिकारी ने उसका आवेदन लेने से मना कर दिया और कहा, “झाडू लगाने वाले का बेटा होकर तुम मैनेजर बनना चाहते हो। तुम्हारी जाति का कोई कभी इस पद पर आया है? नगरपालिका के दफ्तर जाओ और सफाई कर्मचारी के लिए अर्जी दो।” इस मामले में मनोज के किस मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है? मनोज की तरफ से जिला अधिकारी के नाम लिखे एक पत्र में इसका उल्लेख करो।
उत्तर: मनोज के मामले में समानता के अधिकार तथा स्वतंत्रता के अधिकार’ को स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार कोई भी कार्य, नौकरी अथवा व्यवसाय करने का अधिकार दिया गया है और किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध कोई कार्य करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अतः निम्न जातियों के लोगों को उनका जातिगत काम करने के लिए मजबूर करना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
प्रश्न 8. जब मधुरिमा सम्पत्ति के पंजीकरण वाले दफ्तर में गई तो रजिस्ट्रार ने कहा, “आप अपना नाम ‘मधुरिमा बेनर्जी, बेटी ए. के. बनर्जी’ नहीं लिख सकतीं। आप शादीशुदा हैं और आपको अपने पति का ही नाम देना होगा। फिर आपके पति का उपनाम तो राव है। इसलिए आपका नाम भी बदलकर मधुरिमा राव हो जाना चाहिए।” मधुरिमा इस बात से सहमत नहीं हुई। उसने कहा, “अगर शादी के बाद मेरे पति का नाम नहीं बदला तो मेरा नाम क्यों बदलना चाहिए? अगर वह अपने नाम के साथ पिता का नाम लिखते रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं लिख सकती?” आपकी राय में इस विवाद में किसका पक्ष सही है? और क्यों?
उत्तर: इस विवाद में मधुरिमा का पक्ष सही है। मधुरिमा के व्यक्तिगत मामलों पर प्रश्न करके तथा उनमें दखल करके रजिस्ट्रार मधुरिमा के स्वतंत्रता के अधिकार में हस्तक्षेप कर रहा है। साथ ही अपने पति का नाम अपनाने का प्रश्न सामाजिक मान्यताओं पर आधारित है जो महिलाओं को कमतर तथा कमजोर मानता है। मधुरिमा को अपना नाम बदलने के लिए बाध्य करना समानता के अधिकार तथा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
प्रश्न 9. मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क, बोरी वन्यजीव अभ्यारण्य और पंचमढ़ी वन्यजीव अभ्यारण्य से अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए जमा हुए। उनका कहना था कि यह विस्थापन उनकी जीविका और उनके विश्वासों पर हमला है। सरकार का दावा है कि इलाके के विकास और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए उनका विस्थापन जरूरी है। जंगल पर आधारित जीवन जीने वाले की तरफ से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक पत्र, इस मसले पर सरकार द्वारा दिया जा सकने वाला संभावित जवाब और इस मामले पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट तैयार करो।
उत्तर: होशंगाबाद (म.प्र.) जिले के पिपरिया में हजारों आदिवासी और जंगल में रहने वाले लोग अपने प्रस्तावित विस्थापन का विरोध करने के लिए एकात्रित हुए थे। पिपरिया के निवासियों के अनुसार सरकार द्वारा ऐसा करना। उनके स्वतंत्रता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है जो उन्हें देश के किसी भी भाग में बसने का अधिकार देता है। किन्तु सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि सार्वजनिक हित में वह नागरिक के स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन कर सकती है और उसे सीमित कर सकती है। कुछ ही समय पहले दिल्ली में यमुना नदी के किनारे पर बसे कई झुग्गी-झोंपड़ी वालों को वहाँ से हटा दिया गया है क्योंकि ऐसा करना उस स्थान के विका तथा जानवरों की रक्षा के लिए आवश्यक समझा गया था।
उस जंगल में रहने वाले लोगों में राष्ट्रीय मानवाधिकार को एक पत्र लिखा जिसमें यह कहा गया कि सरकार किसी अन्य स्थान पर उनके पुनर्वास का प्रबन्ध करे। दिल्ली सरकार ने ऐसा किया। सर्वोच्च न्यायालय का हाल ही का एक निर्णय भी इसी बात का समर्थन करता है जिसमें नर्मदा बाँध की ऊँचाई को बढ़ाने के उद्देश्य से जिन लोगों को विस्थापित किया गया था, उनके पुनर्वास के लिए सरकार किसी अन्य स्थल पर प्रबन्ध करेगी।
प्रश्न 10. इस अध्याय में पढ़े विभिन्न अधिकारों को आपस में जोड़ने वाला एक मकड़जाल बनाएँ। जैसे आने जाने की स्वतंत्रता का अधिकार तथा पेशा चुनने की स्वतंत्रता का अधिकार आपस में एक-दूसरे से जुड़े हैं। इसका एक कारण है कि आने-जाने की स्वतंत्रता के चलते व्यक्ति अपने गाँव या शहर के अन्दर ही नहीं, दूसरे गाँव, दूसरे शहर और दूसरे राज्य तक जाकर काम कर सकता है। इसी प्रकार इस अधिकार को तीर्थाटन से जोड़ा जा सकता है जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म का अनुसरण करने की आजादी से जुड़ा है। आप इस मकड़जाल को बनाएँ और तीर के निशानों से बताएँ कि कौन-से अधिकार आपस में जुड़े हैं। हर तीर के साथ संबंध बताने वाला एक उदाहरण भी दें।
उत्तर: नोट : उपर्युक्त चित्र की सहायता से विद्यार्थी स्वयं भी मकड़जाल बनाने का प्रयास करें।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अधिकार का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
उत्तर: अधिकार वे सुविधाएँ, अवसर व परिस्थितियाँ हैं जो व्यक्ति को समाज तथा राज्य द्वारा उसके विकास के लिए प्रदान की जाती हैं।
प्रो. लॉस्की के अनुसार, “अधिकार सामाजिक जीवन की वे अवस्थाएँ हैं जिनके बिना कोई मनुष्य अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं कर सकता।”
डॉ. बेनी प्रसाद के अनुसार, “अधिकार न अधिक और ने कम वे सामाजिक परिस्थितियाँ हैं जो व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक व अनुकूल हों।”
प्रश्न 2. जनहित याचिका किसे कहते हैं?
उत्तर: जनहित किसी मामले को लेकर कोई व्यक्ति न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। इस तरह दायर की गयी। याचिका को जनहित याचिका कहते हैं।
प्रश्न 3. बंधुआ मजदूरी किसे कहते हैं?
उत्तर: मजदूरों को अपने मालिक के लिए मुफ्त या बहुत थोड़े से अनाज वगैरह के लिए जबरन काम करना पड़ता है।
जब यही काम मजदूर को जीवन भर करना पड़ता है तो उसे बंधुआ मजदूरी कहते हैं।
प्रश्न 4. किन्हीं चार राजनैतिक अधिकारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
  1. मतदान का अधिकार
  2. चुनाव लड़ने का अधिकार
  3. सरकारी नौकरी पाने का अधिकार
  4. सरकार की आलोचना करने का अधिकार
प्रश्न 5. प्रतिज्ञा-पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर: नियमों व सिद्धान्तों को बनाए रखने का व्यक्ति, समूह या देशों का वायदा प्रतिज्ञा-पत्र कहलाता है। ऐसे बयान या संधि पर हस्ताक्षर करने वाले पर इसके पालन की वैधानिक बाध्यता होती है।
प्रश्न 6. एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या है?
उत्तर: एमनेस्टी इंटरनेशनल मानवाधिकारों के लिए कार्य करने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह संगठन विश्व भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतंत्र रिपोर्ट जारी करता है।
प्रश्न 7. कानुनी अधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर: ऐसे अधिकार जिन्हें राज्य की स्वीकृति मिल जाती है, उन्हें कानूनी या वैधानिक अधिकार कहते हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए व्यक्ति अदालत में दावा कर सकता है। जीवन, संपत्ति, कुटुंब आदि के अधिकार राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। यदि कोई व्यक्ति या अधिकार इन्हें छीनने का प्रयत्न करता है तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। राज्य इनका उल्लंघन करने वालों को दण्ड देता है, इसलिए कानूनी अधिकार के पीछे राज्य की शक्ति रहती है।
प्रश्न 8. लोकतांत्रिक अधिकार 347 नैतिकता का अधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी देश में लोगों को कुछ अधिकार नैतिक आधार पर दिए जाते हैं। ये अधिकार मनुष्य एवं समाज दोनों के हित में होते हैं। जीवन की सुरक्षा, स्वतंत्रता, धर्म-पालन, शिक्षा-प्राप्ति, संपत्ति रखने आदि की सुविधाएँ देने पर ही मनुष्य की भलाई हो सकती है। इनसे समाज भी उन्नत होता है, इसलिए समाज स्वेच्छा से इन अधिकारों को प्रदान करता है। जब तक ऐसे अधिकारों के पीछे कानून की मान्यता या दबाव नहीं रहता, ये नैतिक अधिकार कहलाते हैं। नैतिक अधिकारों की मान्यता सामाजिक निंदा तथा आलोचना के भय से दी जाती है। यदि बुढ़ापे में माता-पिता की सेवा नहीं की जाती है तो समाज निंदा करता है। इसलिए माता-पिता का यह नैतिक अधिकार है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जनहित याचिका को संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: कोई भी पीड़ित व्यक्ति मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में न्याय पाने के लिए तत्काल न्यायालय जा सकता है। किन्तु यदि मामला सामाजिक या सार्वजनिक हित का हो तो ऐसे मामलों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कोई भी व्यक्ति अदालत में जा सकता है। ऐसे मामलों को जनहित याचिका के माध्यम से उठाया जाता है।
            इसमें कोई भी व्यक्ति या समूह सरकार के किसी कानून या काम के खिलाफ सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय में जा सकता है। ऐसे मामले जज के नाम पोस्टकार्ड पर लिखी अर्जी के माध्यम से भी चलाए जा सकते हैं। अगर न्यायाधीशों को लगे कि सचमुच इस मामले में सार्वजनिक हितों पर चोट पहुँच रही है तो वे मामले को विचार के लिए स्वीकार कर सकते हैं।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना एक कानून के तहत 1993 ई. में की गयी। इस आयोग की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस आयोग में सेवानिवृत्त न्यायाधीश, अधिकारीगण तथा नागरिक शामिल होते हैं। लेकिन इसे अदालती मामलों में निर्णय देने का अधिकार नहीं है। यह पीड़ितों को संविधान में वर्णित सभी मौलिक अधिकारों सहित सारे मानव अधिकार दिलाने पर ध्यान देता है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा कराई गई वे संधियाँ भी शामिल हैं जिन पर भारत ने हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग स्वयं किसी को सजा नहीं दे सकता।
            यह मानव अधिकार हनन के किसी भी मामले की जाँच करता है। तथा देश में मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अन्य सामान्य कदम उठाता है। यह गवाहों को इसके समक्ष पेश होने के आदेश दे सकता है, किसी सरकारी कर्मचारी से पूछताछ कर सकता है, किसी आधिकारिक दस्तावेज की माँग कर सकता है, किसी जेल का निरीक्षण करने के लिए उसका दौरा कर सकता है तथा किसी स्थान पर जाँच करने के लिए अपना दल भेज सकता है। देश के 14 राज्यों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे राज्य मानवाधिकार आयोग हैं।
प्रश्न 3. भारतीय संविधान में शामिल किए गए अधिकारों को मौलिक अधिकार क्यों कहते हैं?
उत्तर: नागरिकों के मूल अधिकारों का वर्णन भारतीय संविधान के तीसरे अध्याय में अनुच्छेद 12 से 35 के बीच किया गया
है। इन्हें मूल अधिकार इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये अधिकार मनुष्य की उन्नति और विकास के लिए आवश्यक माने जाते हैं। इनके प्रयोग के बिना कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की उन्नति नहीं कर सकता। ये अधिकार देश में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना में सहायता करते हैं। संविधान में इन अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है ताकि कोई सरकार नागरिकों को इन अधिकारों से वंचित न कर सके और देश के सभी नागरिक इन अधिकारों का प्रयोग कर सकें।
प्रश्न 4. अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा-पत्रों की अधिकारों के विस्तार में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा – पत्र आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक आधार पर कई अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है। ये अधिकार भारत के संविधान में प्रत्यक्ष रूप से मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं हैं।
इन अधिकारों में प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-
  1. स्वास्थ्य का अधिकार - बीमारी के दौरान चिकित्सीय देखभाल, बच्चे के जन्म के समय महिलाओं की विशेष देखरेख तथा महामारियों की रोकथाम।।
  2. शिक्षा का अधिकार - निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा के लिए समान अवसर। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञा पत्रों की अधिकारों के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  3. काम करने का अधिकार - प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आजीविका कमाने के लिए अवसर मिलना चाहिए।
  4. सुरक्षित तथा स्वस्थ कार्य परिस्थितियाँ, उचित मेहनताना जो कि मजदूरों तथा उनके परिवारों को सम्मानजनक जीवन स्तर उपलब्ध कराता हो।
  5. उपयुक्त जीवन स्तर का अधिकार जिसमें उपयुक्त भोजन, कपड़े तथा निवासस्थान शामिल हैं।
  6. सामाजिक सुरक्षा तथा बीमे का अधिकार।
प्रश्न 5. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से आप क्या समझते हैं? इसकी सीमाएँ बताइए।
उत्तर: अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से आशय है किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने विचारों को स्वतन्त्र रूप से अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता। यह किसी व्यक्ति को दूसरों से बातचीत करने, सरकार की आलोचना करने हेतु अलग तरीके से सोचने की आजादी देता है। हम पैम्पलेट, पत्रिका या अखबार के द्वारा समाचार प्रकाशित कर सकते हैं।
सीमाएँ-
  1. किसी भी व्यक्ति को दूसरों के विरुद्ध हिंसा भड़काने की स्वतंत्रता नहीं है।
  2. कोई भी व्यक्ति इसका प्रयोग लोगों को सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए नहीं उकसा सकता।
  3. कोई भी व्यक्ति झूठी और घटिया बातें करके किसी अन्य को अपमानित नहीं कर सकता जिससे किसी व्यक्ति के सम्मान को हानि होती है।
प्रश्न 6. सऊदी अरब में किस तरह की सरकार अस्तित्व में है? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: सऊदी अरब में वंशानुगत शासन व्यवस्था अस्तित्व में है। यहाँ लोगों की शासक को चुनने में कोई भूमिका नहीं है। इस शासन व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. वहाँ कोई धार्मिक आजादी नहीं है। सिर्फ मुसलमान ही यहाँ के नागरिक हो सकते हैं। यहाँ रहने वाले दूसरे धर्मों के लोग घर के अन्दर ही धर्म के अनुसार पूजा-पाठ कर सकते हैं। उनके सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक है।
  2. महिलाओं पर कई सार्वजनिक पाबंदियाँ लगी हुई हैं। औरतों को वैधानिक रूप से मर्दो से कम दर्जा मिला हुआ है।
  3. शाह ही विधायिका और कार्यपालिका का  चयन करता है तथा जजों की नियुक्ति भी स्वयं ही करता है और उनके द्वारा किए गए किसी भी निर्णय को बदल सकता है।
  4. नागरिक राजनैतिक दल अथवा राजनैतिक संगठन का गठन नहीं कर सकते।
  5. मीडिया शाह की मर्जी के विरुद्ध कोई भी खबर नहीं दे सकता।
प्रश्न 7. मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गोआन्तानामो में मानवाधिकारों के उल्लंघन के । सम्बन्ध में क्या सूचनाएँ एकत्रित कीं?
उत्तर: मानवाधिकारों के लिए कार्यरत कार्यकर्ताओं को संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल विश्व भर में मानवाधिकारों के हनन पर स्वतन्त्र रिपोर्ट जारी करता है।
इस संस्था ने गोआन्तानामो में कैदियों के बारे में निम्न सूचनाएँ एकत्रित की थीं-
  1. कैदियों को ऐसे तरीकों से यातनाएँ दी जाती थीं जो अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन करते थे।
  2. उन्हें इलाज कराने की भी आज्ञा नहीं थी जो कि अन्तर्राष्ट्रीय संधियों के अनुसार युद्ध बंदियों को भी उपलब्ध था।
  3. कई कैदियों ने भूख हड़ताल करके इन स्थितियों का विरोध करने का प्रयास किया था।
  4. आधिकारिक रूप से निर्दोष घोषित किए जाने के उपरान्त भी कैदियों को रिहा नहीं किया गया था।
  5. इस प्रकार एमनेस्टी इंटरनेशनल ने लोगों का ध्यान मानवाधिकार हनन के मामले की ओर आकृष्ट किया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई एक स्वतंत्र जाँच ने भी एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा जारी तथ्यों की पुष्टि की थी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने कहा कि गोआन्तानामो बे की जेल बन्द की जानी चाहिए।
प्रश्न 8. भारत के संविधान में किए गए उन प्रावधानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करते हैं।
उत्तर: विभिन्नता में एकता भारत की विशेषता है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग साथ-साथ रहते हैं। इसलिए भारत का संविधान भी धार्मिक मामलों में तटस्थ रहा तथा इसने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाना स्वीकार किया है। कोई भी ऐसा देश जो किसी धर्म को आधिकारिक धर्म के रूप में मान्यता नहीं देता धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहलाता है।
निम्न संवैधानिक प्रावधान भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करते हैं -
  1. भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है। श्रीलंका में बुद्ध धर्म, पाकिस्तान में इस्लाम, इंग्लैण्ड में इसाई धर्म को आधिकारिक धर्म घोषित किया गया है जबकि भारत में ऐसा नहीं है। भारत में किसी भी धर्म को विशेष दर्जा नहीं दिया गया है।
  2. संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव को प्रतिबंधित करता है।
  3. संविधान सभी नागरिकों को अपनी इच्छानुसार धर्म चुनकर उसका प्रचार करने, मानने का अधिकार देता है।
प्रश्न 9. “स्वतंत्रता का अधिकार छः स्वतंत्रताओं का समूह है।“ स्पष्ट कीजिए। साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत की गयी व्यवस्थाओं का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में स्वतंत्रता के अधिकार के अधीन भारतीय नागरिकों को अनेक प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान की गयी हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-
  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. शान्तिपूर्ण तथा बिना शस्त्रों के इकट्ठा होने की स्वतंत्रता।
  3. संघ अथवा समुदाय बनाने की स्वतंत्रता।
  4. भारत में किसी भी क्षेत्र अथवा स्थान पर घूमने-फिरने की स्वतंत्रता।
  5. भारत के किसी भी भाग में रहने अथवा निवास करने की स्वतंत्रता।
  6. कोई भी व्यवसाय अथवा पेशा अपनाने की स्वतंत्रता।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (धारा 20-22) के अन्तर्गत निम्न व्यवस्था की गई है-
  1. किसी व्यक्ति को बिना कानून तोड़े दण्ड नहीं दिया जा सकता।
  2. एक ही व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार दण्ड नहीं दिया जा सकता।
  3. किसी भी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने को मजबूर नहीं किया जा सकता।
  4. किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को 24 घण्टे के अन्दर उसे किसी न्यायाधीश के सामने उपस्थित करना होता है। जब कभी किसी व्यक्ति को निवारक नजरबन्दी कानून के अधीन गिरफ्तार किया जाता है। तब उसे 24 घण्टे के अन्दर न्यायाधीश के सामने उपस्थित करना जरूरी नहीं। परन्तु उसे भी दो महीने की अवधि से अधिक समय तक न्यायालय के सामने पेश किए बिना  नजरबन्द नहीं रखा जा सकता।
  5. गिरफ्तार किए व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी का कारण बताना होगा। उस व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार वकील करने का अधिकार होगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि स्वतन्त्रता का अधिकार अनेक अधिकारों का समूह है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. न्यायपालिका किस तरह हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारत के संविधान में की गयी व्यवस्था के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होता है तो वह न्यायालय की शरण में जा सकता है। यह हमारा मौलिक अधिकार है कि हम सीधे सर्वोच्च न्यायालय अथवा किसी राज्य के उच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की सुरक्षा की माँग कर सकते हैं।
विधायिका, कार्यपालिका या सरकार द्वारा गठित किसी अन्य प्राधिकरण की किसी भी कार्रवाई के विरुद्ध हमें हमारे मौलिक अधिकारों की गारंटी प्राप्त है। कोई भी कानून अथवा कार्रवाई हमें हमारे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती।
यदि विधायिका या कार्यपालिका की कोई कार्रवाई हमसे हमारे मौलिक अधिकार या तो छीनती हैं या उन्हें सीमित करती है तो यह अवैध होगा। हम ऐसे केन्द्र अथवा राज्य सरकार के ऐसे कानून को चुनौती दे सकते हैं।
न्यायालय भी किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध मौलिक अधिकारों को लागू करती है। किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय विभिन्न प्रकार की रिट जारी कर सकते हैं। जब भी हमारे किसी मौलिक अधिकार का हनन होता है तो हम न्यायालय के द्वारा इसे रोक सकते हैं। हमारी न्यायपालिका
अत्यंत शक्तिशाली है तथा नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए यह कोई भी आवश्यक कदम उठा सकती है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: मौलिक अधिकारों की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार बहुत ही व्यापक तथा विस्तृत हैं। इनका वर्णन संविधान के 24 अनुच्छेदों (अनुच्छेद 12-35) में किया गया है।
  2. ये अधिकार सभी नागरिकों को जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा आदि के भेदभाव के बिना दिए गए हैं।
  3. इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति अथवा सरकार नागरिकों के इन अधिकारों को उल्लंघन करने अथवा इन्हें छीनने का प्रयत्न करता है तो नागरिक न्यायालय में जाकर उसके विरुद्ध न्याय की माँग कर सकता है।
  4. मौलिक अधिकारों का प्रयोग नागरिकों द्वारा मनमाने ढंग से नहीं किया जा सकता। यदि कोई नागरिक इनको प्रयोग इस ढंग से करता है कि उससे शांति तथा व्यवस्था भंग होती हो अथवा दूसरों की स्वतंत्रता के प्रयोग के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती हो तो ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा सकती है; उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है।
  5. संकटकालीन स्थिति में मौलिक अधिकारों को निलम्बित किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि संकट काल में सरकार द्वारा इन अधिकारों के प्रयोग पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
  6. संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है।
  7. मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए विशेष संवैधानिक व्यवस्था की गई है, इनकी केवल घोषणा ही नहीं की गई है।
प्रश्न 3. भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदत्त मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत के संविधान ने अपने नागरिकों को निम्नलिखित मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं।
(1)    समानता का अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न प्रकार की समानता प्रदान की गई है-
  1. कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं।
  2. किसी भी नागरिक को उसकी जाति, धर्म, रंग, लिंग तथा जन्म स्थान आदि के आधार पर सार्वजनिक स्थानों जैसे-होटलों, पार्को, नहाने के घाटों आदि पर प्रवेश करने से नहीं रोका जाएगा।
  3. सभी नागरिकों को सरकारी नौकरी पाने के क्षेत्र में अवसर की समानता का अधिकार।
  4. छुआ-छूत की समाप्ति।
  5. सेना तथा शिक्षा सम्बन्धी उपाधियों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार की उपाधियों का अन्त।
(2)    स्वतन्त्रता का अधिकार- स्वतंत्रता का अधिकार के अन्तर्गत नागरिकों को निम्न स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं-
  1. भाषण देने तथा विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता।
  2. शांतिपूर्ण तथा बिना हथियारों के एकत्र होने की स्वतंत्रता।
  3. संघ बनाने की स्वतंत्रता।
  4. भारत में किसी भी स्थान पर (किसी भी भाग में) घूमने-फिरने की स्वतन्त्रता।
  5. भारत के किसी भी भाग में रहने अथवा निवास करने की स्वतंत्रता।
  6. अपनी इच्छानुसार कोई भी व्यवसाय अपनाने की स्वतंत्रता।
(3)    शोषण के विरुद्ध अधिकार -
  1. इस अधिकार के अधीन मनुष्यों को खरीदना-बेचना तथा बेगार पर रोक लगा दी गई है।
  2. 14 वर्ष अथवा उससे कम आयु वाले बच्चों को किसी कारखाने अथवा खान में नौकरी पर नहीं लगाया जा सकता है।
(4)    धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार-
  1. प्रत्येक नागरिकों को अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने का अधिकार है।
  2. प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबन्ध करने का अधिकार है।
  3. किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी धर्म  विशेष के लिए चंदा या कर देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  4. राज्य द्वारा स्थापित किसी भी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
  5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के सभी नागरिकों को अपनी भाषा, धर्म व संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार- इस अधिकार के अनुसार नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन होने की स्थिति में न्यायालय में जाकर न्याय माँगने का अधिकार है।
प्रश्न 4. भारत का संविधान कहता है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति से उसके व्यक्तिगत जीवन की स्वतंत्रता का अधिकार नहीं छीना जा सकता।” इस कथन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: इसका आशय है कि जब तक न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को मृत्यु दण्ड न दिया गया हो, तब तक किसी भी व्यक्ति को मारा नहीं जा सकता। इसका यह भी अर्थ है कि सरकार अथवा पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को तब तक हिरासत में नहीं रख सकते जब तक उनके पास इसके लिए कोई न्यायिक औचित्य न हो। जब भी वे ऐसा करते हैं, उन्हें कुछ विशेष कानूनों का पालन करना पड़ता है।
ऐसे व्यक्ति को अपने वकील से विचार-विमर्श करने और अपने बचाव के लिए वकील रखने का अधिकार होता है।
गिरफ्तार किए गए अथवा हिरासत में लिए गए व्यक्ति को ऐसी गिरफ्तारी या हिरासत के कारण की सूचना देना आवश्यक है।
जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है अथवा हिरासत में लिया जाता है तो उसे ऐसी गिरफ्तारी के 24 घण्टे के अन्दर निकटतम न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया जाना होता है।
प्रश्न 5. भारत में नगरिकों के राजनैतिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत में संविधान द्वारा प्रदत्त राजनीतिक अधिकारों द्वारा नागरिक अपने देश के शासन-प्रबन्ध में भाग लेते हैं।
इस श्रेणी के अन्तर्गत नागरिकों को प्रदत्त प्रमुख अधिकार इस प्रकार हैं-
  1. तदान का अधिकार - लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का अधिकार एक प्रमुख अधिकार है जो देश के नागरिकों को प्राप्त है। मतदान के अधिकार द्वारा सभी वयस्क नागरिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शासन-प्रबन्ध में हिस्सा लेने लगे हैं। जनता संसद तथा कार्यपालिका के लिए अपने प्रतिनिधि चुनकर भेजती है, जिससे कानून बनाने तथा प्रशासन चलाने के कार्य जनता की इच्छानुसार किए जाते हैं। इस प्रकार प्रजातांत्रिक शासन जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा चलाया जाता है। सभी आधुनिक राज्य अधिक-से-अधिक नागरिकों को मताधिकार देने का प्रयत्न करते हैं। इसके लिए अब शिक्षा, सम्पत्ति, जाति, लिंग, जन्म-स्थान आदि का भेदभाव नहीं किया जाता, परन्तु नाबालिगों, अपराधियों, दिवालियों, पागलों तथा विदेशियों को मताधिकार नहीं दिया जाता। क्योंकि मताधिकार एक पवित्र तथा जिम्मेदारी का काम है। भारत में 18 वर्ष के सभी स्त्री-पुरुषों को मताधिकार प्राप्त है।
  2. चुनाव लड़ने का अधिकार - प्रजातंत्र में सभी नागरिकों को योग्य होने पर चुनाव लड़ने का भी अधिकार दिया जाता है। प्रजातंत्र में तभी जनता की तथा जनता द्वारा सरकार बन सकती है, जब प्रत्येक नागरिक को कानून बनाने में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने का अधिकार दिया जाता हो। जनता के वास्तविक प्रतिनिधि भी वही होंगे जो उन्हीं में से निर्वाचित किए गए हों। इसलिए राज्य नागरिकों को चुनाव लड़ने का भी अधिकार देता है, परन्तु कानून बनाना अधिक जिम्मेदारी का काम होता है, इसलिए ऐसे नागरिक को ही निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार होता है जो कम-से-कम 25 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो तथा पागल, दिवालिया व अपराधी न हो। भारत में 25 वर्ष की आयु वाले नागरिक को यह अधिकार मिल जाता है।
  3. सरकार की आलोचना करने का अधिकार - लोकतन्त्र में नागरिकों को शासन-कार्यों की रचनात्मक आलोचना करने का अधिकार है। लोकतन्त्र लोकमत पर आधारित सरकार है। विरोधी मतों के संघर्ष से ही सच्चाई सामने आती है। स्वतंत्रता का मूल जनता की निरन्तर जागृति ही है।  शासन के अत्याचारों अथवा अधिकारों के दोषों को दूर करने के लिए सरकार की आलोचना एक उत्तम तथा प्रभावशाली हथियार है। इससे सरकार दक्षतापूर्वक कार्य करती है। धन व सत्ता का दुरुपयोग नहीं होने पाता।
  4. विरोध करने का अधिकार - नागरिकों को सरकार का विरोध करने का भी अधिकार है। यदि सरकार अन्यायपूर्ण कानून बनाती है अथवा राष्ट्र-हित के विरुद्ध कार्य करती है तो उसका विरोध किया जाना चाहिए। ऐसे शासन के सामने झुकना आदर्श नागरिकता का लक्षण नहीं है। इसलिए नागरिकों को बुरी सरकार का विरोध करना चाहिए तथा उसे बदल देने का प्रयत्न करना चाहिए, परन्तु ऐसा संवैधानिक तरीकों के अन्तर्गत ही किया जाना चाहिए। यह भी ध्यान में रखना पड़ता है कि निजी स्वार्थ-सिद्धि के लिए ऐसा नहीं किया जा सकता। नागरिक को सरकार का विरोध करने का तो अधिकार है, परन्तु राज्य का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं।
  5. प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार - नागरिकों को अपने कष्टों का निवारण करने के लिए प्रार्थना-पत्र देने का अधिकार है। प्रजातंत्र में संसद में जनता के प्रतिनिधियों द्वारा लोगों को भी स्वतः याचिका भेजकर सरकार के सामने अपनी समस्याएँ रखने तथा उन्हें हल करने की माँग करने का अधिकार है। सरकारी पद प्राप्त करने का अधिकार- सभी नागरिकों को उनकी योग्यतानुसार अपने राज्य में सरकारी पद या नौकरियाँ प्राप्त करने का अधिकार दिया जाता है। सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए किसी भी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, वंश, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
भारत में ऐसा कोई भेदभाव नहीं रखा गया है। यहाँ कोई भी नागरिक राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकता है। राजनीतिक दल बनाने का अधिकार- प्रजातंत्र में लोगों को दल बनाने का अधिकार होता है। समान राजनीतिक विचार रखने वाले लोग अपना दल बना लेते हैं। राजनीतिक दल ही उम्मीदवार खड़े करते हैं, चुनाव आंदोलन चलाते हैं तथा विजयी होने पर सरकार बनाते हैं। जो दल अल्पसंख्या में रह जाते हैं, वे विरोधी दल का कार्य करते हैं। इन राजनैतिक दलों के बिना प्रजातंत्र सरकार बनाना असंभव है।
प्रश्न 6. भारत में नागरिक के सामाजिक एवं नागरिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: पारिवारिक जीवन का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को विवाह करने तथा कुटुम्ब बनाने का अधिकार है। परिवार के पवित्रता, स्वतंत्रता तथा सम्पत्ति की राज्य रक्षा करता है। प्रगतिशील देशों में पारिवारिक कलह दूर करने के लिए पतिपत्नी को एक-दूसरे को तलाक देने का भी अधिकार है। बहु-विवाह एवं बाल-विवाह की प्रथाओं पर भी प्रतिबंध लगाए जाते हैं।
  1. शिक्षा का अधिकार - आधुनिक राज्य में नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने का पूर्ण अधिकार है। कई देशों में चौदह वर्ष तक के बच्चों के लिए निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का प्रबन्ध किया गया है। शिक्षा प्रजातांत्रिक शासन की सफलता का आधार है। शिक्षित नागरिक ही अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा अच्छे सामाजिक जीवन के लिए भी आवश्यक है, इसलिए राज्य स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, वाचनालय, पुस्तकालय आदि स्थापित करता है। नागरिकों को शिक्षा देना राज्य अपना परम कर्तव्य समझता है। प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार - समाचार-पत्र प्रजातन्त्र के पहरेदार होते हैं। ये लोकमत तैयार करने के अच्छे साधन हैं। इनके माध्यम से जनता तथा सरकार एक-दूसरे की बातें समझ सकते हैं।  समाचार-पत्रों पर सरकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए। स्वतंत्र प्रेस द्वारा ही शासन की जनहित विरोधी कार्रवाई की आलोचना की जा सकती है। प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा देने से जनता का गला घोंट दिया जाता है। तानाशाही राज्यों में प्रेस को स्वतंत्र नहीं रहने दिया जाता, परन्तु प्रजातंत्रीय देशों में प्रेस को स्वतंत्रता का अधिकार होता है। समाचार-पत्रों को इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
  2. सभा बुलाने तथा संगठित होने का अधिकार - मनुष्य में सामाजिक प्रवृत्ति होती है। वह सभा बुलाकर तथा संगठन बनाकर उसे पूर्ण करता है। जनता को शांतिपूर्वक सभाएँ करने तथा अपने हितों की रक्षा करने के लिए समुदाय बनाने का अधिकार होना चाहिए। आधुनिक राज्य लोगों को यह अधिकार प्रदान करता है। सार्वजनिक वाद-विवाद, मत-प्रकाशन तथा जोरदार आलोचना शासन के अत्याचारों तथा अधिकारों की मनमानी क्रूरताओं के विरुद्ध जनता के शस्त्र हैं, परन्तु इन सभाओं, जलूसों तथा समुदायों का उद्देश्य सार्वजनिक हित की वृद्धि करना ही होना चाहिए। द्वेष या विद्रोह फैलाने, शांति भंग करने आदि के लिए इनका प्रयोग नहीं किया जा सकता। राज्य ऐसे कार्यों को रोकने के लिए सभाओं आदि पर प्रतिबन्ध लगा देता है, परन्तु राज्य की सुरक्षा के नाम पर नागरिक स्वतंत्रता का दमन करना फासिस्टवाद है।
  3. न्याय पाने का अधिकार - आधुनिक राज्य में सभी लोगों को पूर्ण न्याय प्राप्त करने का अधिकार है। अपराध करने पर सभी पर सामान्य अदालत में मुकद्दमा चलाया जाता है तथा सामान्य कानून के अन्तर्गत दण्ड दिया जाता है। गरीब तथा निर्बल व्यक्तियों को अमीरों के अत्याचारों से बचाया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अदालत में जाने तथा न्याय पाने का अधिकार है। भारतीय संविधान में भी न्याय प्राप्त करने के लिए कानूनी उपचार की व्यवस्था की गयी है। कोई भी व्यक्ति न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक अपील कर सकता है।
  4. स्वतन्त्र भ्रमण का अधिकार - सुखी तथा स्वस्थ जीवन के लिए भ्रमण करना भी जरूरी है। राज्य प्रत्येक व्यक्ति को आवागमन की स्वतन्त्रता का अधिकार देता है। वह देश भर में कहीं भी आ-जा सकता है। विदेश यात्रा के लिए पासपोर्ट भी मिल सकता है। शांतिपूर्ण ढंग से आजीविका  कमाने तथा सामाजिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिए सभी लोगों को घूमने-फिरने की स्वतंत्रता है, परन्तु विद्रोह फैलाने, तोड़-फोड़ की कार्रवाइयाँ करने वालों को यह अधिकार नहीं दिया जाता। युद्ध के समय विदेशियों के भ्रमण पर भी कठोर नियंत्रण लागू कर दिया जाता है।
  5. विचार तथा भाषण की स्वतंत्रता का अधिकार - प्रजातांत्रिक राज्यों में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से विचार करने तथा बोलने अथवा भाषण देने का अधिकार दिया जाता है। विचारों के आदान-प्रदान से ही सत्य का पता लगता है। इससे जागृत लोकमत तैयार होता है जो सरकार की रचनात्मक आलोचना करके उसे जनहित में कार्य करते रहने के लिए बाध्य करता है। मंच जनता के दुःखों तथा अधिकारों को दबाने सम्बन्धी अत्याचारों को दूर करने का शक्तिशाली माध्यम है, परन्तु भाषण की स्वतंत्रता का अर्थ झूठी अफवाहें फैलाने, अपमान करने या गालियाँ देने का अधिकार नहीं है। मानहानि करना या राजद्रोह फैलाना अपराध है। युद्ध के समय राज्य की सुरक्षा के लिए इस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध भी लगा दिए जाते हैं।
  6. जीवन का अधिकार - प्रत्येक मनुष्य का यह मौलिक अधिकार है कि उसका जीवन सुरक्षित रखा जाए। राज्य बनाने का प्रथम उद्देश्य भी यही है। यदि लोग ही जीवित नहीं रहेंगे तो समाज व राज्य भी समाप्त हो जाएँगे। इसलिए राज्य अपनी प्रजा की बाहरी आक्रमणों तथा आन्तरिक उपद्रवों से रक्षा करने के लिए सेना और पुलिस का संगठन करता है। जीवन के अधिकार के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मरक्षा करने का  भी अधिकार है। मनुष्य का जीवन समाज की निधि है। उसकी रक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य है। इसलिए किसी व्यक्ति की हत्या करना राज्य के विरुद्ध घोर अपराध माना जाता है। यही नहीं, आत्महत्या का प्रयत्न करना भी अपराध माना जाता है, परन्तु राज्य उस व्यक्ति के जीवन के अधिकार को समाप्त कर देता है जो समाज का शत्रु बन जाती है तथा दूसरों की हत्या करता फिरता है।
  7. सम्पत्ति का अधिकार - सम्पत्ति जीवन के विकास के लिए आवश्यक है। इसलिए व्यक्ति को निजी सम्पत्ति रखने का अधिकार दिया जाता है। कोई उसकी सम्पत्ति छीन नहीं सकता अन्यथा चोरी अथवा डाका डालने को अपराध माना जाता है। बिना कानूनी कार्रवाई किए तथा उचित मुआवजा दिए राज्य भी किसी व्यक्ति की सम्पत्ति जब्त नहीं करता। यद्यपि पूँजीवादी राज्य में निजी सम्पत्ति की कोई सीमा नहीं रखी जाती, फिर भी समाजवादी राज्य में व्यक्तिगत सम्पत्ति रखने की एक सीमा है। अपनी शारीरिक मेहनत से प्राप्त धन रखने  का वहाँ अधिकार होता है, परन्तु लोगों का शोषण करके सम्पत्ति इकट्ठी नहीं की जा सकती। आधुनिक कल्याणकारी राज्य में यद्यपि सम्पत्ति रखने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता, परन्तु सरकार अधिक धन कमाने वालों पर अधिक-से-अधिक कर (Tax) लगाती है।
………………………………
महत्वपूर्ण नोट (important note):- इस अध्याय की पीडीएफ फाईल डाउनलोड़ करने के लिये नीचे दीये बटन पर क्लिक करे।
To download the PDF file of this chapter, click on the button given below.

निर्देश (Instruction):-
बटन पर क्लिक करे।
Click on the button.
10 सेकेण्ड़ के बाद डाउनलोड बटन ओपन होगा।
After 10 seconds the download button will open.
डाउनलोड़ बटन पर क्लिक करे।
Click on the download button.
15 सेकण्ड के बाद पीडीएफ फाईन ओपन होगी।
After 15 seconds the PDF will open fine.
………………………………
 
Share:

Class 9th Social Science (Civics) Chapter 1 समकालीन विश्व में

समकालीन विश्व में

प्रश्न 1. इनमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती?
(क) लोगों का संघर्ष।
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण।
(ग) उपनिवेशवाद का अंत।।
(घ) लोगों की स्वतन्त्रता की चाह।
उत्तर: ( ख ) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण।
प्रश्न 2. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है?
(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई है।
(ख) विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक्त से अब कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।
उत्तर: (ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यांशों में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि…..
(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिन्न देशों की बात का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में सम्मान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
उत्तर: (घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
प्रश्न 5. गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर: गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोग अपने शासकों का चुनाव नहीं कर सकते हैं। इस शासन-व्यवस्था में जनसामान्य को सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने, राजनैतिक संगठनों का निर्माण करने, शासन व्यवस्था का विरोध करने तथा राजनैतिक कार्यवाही करने की स्वतन्त्रता नहीं होती है, लोगों में व्यापारिक संगठन बनाने तथा व्यवस्था से असंतुष्ट होने पर हड़ताल करने का कोई अधिकार नहीं होता है।
प्रश्न 6. जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन-सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं?
उत्तर: जब सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया जाता है तो लोगों की निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ प्रायः सैन्य शासन द्वारा छीन ली जाती हैं
  1. जनता को सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने तथा भाषण देने की स्वतन्त्रता छीन ली जाती है।
  2. सेना को शासन सम्बन्धी कोई भी निर्णय लेने के लिए किसी से अनुमति या परामर्श की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. सैन्य शासन द्वारा सत्ता में आने के बाद उन लोगों का उत्पीड़न किया जाता है जिन्होंने पूर्ववर्ती सरकार का तख्ता पलटने के सेना के प्रयास का विरोध किया था।
प्रश्न 7. वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढ़ाने में इनमें से किन बातों से मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो और मुझे ज्यादा अधिकार मिले।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज को समान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिर्फ इसके चलते
अमीर देश अपने हितों का नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज का अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वजन होना ही चाहिए।

उत्तर:-
(क) इस तथ्य का वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है क्योंकि प्रत्येक देश और इसके नागरिकों को बिना उसकी सम्पन्नता एवं विपन्नता का भेद किए बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लिए गए निर्णयों का असर विश्व के सभी देशों पर पड़ता है। चूँकि छोटे तथा गरीब देशों को अपने विकास के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होती है, उनकी आवाज को सम्मान के साथ सुना जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्यों के पास ‘वीटो’ शक्ति का होना अलोकतांत्रिक है क्यों? उनमें से कोई भी देश अपनी इस शक्ति के प्रयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी निर्णय को रोक सकता है। अनेक अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे—अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) तथा विश्व बैंक (World Bank) भी लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर कार्य नहीं कर रहे हैं।
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धनी देशों को अधिक वरीयता देना किसी भी तरह से लोकतंत्र को बढ़ावा नहीं देगा। अमीर एवं गरीब देश के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कोई विभेद नहीं होना चाहिए। यह वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक सहायता लाने में किसी तरह सहायक नहीं होगा, जो कि लोकतन्त्र के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए धनी एवं निर्धन देशों के बीच समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
(घ) यह तर्क भी वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में किसी प्रकार सहायक नहीं हैं।
प्रश्न 8. नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
वक्ता 1 : भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसीलिए राजशाही के खिलाफ और लोकतन्त्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए।
वक्ता 2 : यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतन्त्र नहीं आ सकता।
वक्ता 3 : लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।

उत्तर: -हम वक्ता-2 के विचारों से सहमत हैं। भारत द्वारा नेपाल के आन्तरिक मामले में दखल देने से भारत के सम्मुख वही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जो इराक में संयुक्त राज्य अमेरिका की है। यह सर्वमान्य सत्य है कि जब तक किसी देश के लोग स्वयं देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करने को तत्पर नहीं होते हैं तब तक कोई बाहरी देश लाख कोशिश करके भी उस देश में लोकतंत्र के आधार को सुदृढ़ नहीं कर सकता। साथ ही किसी देश के नागरिक और वहाँ की शासन व्यवस्था यह कभी नहीं चाहती कि कोई बाहरी देश वहाँ हस्तक्षेप करें। अतः किसी अन्य देश द्वारा किसी भी देश में लोकतंत्र को बलपूर्वक थोपा नहीं जा सकता है।
प्रश्न 9. एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवार को सत्ता सौंपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्हीं के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है। जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी ने मीडिया की आजादी की माँग की तो बड़ेबुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगी। “आखिर महाराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में बहुत दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते?”
उपर्युक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकाले चमन:आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों को उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।
चंपा : आनंद्रलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी ला सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नहीं ला सकता।
चंदू : लोगों को खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहाँ का शासन लोकतांत्रिक ही है।
इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरूप के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:-
लोकतांत्रिक देश में शासन की सत्ता लोगों के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होनी चाहिए जबकि आनन्दलोक में ऐसा नहीं है, क्योंकि आनन्दलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में वयस्क मतदाताओं द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव किया जाता है। आनन्दलोक में राजा का निर्वाचन नहीं होता है। उसके पूर्वज राजा थे, इसलिए उसे राजा निर्वाचित किया गया। आनन्दलोक में राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली अस्तित्व समकालीन विश्व में लोकतन्त्र 267 में थी। यदि आनन्दलोक का राजा जनता के कल्याण के लिए भी कार्य करता है तो इस शासन प्रणाली को लोकतांत्रिक प्रणाली नहीं कहा जा सकता है। एक व्यक्ति द्वारा शासित शासन को कभी भी लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में संचार माध्यमों को कार्य करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए और सभी नागरिकों को संसार की आलोचना करने का पूरा अधिकार होना चाहिए तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना हो सकती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. म्यांमार की लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू की’ को कितने वर्ष बाद नजरबंदी से मुक्त किया गया?
उत्तर: म्यांमार की तानाशाही सरकार ने इन्हें 15 वर्ष की नजरबंदी के बाद 13 नवम्बर, 2010 ई. को मुक्त किया।
प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक वयस्क मताधिकार कब लागू किया गया?
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक वयस्क मताधिकार 1994 ई. में लागू किया।
प्रश्न 3. पोलैण्ड में 1981 ई. में कौन शासक था?
उत्तर: 1981 ई. में जनरल जारुजेल्स्की पोलैण्ड का शासक था।
प्रश्न 4. पोलैण्ड में ‘मार्शल लॉ’ कब घोषित किया गया?
उत्तर: दिसम्बर, 1981 ई. में पोलैण्ड में मार्शल लॉ घोषित किया गया।
प्रश्न 5. ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के हड़ताल करने वाले मजदूरों का नेता कौन था?
उत्तर: ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के हड़ताली मजदूरों का नेता ‘लेक वालेशा’ था।
प्रश्न 6. पोलैण्ड में ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने कब हड़ताल की?
उत्तर: पोलैण्ड में ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने 14 अगस्त, 1980 ई. को हड़ताल की।
प्रश्न 7. ‘ट्रेड यूनियन’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: मजदूरों के संघ को ट्रेड यूनियन’ कहा जाता है। ट्रेड यूनियन का उद्देश्य श्रमिकों के हितों का संरक्षण करना है।
प्रश्न 8. कूप (Coup) किसे कहते हैं?
उत्तर: जब किसी सरकार को अचानक गैर-कानूनी ढंग से हटा दिया जाता है तो उसे कूप कहते हैं।
प्रश्न 9. संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी सदस्यों के नाम लिखिए।
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस और चीन सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्य हैं।
प्रश्न 10. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संस्था कितनी है?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्यों की संख्या 15 है जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं।
प्रश्न 11. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब की गयी?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई. को की गयी।
प्रश्न 12. विश्व के किस महान् देश का विघटन 15 भागों में हुआ और सभी 15 स्वतन्त्र देश बन गए?
उत्तर: सन् 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ और 15 स्वतन्त्र देश अस्तित्व में आए।
प्रश्न 13. घाना किस वर्ष स्वतन्त्र हुआ? 
उत्तर- घाना सन् 1957 में एक स्वतन्त्र देश बना।
प्रश्न 14. लोकतन्त्र शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के किस शब्द से हुई और उसका क्या अर्थ है?
उत्तर: लोकतन्त्र शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों (जिसे अंग्रेजी में Democracy कहते हैं) डिमोस (Demos) ती) सामाजिक विज्ञान कक्षा-IX तथा क्रेशिया (Cretia) से हुई है। ‘डिमोस’ का अर्थ है जनता तथा ‘क्रेशिया’ का अर्थ है सत्ता। अतः लोकतन्त्र वह शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के हाथों में होती है।
प्रश्न 15. लोकतन्त्र की कोई दो परिभाषाएँ लिखें।
उत्तर: लोकतन्त्र की दो परिभाषाएँ इस प्रकार हैं
अब्राहिम लिंकन के अनुसार, “लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।”
 गैटेल के शब्दों में, “लोकतन्त्र एक ऐसी सरकार है जिसमें सत्ता के प्रयोग में समस्त जनता को भाग लेने का अधिकार है।”
प्रश्न 16. मार्शल लॉ किसे कहते हैं? पोलैण्ड में मार्शल लॉ कब लागू किया गया?
उत्तर: जब किसी देश में सेना का शासन हो तो सेना द्वारा लागू किए गए कानूनों को मार्शल लॉ कहा जाता है। पोलैण्ड में दिसम्बर, 1981 ई. में मार्शल लॉ घोषित किया गया।
प्रश्न 17. संयुक्त राष्ट्र संघ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व भर के लोगों का एक वैश्विक संगठन है जो विश्व शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने तथा युद्ध को रोकने के लिए सन् 1945 में गठित किया गया था। यह विश्व के विभिन्न देशों के बीच परस्पर सहयोग स्थापित करने में सहायता करता है। आरम्भ में, विश्व के 51 देश इसके सदस्य थे परन्तु अब इनकी संख्या 193 हो गई है।
प्रश्न 18. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर: एक विशेष आयु प्राप्त करने पर किसी देश में सभी नागरिकों को बिना किसी प्रकार के भेदभाव के मतदान (वोट) करने का अधिकार दे दिया जाए तो उस प्रणाली को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
प्रश्न 19. विश्व के उन दो देशों के नाम बताइए जहाँ एक राजनीतिक दल की तानाशाही पायी जाती है।
उत्तर: विश्व के उन दो देशों के नाम हैं- चीन और उत्तर कोरिया।
प्रश्न 20. वह अफ्रीकी देश जो सबसे पहले स्वतन्त्र हुआ।
उत्तर: 1957 ई. में सर्वप्रथम स्वतन्त्र होने वाला अफ्रीकी देश घाना था।
प्रश्न 21. वर्ष 2006 में किसे चिली का राष्ट्रपति चुना गया?
उत्तर: चिली में वर्ष 2006 में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मिशेल वेशलेट को देश का राष्ट्रपति चुना गया। चिली में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली वे प्रथम महिला हैं।
प्रश्न 22. चिली में सैन्य शासक जनरल आगस्टो पिनोशा के शासन काल में कब जनमत संग्रह कराया गया और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर: चिली में वर्ष 1988 में जनरल पिनोशा की सरकार ने जनमत संग्रह करवाया। चिली के लोगों ने पिनोशा के शासन के विरुद्ध मतदान किया। तत्पश्चात् चिली में लोकतन्त्र की स्थापना हुई।
 प्रश्न 23. किसके नेतृत्व में हुई सैनिक क्रान्ति ने चिली के राष्ट्रपति आयंदे का तख्ता पलट दिया था?
उत्तर: चिली में 11 सितम्बर, 1973 ई. को जनरल आगस्टो पिनोशा के नेतृत्व में हुई सैनिक क्रान्ति में राष्ट्रपति आयंदे का तख्ता पलट दिया गया। इस सैन्य क्रान्ति में राष्ट्रपति आयंदे मारा गया।
प्रश्न 24. लोकतंत्र के दो लक्षण बताइए।
उत्तर: स्वतंत्र न्यायपालिका- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आशय है कि न्यायपालिका विधानमण्डल अथवा कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त होकर कार्य करे। निर्वाचित प्रतिनिधि- लोकतंत्र में जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि शासन का संचालन करते हैं।
प्रश्न 25. विश्व के दो प्रमुख देशों के नाम बताइए जहाँ अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान हो।
उत्तर: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व के दो बड़े अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश हैं।
प्रश्न 26. विश्व के उस देश का नाम बताइए जहाँ प्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान हों।
उत्तर: प्रत्यक्ष लोकतन्त्र वाला देश स्विट्जरलैण्ड है।
प्रश्न 27. लोकतांत्रिक व्यवस्था के दो प्रमुख प्रकार बताइए।
उत्तर: लोकतांत्रिक व्यवस्था के दो प्रमुख प्रकार-
  1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र और
  2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र।
प्रश्न 28. मिली-जुली सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर: जब कई राजनीतिक दल मिलकर समझौता करके सरकार का गठन करते हैं तो इस प्रकार गठित सरकार को मिली जुली सरकार कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लोकतन्त्र के किन्हीं पाँच लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: लोकतन्त्र के पाँच प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:-
  1. निर्वाचित प्रतिनिधि - लोकतन्त्र में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि कानूनों का निर्माण तथा नीतियों का निर्धारण करते हैं।
  2. निर्वाचन ( चुनाव) – लोकतन्त्र में जन-प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतु चुनाव करवाए जाते हैं। प्रत्येक वयस्क मतदाता को चुनाव में मतदान करने का अधिकार दिया जाता है। चुनाव स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष होने चाहिए और निश्चित समय पर होने चाहिए। एक निश्चित आयु पूरी करने पर सभी नागरिकों को चुनाव लड़ने का अधिकार होना चाहिए।
  3. अधिकार एवं स्वतंत्रताएँ - लोकतन्त्र में देश के सभी नागरिकों को अधिकार एवं स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए। नागरिकों को भाषण देने, विचार प्रकट करने, संघ बनाने तथा राजनैतिक दल गठित करने के अधिकार होते हैं।
  4. कानून का शासन -  लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण कानून का शासन है। कानून की दृष्टि में सभी नागरिक समान होते हैं और कानून सबसे ऊपर होता है, किसी भी व्यक्ति को सजा केवल कानून का उल्लंघन करने पर ही दी जा सकती है शासक की मर्जी से नहीं। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं होता। 
  5. स्वतन्त्र न्यायपालिका - स्वतन्त्र न्यायपालिका लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण) लक्षण है। न्यायपालिका न्याय का वितरण करती है और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षक होती है। नागरिकों की स्वतन्त्रता के लिए यह आवश्यक है कि न्यायाधीश बिना किसी पक्षपात के निडर होकर स्वतंत्र रूप से न्याय प्रदान करें।
प्रश्न 2. पश्चिम अफ्रीकी देश घाना में तानाशाही की स्थापना का विवेचन कीजिए।
उत्तर: पूर्व में ब्रिटेन के उपनिवेश रहे पश्चिम अफ्रीकी देश ‘घाना’ को पहले गोल्ड कोस्ट कहते थे। गोल्ड कोस्ट 1957 ई. में स्वतन्त्र हुआ। औपनिवेशिक शासन से मुक्त होने वाला पहला अफ्रीकी देश घाना ही था। घाना की स्वतन्त्रता ने अन्य अफ्रकी देशों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया। एक सुनार के पुत्र और पेशे से शिक्षक वामे एनकूमा ने देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभायी।
            स्वतन्त्रता के बाद एनळूमा घाना के पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बने। उन्होंने अपने आपको आजीवन राष्ट्रपति के रूप में चुनवा लिया। लेकिन थोड़े समय बाद ही 1966 ई. में सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया। घाना की तरह ही अफ्रीका के उन अधिकांश देशों का रिकॉर्ड इसी तरह का मिश्रित रहा जिन्होंने आजादी के बाद लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था अपनाई थी। वहाँ लोकतन्त्र लम्बे समय तक नहीं चल पाया। सन् 1973 में चिले (Chile) में भी जनता द्वारा निर्वाचित सरकार का तख्तापलट दिया गया और वहाँ पर सैनि: शाही की स्थापन हो गई।
प्रश्न 3. चिली की वर्तमान राष्ट्रपति वेशलेट की सरकार की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: वेशलेट सरकार की है। प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
इस सरकार द्वारा देश के सभी नागरिकों को राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी है। देश ने बहुदलीय जी) सामाजिक विज्ञान कक्षा-IX लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्वीकार किया है। देश के नागरिकों को किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में मतदान करने की स्वतन्त्रता है।
चिली में शासक का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 4. पोलैण्ड में जनरल जेलस्काई की सरकार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
  1. पोलैण्ड के लोगों को राजनैतिक अधिकार एवं स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं थी।
  2. उन्हें सरकार की आलोचना करने का भी अधिकार नहीं था।
  3. पोलैण्ड में सैनिक तानाशाही थी। शासक का निर्वाचन नहीं होता था।
प्रश्न 5. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् लोकतन्त्र में विस्तार का विवरण दीजिए।
उत्तर: द्वितीय विश्व युद्ध की 1945 ई. में समाप्ति के बाद विश्व में लोकतन्त्र के विस्तार की एक लहर सी चली। एशिया तथा अफ्रीका के अनेक देश जो औपनिवेशिक शासन के अधीन थे, स्वतन्त्रता प्राप्ति का संघर्ष तेज कर दिया। ये लोग न केवल अपने विदेशी शासन से मुक्ति चाहते थे बल्कि अपने शासक को निर्वाचन के माध्यम से चुनाव भी करना चाहते थे।
ऐसे देशों में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और घाना को शामिल किया जा सकता है। ऐसे देशों की संख्या एक बार 36 तक पहुँच गयी थी। इन देशों में से अधिकांश ने स्वतन्त्र होने के पश्चात् अपने यहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखा किन्तु कुछ देशों में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों का तख्ता-पलट दिया गया और वहाँ पर अलोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना की गयी।
प्रश्न 6. अमेरिका और ब्रिटेन आदि सहयोगी देशों ने इराक पर क्या आरोप लगाकर आक्रमण किया था?
उत्तर: अमेरिका और ब्रिटेन आदि के सहयोगी देशों ने इराक पर आरोप लगाया कि उसके पास परमाणु हथियार और रासायनिक हथियारों का जखीरा है, जिससे विश्व को बहुत खतरा है।।
प्रश्न 7. नेपाल में किस प्रकार लोकतन्त्र भंग हुआ और किस तरह लोकतन्त्र की पुनः वापसी हुई?
उत्तर: 2005 ई. में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया और पिछले दशक में लोगों को दी गई राजनैतिक आजादी को समाप्त कर दिया। इसके लिए नेपाल में सेवन पार्टी एलायन्स द्वारा आन्दोलन चलाए गए। अन्त में राजा को लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करनी पड़ी। चुनाव के बाद नेपाल में राजा के पद को खत्म कर दिया गया।
प्रश्न 8. घाना में लोकतन्त्र किस प्रकार समाप्त हुआ?
उत्तर: घाना 1957 ई. में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतन्त्र हुआ। स्वतन्त्रता के बाद एनक्रूमा घाना के प्रथम प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बनें। एनळूमा ने अपने को आजीवन राष्ट्रपति चुनवा लिया। किन्तु इसके कुछ वर्ष बाद ही सेना ने एनळूमा का तख्ता पलट दिया।
प्रश्न 9. अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण किस मूलभूत प्रश्नों को उठाता है?
उत्तर: अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण कई मूलभूत प्रश्नों को उठाता है
क्या यह लोकतन्त्र को बढ़ावा देने का सही तरीका है। क्या किसी देश में लोकतन्त्र की स्थापना करने के लिए किसी लोकतांत्रिक देश को उस देश पर आक्रमण कर देना चाहिए।
अंगर बाहरी दखल से किसी देश में लोकतंत्र कायम भी हो जाता है तो क्या वह टिकाऊ होगा। क्या इसे अपने नागरिकों का समर्थन प्राप्त होगा?
 कोई बाहरी शक्ति लोकतन्त्र कायम कर दे क्या यह विचार लोकतन्त्र की बुनियादी भावना के एकदम उलट नहीं है।
प्रश्न 10. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के क्या कार्य हैं? इसके कितने सदस्य देश हैं? मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों को अधिकार किन देशों के पास है?
उत्तर: अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दुनिया के किसी भी देश को उधार और ऋण देने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पर इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार प्राप्त नहीं हैं। हर देश इस कोष में जितने धन का योगदान करता है उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों पर सिर्फ सात देशों अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन और रूस का अधिकार है।
प्रश्न 11. सेंसरशिप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ऐसी शर्त जिसके अन्तर्गत अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता छिन जाती है, यदि सरकार को कोई चीज गलत लगती है तो उसे न तो प्रकाशित किया जा सकता है और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिखाया जा सकता है।
प्रश्न 12.वीटो पॉवर क्या है? वीटो पॉवर विश्व के किन-किन देशों को प्राप्त है?
उत्तर: किसी व्यक्ति, पार्टी या राष्ट्र को मिला यह अधिकार कि वह किसी कानून को अकेले रोक सकता है। वीटो किसी फैसले को रोकने का असीमित अधिकार देता है, उसे लागू कराने का नहीं। वीटो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “मैं मना करता हूँ।” वीटो पॉवर विश्व के अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस को प्राप्त है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘यदि विश्व के प्रत्येक देश में लोकतन्त्र की स्थापना हो जाए तो विश्व स्वयं लोकतांत्रिक बन जाएगा। क्या यह कथन अध्याय में किए गए विचार से मेल खाता है?
उत्तर: विश्व के अधिकांश देशों में लोकतन्त्र की स्थापना हो चुकी है, लेकिन आज भी अनेक देश तानाशाही, एक दलीय शासन व्यवस्था एवं वंशानुगत् शासन प्रणाली से ग्रस्त हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना विश्व-शान्ति की स्थापना करने तथा युद्ध को रोकने के लिए की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी महत्त्वपूर्ण फैसले सुरक्षा परिषद् में लिए जाते हैं। सुरक्षा परिषद् के कुल 15 सदस्य हैं जिनमें से 5 बड़े राज्य (संयुक्त-राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, चीन तथा फ्रांस) इसके स्थायी सदस्य हैं जिनके पास ‘वीटो करने की शक्ति है। सुरक्षा परिषद् में तब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता जब तक कि यह पाँचों देश उससे सहमत न हों। दूसरे शब्दों में इन पाँचों देशों में से कोई भी एक देश अपनी ‘वीटो’ शक्ति का प्रयोग करके किसी भी निर्णय को रोक सकता है।
            इस प्रकार सुरक्षा परिषद् के पास ‘वीटो’ (Veto) का अधिकार अलोकतंत्रीय हैं। इसी प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) विश्व के किसी भी देश को ऋण देने वाली सबसे बड़ी संस्था है। इस संगठन की कार्यप्रणाली भी अलोकतंत्रीय है क्योंकि इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार प्राप्त नहीं है। प्रत्येक देश इस कोष में जितने धन का योगदान करता है, उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। इस प्रकार मुद्रा कोष के लगभग आधे वोटों पर केवल 7 देशों (अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन तथा रूस) का अधिकार है। जब सरकारों को पैसे की जरूरत होती है तो उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक उधार देते हैं। उधार देने से पहले ये संस्थाएँ सरकार से अपना हिसाब-किताब दिखाने को कहती हैं और उनकी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन का निर्देश देती हैं।
प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र जैसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करता।’ इस कथन के संदर्भ में आपका क्या मत है?
उत्तर: वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्तमान में 193 सदस्य हैं। इनमें से प्रत्येक के पास संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा में एक वोट है। यह सदस्य देशों के प्रतिनिधियों में से निर्वाचित सचिव के अधीन प्रतिवर्ष नियमित बैठकों का आयोजन करती है। सामान्य सभा एक संसद की भाँति है जहाँ सभी प्रकार की चर्चा होती है। इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र एक लोकतांत्रिक संगठनु प्रतीत होगा। किन्तु सामान्य सभा कुछ देशों की इच्छा के विरुद्ध कोई निर्णय नहीं ले सकती।
            संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद् अति महत्त्वपूर्ण निर्णय लेती है। इस परिषद् में 5 स्थायी सदस्य हैं अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस एवं चीन। शेष 10 सदस्यों का चुनाव सामान्य सभा द्वारा 2 वर्ष की अवधि के लिए किया जाता है। वास्तविक शक्ति 5 स्थायी सदस्यों के पास है। स्थायी  सदस्य विशेषकर अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के संचालन के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा लिए गए निर्णयों में उसका दखल अधिक होता है।
            अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व के किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा ऋणदाताओं में से एक है तथा यह संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है। इसके 173 सदस्य देशों को मतदान के समान अधिकार नहीं हैं। प्रत्येक देश अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) में जितने धन का योगदान देता है उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। विश्व बैंक में भी मतदान का यही तरीका अपनाया जाता है। विश्व बैंक का अध्यक्ष हमेशा ही कोई अमेरिकी नागरिक होता है। उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र जैसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करता।
प्रश्न 3. लोकतन्त्र के विस्तार के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह सामान्य धारणा है कि विश्व में लोकतन्त्र के प्रसार का प्रमुख कारण यह है कि लोग अन्य शासन प्रणालियों की तुलना में लोकतन्त्र को श्रेष्ठ मानते हैं। साथ ही लोगों ने राजतंत्र, औपनिवेशिक तन्त्र तथा तानाशाही व्यवस्था से मुक्ति एवं लोकतंत्र की स्थापना के लिए लम्बे समय तक संघर्ष किया है, क्योंकि इससे उन्हें सामान्य मानवाधिकार की भी प्राप्ति होती है। लोकतंत्र की स्थापना एवं विस्तार में किसी देश की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियाँ भी उत्तरदायी होती हैं। इसके अतिरिक्त कई बार बाहरी परिस्थितियों ने भी एक देश में लोकतन्त्र की स्थापना में योगदान दिया है। इनमें प्रमुख हैं - द्वितीय विश्व युद्ध,
            उपनिवेशवाद की समाप्ति (End of Colonialism) तथा  सोवियत संघ का विघटन। परन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि लोकतंत्र की स्थापना में बाहरी परिस्थितियाँ केवल उसी समय सहायक होती हैं जब देश के अन्दर भी इसके लिए परिस्थितियाँ मौजूद होती हैं।
            हाल ही में विश्व के कुछ शक्तिशाली देशों (संयुक्त-राज्य अमेरिका) ने भी लोकतन्त्र की स्थापना को प्रोत्साहित किया है। कई बार तो शक्तिशाली देशों ने अलोकतान्त्रिक राज्यों पर आक्रमण करके भी वहाँ पर लोगों को तानाशाही शासन से छुटकारा दिलाने तथा लोकतंत्र की स्थापना करने का प्रयत्न किया है। संयुक्त-राज्य अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण इसका एक जीताजागता उदाहरण है।
            कई बार अलोकतंत्रीय राज्यों के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध (Economic sanctions) लगाकर उन्हें लोकतन्त्र की स्थापना करने के लिए मजबूर किया जाता है। पाकिस्तान तथा नाइजेरिया के विरुद्ध इस प्रकार की कार्यवाही की गयी थी, परन्तु लोकतन्त्र की स्थापना का यह उचित तरीका नहीं है।
वास्तव में बाहरी परिस्थितियाँ केवल उसी समय लाभकारी हो सकती हैं जब आंतरिक परिस्थितियाँ इसके लिए अनुकूल हों अन्यथा बाहरी हस्तक्षेप बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। अतः सैनिक शक्ति के बल पर किसी अन्य देश के नागरिकों को लोकतन्त्र का तोहफा देना स्वयं लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है।
प्रश्न 4. वर्ष 1980 के बाद वैश्विक स्तर पर लोकतन्त्र के विस्तार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के विस्तार का अगला पड़ाव वर्ष 1980 के बाद और विशेष रूप से 1991 ई. में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् शुरू हुआ। सन् 1980 में पोलैण्ड (Poland) पर पोलिश यूनाइटेड वर्कर्स पार्टी (Polish United Workers Party) का शासन था। यह पार्टी उन साम्यवादी दलों में से एक थी जो तब पूर्वी यूरोप के अनेक देशों पर शासन करते थे। इन देशों में किसी अन्य राजनीतिक दल को राजनीति में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। लोग साम्यवादी दल के या शासन के पदाधिकारियों का चुनाव आजाद ढंग से नहीं कर सकते थे। नेताओं, पार्टी या सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल में डाल दिया जाता था। पोलैण्ड की सरकार को एक बड़े साम्यवादी देश, सोवियत संघ का समर्थन हासिल था और वही इस पर नियंत्रण भी करता था।
पोलैण्ड के ग्लांस्क शहर स्थित ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने 14 अगस्त, 1980 ई. को हड़ताल कर दी। उस समय पोलैण्ड के अधिकांश कारखाने सरकारी नियंत्रण में थे। ‘लेनिन जहाज कारखाना’ भी सरकारी नियंत्रण में था। एक महिला क्रेन चालक को गलत ढंग से नौकरी से निकाला जाना हड़ताल का तात्कालिक कारण था। हड़तालियों की माँग थी कि इस महिला को काम पर वापस लिया जाए। कानून के अनुसार हड़ताल की इजाजत नहीं थी क्योंकि देश में शासक दल से अलग किसी स्वतन्त्र मजदूर संघ की अनुमति नहीं थी।
            हड़ताल जारी रही और फिर पहले काम से निकाला गया एक इलेक्ट्रिशियन बंदरगाह की दीवार लांघकर अन्दर पहुँचा और हड़ताली कर्मचारियों के संग हो लिया। इस आदमी का नाम था लेक वालेशा और बहुत जल्दी ही, यह हड़ताली कर्मचारियों का नेता बन गया। हड़ताल का समर्थन बढ़ता गया और जल्दी ही यह पूरे शहर में फैल गई। अब मजदूरों ने ज्यादा बड़ी माँगें करनी शुरू कर दीं। उन्होंने स्वतंत्र मजदूर संध बनाने की माँग की। उन्होंने यह भी माँग की कि राजनैतिक बन्दियों को रिहा किया जाए और प्रेस पर लगी सेंसरशिप हटाई जाए।
            आंदोलन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण सरकार को झुकना पड़ा। लेक वालेशा के नेतृत्व में मजदूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्रीय समझौता किया और हड़ताल समाप्त हुई। डांस्क संधि के बाद एक नया मजदूर संगठन ‘सोलिडरनोस्क’ (जिसका अंग्रेजी अर्थ होगा सोलिडेरिटी) बना। किसी भी साम्यवादी देश में पहली बार एक स्वतन्त्र मजदूर संघ का गठन हुआ। एक वर्ष के अन्दर ही सोलिडेरिटी का विस्तार पूरे देश में हो गया और इसकी सदस्य संख्या एक करोड़ के करीब पहुँच गई। सन् 1989 में सरकार को विवश होकर लेक वालेशा के साथ एक और समझौता करना पड़ा जिसके अनुसार स्वतंत्र चुनाव कराने की माँग मान ली गई। सोलिडेरिटी (Solidarity) ने सीनेट की सभी 100 सीटों के लिए चुनाव लड़ा और उसे 99 सीटों पर सफलता मिली। अक्टूबर, 1990 ई. में पोलैण्ड में राष्ट्रपति पद के लिए प्रथम बार चुनाव हुए जिसमें एक से अधिक ‘राजनैतिक दल भाग ले सकते थे। लेक वालेशा को पोलैण्ड का राष्ट्रपति चुन लिया गया और इस प्रकार पोलैण्ड एक लोकतंत्रीय राज्य बन गया।
            भारत के पड़ोसी देशों में भी अनेक परिवर्तन घटित हुए। वर्ष 1990 में नेपाल और पाकिस्तान दोनों में लोकतंत्र की बहाली हुई। नेपाल के राजा ने अपने विशेषाधिकार एवं शक्तियों को काफी हद तक परित्याग कर दिया और वह संवैधानिक राजा बन गया। किन्तु ये परिवर्तन स्थायी नहीं रहे। पाकिस्तान और नेपाल में पुनः तानाशाही की स्थापना हो गयी। लेकिन इस कालखण्ड में अनेक देशों में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। सन् 2002 में विश्व के लगभग 140 देशों में बहुदलीय आधार पर लोकतांत्रिक चुनाव कराए जा रहे थे। लेकिन आज भी विश्व के अनेक देशों में लोगों को अपनी इच्छानुरूप लोकतांत्रिक सरकार चुनने तथा सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता नहीं है। ऐसे देशों में संचार माध्यमों पर या सेंसर होता है या वे सरकार के नियंत्रण में होते हैं। उन्हें वही समाचार छापने या दिखाने होते हैं जिन्हें सरकार प्रदर्शित करना चाहती है।
प्रश्न 5. विभिन्न देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर किस प्रकार लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्तमान में विश्व के शक्तिशाली देशों ने जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि देश शामिल हैं, ने शेष विश्व में लोकतन्त्र को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया। इन देशों ने न केवल वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया बल्कि उन देशों में भी लोकतंत्र की स्थापना के लिए दखल दिया जहाँ अलोकतांत्रिक शासन व्यवस्था थी। ‘इराक’ इस तरह का एक प्रमुख उदाहरण है। । सन् 1932 में ब्रिटिश  औपनिवेशिक शासन से मुक्त इराक एक पश्चिम एशियाई देश है। स्वतंत्रता के तीन दशक बाद इराक में सैन्य अधिकारियों ने इराक की सत्ता पर नियंत्रण कर लिया। 1968 से इराक में ‘बाथ पार्टी के नेता सद्दाम हुसैन का शासन था। सद्दाम ने 1968 ई. के तख्ता पलट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिससे बाथ पार्टी सत्ता में आयी थी। 1979 ई. में सत्तारूढ़ होने के बाद सद्दाम हुसैन ने इराक में तानाशाही शासन की स्थापना की तथा अपने विरोधियों का क्रूरतापूर्वक दमन किया।
            अमेरिका तथा उसके मित्र देशों जिसमें ब्रिटेन, पोलैण्ड, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया आदि ने सम्मिलित रूप से इराक पर आक्रमण करके 2003 में इराक पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। अमेरिका और उसके मित्र देशों का ऐसा विश्वास था कि इराक के पास परमाणु हथियार और जनसंहार के अनेक हथियार थे जिनसे पूरे विश्व की सुरक्षा को खतरा था।
            अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को अपदस्थ कर वहाँ अपने पसन्द की उदारवादी सरकार बनवा दी किन्तु अभी भी इराक में स्वस्थ लोकतंत्रे पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाया है।
………………………..
महत्वपूर्ण नोट (important note):- इस अध्याय की पीडीएफ फाईल डाउनलोड़ करने के लिये नीचे दीये बटन पर क्लिक करे।
To download the PDF file of this chapter, click on the button given below.

निर्देश (Instruction):-
बटन पर क्लिक करे।
Click on the button.
10 सेकेण्ड़ के बाद डाउनलोड बटन ओपन होगा।
After 10 seconds the download button will open.
डाउनलोड़ बटन पर क्लिक करे।
Click on the download button.
15 सेकण्ड के बाद पीडीएफ फाईन ओपन होगी।
After 15 seconds the PDF will open fine.
………………………..
 
 
Share:

Class 9th Social Science (Geography) Chapter 6 जनसंख्या

जनसंख्या

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चुनिए-
(i) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है?
(क) प्रस्थान करने वाले क्षेत्र में
(ख) आगमन वाले क्षेत्र में
(ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
(ii) जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है?
(क) उच्च जन्मदर
(ख) उच्च मृत्युदर
(ग) उच्च जीवनदर
(घ) अधिक विवाहित जोड़े
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिणाम दर्शाता है?
(क) एक क्षेत्र की कुल जनसंख्या
(ख) प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या में होने वाली वृद्धि,
(ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(घ) प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या
(iv) 2001 की जनगणना के अनुसार एक साक्षर’ व्यक्ति वह है:-
(क) जो अपने नाम को पढ़ एवं लिख सकता है।
(ख) जो किसी भी भाषा में पढ़ एवं लिख सकता है।
(ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
(घ) जो पढ़ना-लिखना एवं अंकगणित, तीनों जानता है।
उत्तर:-
(i) (ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्र में
(ii) (क) उच्च जन्म दर
(iii) (ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(iv) (ग) जिसकी उम्र 7 साल, किसी भाषा को समझना, पढ़ना तथा लिखना।
प्रश्न 2.निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें-
  1. जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
  2. 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
  3. आयु संरचना, जन्मदर एवं मृत्युदर को परिभाषित करें।
  4. प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।
उत्तर:-
(1)    जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक इस प्रकार हैं-
  1. उच्च जन्म दर,
  2. निम्न मृत्यु दर,
  3. प्रवसन।
(2)    1981 के बाद भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के कारण निम्नलिखित हैं-
  1. परिवार कल्याण विधियों का अपनाया जाना,
  2. स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं की अधिक जागरूकता,
  3. महिलाओं में शिक्षा का तेज गति से प्रसार,
  4. सरकारी
  • (3)  आयु संरचना-किसी देश में जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल आवश्यकताओं में से एक है। जन्मदर-एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या को जन्मदर कहते हैं। मृत्युदर-एक वर्ष की अवधि में 1000 लोगों पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं।
  • (4)  प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक है लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आँकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
  1. प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  2. भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘अपकर्षण’ कारक प्रभावी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 31.2 प्रतिशत हो गई।
  3. 2001-2011 के बीच एक ही दशक के दौरान ‘‘दस लाख से अधिक की जनसंख्या वाले महानगर 35 से बढ़कर 53 हो गए हैं।
प्रश्न 3. जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच निम्नलिखित अंतर हैं-
जनसंख्या वृद्धि:-
  1. जनसंख्या वृद्धि से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान रहने वाले लोगों की संख्या में  परिवर्तन है।
  2. इसमें पिछली जनसंख्या को बाद की जनसंख्या से घटाकर ज्ञात किया जाता है।
  3. वृद्धि को संख्या के रूप में प्रकट किया जाता है।
जनसंख्या परिवर्तन:-
  1. जनसंख्या परिवर्तन से आशय किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान जनसंख्या वितरण, संरचना या आकार में परिवर्तन से है।
  2. जनसंख्या परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं के आपसी संयोजन के कारण आता है- जन्मदर, मृत्युदर और प्रवास।
  3. जनसंख्या परिवर्तन सापेक्ष वृद्धि और प्रतिवर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा देखा जाता है।
प्रश्न 4.व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है?
उत्तर: व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच सम्बन्ध–मुख्य रूप से व्यवसायों को तीन वर्गों में रखा जाता है-प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक व्यवसाय। प्राथमिक व्यवसाय कृषि आदि से संबंधित हैं, द्वितीयक व्यवसाय निर्माण उद्योगों से संबंधित है तथा तृतीयक व्यवसाय सेवाओं से सम्बन्धित होते हैं। विकसित एवं विकासशील देशों में द्वितीयक एवं तृतीयक व्यवसायों में कार्य करने वाले लोगों का अनुपात अधिक होता है। विकासशील देशों में प्राथमिक क्रियाकलापों में कार्यरत लोगों का अनुपात अधिक होता है। भारत में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है। विकास के लिए जनसंख्या का स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है।
इस प्रकार स्वस्थ जनसंख्या निम्नलिखित रूप से लाभकारी हो सकती है-
  1. बीमारियों पर कम खर्च होता है। इसके अतिरिक्त धन को विकास कार्यों में लगाया जाता है।
  2. विकास की गति तीव्र होती है।
  3. सरकार को अधिक स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ाने की आवश्यकता नहीं रहती।
  4. लोगों में स्वस्थ वातावरण का संचार होता है।
  5. स्वस्थ जनसंख्या अधिक समय तक काम करती है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है।
  6. स्वस्थ जनसंख्या में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
  7. हृष्ट-पुष्ट नागरिक उत्पन्न होते हैं।
  8. अधिक तेज तथा अधिक कार्यक्षम होते हैं।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय जनसंख्या नीति वर्ष 2004 में घोषित की गयी।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. किशोर-किशोरियों को असुरक्षित यौन संबंधों के कुप्रभावों/कुपरिणामों के बारे में जागरूक करना।
  2. गर्भनिरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के दायरे के भीतर रखना।
  3. खाद्य संपूरक को पोषणिक सेवाएँ उपलब्ध कराना।
  4. बाल विवाह को रोकने के कानून को और अधिक कारगर बनाना।
  5. शिक्षा और स्वास्थ्य की शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार करना।
  6. किशोर-किशोरियों की पहचान जनसंख्या के उस भाग के रूप में करें जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  7. इनकी पोषणिक आवश्यकताओं की ओर ध्यान देना।।
  8. अवांछित गर्भधारण तथा यौन संबंधों से होने वाली बीमारियों से किशोर-किशोरियों की सुरक्षा करना।
  9. किशोर-किशोरियों की अन्य आवश्यकताओं के प्रति विशेष ध्यान देना।
  10. देर से विवाह और देर से संतानोत्पत्ति को प्रोत्साहित करना।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जनसंख्या का अध्ययन करना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: किसी देश की जनसंख्या ही उस देश के संसाधनों का विकास करती है और उनका उपभोग करती है। ऐसे में किसी देश के लोगों की संख्या, उनका वितरण एवं विकास तथा गुणवत्ता पर्यावरण को समझने का मूलभूत आधार है। इसलिए जनसंख्या का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2. अरुणाचल प्रदेश का जनघनत्व कम क्यों है?
उत्तर: अरुणाचल प्रदेश एक पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ की जलवायु ठण्डी है। यहाँ कृषि तथा उद्योग भी विकसित नहीं है। इसीलिए यहाँ का जनघनत्व कम है।
प्रश्न 3. भारत में किस राज्य की साक्षरता सबसे अधिक है?
उत्तर: भारत में केरल राज्य की साक्षरता सबसे अधिक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार केरल राज्य की साक्षरता दर 94.0% है।
प्रश्न 4. भारत के अति सघन आबादी वाले दो भागों के नाम बताइए। इनमें सघन जनसंख्या होने के दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में ऊपरी गंगाघाटी तथा मालाबार क्षेत्र में अति सघन जनसंख्या है।
सघन जनसंख्या के दो कारण इस प्रकार हैं-
  1. इन प्रदेशों में उद्योगों का अत्यधिक विकास हुआ है।
  2. इन प्रदेशों की भूमि उपजाऊ है।
प्रश्न 5. लिंगानुपात (स्त्री-पुरुष) से क्या आशय है?
उत्तर: स्त्री-पुरुष के बीच जनसंख्या के संख्यात्मक अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात कहते हैं। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 6. मृत्यु-दर के तेजी से घटने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
  1. मृत्यु-दर के तेजी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार है।
  2. शिक्षा के प्रसार से भी मृत्यु-दर में अत्यधिक कमी आयी है।
प्रश्न 7. भारत में जनसंख्या वृद्धि के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो मुख्य कारण इस प्रकार हैं-
  1. चिकित्सा सुविधाओं के प्रसार के कारण मृत्यु-दर में तो कमी आयी है, लेकिन जन्म-दर में आशा के अनुरूप कमी नहीं आ पाई है।
  2. भारत में अधिकतर लोग निर्धन एवं अनपढ़ हैं। वे छोटे परिवारों के महत्त्व को नहीं समझते हैं। वे सन्तान को ईश्वर की कृपा समझकर गर्भ-निरोध का प्रयास नहीं करते हैं।
प्रश्न 8. जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है?
उत्तर: किसी देश-प्रदेश के प्रति एक वर्ग किलोमीटर में रहने वाले लोगों की औसत जनसंख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे व्यक्ति प्रति वर्ग किमी में व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 9. भारत की लगभग आधी आबादी कितने राज्यों में निवास करती है?
उत्तर: भारत की लगभग आधी जनसंख्या इन पाँच राज्यों में निवास करती है-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश।
प्रश्न 10. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों के अंतर्गत कौन-कौन से व्यवसाय सम्मिलित हैं?
उत्तर: प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं। द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं। तृतीयक क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
प्रश्न 11. भारत सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के क्या उपाय अपनाए गए हैं?
उत्तर: भारत सरकार ने 1952 में एक व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारंभ किया। 1975 में इंदिरा कांग्रेस सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम तथा 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने इसे परिवार कल्याण कार्यक्रम नाम रख दिया। परिवार कल्याण कार्यक्रम जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 कई वर्षों के नियोजित प्रयासों का परिणाम है।
प्रश्न 12. भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण बताइए।
उत्तर: भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। ये भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन हैं।
प्रश्न 13. जनसंख्या की सापेक्ष एवं निरपेक्ष वृद्धि किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी विशेष समय के अंतराल में जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन सापेक्ष वृद्धि कहलाता है। पहले की जनसंख्या जैसे 2001 की जनसंख्या को बाद की जनसंख्या जैसे 2011 की जनसंख्या से घटाकर इसे प्राप्त किया जाता है। इसे निरपेक्ष वृद्धि कहा जाता है।
प्रश्न 14. आश्रित जनसंख्या के अंतर्गत किन-किन आयु वर्ग के लोगों को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर: आश्रित जनसंख्या के अंतर्गत बच्चों तथा वृद्ध जिनकी आयु क्रमशः 15 वर्ष से कम और 59 वर्ष से अधिक है, आयु वर्ग के लोग सम्मिलित होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ग्रामीण जनसंख्या और नगरीय जनसंख्या में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ग्रामीण जनसंख्या और नगरीय जनसंख्या में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
नगरीय जनसंख्या:-
  1. भारत की नगरीय जनसंख्या 37.7 करोड़ है, लेकिन 35 महानगरों में 27% से अधिक नगरीय जनसंख्या रहती है।
  2. नगरीय जनसंख्या को सर्वाधिक सुविधाएँ सुलभ हैं।
  3. नगरीय जनसंख्या का जीवन स्तर सामान्यतः उच्च पाया जाता है।
  4. देश की लगभग 31.2% जनसंख्या नगरों में रहती  है।
  5. नगरीय जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रथम श्रेणी के नगरों में रहता है। प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या 2929 है।
ग्रामीण जनसंख्या:-
  1. ग्रामीण जनसंख्या 83.32 करोड़ है। इसका बहुत छोटा भाग गौण व तृतीयक व्यवसाय में लगा है।
  2. ग्रामीण जनसंख्या को सार्वजनिक सेवाएँ बहुत कम सुलभ हैं।
  3. ग्रामीण जनसंख्या का जीवन स्तर सामान्यतः निम्न पाया जाता है।
  4. भारत गाँवों का देश है। देश की लगभग 68.8% जनसंख्या गाँवों में रहती है।
  5. ग्रामीण जनसंख्या अधिकतर प्राथमिक व्यवसाय में लगी होती है। जैसे कृषि करना, लकड़ी काटना, मछली पकड़ना,  पशु-पालन, खनन आदि।
प्रश्न 2.जन्म-दर और वृद्धि-दर में अंतर कीजिए।
उत्तर: जन्म-दर और वृद्धि-दर में निम्नलिखित अन्तर हैं-

वृद्धि -दर:-

  1. विकासशील देशों में वृद्धिदर सामान्य से अधिक है। विकसित देशों में वृद्धि-दर 1 प्रतिशत से कम है ।
  2. उच्च-वृद्धिदर से प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है।
  3. जन्म-दर और मृत्यु-दर के अंतर को वृद्धि दर कहते हैं।
  4. वृद्धिदर को प्रतिशत में व्यक्त करते हैं।
  5. आजकल भारत की प्राकृतिक वार्षिक वृद्धि दर 21.3 प्रतिशत है।

जन्म-दर:-

  1. विकसित देशों में जन्म-दर कम होती है और विकासशील देशों में जन्म-दर अधिक होती है।
  2. उच्च जन्मदर पिछड़ेपन का प्रतीक बन गई है।
  3. किसी देश या क्षेत्र में वर्ष के मध्य जीवित जन्मे बच्चों की  संख्या को जन्म-दर कहते हैं।
  4. जन्मदरे प्रति हजार में व्यक्त की जाती है।
  5. भारत में जन्म दर 26.1 व्यक्ति प्रति हजार है।
प्रश्न 3. भारत के मैदानी भागों में सघन आबादी पाए जाने के कारण बताइए।
उत्तर: भारत के मैदानी भागों में सघन जनसंख्या पाए जाने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
  1. समतल मैदान,
  2. उपजाऊ मिट्टी,
  3. पर्याप्त मात्रा में वर्षा,
  4. सिंचाई के विकसित साधन,
  5. परिवहन के विकसित साधन,
  6. उद्योग एवं कृषि का विकास।
प्रश्न 4. भारत में राज्यवार जनसंख्या वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.981 करोड़ है। यहाँ भारत की कुल जनसंख्या का 16.51 प्रतिशत निवास करते हैं।
भारत की सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है तथा लक्षद्वीप केन्द्रशासित प्रदेशों में सबसे कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है। सिक्किम की जनसंख्या 6 लाख, 10 हजार है जबकि लक्षद्वीप में जनसंख्या 64,429 है। भारत की जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत भाग निम्नलिखित पाँच राज्यों में निवास करता है।
  1. उत्तर प्रदेश            16.51%
  2. महाराष्ट्र                9.28%
  3. बिहार                     8.60%
  4. पश्चिम बंगाल       7.54%
  5. आंध्र प्रदेश              6.99%.
प्रश्न 5. नगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या ने न केवल नगरीय केन्द्रों में समस्याएँ पैदा की हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। प्रत्येक के विषय में दो बिन्दु स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:  (क) बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण नगरीय केन्द्रों में उत्पन्न समस्यायें इस प्रकार हैं-
  1. लोगों के नैतिक मूल्यों में परिवर्तन और गिरावट।
  2. चोरबाजारी, कालाबाजारी, रिश्वत तथा लूट-पाट का बोलबाला।।
  3. नगरों के संसाधनों तथा जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ता है।
  4. आवश्यक वस्तुओं की कमी तथा उनके मूल्यों में आशातीत वृद्धि।
  5. वस्तुओं की गुणवत्ता में गिरावट आना।
(ख) नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव इस प्रकार है-
  1. रोजगार की खोज में लोगों को ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्रों की ओर पलायन करना।
  2. भूमिहीन किसानों की निर्धनता में वृद्धि। 3. कृषि जोतों का अलाभकारी होना तथा छोटे किसानों के गाँव में बेकार हो जाने से उनका नगरों में जाकर मजदूरी करना।
प्रश्न 6. भारत में भूमि की उर्वरता जनसंख्या वितरण को किस प्रकार प्रभावित करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा बड़ा देश है। यहाँ की जनसंख्या वितरण बहुत असमान है। सामान्यतः जनसंख्या का वितरण भूमि की उर्वरता के अनुरूप पाया जाता है। जिन क्षेत्रों में मिट्टी अधिक उपजाऊ पाई जाती है, वहाँ जनसंख्या की सघनता अधिक मिलती है और जिन क्षेत्रों में मिट्टी कम उपजाऊ होती है, वहाँ जनसंख्या कम पाई जाती है। भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि और मिट्टी का सीधा संबंध है। हमारे भरण-पोषण की अधिकांश सामग्री प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से ही मिलती है।
उदाहरण के लिए उत्तरी मैदान, पूर्व तटीय मैदान, पश्चिम तटीय मैदान, डेल्टाई मैदान एवं घाटी प्रदेश सघन आबादी वाले हैं। यदि इन प्रदेशों का भी अवलोकन करें तो स्पष्ट होता है कि प्रत्येक प्रदेश में जनसंख्या का वितरण संभव नहीं है। उत्तरी मैदान में जनसंख्या पश्चिम से पूर्व की ओर घटती जाती है। हरियाणा राज्य पश्चिमी बंगाल की तुलना में कम सघन है। पश्चिमी बंगाल की मृदा बहुत उर्वरक है। पर्वतीय प्रदेश में मिट्टी की परत पतली होती है। इन क्षेत्रों में अपेक्षाकृत मिट्टी की परत मोटी और उपजाऊ होती है। अतः घाटी प्रदेशों में पर्वतीय प्रदेशों से अधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है।
प्रश्न 7. भारत में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उपाय बताइए।
उत्तर: भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को जन्मदर कम करके ही रोका जा सकता है। जन्मदर को निम्न उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है-
  1. गर्भधारण से लेकर प्रजनन प्रक्रिया से जुड़ी अनेकानेक समस्याओं का ज्ञान होने के कारण शिक्षित महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक होती है। वह अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग होती है।
  2. शिक्षित महिलाओं की दृष्टि व्यापक होती है, उनकी सोच राष्ट्रीय स्तर की होने के कारण बड़े परिवार को राष्ट्रीय संसाधनों पर बोझ मानती हैं।
  3. भारत में दो बच्चों के परिवार को राष्ट्रीय आदर्श माना गया है, उसकी दृढ़ता से पालन कराया जाए।
  4. भारतीय संविधान में निर्धारित शादी की न्यूनतम आयु लड़कियों की 18 तथा लड़कों की 21 वर्ष को व्यावहारिक रूप दिया जाए।
  5. स्त्री शिक्षा पर अधिक बल दिया जाए।
  6. दो या इससे कम बच्चों वाले माता-पिता को सरकारी नियुक्तियों एवं पदोन्नतियों में प्राथमिकता दी जाए। साथ ही विशेष वेतन-वृद्धि का प्रावधान हो।
  7. परिवार कल्याण सुविधाओं का देशभर में विस्तार किया जाए।
प्रश्न 8. भारत के आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों का विकास आवश्यक क्यों है?
उत्तर:-
  1. प्राकृतिक संसाधनों को संपत्ति में तभी बदला जा सकता है, जब लोगों की गुणवत्ता या उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए।
  2. देश की प्राकृतिक संपदा के पूर्ण विकास के लिए पर्याप्त संख्या, आवश्यक तकनीकी ज्ञान, पूँजी तथा लोगों का कुशल, क्रियाशील, परिश्रमी व ईमानदार होना आवश्यक है।
  3. अच्छे स्वास्थ्य एवं सुविधाओं की सुलभता भी प्राकृतिक संपदा के विकास पर निर्भर है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि देश के आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक तथा मानव दोनों ही संपदाओं का विकास साथ-साथ होना चाहिए।
  4. किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों और मानवीय संसाधनों पर निर्भर करता है। किसी एक के अभाव में विकास की कल्पना नहीं की जा सकती।
  5. प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की विपुलता व संपन्नता, आर्थिक प्रगति की गति तेज करती है।
  6. मानव संसाधनों द्वारा ही प्राकृतिक संपदा को अधिकाधिक मात्रा में उपयोगी वस्तुओं में बदलकर, बड़े पैमाने पर संपदा प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 9. जनसंख्या का गाँवों से नगरों की ओर पलायन क्यों हो रहा है?
उत्तर: गाँवों से नगरों की ओर जनसंख्या का तेजी से पलायन निम्न कारणों से हो रहा है-
  1. गाँवों में सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव – शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि का गाँवों में अभाव है। नगरों में इन सुविधाओं को बराबर आकर्षण है।
  2. गाँवों में रोजगार के अवसरों का अभाव – गाँवों में शिक्षित और अशिक्षित युवकों के लिए रोजगार के साधनों की कमी है। शिक्षित और प्रशिक्षित युवकों के लिए गाँवों में रोजगार का और भी अभाव है। फलतः रोजगार की तलाश में गाँवों से नगरों की ओर पलायन की स्वाभाविक प्रक्रिया बन गई है। नगरों में रोजगार मिलने के बाद उनकी आश्रित संख्या भी नगरों में आकर बस जाती है।
  3. अलाभकारी जोतों का बढ़ना – छोटे और सीमांत किसान की पैतृक जोतों के बँटवारे होते रहने से उनका छिटका होना तथा भूमि का छोटा टुकड़ा हिस्से में आना, जोत को अलाभकारी बना देता है। अंततः छोटा किसान अपनी भूमि को बेचने के लिए विवश हो जाता है और काम-धंधे की तलाश में वह शहर की ओर चल पड़ता है।
 प्रश्न 10. जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर में अधिक कमी का कारण क्या है?
उत्तर: भारत में जन्म-दर एवं मृत्यु-दर दोनों ही निरंतर घट रही हैं। यह देश के विकास का प्रतीक है। लेकिन इन दोनों के घटने की दर में अंतर है। मृत्यु-दर तो तेजी से नीचे आयी है, लेकिन जन्म-दर में ह्रास मंद गति से हो रहा है। जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर में अधिक कमी के निम्न कारण हैं-
  1. देश में मलेरिया, हैजा, चेचक, प्लेग जैसी महामारियों को अब नियंत्रित कर लिया गया है। नई और प्रभावशाली ओषधियों का निर्माण व उपयोग किया जा रहा है।
  2. देशभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के अधिक प्रसार के कारण वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जन्म पर प्रत्येक बच्चे की जीवन-प्रत्याशी बढ़कर 64 वर्ष हो गई है, जो इस शताब्दी के प्रारंभ में केवल 27 वर्ष थी।
  3. मृत्यु-दर का तेजी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार रहा है।
  4. शिक्षा के प्रसार ने भी मृत्युदर को कम करने में सहायता की है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरुक रहते हैं।
प्रश्न 11. जनसंख्या वृद्धि किसे कहते हैं? इसे कैसे मापा जाता है?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान स्हने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। ऐसे परिवर्तन को दो तरीके से व्यक्त किया जा सकता है-
  1. प्रतिवर्ष प्रतिशत वृद्धि के रूप में,
  2. सापेक्ष वृद्धि के रूप में।
प्रत्येक वर्ष या एक दशक में बढ़ी जनसंख्या, केवल संख्या में वृद्धि का परिणाम है। इसकी गणना बाद की जनसंख्या में से पहले की जनसंख्या को साधारण रूप से घटाकर की जाती है। जनसंख्या वृद्धि की दर अथवा गति का अध्ययन प्रतिशत प्रतिवर्ष में किया जाता है। इसे वार्षिक वृद्धि दर कहा जाता है। जैसे-10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर का अर्थ है कि किसी वर्ष के दौरान प्रत्येक 100 लोगों की मूल जनसंख्या में 10 लोगों की वृद्धि हुई।
प्रश्न 12. किसी देश की जनसंख्या की तीन प्रमुख श्रेणियों का वर्णन कीजिए। इनमें से कौन-सा समूह पराश्रित है?
उत्तर: आयु संरचना किसी भी देश की जनसंख्या की मूलभूत विशेषता होती है। जनसंख्या की आयु संरचना से आशय किसी देश में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से है। किसी भी देश की जनसंख्या को सामान्यतः तीन विस्तृत श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
  1. बच्चे (सामान्यतः 15 वर्ष से कम आयु वाले)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
  2. वयस्क (15 वर्ष से 59 वर्ष)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं। यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है।
  3. वृद्ध ( 59 वर्ष से अधिक)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश प्राप्त हो सकते हैं। ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है। भारत में जनसंख्या संरचना-युवा 58.7%, वृद्ध 6.9%, बच्चे 34.4%। बच्चों तथा वृद्धों का प्रतिशत निर्भरता अनुपात को प्रभावित करता है क्योंकि ये समूह उत्पादनशील नहीं होते।
प्रश्न 13. भारत के लिए स्वास्थ्य का स्तर आज भी चिंता का विषय है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। स्वास्थ्य स्तर में भी महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ, फिर भी इस सम्बन्ध में अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
असन्तोषजनक स्वास्थ्य परिस्थितियों के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
  1. शुद्ध पीने का पानी तथा मूल स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएँ ग्रामीण जनसंख्या के केवल एक-तिहाई लोगों को उपलब्ध हैं।
  2. प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत अनुशंसित स्तर से काफी कम है तथा हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग कुपोषण से प्रभावित है।
प्रश्न 14. क्या स्त्रियों को अच्छी शिक्षा देकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर: विश्व के विकसित देशों में अशिक्षा को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है। शिक्षा का स्तर बढ़ने से स्त्री-पुरुष अनुपात एवं सन्तानोत्पत्ति को नियंत्रित करने में सहायता मिली है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्धि एक प्रतिशत से भी कम है बल्कि कुछ देशों में यह ऋणात्मक हो गयी है। यह स्थापित तथ्य है कि स्त्रियों को शिक्षित एवं जागरूक करके जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके लिए निम्न प्रयास किए जा सकते है-
  1. अच्छी शिक्षा पाने के लिए एक लंबी अवधि की आवश्यकता पड़ती है। अतः शिक्षित लड़कियों की अधिक उम्र में जाकर शादी होती है। तब तक परिवार-दायित्व का ज्ञान आसानी से हो जाता है।
  2. शिक्षित स्त्रियों को रोजगार मिल जाता है। रोजगार प्राप्त महिलाएँ अधिक बच्चे की अच्छी देख-रेख करने में अपने को असमर्थ पाती हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. केरल में जनसंख्या की स्थिति देश के अन्य राज्यों से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या के विभिन्न पक्षों-घनत्व, स्त्री-पुरुष अनुपात, क्रियाशीलता, साक्षरता, जीवन-प्रत्याशी आदि पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि केरल की जनसंख्या की प्रवृत्ति देश के अन्य राज्यों से निम्न कारणों से भिन्न है-
  1. जीवन – प्रत्याशा सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं एवं शिक्षा में विस्तार के कारण जीवन-प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। भारत में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा कम रही है। परंतु अब इस प्रवृत्ति में परिवर्तन आ गया है। अतः स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा पुरुषों की अपेक्षा कुछ अधिक है। जन्म के समय स्त्रियों की औसत जीवनप्रत्याशा 67.7 वर्ष तथा पुरुषों की औसत जीवन-प्रत्याशा 64.6 वर्ष थी। केरल में जीवन-प्रत्याशा अधिक है। यहाँ स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा 72% तथा पुरुषों की 71% है।
  2. क्रियाशीलता – भारत में बड़ी जनसंख्या आश्रितों की है। एक-तिहाई क्रियाशील जनसंख्या पर दो-तिहाई आश्रित जनसंख्या का दबाव है। सामान्यतः क्रियाशील जनसंख्या का अधिक अनुपात दुर्गम क्षेत्रों अथवा विकसित क्षेत्रों में पाया जाता है। इस दृष्टि से केरल विकसित क्षेत्रों में आता है। यहाँ अर्जक जनसंख्या का अनुपात देश के औसत अनुपात से लगभग डेढ़ गुना अधिक है।
  3. साक्षरता – मानवीय संसाधनों के विकास में शिक्षा का भारी महत्त्व है। सन् 2011 में साक्षरता का प्रतिशत 73 रहा है। मनुष्य का दीर्घ आयु होना साक्षरता का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। साक्षरता से क्रियाशील जनसंख्या का अनुपात बढ़ता है। केरल राज्य साक्षरता में सबसे आगे है। यहाँ 2011 की जनगणना के अनुसार 94% साक्षरता पाई गई है।
  4. घनत्व – केरल में जनघनत्व (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) सबसे अधिक है। यहाँ भारत के औसत जनघनत्व से लगभग तीन गुना जनघनत्व पाया जाता है। केरल में जनसंख्या का घनत्व 860 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। केरल में अधिक वर्षा तथा वर्षा की अवधि भी अधिक होने के कारण वर्ष में दो-तीन फसलें उगाई जाती हैं।
यहाँ के पाश्च जलों एवं तटवर्ती सागरों में भारी मात्रा में मछली पकड़ी जाती है, जिससे सघन जनसंख्या की खाद्य-आपूर्ति हो जाती है। स्त्री-पुरुष अनुपात-स्त्री-पुरुष गृहस्थ जीवन की गाड़ी के दो पहिए हैं। एक पहिए के कमजोर या उसके न होने पर गाड़ी का सही चलना संभव नहीं। संसार के प्रत्येक सभ्य समाज में स्त्री और पुरुषों की संख्या में समानता है। हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में स्त्री-पुरुष अनुपात में बहुत अंतर मिलता है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों पर 943 स्त्रियाँ थीं।
केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक है। यहाँ स्त्री-पुरुष अनुपात 1084 :1000 हैं। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि केरल एक सघन आबाद क्षेत्र होते हुए भी मानवीय संपदा का अधिक विस्तार कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। यहाँ के लोग परिश्रमी एवं संघर्षशील हैं, ये लोग अपनी कर्तव्यनिष्ठा के आधार पर उपलब्ध प्राकृतिक संपदा का भरपूर उपयोग करते हैं।
प्रश्न 2. भारत के महानगरों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय क्यों बन गई है? इससे उत्पन्न परिणामों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्ष 2011 में भारत की नगरीय जनसंख्या बढ़कर 37.7 करोड़ हो गयी है, यह कुल जनसंख्या का 27.78 प्रतिशतॆ है। भारत की नगरीय जनसंख्या का 65% प्रथम श्रेणी के नगरों में निवास करता है। भारत की एक तिहाई से भी अधिक जनसंख्या केवल 35 महानगरों में निवास करती है। यह एक चिंता का विषय है। नगरीकरण विकास का प्रतीक है। परंतु महानगरों में तीव्रता से बढ़ती जनसंख्या न केवल  महानगरों में समस्या खड़ी कर रही है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नगरों में जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के कारण, इनके वर्तमान संसाधनों तथा उपलब्ध जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है। कभी-कभी तो यहाँ लोगों को आवश्यक सुविधाएँ भी नहीं मिल पातीं।
महानगरों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं-
  1. लिंग-अनुपात का असन्तुलित होना – रोजगार की तलाश में पहले पुरुष वर्ग नगरों की ओर जाता है। फलतः नगरों में लिंग अनुपात में बहुत अंतर पाया जाता है। इस विषम अनुपात से अनेक सामाजिक कुरीतियाँ एवं बुरी आदतें पड़ जाती हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
  2. आवास की समस्या – महानगरों की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने के कारण आवास की बड़ी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अधिकतर लोग तंग, अँधेरे तथा दूषित वातावरण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आवास की समस्या मजदूर वर्ग में तो और भी गंभीर है। झुग्गी-झोपड़ियों में और खुले आकाश के नीचे लोग अपनी रातें बिता रहे हैं।
  3. रोजगार की समस्या – रोजगार पाने के लिए गाँवों से लोग नगरों में आ रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में रोजगार के साधन नहीं बढ़ रहे हैं। अतः नगरों में रोजगार की समस्या बढ़ रही है। भिखारियों की संख्या बढ़ रही है। चोर-गिरहकटों की संख्या बढ़ रही है। लूट-पाट के मामले बढ़ रहे हैं। उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त अति नगरीकरण के कारण नगरों में पेयजल की समस्या, सफाई एवं स्वास्थ्य की समस्या, वायु प्रदूषण की समस्या, ध्वनि प्रदूषण की समस्या, शिक्षा की समस्या, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धि की समस्या तथा परिवहन की समस्या नगरों से जुड़ गयी है।
प्रश्न 3. भारत में जनसंख्या घनत्व के वितरण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। साथ ही भारत विश्व की घनी आबादी वाले देशों में से एक है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, वहीं अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
पर्वतीय क्षेत्र तथा प्रतिकूल जलवायवी अवस्थाएँ इन क्षेत्रों की विरल जनसंख्या के लिए उत्तरदायी हैं। असोम एवं अधिकतर प्रायद्वीपीय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है। पहाड़ी, कटे-छैटे एवं पथरीले भूभाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या  घनत्व को प्रभावित करती है। उत्तर मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है।
प्रश्न 4. व्यावसायिक संरचना का अर्थ स्पष्ट कीजिए। विभिन्न व्यवसायों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या के वितरण को विभिन्न व्यवसायों के आधार पर वर्गीकृत करना व्यावसायिक ढाँचा कहलाता है। भारत में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक विविधता विद्यमान है।
व्यवसायों को प्रायः प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक श्रेणियों में बाँटा गया है जिसका विवरण इस प्रकार है-
  1. प्राथमिक क्रियाकलापों में कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं।
  2. द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं।
  3. तृतीयक क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
भाग्त में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 5. बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-
  1. बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण – देश की जनसंख्या बढ़ने से विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार का प्रदूषण बढ़ रहा है जो भयंकर खतरे का संकेत दे रहा है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। वनस्पति व प्राणी जगत के ह्रास के कारण पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। प्रदूषण की रोक-थाम के साथ-साथ बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाई जाए।
  2. खनिज संपदा का ह्रास – खनिज संपदा की मात्रा निश्चित है, उसे बढ़ाया नहीं जा सकता। एक बार उसका उपभोग, उतनी ही मात्रा को कम कर देता है। जनसंख्या बढ़ने से खनन काम तेजी से बढ़ रहा है। अतः खनिजों के शीघ्र ही समाप्त होने की समस्या पैदा हो गई है। आवश्यकता इस बात की है कि खनिजों का उपभोग कम किया जाए, पूरक वस्तुओं का विकास किया जाए तथा उनके संरक्षण की विधियाँ अपनाई जाएँ।
  3. मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी – भारत में प्राचीनकाल से खेती होते रहने से मृदा की उपजाऊपन की क्षमता कम हो गई है। इधर जनसंख्या के बढ़ने से वर्ष में 2-3 फसलें लेना भी आवश्यक है। यह सिंचाई के साधनों के विस्तार तथा रासायनिक उर्वरकों के भरपूर उपयोग से भी संभव है। ऐसा करने पर मृदा में क्षारीय तत्त्वों का बढ़ना तथा भूमि का जलाक्रान्त होना स्वाभाविक है। इससे मृदा का उपजाऊपन कम हो जाता है और कहीं-कहीं तो मृदा की समाप्ति भी देखी गई है। अतः इस समस्या के निदान के लिए रासायनिक खादों का वैज्ञानिक उपयोग तथा मृदा सर्वेक्षण की आवश्यकता है।
  4. वनों का तेजी से ह्रास – पेट की भूख मिटाने के लिए कृषि का विकास और विस्तार आवश्यक हो जाता है। खाद्यान्नों की माँग को पूरा करने के लिए वनों को साफ करके खेतों में बदला गया है। फलतः देश में 21 प्रतिशत से भी कम भू-भाग पर वनों का विस्तार रह गया। वनों की कमी से वर्षा से कभी बाढ़ों का आना, मृदा का अपरदन होना तथा बहुमूल्य वन संपदा के न मिलने से समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं। अतः वनों के विस्तार एवं वृक्षारोपण पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।
  5. चरागाह भूमि की कमी – भारत में पशु संपदा संसार में सर्वाधिक है। चरागाह भूमि घटते-घटते केवल 4% रह गई। फलतः पशुओं से अपेक्षित उत्पाद नहीं मिल पाते हैं। वनीय भूमि का पशुचारण के लिए उपयोग किया जा रहा है। इससे समस्या का निदान नहीं, अपितु दूसरे प्रकार की समस्या और उठ खड़ी होती है। अतः योजनाबद्ध तरीकों से चरागाह भूमि का विस्तार कर पशुपालन को सुव्यवस्थित व सुदृढ़ किया जाए।
  6. कृषि योग्य भूमि का घटना – जनसंख्या के बढ़ने से पैतृक कृषि भूमि का बँटवारा निरंतर होता चला आ रहा है। फलतः कृषि योग्य भूमि का प्रति व्यक्ति अनुपात घटकर 0.29 हेक्टेयर रह गया है। इस समस्या का एक ही हल है कि जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण किया जाए।
प्रश्न 6. भारत के सबसे अधिक तथा सबसे कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों का जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों को ध्यान में रखते हुए विवरण दीजिए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल जनसंख्या 121.08 करोड़ है और जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। लेकिन दिल्ली में तो घनत्व 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है तो अरुणाचल प्रदेश में 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। उदाहरण के लिए पश्चिमी बंगाल, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु में घनत्व 401 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है। कुछ संघ राज्यों जैसे दिल्ली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप तथा पांडिचेरी में 2547 से 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक है। कहीं दूसरे राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मेघालय, नगालैण्ड, सिक्किम, मणिपुर आदि में घनत्व 17 से लेकर 128 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी ही है।
इस असमान वितरण के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
  1. औद्योगिक विकास – देश के जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास अधिक हुआ है, वहाँ रोजगार के अवसर तथा अन्य सुविधाएँ बढ़ जाती हैं। अतः इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ जाता है। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास कम हुआ है, वहाँ जनसंख्या का घनत्व कम है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता – संसाधनों से संपन्न क्षेत्र जनसंख्या को आकर्षित करते हैं। जल, मृदा, खनिज, वन आदि देश की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा है। इसके लिए जनशक्ति चाहिए। दामोदर घाटी खनिज संपदा से संपन्न है। फलतः वहाँ अधिक जनसंख्या पाई जाती है। उपजाऊ मृदा क्षेत्र सघन आबाद हैं। डेल्टाई-क्षेत्र देश के सघनतम जनसंख्या वाले हैं।
  3. यातायात की सुविधाओं का विकास – जिन क्षेत्रों में नदियों, नहरों, सड़कों व रेल मार्गों का जाल है, वहाँ आवश्यक वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध होती हैं। लोग काम के केंद्रों पर आसानी से आ-जा सकते हैं। परिवहन के साधनों के विकास से मैदानी भागों में अधिक जनसंख्या पाई जाती है। पर्वतीय, मरुस्थलीय तथा वनीय क्षेत्रों में यातायात के साधनों की कमी के कारण विरल आबाद है।
  4. स्थल का स्वरूप – भारत में पर्वत, पठार एवं मैदान तीनों ही स्थलाकृतियाँ विस्तृत क्षेत्र में फैली हैं। देश की अधिकांश जनसंख्या मैदानी भागों में रहती है, क्योंकि मैदानी भाग में कृषि करना आसान व लाभदायक है, जिससे अधिक लोगों का जीवन निर्वाह होता है। मैदानों में जनसंख्या के वितरण में भी असमानता है। अधिक उपजाऊ मैदानी भागों में अधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है।
  5. जलवायु – अधिक गर्म व शुष्क भागों में जनसंख्या कम पाई जाती है। अधिक ठंडे प्रदेश भी विरल जनसंख्या वाले हैं। राजस्थान का पश्चिमी भाग तथा हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। देश के समजलवायु वाले क्षेत्रों तथा उष्ण आई भागों में सघन जनसंख्या  पाई जाती है। पश्चिमी बंगाल और केरल क्रमशः सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।
प्रश्न 7. भारतीय जनसंख्या से संबंधित पाँच समस्याएँ नीचे दी गई हैं। प्रत्येक समस्या का एक दुष्परिणाम और प्रत्येक समस्या का एक व्यवहारिक समाधान लिखो।
  1. उच्च जनघनत्व
  2. असंतुलित लिंग-अनुपात
  3. सभी को स्वास्थ्य-सुविधाओं को अभाव
  4. बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण संबंधी समस्या
  5. स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी।
उत्तर:
1.    उच्च जनघनत्व
  1. दुष्परिणाम : जनघनत्व से प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ता है तथा पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
  2. समाधान : नए उद्योगों की स्थापना करके रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना होगा। अधिक जन-घनत्व वाले क्षेत्रों से कम जनघनत्व वाले क्षेत्रों की ओर उद्योगों तथा कार्यालयों को स्थानान्तरित करना होगा।
2.    असंतुलित लिंग-अनुपात
  1. दुष्परिणाम : स्त्रियों के प्रति दुर्व्यवहार तथा समाज में स्त्रियों के प्रति प्रतिकूल दृष्टिकोण।
  2. समाधान : स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार करके उनके हितों की रक्षा करना।
3.    सभी को स्वास्थ्य-सुविधाओं का अभाव
  1. दुष्परिणाम : प्रति व्यक्ति समुचित स्वास्थ्य-सुविधाओं के न मिलने के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव।
  2. समाधान : स्त्री-बच्चों सहित सबके लिए एकीकृत स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराना।
4.    बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण संबंधी समस्या
  1. दुष्परिणाम : वायु जल तथा ध्वनि प्रदूषण की समस्या।
  2. समाधान : पर्यावरण के संरक्षण के लिए लोगों में जागृति उत्पन्न करना।
5.    स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी
  1. दुष्परिणाम : स्त्रियों में आर्थिक भागीदारी का बहुत कम होना।
  2. समाधान : शिक्षा के अवसर प्रदान करके स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना।
………………………….
महत्वपूर्ण नोट (important note):- इस अध्याय की पीडीएफ फाईल डाउनलोड़ करने के लिये नीचे दीये बटन पर क्लिक करे।
To download the PDF file of this chapter, click on the button given below.

निर्देश (Instruction):-
बटन पर क्लिक करे।
Click on the button.
10 सेकेण्ड़ के बाद डाउनलोड बटन ओपन होगा।
After 10 seconds the download button will open.
डाउनलोड़ बटन पर क्लिक करे।
Click on the download button.
15 सेकण्ड के बाद पीडीएफ फाईन ओपन होगी।
After 15 seconds the PDF will open fine.
………………………….

Share:

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Copyright © Hindi Digital Paathshala | Powered by Blogger Distributed By Protemplateslab & Design by ronangelo | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com