Class 9th Social Science (Civics) Chapter 1 समकालीन विश्व में

समकालीन विश्व में

प्रश्न 1. इनमें से किससे लोकतंत्र के विस्तार में मदद नहीं मिलती?
(क) लोगों का संघर्ष।
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण।
(ग) उपनिवेशवाद का अंत।।
(घ) लोगों की स्वतन्त्रता की चाह।
उत्तर: ( ख ) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण।
प्रश्न 2. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है?
(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई है।
(ख) विभिन्न देशों के बीच संबंध पहले के किसी वक्त से अब कहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।
उत्तर: (ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वाक्यांशों में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि…..
(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिन्न देशों की बात का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में सम्मान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
उत्तर: (घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
प्रश्न 5. गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? उदाहरणों के आधार पर इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर: गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोग अपने शासकों का चुनाव नहीं कर सकते हैं। इस शासन-व्यवस्था में जनसामान्य को सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने, राजनैतिक संगठनों का निर्माण करने, शासन व्यवस्था का विरोध करने तथा राजनैतिक कार्यवाही करने की स्वतन्त्रता नहीं होती है, लोगों में व्यापारिक संगठन बनाने तथा व्यवस्था से असंतुष्ट होने पर हड़ताल करने का कोई अधिकार नहीं होता है।
प्रश्न 6. जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन-सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं?
उत्तर: जब सेना द्वारा लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया जाता है तो लोगों की निम्नलिखित स्वतंत्रताएँ प्रायः सैन्य शासन द्वारा छीन ली जाती हैं
  1. जनता को सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने तथा भाषण देने की स्वतन्त्रता छीन ली जाती है।
  2. सेना को शासन सम्बन्धी कोई भी निर्णय लेने के लिए किसी से अनुमति या परामर्श की आवश्यकता नहीं होती है।
  3. सैन्य शासन द्वारा सत्ता में आने के बाद उन लोगों का उत्पीड़न किया जाता है जिन्होंने पूर्ववर्ती सरकार का तख्ता पलटने के सेना के प्रयास का विरोध किया था।
प्रश्न 7. वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढ़ाने में इनमें से किन बातों से मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो और मुझे ज्यादा अधिकार मिले।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज को समान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिर्फ इसके चलते
अमीर देश अपने हितों का नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज का अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वजन होना ही चाहिए।

उत्तर:-
(क) इस तथ्य का वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है क्योंकि प्रत्येक देश और इसके नागरिकों को बिना उसकी सम्पन्नता एवं विपन्नता का भेद किए बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लिए गए निर्णयों का असर विश्व के सभी देशों पर पड़ता है। चूँकि छोटे तथा गरीब देशों को अपने विकास के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता होती है, उनकी आवाज को सम्मान के साथ सुना जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्यों के पास ‘वीटो’ शक्ति का होना अलोकतांत्रिक है क्यों? उनमें से कोई भी देश अपनी इस शक्ति के प्रयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ के किसी भी निर्णय को रोक सकता है। अनेक अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे—अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) तथा विश्व बैंक (World Bank) भी लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के आधार पर कार्य नहीं कर रहे हैं।
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धनी देशों को अधिक वरीयता देना किसी भी तरह से लोकतंत्र को बढ़ावा नहीं देगा। अमीर एवं गरीब देश के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए कोई विभेद नहीं होना चाहिए। यह वैश्विक स्तर पर सामाजिक-आर्थिक सहायता लाने में किसी तरह सहायक नहीं होगा, जो कि लोकतन्त्र के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए धनी एवं निर्धन देशों के बीच समानता का व्यवहार किया जाना चाहिए।
(घ) यह तर्क भी वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में किसी प्रकार सहायक नहीं हैं।
प्रश्न 8. नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
वक्ता 1 : भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसीलिए राजशाही के खिलाफ और लोकतन्त्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए।
वक्ता 2 : यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतन्त्र नहीं आ सकता।
वक्ता 3 : लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।

उत्तर: -हम वक्ता-2 के विचारों से सहमत हैं। भारत द्वारा नेपाल के आन्तरिक मामले में दखल देने से भारत के सम्मुख वही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जो इराक में संयुक्त राज्य अमेरिका की है। यह सर्वमान्य सत्य है कि जब तक किसी देश के लोग स्वयं देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करने को तत्पर नहीं होते हैं तब तक कोई बाहरी देश लाख कोशिश करके भी उस देश में लोकतंत्र के आधार को सुदृढ़ नहीं कर सकता। साथ ही किसी देश के नागरिक और वहाँ की शासन व्यवस्था यह कभी नहीं चाहती कि कोई बाहरी देश वहाँ हस्तक्षेप करें। अतः किसी अन्य देश द्वारा किसी भी देश में लोकतंत्र को बलपूर्वक थोपा नहीं जा सकता है।
प्रश्न 9. एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवार को सत्ता सौंपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर जब विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्हीं के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है। जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लोगों ने कहा कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी ने मीडिया की आजादी की माँग की तो बड़ेबुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगी। “आखिर महाराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में बहुत दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते?”
उपर्युक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चमन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकाले चमन:आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों को उखाड़ फेंका और राजा का शासन बहाल किया।
चंपा : आनंद्रलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी ला सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नहीं ला सकता।
चंदू : लोगों को खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहाँ का शासन लोकतांत्रिक ही है।
इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरूप के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:-
लोकतांत्रिक देश में शासन की सत्ता लोगों के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में होनी चाहिए जबकि आनन्दलोक में ऐसा नहीं है, क्योंकि आनन्दलोक लोकतांत्रिक देश नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में वयस्क मतदाताओं द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव किया जाता है। आनन्दलोक में राजा का निर्वाचन नहीं होता है। उसके पूर्वज राजा थे, इसलिए उसे राजा निर्वाचित किया गया। आनन्दलोक में राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली अस्तित्व समकालीन विश्व में लोकतन्त्र 267 में थी। यदि आनन्दलोक का राजा जनता के कल्याण के लिए भी कार्य करता है तो इस शासन प्रणाली को लोकतांत्रिक प्रणाली नहीं कहा जा सकता है। एक व्यक्ति द्वारा शासित शासन को कभी भी लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में संचार माध्यमों को कार्य करने की पूर्ण स्वतन्त्रता होनी चाहिए और सभी नागरिकों को संसार की आलोचना करने का पूरा अधिकार होना चाहिए तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना हो सकती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. म्यांमार की लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू की’ को कितने वर्ष बाद नजरबंदी से मुक्त किया गया?
उत्तर: म्यांमार की तानाशाही सरकार ने इन्हें 15 वर्ष की नजरबंदी के बाद 13 नवम्बर, 2010 ई. को मुक्त किया।
प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक वयस्क मताधिकार कब लागू किया गया?
उत्तर: दक्षिण अफ्रीका में सार्वजनिक वयस्क मताधिकार 1994 ई. में लागू किया।
प्रश्न 3. पोलैण्ड में 1981 ई. में कौन शासक था?
उत्तर: 1981 ई. में जनरल जारुजेल्स्की पोलैण्ड का शासक था।
प्रश्न 4. पोलैण्ड में ‘मार्शल लॉ’ कब घोषित किया गया?
उत्तर: दिसम्बर, 1981 ई. में पोलैण्ड में मार्शल लॉ घोषित किया गया।
प्रश्न 5. ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के हड़ताल करने वाले मजदूरों का नेता कौन था?
उत्तर: ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के हड़ताली मजदूरों का नेता ‘लेक वालेशा’ था।
प्रश्न 6. पोलैण्ड में ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने कब हड़ताल की?
उत्तर: पोलैण्ड में ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने 14 अगस्त, 1980 ई. को हड़ताल की।
प्रश्न 7. ‘ट्रेड यूनियन’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: मजदूरों के संघ को ट्रेड यूनियन’ कहा जाता है। ट्रेड यूनियन का उद्देश्य श्रमिकों के हितों का संरक्षण करना है।
प्रश्न 8. कूप (Coup) किसे कहते हैं?
उत्तर: जब किसी सरकार को अचानक गैर-कानूनी ढंग से हटा दिया जाता है तो उसे कूप कहते हैं।
प्रश्न 9. संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थायी सदस्यों के नाम लिखिए।
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस और चीन सुरक्षा परिषद् के 5 स्थायी सदस्य हैं।
प्रश्न 10. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संस्था कितनी है?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्यों की संख्या 15 है जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं।
प्रश्न 11. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना कब की गयी?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 ई. को की गयी।
प्रश्न 12. विश्व के किस महान् देश का विघटन 15 भागों में हुआ और सभी 15 स्वतन्त्र देश बन गए?
उत्तर: सन् 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ और 15 स्वतन्त्र देश अस्तित्व में आए।
प्रश्न 13. घाना किस वर्ष स्वतन्त्र हुआ? 
उत्तर- घाना सन् 1957 में एक स्वतन्त्र देश बना।
प्रश्न 14. लोकतन्त्र शब्द की उत्पत्ति किस भाषा के किस शब्द से हुई और उसका क्या अर्थ है?
उत्तर: लोकतन्त्र शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के दो शब्दों (जिसे अंग्रेजी में Democracy कहते हैं) डिमोस (Demos) ती) सामाजिक विज्ञान कक्षा-IX तथा क्रेशिया (Cretia) से हुई है। ‘डिमोस’ का अर्थ है जनता तथा ‘क्रेशिया’ का अर्थ है सत्ता। अतः लोकतन्त्र वह शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के हाथों में होती है।
प्रश्न 15. लोकतन्त्र की कोई दो परिभाषाएँ लिखें।
उत्तर: लोकतन्त्र की दो परिभाषाएँ इस प्रकार हैं
अब्राहिम लिंकन के अनुसार, “लोकतन्त्र जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।”
 गैटेल के शब्दों में, “लोकतन्त्र एक ऐसी सरकार है जिसमें सत्ता के प्रयोग में समस्त जनता को भाग लेने का अधिकार है।”
प्रश्न 16. मार्शल लॉ किसे कहते हैं? पोलैण्ड में मार्शल लॉ कब लागू किया गया?
उत्तर: जब किसी देश में सेना का शासन हो तो सेना द्वारा लागू किए गए कानूनों को मार्शल लॉ कहा जाता है। पोलैण्ड में दिसम्बर, 1981 ई. में मार्शल लॉ घोषित किया गया।
प्रश्न 17. संयुक्त राष्ट्र संघ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व भर के लोगों का एक वैश्विक संगठन है जो विश्व शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने तथा युद्ध को रोकने के लिए सन् 1945 में गठित किया गया था। यह विश्व के विभिन्न देशों के बीच परस्पर सहयोग स्थापित करने में सहायता करता है। आरम्भ में, विश्व के 51 देश इसके सदस्य थे परन्तु अब इनकी संख्या 193 हो गई है।
प्रश्न 18. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार किसे कहते हैं?
उत्तर: एक विशेष आयु प्राप्त करने पर किसी देश में सभी नागरिकों को बिना किसी प्रकार के भेदभाव के मतदान (वोट) करने का अधिकार दे दिया जाए तो उस प्रणाली को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।
प्रश्न 19. विश्व के उन दो देशों के नाम बताइए जहाँ एक राजनीतिक दल की तानाशाही पायी जाती है।
उत्तर: विश्व के उन दो देशों के नाम हैं- चीन और उत्तर कोरिया।
प्रश्न 20. वह अफ्रीकी देश जो सबसे पहले स्वतन्त्र हुआ।
उत्तर: 1957 ई. में सर्वप्रथम स्वतन्त्र होने वाला अफ्रीकी देश घाना था।
प्रश्न 21. वर्ष 2006 में किसे चिली का राष्ट्रपति चुना गया?
उत्तर: चिली में वर्ष 2006 में राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में मिशेल वेशलेट को देश का राष्ट्रपति चुना गया। चिली में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने वाली वे प्रथम महिला हैं।
प्रश्न 22. चिली में सैन्य शासक जनरल आगस्टो पिनोशा के शासन काल में कब जनमत संग्रह कराया गया और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर: चिली में वर्ष 1988 में जनरल पिनोशा की सरकार ने जनमत संग्रह करवाया। चिली के लोगों ने पिनोशा के शासन के विरुद्ध मतदान किया। तत्पश्चात् चिली में लोकतन्त्र की स्थापना हुई।
 प्रश्न 23. किसके नेतृत्व में हुई सैनिक क्रान्ति ने चिली के राष्ट्रपति आयंदे का तख्ता पलट दिया था?
उत्तर: चिली में 11 सितम्बर, 1973 ई. को जनरल आगस्टो पिनोशा के नेतृत्व में हुई सैनिक क्रान्ति में राष्ट्रपति आयंदे का तख्ता पलट दिया गया। इस सैन्य क्रान्ति में राष्ट्रपति आयंदे मारा गया।
प्रश्न 24. लोकतंत्र के दो लक्षण बताइए।
उत्तर: स्वतंत्र न्यायपालिका- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का आशय है कि न्यायपालिका विधानमण्डल अथवा कार्यपालिका के नियंत्रण से मुक्त होकर कार्य करे। निर्वाचित प्रतिनिधि- लोकतंत्र में जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधि शासन का संचालन करते हैं।
प्रश्न 25. विश्व के दो प्रमुख देशों के नाम बताइए जहाँ अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान हो।
उत्तर: भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व के दो बड़े अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश हैं।
प्रश्न 26. विश्व के उस देश का नाम बताइए जहाँ प्रत्यक्ष लोकतन्त्र विद्यमान हों।
उत्तर: प्रत्यक्ष लोकतन्त्र वाला देश स्विट्जरलैण्ड है।
प्रश्न 27. लोकतांत्रिक व्यवस्था के दो प्रमुख प्रकार बताइए।
उत्तर: लोकतांत्रिक व्यवस्था के दो प्रमुख प्रकार-
  1. प्रत्यक्ष लोकतन्त्र और
  2. अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र।
प्रश्न 28. मिली-जुली सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर: जब कई राजनीतिक दल मिलकर समझौता करके सरकार का गठन करते हैं तो इस प्रकार गठित सरकार को मिली जुली सरकार कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लोकतन्त्र के किन्हीं पाँच लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: लोकतन्त्र के पाँच प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:-
  1. निर्वाचित प्रतिनिधि - लोकतन्त्र में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि कानूनों का निर्माण तथा नीतियों का निर्धारण करते हैं।
  2. निर्वाचन ( चुनाव) – लोकतन्त्र में जन-प्रतिनिधियों के निर्वाचन हेतु चुनाव करवाए जाते हैं। प्रत्येक वयस्क मतदाता को चुनाव में मतदान करने का अधिकार दिया जाता है। चुनाव स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष होने चाहिए और निश्चित समय पर होने चाहिए। एक निश्चित आयु पूरी करने पर सभी नागरिकों को चुनाव लड़ने का अधिकार होना चाहिए।
  3. अधिकार एवं स्वतंत्रताएँ - लोकतन्त्र में देश के सभी नागरिकों को अधिकार एवं स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए। नागरिकों को भाषण देने, विचार प्रकट करने, संघ बनाने तथा राजनैतिक दल गठित करने के अधिकार होते हैं।
  4. कानून का शासन -  लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण लक्षण कानून का शासन है। कानून की दृष्टि में सभी नागरिक समान होते हैं और कानून सबसे ऊपर होता है, किसी भी व्यक्ति को सजा केवल कानून का उल्लंघन करने पर ही दी जा सकती है शासक की मर्जी से नहीं। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं होता। 
  5. स्वतन्त्र न्यायपालिका - स्वतन्त्र न्यायपालिका लोकतन्त्र का एक महत्त्वपूर्ण) लक्षण है। न्यायपालिका न्याय का वितरण करती है और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षक होती है। नागरिकों की स्वतन्त्रता के लिए यह आवश्यक है कि न्यायाधीश बिना किसी पक्षपात के निडर होकर स्वतंत्र रूप से न्याय प्रदान करें।
प्रश्न 2. पश्चिम अफ्रीकी देश घाना में तानाशाही की स्थापना का विवेचन कीजिए।
उत्तर: पूर्व में ब्रिटेन के उपनिवेश रहे पश्चिम अफ्रीकी देश ‘घाना’ को पहले गोल्ड कोस्ट कहते थे। गोल्ड कोस्ट 1957 ई. में स्वतन्त्र हुआ। औपनिवेशिक शासन से मुक्त होने वाला पहला अफ्रीकी देश घाना ही था। घाना की स्वतन्त्रता ने अन्य अफ्रकी देशों को स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया। एक सुनार के पुत्र और पेशे से शिक्षक वामे एनकूमा ने देश की स्वतंत्रता के संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभायी।
            स्वतन्त्रता के बाद एनळूमा घाना के पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बने। उन्होंने अपने आपको आजीवन राष्ट्रपति के रूप में चुनवा लिया। लेकिन थोड़े समय बाद ही 1966 ई. में सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया। घाना की तरह ही अफ्रीका के उन अधिकांश देशों का रिकॉर्ड इसी तरह का मिश्रित रहा जिन्होंने आजादी के बाद लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था अपनाई थी। वहाँ लोकतन्त्र लम्बे समय तक नहीं चल पाया। सन् 1973 में चिले (Chile) में भी जनता द्वारा निर्वाचित सरकार का तख्तापलट दिया गया और वहाँ पर सैनि: शाही की स्थापन हो गई।
प्रश्न 3. चिली की वर्तमान राष्ट्रपति वेशलेट की सरकार की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर: वेशलेट सरकार की है। प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
इस सरकार द्वारा देश के सभी नागरिकों को राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की गयी है। देश ने बहुदलीय जी) सामाजिक विज्ञान कक्षा-IX लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्वीकार किया है। देश के नागरिकों को किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष में मतदान करने की स्वतन्त्रता है।
चिली में शासक का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 4. पोलैण्ड में जनरल जेलस्काई की सरकार की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
  1. पोलैण्ड के लोगों को राजनैतिक अधिकार एवं स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं थी।
  2. उन्हें सरकार की आलोचना करने का भी अधिकार नहीं था।
  3. पोलैण्ड में सैनिक तानाशाही थी। शासक का निर्वाचन नहीं होता था।
प्रश्न 5. द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् लोकतन्त्र में विस्तार का विवरण दीजिए।
उत्तर: द्वितीय विश्व युद्ध की 1945 ई. में समाप्ति के बाद विश्व में लोकतन्त्र के विस्तार की एक लहर सी चली। एशिया तथा अफ्रीका के अनेक देश जो औपनिवेशिक शासन के अधीन थे, स्वतन्त्रता प्राप्ति का संघर्ष तेज कर दिया। ये लोग न केवल अपने विदेशी शासन से मुक्ति चाहते थे बल्कि अपने शासक को निर्वाचन के माध्यम से चुनाव भी करना चाहते थे।
ऐसे देशों में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और घाना को शामिल किया जा सकता है। ऐसे देशों की संख्या एक बार 36 तक पहुँच गयी थी। इन देशों में से अधिकांश ने स्वतन्त्र होने के पश्चात् अपने यहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखा किन्तु कुछ देशों में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों का तख्ता-पलट दिया गया और वहाँ पर अलोकतांत्रिक सरकारों की स्थापना की गयी।
प्रश्न 6. अमेरिका और ब्रिटेन आदि सहयोगी देशों ने इराक पर क्या आरोप लगाकर आक्रमण किया था?
उत्तर: अमेरिका और ब्रिटेन आदि के सहयोगी देशों ने इराक पर आरोप लगाया कि उसके पास परमाणु हथियार और रासायनिक हथियारों का जखीरा है, जिससे विश्व को बहुत खतरा है।।
प्रश्न 7. नेपाल में किस प्रकार लोकतन्त्र भंग हुआ और किस तरह लोकतन्त्र की पुनः वापसी हुई?
उत्तर: 2005 ई. में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया और पिछले दशक में लोगों को दी गई राजनैतिक आजादी को समाप्त कर दिया। इसके लिए नेपाल में सेवन पार्टी एलायन्स द्वारा आन्दोलन चलाए गए। अन्त में राजा को लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करनी पड़ी। चुनाव के बाद नेपाल में राजा के पद को खत्म कर दिया गया।
प्रश्न 8. घाना में लोकतन्त्र किस प्रकार समाप्त हुआ?
उत्तर: घाना 1957 ई. में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतन्त्र हुआ। स्वतन्त्रता के बाद एनक्रूमा घाना के प्रथम प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बनें। एनळूमा ने अपने को आजीवन राष्ट्रपति चुनवा लिया। किन्तु इसके कुछ वर्ष बाद ही सेना ने एनळूमा का तख्ता पलट दिया।
प्रश्न 9. अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण किस मूलभूत प्रश्नों को उठाता है?
उत्तर: अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण कई मूलभूत प्रश्नों को उठाता है
क्या यह लोकतन्त्र को बढ़ावा देने का सही तरीका है। क्या किसी देश में लोकतन्त्र की स्थापना करने के लिए किसी लोकतांत्रिक देश को उस देश पर आक्रमण कर देना चाहिए।
अंगर बाहरी दखल से किसी देश में लोकतंत्र कायम भी हो जाता है तो क्या वह टिकाऊ होगा। क्या इसे अपने नागरिकों का समर्थन प्राप्त होगा?
 कोई बाहरी शक्ति लोकतन्त्र कायम कर दे क्या यह विचार लोकतन्त्र की बुनियादी भावना के एकदम उलट नहीं है।
प्रश्न 10. अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के क्या कार्य हैं? इसके कितने सदस्य देश हैं? मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों को अधिकार किन देशों के पास है?
उत्तर: अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष दुनिया के किसी भी देश को उधार और ऋण देने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पर इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार प्राप्त नहीं हैं। हर देश इस कोष में जितने धन का योगदान करता है उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। मुद्रा कोष के करीब आधे वोटों पर सिर्फ सात देशों अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन और रूस का अधिकार है।
प्रश्न 11. सेंसरशिप से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ऐसी शर्त जिसके अन्तर्गत अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता छिन जाती है, यदि सरकार को कोई चीज गलत लगती है तो उसे न तो प्रकाशित किया जा सकता है और न ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में दिखाया जा सकता है।
प्रश्न 12.वीटो पॉवर क्या है? वीटो पॉवर विश्व के किन-किन देशों को प्राप्त है?
उत्तर: किसी व्यक्ति, पार्टी या राष्ट्र को मिला यह अधिकार कि वह किसी कानून को अकेले रोक सकता है। वीटो किसी फैसले को रोकने का असीमित अधिकार देता है, उसे लागू कराने का नहीं। वीटो लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “मैं मना करता हूँ।” वीटो पॉवर विश्व के अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस को प्राप्त है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ‘यदि विश्व के प्रत्येक देश में लोकतन्त्र की स्थापना हो जाए तो विश्व स्वयं लोकतांत्रिक बन जाएगा। क्या यह कथन अध्याय में किए गए विचार से मेल खाता है?
उत्तर: विश्व के अधिकांश देशों में लोकतन्त्र की स्थापना हो चुकी है, लेकिन आज भी अनेक देश तानाशाही, एक दलीय शासन व्यवस्था एवं वंशानुगत् शासन प्रणाली से ग्रस्त हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना विश्व-शान्ति की स्थापना करने तथा युद्ध को रोकने के लिए की गई है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी महत्त्वपूर्ण फैसले सुरक्षा परिषद् में लिए जाते हैं। सुरक्षा परिषद् के कुल 15 सदस्य हैं जिनमें से 5 बड़े राज्य (संयुक्त-राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड, चीन तथा फ्रांस) इसके स्थायी सदस्य हैं जिनके पास ‘वीटो करने की शक्ति है। सुरक्षा परिषद् में तब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता जब तक कि यह पाँचों देश उससे सहमत न हों। दूसरे शब्दों में इन पाँचों देशों में से कोई भी एक देश अपनी ‘वीटो’ शक्ति का प्रयोग करके किसी भी निर्णय को रोक सकता है।
            इस प्रकार सुरक्षा परिषद् के पास ‘वीटो’ (Veto) का अधिकार अलोकतंत्रीय हैं। इसी प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) विश्व के किसी भी देश को ऋण देने वाली सबसे बड़ी संस्था है। इस संगठन की कार्यप्रणाली भी अलोकतंत्रीय है क्योंकि इसके सभी 173 सदस्य देशों को समान मताधिकार प्राप्त नहीं है। प्रत्येक देश इस कोष में जितने धन का योगदान करता है, उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। इस प्रकार मुद्रा कोष के लगभग आधे वोटों पर केवल 7 देशों (अमेरिका, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, सऊदी अरब, चीन तथा रूस) का अधिकार है। जब सरकारों को पैसे की जरूरत होती है तो उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक उधार देते हैं। उधार देने से पहले ये संस्थाएँ सरकार से अपना हिसाब-किताब दिखाने को कहती हैं और उनकी आर्थिक नीतियों में परिवर्तन का निर्देश देती हैं।
प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र जैसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करता।’ इस कथन के संदर्भ में आपका क्या मत है?
उत्तर: वैश्विक संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्तमान में 193 सदस्य हैं। इनमें से प्रत्येक के पास संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा में एक वोट है। यह सदस्य देशों के प्रतिनिधियों में से निर्वाचित सचिव के अधीन प्रतिवर्ष नियमित बैठकों का आयोजन करती है। सामान्य सभा एक संसद की भाँति है जहाँ सभी प्रकार की चर्चा होती है। इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र एक लोकतांत्रिक संगठनु प्रतीत होगा। किन्तु सामान्य सभा कुछ देशों की इच्छा के विरुद्ध कोई निर्णय नहीं ले सकती।
            संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद् अति महत्त्वपूर्ण निर्णय लेती है। इस परिषद् में 5 स्थायी सदस्य हैं अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस एवं चीन। शेष 10 सदस्यों का चुनाव सामान्य सभा द्वारा 2 वर्ष की अवधि के लिए किया जाता है। वास्तविक शक्ति 5 स्थायी सदस्यों के पास है। स्थायी  सदस्य विशेषकर अमेरिका संयुक्त राष्ट्र के संचालन के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराता है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा लिए गए निर्णयों में उसका दखल अधिक होता है।
            अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व के किसी भी देश के लिए सबसे बड़ा ऋणदाताओं में से एक है तथा यह संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है। इसके 173 सदस्य देशों को मतदान के समान अधिकार नहीं हैं। प्रत्येक देश अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) में जितने धन का योगदान देता है उसी अनुपात में उसके वोट का वजन भी तय होता है। विश्व बैंक में भी मतदान का यही तरीका अपनाया जाता है। विश्व बैंक का अध्यक्ष हमेशा ही कोई अमेरिकी नागरिक होता है। उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि संयुक्त राष्ट्र जैसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन भी लोकतांत्रिक तरीके से काम नहीं करता।
प्रश्न 3. लोकतन्त्र के विस्तार के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: यह सामान्य धारणा है कि विश्व में लोकतन्त्र के प्रसार का प्रमुख कारण यह है कि लोग अन्य शासन प्रणालियों की तुलना में लोकतन्त्र को श्रेष्ठ मानते हैं। साथ ही लोगों ने राजतंत्र, औपनिवेशिक तन्त्र तथा तानाशाही व्यवस्था से मुक्ति एवं लोकतंत्र की स्थापना के लिए लम्बे समय तक संघर्ष किया है, क्योंकि इससे उन्हें सामान्य मानवाधिकार की भी प्राप्ति होती है। लोकतंत्र की स्थापना एवं विस्तार में किसी देश की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियाँ भी उत्तरदायी होती हैं। इसके अतिरिक्त कई बार बाहरी परिस्थितियों ने भी एक देश में लोकतन्त्र की स्थापना में योगदान दिया है। इनमें प्रमुख हैं - द्वितीय विश्व युद्ध,
            उपनिवेशवाद की समाप्ति (End of Colonialism) तथा  सोवियत संघ का विघटन। परन्तु यह बात ध्यान देने योग्य है कि लोकतंत्र की स्थापना में बाहरी परिस्थितियाँ केवल उसी समय सहायक होती हैं जब देश के अन्दर भी इसके लिए परिस्थितियाँ मौजूद होती हैं।
            हाल ही में विश्व के कुछ शक्तिशाली देशों (संयुक्त-राज्य अमेरिका) ने भी लोकतन्त्र की स्थापना को प्रोत्साहित किया है। कई बार तो शक्तिशाली देशों ने अलोकतान्त्रिक राज्यों पर आक्रमण करके भी वहाँ पर लोगों को तानाशाही शासन से छुटकारा दिलाने तथा लोकतंत्र की स्थापना करने का प्रयत्न किया है। संयुक्त-राज्य अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण इसका एक जीताजागता उदाहरण है।
            कई बार अलोकतंत्रीय राज्यों के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध (Economic sanctions) लगाकर उन्हें लोकतन्त्र की स्थापना करने के लिए मजबूर किया जाता है। पाकिस्तान तथा नाइजेरिया के विरुद्ध इस प्रकार की कार्यवाही की गयी थी, परन्तु लोकतन्त्र की स्थापना का यह उचित तरीका नहीं है।
वास्तव में बाहरी परिस्थितियाँ केवल उसी समय लाभकारी हो सकती हैं जब आंतरिक परिस्थितियाँ इसके लिए अनुकूल हों अन्यथा बाहरी हस्तक्षेप बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है। अतः सैनिक शक्ति के बल पर किसी अन्य देश के नागरिकों को लोकतन्त्र का तोहफा देना स्वयं लोकतंत्र की भावना के विरुद्ध है।
प्रश्न 4. वर्ष 1980 के बाद वैश्विक स्तर पर लोकतन्त्र के विस्तार को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के विस्तार का अगला पड़ाव वर्ष 1980 के बाद और विशेष रूप से 1991 ई. में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् शुरू हुआ। सन् 1980 में पोलैण्ड (Poland) पर पोलिश यूनाइटेड वर्कर्स पार्टी (Polish United Workers Party) का शासन था। यह पार्टी उन साम्यवादी दलों में से एक थी जो तब पूर्वी यूरोप के अनेक देशों पर शासन करते थे। इन देशों में किसी अन्य राजनीतिक दल को राजनीति में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। लोग साम्यवादी दल के या शासन के पदाधिकारियों का चुनाव आजाद ढंग से नहीं कर सकते थे। नेताओं, पार्टी या सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जेल में डाल दिया जाता था। पोलैण्ड की सरकार को एक बड़े साम्यवादी देश, सोवियत संघ का समर्थन हासिल था और वही इस पर नियंत्रण भी करता था।
पोलैण्ड के ग्लांस्क शहर स्थित ‘लेनिन जहाज कारखाना’ के मजदूरों ने 14 अगस्त, 1980 ई. को हड़ताल कर दी। उस समय पोलैण्ड के अधिकांश कारखाने सरकारी नियंत्रण में थे। ‘लेनिन जहाज कारखाना’ भी सरकारी नियंत्रण में था। एक महिला क्रेन चालक को गलत ढंग से नौकरी से निकाला जाना हड़ताल का तात्कालिक कारण था। हड़तालियों की माँग थी कि इस महिला को काम पर वापस लिया जाए। कानून के अनुसार हड़ताल की इजाजत नहीं थी क्योंकि देश में शासक दल से अलग किसी स्वतन्त्र मजदूर संघ की अनुमति नहीं थी।
            हड़ताल जारी रही और फिर पहले काम से निकाला गया एक इलेक्ट्रिशियन बंदरगाह की दीवार लांघकर अन्दर पहुँचा और हड़ताली कर्मचारियों के संग हो लिया। इस आदमी का नाम था लेक वालेशा और बहुत जल्दी ही, यह हड़ताली कर्मचारियों का नेता बन गया। हड़ताल का समर्थन बढ़ता गया और जल्दी ही यह पूरे शहर में फैल गई। अब मजदूरों ने ज्यादा बड़ी माँगें करनी शुरू कर दीं। उन्होंने स्वतंत्र मजदूर संध बनाने की माँग की। उन्होंने यह भी माँग की कि राजनैतिक बन्दियों को रिहा किया जाए और प्रेस पर लगी सेंसरशिप हटाई जाए।
            आंदोलन की बढ़ती लोकप्रियता के कारण सरकार को झुकना पड़ा। लेक वालेशा के नेतृत्व में मजदूरों ने सरकार के साथ 21 सूत्रीय समझौता किया और हड़ताल समाप्त हुई। डांस्क संधि के बाद एक नया मजदूर संगठन ‘सोलिडरनोस्क’ (जिसका अंग्रेजी अर्थ होगा सोलिडेरिटी) बना। किसी भी साम्यवादी देश में पहली बार एक स्वतन्त्र मजदूर संघ का गठन हुआ। एक वर्ष के अन्दर ही सोलिडेरिटी का विस्तार पूरे देश में हो गया और इसकी सदस्य संख्या एक करोड़ के करीब पहुँच गई। सन् 1989 में सरकार को विवश होकर लेक वालेशा के साथ एक और समझौता करना पड़ा जिसके अनुसार स्वतंत्र चुनाव कराने की माँग मान ली गई। सोलिडेरिटी (Solidarity) ने सीनेट की सभी 100 सीटों के लिए चुनाव लड़ा और उसे 99 सीटों पर सफलता मिली। अक्टूबर, 1990 ई. में पोलैण्ड में राष्ट्रपति पद के लिए प्रथम बार चुनाव हुए जिसमें एक से अधिक ‘राजनैतिक दल भाग ले सकते थे। लेक वालेशा को पोलैण्ड का राष्ट्रपति चुन लिया गया और इस प्रकार पोलैण्ड एक लोकतंत्रीय राज्य बन गया।
            भारत के पड़ोसी देशों में भी अनेक परिवर्तन घटित हुए। वर्ष 1990 में नेपाल और पाकिस्तान दोनों में लोकतंत्र की बहाली हुई। नेपाल के राजा ने अपने विशेषाधिकार एवं शक्तियों को काफी हद तक परित्याग कर दिया और वह संवैधानिक राजा बन गया। किन्तु ये परिवर्तन स्थायी नहीं रहे। पाकिस्तान और नेपाल में पुनः तानाशाही की स्थापना हो गयी। लेकिन इस कालखण्ड में अनेक देशों में लोकतन्त्र की स्थापना हुई। सन् 2002 में विश्व के लगभग 140 देशों में बहुदलीय आधार पर लोकतांत्रिक चुनाव कराए जा रहे थे। लेकिन आज भी विश्व के अनेक देशों में लोगों को अपनी इच्छानुरूप लोकतांत्रिक सरकार चुनने तथा सार्वजनिक रूप से अपने विचार प्रकट करने की स्वतन्त्रता नहीं है। ऐसे देशों में संचार माध्यमों पर या सेंसर होता है या वे सरकार के नियंत्रण में होते हैं। उन्हें वही समाचार छापने या दिखाने होते हैं जिन्हें सरकार प्रदर्शित करना चाहती है।
प्रश्न 5. विभिन्न देशों द्वारा वैश्विक स्तर पर किस प्रकार लोकतंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्तमान में विश्व के शक्तिशाली देशों ने जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि देश शामिल हैं, ने शेष विश्व में लोकतन्त्र को बढ़ावा देने का बीड़ा उठाया। इन देशों ने न केवल वैश्विक स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया बल्कि उन देशों में भी लोकतंत्र की स्थापना के लिए दखल दिया जहाँ अलोकतांत्रिक शासन व्यवस्था थी। ‘इराक’ इस तरह का एक प्रमुख उदाहरण है। । सन् 1932 में ब्रिटिश  औपनिवेशिक शासन से मुक्त इराक एक पश्चिम एशियाई देश है। स्वतंत्रता के तीन दशक बाद इराक में सैन्य अधिकारियों ने इराक की सत्ता पर नियंत्रण कर लिया। 1968 से इराक में ‘बाथ पार्टी के नेता सद्दाम हुसैन का शासन था। सद्दाम ने 1968 ई. के तख्ता पलट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिससे बाथ पार्टी सत्ता में आयी थी। 1979 ई. में सत्तारूढ़ होने के बाद सद्दाम हुसैन ने इराक में तानाशाही शासन की स्थापना की तथा अपने विरोधियों का क्रूरतापूर्वक दमन किया।
            अमेरिका तथा उसके मित्र देशों जिसमें ब्रिटेन, पोलैण्ड, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया आदि ने सम्मिलित रूप से इराक पर आक्रमण करके 2003 में इराक पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। अमेरिका और उसके मित्र देशों का ऐसा विश्वास था कि इराक के पास परमाणु हथियार और जनसंहार के अनेक हथियार थे जिनसे पूरे विश्व की सुरक्षा को खतरा था।
            अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को अपदस्थ कर वहाँ अपने पसन्द की उदारवादी सरकार बनवा दी किन्तु अभी भी इराक में स्वस्थ लोकतंत्रे पूरी तरह स्थापित नहीं हो पाया है।
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Class 9th Social Science (Geography) Chapter 6 जनसंख्या

जनसंख्या

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में सही विकल्प चुनिए-
(i) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में प्रवास, आबादी की संख्या, वितरण एवं संरचना में परिवर्तन लाता है?
(क) प्रस्थान करने वाले क्षेत्र में
(ख) आगमन वाले क्षेत्र में
(ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्रों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
(ii) जनसंख्या में बच्चों का एक बहुत बड़ा अनुपात निम्नलिखित में से किसका परिणाम है?
(क) उच्च जन्मदर
(ख) उच्च मृत्युदर
(ग) उच्च जीवनदर
(घ) अधिक विवाहित जोड़े
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा एक जनसंख्या वृद्धि का परिणाम दर्शाता है?
(क) एक क्षेत्र की कुल जनसंख्या
(ख) प्रत्येक वर्ष लोगों की संख्या में होने वाली वृद्धि,
(ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(घ) प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या
(iv) 2001 की जनगणना के अनुसार एक साक्षर’ व्यक्ति वह है:-
(क) जो अपने नाम को पढ़ एवं लिख सकता है।
(ख) जो किसी भी भाषा में पढ़ एवं लिख सकता है।
(ग) जिसकी उम्र 7 वर्ष है तथा वह किसी भी भाषा को समझ के साथ पढ़ एवं लिख सकता है।
(घ) जो पढ़ना-लिखना एवं अंकगणित, तीनों जानता है।
उत्तर:-
(i) (ग) प्रस्थान एवं आगमन दोनों क्षेत्र में
(ii) (क) उच्च जन्म दर
(iii) (ग) जनसंख्या वृद्धि की दर
(iv) (ग) जिसकी उम्र 7 साल, किसी भाषा को समझना, पढ़ना तथा लिखना।
प्रश्न 2.निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दें-
  1. जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटकों की व्याख्या करें।
  2. 1981 से भारत में जनसंख्या की वृद्धि दर क्यों घट रही है?
  3. आयु संरचना, जन्मदर एवं मृत्युदर को परिभाषित करें।
  4. प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक।
उत्तर:-
(1)    जनसंख्या वृद्धि के महत्त्वपूर्ण घटक इस प्रकार हैं-
  1. उच्च जन्म दर,
  2. निम्न मृत्यु दर,
  3. प्रवसन।
(2)    1981 के बाद भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में कमी के कारण निम्नलिखित हैं-
  1. परिवार कल्याण विधियों का अपनाया जाना,
  2. स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं की अधिक जागरूकता,
  3. महिलाओं में शिक्षा का तेज गति से प्रसार,
  4. सरकारी
  • (3)  आयु संरचना-किसी देश में जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल आवश्यकताओं में से एक है। जन्मदर-एक वर्ष के दौरान 1000 लोगों पर जीवित पैदा हुए बच्चों की संख्या को जन्मदर कहते हैं। मृत्युदर-एक वर्ष की अवधि में 1000 लोगों पर मृत व्यक्तियों की संख्या को मृत्युदर कहते हैं।
  • (4)  प्रवास, जनसंख्या परिवर्तन का एक कारक है लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं। जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह आगमन तथा प्रस्थान दोनों ही स्थानों के जनसांख्यिकीय आँकड़ों को प्रभावित करता है। प्रवास आंतरिक (देश के भीतर) या अंतर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है। आंतरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में परिवर्तन नहीं करता लेकिन देश में जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
  1. प्रवास जनसंख्या के गठन एवं वितरण में बदलाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  2. भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण क्षेत्रों से ‘अपकर्षण’ कारक प्रभावी होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर का ‘कर्षण’ प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है। 1951 में शहरी जनसंख्या 17.29 प्रतिशत थी जो 2011 में बढ़कर 31.2 प्रतिशत हो गई।
  3. 2001-2011 के बीच एक ही दशक के दौरान ‘‘दस लाख से अधिक की जनसंख्या वाले महानगर 35 से बढ़कर 53 हो गए हैं।
प्रश्न 3. जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच अंतर स्पष्ट करें?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन के बीच निम्नलिखित अंतर हैं-
जनसंख्या वृद्धि:-
  1. जनसंख्या वृद्धि से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान रहने वाले लोगों की संख्या में  परिवर्तन है।
  2. इसमें पिछली जनसंख्या को बाद की जनसंख्या से घटाकर ज्ञात किया जाता है।
  3. वृद्धि को संख्या के रूप में प्रकट किया जाता है।
जनसंख्या परिवर्तन:-
  1. जनसंख्या परिवर्तन से आशय किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान जनसंख्या वितरण, संरचना या आकार में परिवर्तन से है।
  2. जनसंख्या परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं के आपसी संयोजन के कारण आता है- जन्मदर, मृत्युदर और प्रवास।
  3. जनसंख्या परिवर्तन सापेक्ष वृद्धि और प्रतिवर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा देखा जाता है।
प्रश्न 4.व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच क्या संबंध है?
उत्तर: व्यावसायिक संरचना एवं विकास के बीच सम्बन्ध–मुख्य रूप से व्यवसायों को तीन वर्गों में रखा जाता है-प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक व्यवसाय। प्राथमिक व्यवसाय कृषि आदि से संबंधित हैं, द्वितीयक व्यवसाय निर्माण उद्योगों से संबंधित है तथा तृतीयक व्यवसाय सेवाओं से सम्बन्धित होते हैं। विकसित एवं विकासशील देशों में द्वितीयक एवं तृतीयक व्यवसायों में कार्य करने वाले लोगों का अनुपात अधिक होता है। विकासशील देशों में प्राथमिक क्रियाकलापों में कार्यरत लोगों का अनुपात अधिक होता है। भारत में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है। विकास के लिए जनसंख्या का स्वस्थ होना अत्यन्त आवश्यक है।
इस प्रकार स्वस्थ जनसंख्या निम्नलिखित रूप से लाभकारी हो सकती है-
  1. बीमारियों पर कम खर्च होता है। इसके अतिरिक्त धन को विकास कार्यों में लगाया जाता है।
  2. विकास की गति तीव्र होती है।
  3. सरकार को अधिक स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ाने की आवश्यकता नहीं रहती।
  4. लोगों में स्वस्थ वातावरण का संचार होता है।
  5. स्वस्थ जनसंख्या अधिक समय तक काम करती है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है।
  6. स्वस्थ जनसंख्या में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।
  7. हृष्ट-पुष्ट नागरिक उत्पन्न होते हैं।
  8. अधिक तेज तथा अधिक कार्यक्षम होते हैं।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय जनसंख्या नीति वर्ष 2004 में घोषित की गयी।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. किशोर-किशोरियों को असुरक्षित यौन संबंधों के कुप्रभावों/कुपरिणामों के बारे में जागरूक करना।
  2. गर्भनिरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के दायरे के भीतर रखना।
  3. खाद्य संपूरक को पोषणिक सेवाएँ उपलब्ध कराना।
  4. बाल विवाह को रोकने के कानून को और अधिक कारगर बनाना।
  5. शिक्षा और स्वास्थ्य की शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार करना।
  6. किशोर-किशोरियों की पहचान जनसंख्या के उस भाग के रूप में करें जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
  7. इनकी पोषणिक आवश्यकताओं की ओर ध्यान देना।।
  8. अवांछित गर्भधारण तथा यौन संबंधों से होने वाली बीमारियों से किशोर-किशोरियों की सुरक्षा करना।
  9. किशोर-किशोरियों की अन्य आवश्यकताओं के प्रति विशेष ध्यान देना।
  10. देर से विवाह और देर से संतानोत्पत्ति को प्रोत्साहित करना।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जनसंख्या का अध्ययन करना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: किसी देश की जनसंख्या ही उस देश के संसाधनों का विकास करती है और उनका उपभोग करती है। ऐसे में किसी देश के लोगों की संख्या, उनका वितरण एवं विकास तथा गुणवत्ता पर्यावरण को समझने का मूलभूत आधार है। इसलिए जनसंख्या का अध्ययन करना महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 2. अरुणाचल प्रदेश का जनघनत्व कम क्यों है?
उत्तर: अरुणाचल प्रदेश एक पर्वतीय क्षेत्र है। यहाँ की जलवायु ठण्डी है। यहाँ कृषि तथा उद्योग भी विकसित नहीं है। इसीलिए यहाँ का जनघनत्व कम है।
प्रश्न 3. भारत में किस राज्य की साक्षरता सबसे अधिक है?
उत्तर: भारत में केरल राज्य की साक्षरता सबसे अधिक है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार केरल राज्य की साक्षरता दर 94.0% है।
प्रश्न 4. भारत के अति सघन आबादी वाले दो भागों के नाम बताइए। इनमें सघन जनसंख्या होने के दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में ऊपरी गंगाघाटी तथा मालाबार क्षेत्र में अति सघन जनसंख्या है।
सघन जनसंख्या के दो कारण इस प्रकार हैं-
  1. इन प्रदेशों में उद्योगों का अत्यधिक विकास हुआ है।
  2. इन प्रदेशों की भूमि उपजाऊ है।
प्रश्न 5. लिंगानुपात (स्त्री-पुरुष) से क्या आशय है?
उत्तर: स्त्री-पुरुष के बीच जनसंख्या के संख्यात्मक अनुपात को स्त्री-पुरुष अनुपात कहते हैं। इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 6. मृत्यु-दर के तेजी से घटने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
  1. मृत्यु-दर के तेजी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार है।
  2. शिक्षा के प्रसार से भी मृत्यु-दर में अत्यधिक कमी आयी है।
प्रश्न 7. भारत में जनसंख्या वृद्धि के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या वृद्धि के दो मुख्य कारण इस प्रकार हैं-
  1. चिकित्सा सुविधाओं के प्रसार के कारण मृत्यु-दर में तो कमी आयी है, लेकिन जन्म-दर में आशा के अनुरूप कमी नहीं आ पाई है।
  2. भारत में अधिकतर लोग निर्धन एवं अनपढ़ हैं। वे छोटे परिवारों के महत्त्व को नहीं समझते हैं। वे सन्तान को ईश्वर की कृपा समझकर गर्भ-निरोध का प्रयास नहीं करते हैं।
प्रश्न 8. जनसंख्या घनत्व का क्या अर्थ है?
उत्तर: किसी देश-प्रदेश के प्रति एक वर्ग किलोमीटर में रहने वाले लोगों की औसत जनसंख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे व्यक्ति प्रति वर्ग किमी में व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 9. भारत की लगभग आधी आबादी कितने राज्यों में निवास करती है?
उत्तर: भारत की लगभग आधी जनसंख्या इन पाँच राज्यों में निवास करती है-उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश।
प्रश्न 10. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्रियाकलापों के अंतर्गत कौन-कौन से व्यवसाय सम्मिलित हैं?
उत्तर: प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं। द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं। तृतीयक क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
प्रश्न 11. भारत सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण के क्या उपाय अपनाए गए हैं?
उत्तर: भारत सरकार ने 1952 में एक व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारंभ किया। 1975 में इंदिरा कांग्रेस सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम तथा 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने इसे परिवार कल्याण कार्यक्रम नाम रख दिया। परिवार कल्याण कार्यक्रम जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 कई वर्षों के नियोजित प्रयासों का परिणाम है।
प्रश्न 12. भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण बताइए।
उत्तर: भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं। ये भविष्य के सबसे महत्वपूर्ण मानव संसाधन हैं।
प्रश्न 13. जनसंख्या की सापेक्ष एवं निरपेक्ष वृद्धि किसे कहते हैं?
उत्तर: किसी विशेष समय के अंतराल में जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन सापेक्ष वृद्धि कहलाता है। पहले की जनसंख्या जैसे 2001 की जनसंख्या को बाद की जनसंख्या जैसे 2011 की जनसंख्या से घटाकर इसे प्राप्त किया जाता है। इसे निरपेक्ष वृद्धि कहा जाता है।
प्रश्न 14. आश्रित जनसंख्या के अंतर्गत किन-किन आयु वर्ग के लोगों को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर: आश्रित जनसंख्या के अंतर्गत बच्चों तथा वृद्ध जिनकी आयु क्रमशः 15 वर्ष से कम और 59 वर्ष से अधिक है, आयु वर्ग के लोग सम्मिलित होते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ग्रामीण जनसंख्या और नगरीय जनसंख्या में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ग्रामीण जनसंख्या और नगरीय जनसंख्या में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
नगरीय जनसंख्या:-
  1. भारत की नगरीय जनसंख्या 37.7 करोड़ है, लेकिन 35 महानगरों में 27% से अधिक नगरीय जनसंख्या रहती है।
  2. नगरीय जनसंख्या को सर्वाधिक सुविधाएँ सुलभ हैं।
  3. नगरीय जनसंख्या का जीवन स्तर सामान्यतः उच्च पाया जाता है।
  4. देश की लगभग 31.2% जनसंख्या नगरों में रहती  है।
  5. नगरीय जनसंख्या का 65 प्रतिशत भाग प्रथम श्रेणी के नगरों में रहता है। प्रथम श्रेणी के नगरों की संख्या 2929 है।
ग्रामीण जनसंख्या:-
  1. ग्रामीण जनसंख्या 83.32 करोड़ है। इसका बहुत छोटा भाग गौण व तृतीयक व्यवसाय में लगा है।
  2. ग्रामीण जनसंख्या को सार्वजनिक सेवाएँ बहुत कम सुलभ हैं।
  3. ग्रामीण जनसंख्या का जीवन स्तर सामान्यतः निम्न पाया जाता है।
  4. भारत गाँवों का देश है। देश की लगभग 68.8% जनसंख्या गाँवों में रहती है।
  5. ग्रामीण जनसंख्या अधिकतर प्राथमिक व्यवसाय में लगी होती है। जैसे कृषि करना, लकड़ी काटना, मछली पकड़ना,  पशु-पालन, खनन आदि।
प्रश्न 2.जन्म-दर और वृद्धि-दर में अंतर कीजिए।
उत्तर: जन्म-दर और वृद्धि-दर में निम्नलिखित अन्तर हैं-

वृद्धि -दर:-

  1. विकासशील देशों में वृद्धिदर सामान्य से अधिक है। विकसित देशों में वृद्धि-दर 1 प्रतिशत से कम है ।
  2. उच्च-वृद्धिदर से प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों पर भारी दबाव पड़ता है।
  3. जन्म-दर और मृत्यु-दर के अंतर को वृद्धि दर कहते हैं।
  4. वृद्धिदर को प्रतिशत में व्यक्त करते हैं।
  5. आजकल भारत की प्राकृतिक वार्षिक वृद्धि दर 21.3 प्रतिशत है।

जन्म-दर:-

  1. विकसित देशों में जन्म-दर कम होती है और विकासशील देशों में जन्म-दर अधिक होती है।
  2. उच्च जन्मदर पिछड़ेपन का प्रतीक बन गई है।
  3. किसी देश या क्षेत्र में वर्ष के मध्य जीवित जन्मे बच्चों की  संख्या को जन्म-दर कहते हैं।
  4. जन्मदरे प्रति हजार में व्यक्त की जाती है।
  5. भारत में जन्म दर 26.1 व्यक्ति प्रति हजार है।
प्रश्न 3. भारत के मैदानी भागों में सघन आबादी पाए जाने के कारण बताइए।
उत्तर: भारत के मैदानी भागों में सघन जनसंख्या पाए जाने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
  1. समतल मैदान,
  2. उपजाऊ मिट्टी,
  3. पर्याप्त मात्रा में वर्षा,
  4. सिंचाई के विकसित साधन,
  5. परिवहन के विकसित साधन,
  6. उद्योग एवं कृषि का विकास।
प्रश्न 4. भारत में राज्यवार जनसंख्या वितरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.981 करोड़ है। यहाँ भारत की कुल जनसंख्या का 16.51 प्रतिशत निवास करते हैं।
भारत की सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य सिक्किम है तथा लक्षद्वीप केन्द्रशासित प्रदेशों में सबसे कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है। सिक्किम की जनसंख्या 6 लाख, 10 हजार है जबकि लक्षद्वीप में जनसंख्या 64,429 है। भारत की जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत भाग निम्नलिखित पाँच राज्यों में निवास करता है।
  1. उत्तर प्रदेश            16.51%
  2. महाराष्ट्र                9.28%
  3. बिहार                     8.60%
  4. पश्चिम बंगाल       7.54%
  5. आंध्र प्रदेश              6.99%.
प्रश्न 5. नगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या ने न केवल नगरीय केन्द्रों में समस्याएँ पैदा की हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रभावित किया है। प्रत्येक के विषय में दो बिन्दु स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:  (क) बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण नगरीय केन्द्रों में उत्पन्न समस्यायें इस प्रकार हैं-
  1. लोगों के नैतिक मूल्यों में परिवर्तन और गिरावट।
  2. चोरबाजारी, कालाबाजारी, रिश्वत तथा लूट-पाट का बोलबाला।।
  3. नगरों के संसाधनों तथा जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ता है।
  4. आवश्यक वस्तुओं की कमी तथा उनके मूल्यों में आशातीत वृद्धि।
  5. वस्तुओं की गुणवत्ता में गिरावट आना।
(ख) नगरीय जनसंख्या में वृद्धि का ग्रामीण क्षेत्रों पर प्रभाव इस प्रकार है-
  1. रोजगार की खोज में लोगों को ग्रामीण क्षेत्र से नगरीय क्षेत्रों की ओर पलायन करना।
  2. भूमिहीन किसानों की निर्धनता में वृद्धि। 3. कृषि जोतों का अलाभकारी होना तथा छोटे किसानों के गाँव में बेकार हो जाने से उनका नगरों में जाकर मजदूरी करना।
प्रश्न 6. भारत में भूमि की उर्वरता जनसंख्या वितरण को किस प्रकार प्रभावित करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा बड़ा देश है। यहाँ की जनसंख्या वितरण बहुत असमान है। सामान्यतः जनसंख्या का वितरण भूमि की उर्वरता के अनुरूप पाया जाता है। जिन क्षेत्रों में मिट्टी अधिक उपजाऊ पाई जाती है, वहाँ जनसंख्या की सघनता अधिक मिलती है और जिन क्षेत्रों में मिट्टी कम उपजाऊ होती है, वहाँ जनसंख्या कम पाई जाती है। भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि और मिट्टी का सीधा संबंध है। हमारे भरण-पोषण की अधिकांश सामग्री प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मिट्टी से ही मिलती है।
उदाहरण के लिए उत्तरी मैदान, पूर्व तटीय मैदान, पश्चिम तटीय मैदान, डेल्टाई मैदान एवं घाटी प्रदेश सघन आबादी वाले हैं। यदि इन प्रदेशों का भी अवलोकन करें तो स्पष्ट होता है कि प्रत्येक प्रदेश में जनसंख्या का वितरण संभव नहीं है। उत्तरी मैदान में जनसंख्या पश्चिम से पूर्व की ओर घटती जाती है। हरियाणा राज्य पश्चिमी बंगाल की तुलना में कम सघन है। पश्चिमी बंगाल की मृदा बहुत उर्वरक है। पर्वतीय प्रदेश में मिट्टी की परत पतली होती है। इन क्षेत्रों में अपेक्षाकृत मिट्टी की परत मोटी और उपजाऊ होती है। अतः घाटी प्रदेशों में पर्वतीय प्रदेशों से अधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है।
प्रश्न 7. भारत में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उपाय बताइए।
उत्तर: भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को जन्मदर कम करके ही रोका जा सकता है। जन्मदर को निम्न उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है-
  1. गर्भधारण से लेकर प्रजनन प्रक्रिया से जुड़ी अनेकानेक समस्याओं का ज्ञान होने के कारण शिक्षित महिलाओं की जीवन प्रत्याशा अधिक होती है। वह अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति अधिक सजग होती है।
  2. शिक्षित महिलाओं की दृष्टि व्यापक होती है, उनकी सोच राष्ट्रीय स्तर की होने के कारण बड़े परिवार को राष्ट्रीय संसाधनों पर बोझ मानती हैं।
  3. भारत में दो बच्चों के परिवार को राष्ट्रीय आदर्श माना गया है, उसकी दृढ़ता से पालन कराया जाए।
  4. भारतीय संविधान में निर्धारित शादी की न्यूनतम आयु लड़कियों की 18 तथा लड़कों की 21 वर्ष को व्यावहारिक रूप दिया जाए।
  5. स्त्री शिक्षा पर अधिक बल दिया जाए।
  6. दो या इससे कम बच्चों वाले माता-पिता को सरकारी नियुक्तियों एवं पदोन्नतियों में प्राथमिकता दी जाए। साथ ही विशेष वेतन-वृद्धि का प्रावधान हो।
  7. परिवार कल्याण सुविधाओं का देशभर में विस्तार किया जाए।
प्रश्न 8. भारत के आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक तथा मानवीय संसाधनों का विकास आवश्यक क्यों है?
उत्तर:-
  1. प्राकृतिक संसाधनों को संपत्ति में तभी बदला जा सकता है, जब लोगों की गुणवत्ता या उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाए।
  2. देश की प्राकृतिक संपदा के पूर्ण विकास के लिए पर्याप्त संख्या, आवश्यक तकनीकी ज्ञान, पूँजी तथा लोगों का कुशल, क्रियाशील, परिश्रमी व ईमानदार होना आवश्यक है।
  3. अच्छे स्वास्थ्य एवं सुविधाओं की सुलभता भी प्राकृतिक संपदा के विकास पर निर्भर है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि देश के आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक तथा मानव दोनों ही संपदाओं का विकास साथ-साथ होना चाहिए।
  4. किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधनों और मानवीय संसाधनों पर निर्भर करता है। किसी एक के अभाव में विकास की कल्पना नहीं की जा सकती।
  5. प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की विपुलता व संपन्नता, आर्थिक प्रगति की गति तेज करती है।
  6. मानव संसाधनों द्वारा ही प्राकृतिक संपदा को अधिकाधिक मात्रा में उपयोगी वस्तुओं में बदलकर, बड़े पैमाने पर संपदा प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 9. जनसंख्या का गाँवों से नगरों की ओर पलायन क्यों हो रहा है?
उत्तर: गाँवों से नगरों की ओर जनसंख्या का तेजी से पलायन निम्न कारणों से हो रहा है-
  1. गाँवों में सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव – शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन आदि का गाँवों में अभाव है। नगरों में इन सुविधाओं को बराबर आकर्षण है।
  2. गाँवों में रोजगार के अवसरों का अभाव – गाँवों में शिक्षित और अशिक्षित युवकों के लिए रोजगार के साधनों की कमी है। शिक्षित और प्रशिक्षित युवकों के लिए गाँवों में रोजगार का और भी अभाव है। फलतः रोजगार की तलाश में गाँवों से नगरों की ओर पलायन की स्वाभाविक प्रक्रिया बन गई है। नगरों में रोजगार मिलने के बाद उनकी आश्रित संख्या भी नगरों में आकर बस जाती है।
  3. अलाभकारी जोतों का बढ़ना – छोटे और सीमांत किसान की पैतृक जोतों के बँटवारे होते रहने से उनका छिटका होना तथा भूमि का छोटा टुकड़ा हिस्से में आना, जोत को अलाभकारी बना देता है। अंततः छोटा किसान अपनी भूमि को बेचने के लिए विवश हो जाता है और काम-धंधे की तलाश में वह शहर की ओर चल पड़ता है।
 प्रश्न 10. जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर में अधिक कमी का कारण क्या है?
उत्तर: भारत में जन्म-दर एवं मृत्यु-दर दोनों ही निरंतर घट रही हैं। यह देश के विकास का प्रतीक है। लेकिन इन दोनों के घटने की दर में अंतर है। मृत्यु-दर तो तेजी से नीचे आयी है, लेकिन जन्म-दर में ह्रास मंद गति से हो रहा है। जन्म-दर की तुलना में मृत्यु-दर में अधिक कमी के निम्न कारण हैं-
  1. देश में मलेरिया, हैजा, चेचक, प्लेग जैसी महामारियों को अब नियंत्रित कर लिया गया है। नई और प्रभावशाली ओषधियों का निर्माण व उपयोग किया जा रहा है।
  2. देशभर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के अधिक प्रसार के कारण वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जन्म पर प्रत्येक बच्चे की जीवन-प्रत्याशी बढ़कर 64 वर्ष हो गई है, जो इस शताब्दी के प्रारंभ में केवल 27 वर्ष थी।
  3. मृत्यु-दर का तेजी से घटने का मुख्य कारण स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार रहा है।
  4. शिक्षा के प्रसार ने भी मृत्युदर को कम करने में सहायता की है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरुक रहते हैं।
प्रश्न 11. जनसंख्या वृद्धि किसे कहते हैं? इसे कैसे मापा जाता है?
उत्तर: जनसंख्या वृद्धि से तात्पर्य किसी क्षेत्र में निश्चित अवधि के दौरान स्हने वाले लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। ऐसे परिवर्तन को दो तरीके से व्यक्त किया जा सकता है-
  1. प्रतिवर्ष प्रतिशत वृद्धि के रूप में,
  2. सापेक्ष वृद्धि के रूप में।
प्रत्येक वर्ष या एक दशक में बढ़ी जनसंख्या, केवल संख्या में वृद्धि का परिणाम है। इसकी गणना बाद की जनसंख्या में से पहले की जनसंख्या को साधारण रूप से घटाकर की जाती है। जनसंख्या वृद्धि की दर अथवा गति का अध्ययन प्रतिशत प्रतिवर्ष में किया जाता है। इसे वार्षिक वृद्धि दर कहा जाता है। जैसे-10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर का अर्थ है कि किसी वर्ष के दौरान प्रत्येक 100 लोगों की मूल जनसंख्या में 10 लोगों की वृद्धि हुई।
प्रश्न 12. किसी देश की जनसंख्या की तीन प्रमुख श्रेणियों का वर्णन कीजिए। इनमें से कौन-सा समूह पराश्रित है?
उत्तर: आयु संरचना किसी भी देश की जनसंख्या की मूलभूत विशेषता होती है। जनसंख्या की आयु संरचना से आशय किसी देश में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से है। किसी भी देश की जनसंख्या को सामान्यतः तीन विस्तृत श्रेणियों में बांटा जा सकता है-
  1. बच्चे (सामान्यतः 15 वर्ष से कम आयु वाले)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
  2. वयस्क (15 वर्ष से 59 वर्ष)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं। यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है।
  3. वृद्ध ( 59 वर्ष से अधिक)-ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश प्राप्त हो सकते हैं। ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है। भारत में जनसंख्या संरचना-युवा 58.7%, वृद्ध 6.9%, बच्चे 34.4%। बच्चों तथा वृद्धों का प्रतिशत निर्भरता अनुपात को प्रभावित करता है क्योंकि ये समूह उत्पादनशील नहीं होते।
प्रश्न 13. भारत के लिए स्वास्थ्य का स्तर आज भी चिंता का विषय है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की है। स्वास्थ्य स्तर में भी महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ, फिर भी इस सम्बन्ध में अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
असन्तोषजनक स्वास्थ्य परिस्थितियों के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
  1. शुद्ध पीने का पानी तथा मूल स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएँ ग्रामीण जनसंख्या के केवल एक-तिहाई लोगों को उपलब्ध हैं।
  2. प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत अनुशंसित स्तर से काफी कम है तथा हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग कुपोषण से प्रभावित है।
प्रश्न 14. क्या स्त्रियों को अच्छी शिक्षा देकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर: विश्व के विकसित देशों में अशिक्षा को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है। शिक्षा का स्तर बढ़ने से स्त्री-पुरुष अनुपात एवं सन्तानोत्पत्ति को नियंत्रित करने में सहायता मिली है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्धि एक प्रतिशत से भी कम है बल्कि कुछ देशों में यह ऋणात्मक हो गयी है। यह स्थापित तथ्य है कि स्त्रियों को शिक्षित एवं जागरूक करके जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।
इसके लिए निम्न प्रयास किए जा सकते है-
  1. अच्छी शिक्षा पाने के लिए एक लंबी अवधि की आवश्यकता पड़ती है। अतः शिक्षित लड़कियों की अधिक उम्र में जाकर शादी होती है। तब तक परिवार-दायित्व का ज्ञान आसानी से हो जाता है।
  2. शिक्षित स्त्रियों को रोजगार मिल जाता है। रोजगार प्राप्त महिलाएँ अधिक बच्चे की अच्छी देख-रेख करने में अपने को असमर्थ पाती हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. केरल में जनसंख्या की स्थिति देश के अन्य राज्यों से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या के विभिन्न पक्षों-घनत्व, स्त्री-पुरुष अनुपात, क्रियाशीलता, साक्षरता, जीवन-प्रत्याशी आदि पर विचार करने पर यह स्पष्ट है कि केरल की जनसंख्या की प्रवृत्ति देश के अन्य राज्यों से निम्न कारणों से भिन्न है-
  1. जीवन – प्रत्याशा सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं एवं शिक्षा में विस्तार के कारण जीवन-प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। भारत में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा कम रही है। परंतु अब इस प्रवृत्ति में परिवर्तन आ गया है। अतः स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा पुरुषों की अपेक्षा कुछ अधिक है। जन्म के समय स्त्रियों की औसत जीवनप्रत्याशा 67.7 वर्ष तथा पुरुषों की औसत जीवन-प्रत्याशा 64.6 वर्ष थी। केरल में जीवन-प्रत्याशा अधिक है। यहाँ स्त्रियों की जीवन-प्रत्याशा 72% तथा पुरुषों की 71% है।
  2. क्रियाशीलता – भारत में बड़ी जनसंख्या आश्रितों की है। एक-तिहाई क्रियाशील जनसंख्या पर दो-तिहाई आश्रित जनसंख्या का दबाव है। सामान्यतः क्रियाशील जनसंख्या का अधिक अनुपात दुर्गम क्षेत्रों अथवा विकसित क्षेत्रों में पाया जाता है। इस दृष्टि से केरल विकसित क्षेत्रों में आता है। यहाँ अर्जक जनसंख्या का अनुपात देश के औसत अनुपात से लगभग डेढ़ गुना अधिक है।
  3. साक्षरता – मानवीय संसाधनों के विकास में शिक्षा का भारी महत्त्व है। सन् 2011 में साक्षरता का प्रतिशत 73 रहा है। मनुष्य का दीर्घ आयु होना साक्षरता का सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। साक्षरता से क्रियाशील जनसंख्या का अनुपात बढ़ता है। केरल राज्य साक्षरता में सबसे आगे है। यहाँ 2011 की जनगणना के अनुसार 94% साक्षरता पाई गई है।
  4. घनत्व – केरल में जनघनत्व (पश्चिम बंगाल को छोड़कर) सबसे अधिक है। यहाँ भारत के औसत जनघनत्व से लगभग तीन गुना जनघनत्व पाया जाता है। केरल में जनसंख्या का घनत्व 860 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। केरल में अधिक वर्षा तथा वर्षा की अवधि भी अधिक होने के कारण वर्ष में दो-तीन फसलें उगाई जाती हैं।
यहाँ के पाश्च जलों एवं तटवर्ती सागरों में भारी मात्रा में मछली पकड़ी जाती है, जिससे सघन जनसंख्या की खाद्य-आपूर्ति हो जाती है। स्त्री-पुरुष अनुपात-स्त्री-पुरुष गृहस्थ जीवन की गाड़ी के दो पहिए हैं। एक पहिए के कमजोर या उसके न होने पर गाड़ी का सही चलना संभव नहीं। संसार के प्रत्येक सभ्य समाज में स्त्री और पुरुषों की संख्या में समानता है। हमारे देश के अनेक क्षेत्रों में स्त्री-पुरुष अनुपात में बहुत अंतर मिलता है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार प्रति हजार पुरुषों पर 943 स्त्रियाँ थीं।
केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक है। यहाँ स्त्री-पुरुष अनुपात 1084 :1000 हैं। उपर्युक्त विवेचन के आधार पर स्पष्ट है कि केरल एक सघन आबाद क्षेत्र होते हुए भी मानवीय संपदा का अधिक विस्तार कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। यहाँ के लोग परिश्रमी एवं संघर्षशील हैं, ये लोग अपनी कर्तव्यनिष्ठा के आधार पर उपलब्ध प्राकृतिक संपदा का भरपूर उपयोग करते हैं।
प्रश्न 2. भारत के महानगरों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय क्यों बन गई है? इससे उत्पन्न परिणामों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: वर्ष 2011 में भारत की नगरीय जनसंख्या बढ़कर 37.7 करोड़ हो गयी है, यह कुल जनसंख्या का 27.78 प्रतिशतॆ है। भारत की नगरीय जनसंख्या का 65% प्रथम श्रेणी के नगरों में निवास करता है। भारत की एक तिहाई से भी अधिक जनसंख्या केवल 35 महानगरों में निवास करती है। यह एक चिंता का विषय है। नगरीकरण विकास का प्रतीक है। परंतु महानगरों में तीव्रता से बढ़ती जनसंख्या न केवल  महानगरों में समस्या खड़ी कर रही है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नगरों में जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के कारण, इनके वर्तमान संसाधनों तथा उपलब्ध जन सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ रहा है। कभी-कभी तो यहाँ लोगों को आवश्यक सुविधाएँ भी नहीं मिल पातीं।
महानगरों की तेजी से बढ़ती जनसंख्या के प्रमुख परिणाम इस प्रकार हैं-
  1. लिंग-अनुपात का असन्तुलित होना – रोजगार की तलाश में पहले पुरुष वर्ग नगरों की ओर जाता है। फलतः नगरों में लिंग अनुपात में बहुत अंतर पाया जाता है। इस विषम अनुपात से अनेक सामाजिक कुरीतियाँ एवं बुरी आदतें पड़ जाती हैं, जिससे सामाजिक और आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
  2. आवास की समस्या – महानगरों की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने के कारण आवास की बड़ी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अधिकतर लोग तंग, अँधेरे तथा दूषित वातावरण में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आवास की समस्या मजदूर वर्ग में तो और भी गंभीर है। झुग्गी-झोपड़ियों में और खुले आकाश के नीचे लोग अपनी रातें बिता रहे हैं।
  3. रोजगार की समस्या – रोजगार पाने के लिए गाँवों से लोग नगरों में आ रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में रोजगार के साधन नहीं बढ़ रहे हैं। अतः नगरों में रोजगार की समस्या बढ़ रही है। भिखारियों की संख्या बढ़ रही है। चोर-गिरहकटों की संख्या बढ़ रही है। लूट-पाट के मामले बढ़ रहे हैं। उपर्युक्त समस्याओं के अतिरिक्त अति नगरीकरण के कारण नगरों में पेयजल की समस्या, सफाई एवं स्वास्थ्य की समस्या, वायु प्रदूषण की समस्या, ध्वनि प्रदूषण की समस्या, शिक्षा की समस्या, आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धि की समस्या तथा परिवहन की समस्या नगरों से जुड़ गयी है।
प्रश्न 3. भारत में जनसंख्या घनत्व के वितरण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। साथ ही भारत विश्व की घनी आबादी वाले देशों में से एक है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, वहीं अरुणाचल प्रदेश का जनसंख्या घनत्व 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
पर्वतीय क्षेत्र तथा प्रतिकूल जलवायवी अवस्थाएँ इन क्षेत्रों की विरल जनसंख्या के लिए उत्तरदायी हैं। असोम एवं अधिकतर प्रायद्वीपीय राज्यों का जनसंख्या घनत्व मध्यम है। पहाड़ी, कटे-छैटे एवं पथरीले भूभाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या  घनत्व को प्रभावित करती है। उत्तर मैदानी भाग एवं दक्षिण में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पायी जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है।
प्रश्न 4. व्यावसायिक संरचना का अर्थ स्पष्ट कीजिए। विभिन्न व्यवसायों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर: जनसंख्या के वितरण को विभिन्न व्यवसायों के आधार पर वर्गीकृत करना व्यावसायिक ढाँचा कहलाता है। भारत में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक विविधता विद्यमान है।
व्यवसायों को प्रायः प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक श्रेणियों में बाँटा गया है जिसका विवरण इस प्रकार है-
  1. प्राथमिक क्रियाकलापों में कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं।
  2. द्वितीयक क्रियाकलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं।
  3. तृतीयक क्रियाकलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
भाग्त में कुल जनसंख्या का 64 प्रतिशत भाग केवल कृषि कार्य करता है। द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत लोगों की संख्या का अनुपात क्रमशः 13 तथा 20 प्रतिशत है। वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 5. बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-
  1. बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण – देश की जनसंख्या बढ़ने से विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार का प्रदूषण बढ़ रहा है जो भयंकर खतरे का संकेत दे रहा है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि के कारण जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। वनस्पति व प्राणी जगत के ह्रास के कारण पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। प्रदूषण की रोक-थाम के साथ-साथ बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाई जाए।
  2. खनिज संपदा का ह्रास – खनिज संपदा की मात्रा निश्चित है, उसे बढ़ाया नहीं जा सकता। एक बार उसका उपभोग, उतनी ही मात्रा को कम कर देता है। जनसंख्या बढ़ने से खनन काम तेजी से बढ़ रहा है। अतः खनिजों के शीघ्र ही समाप्त होने की समस्या पैदा हो गई है। आवश्यकता इस बात की है कि खनिजों का उपभोग कम किया जाए, पूरक वस्तुओं का विकास किया जाए तथा उनके संरक्षण की विधियाँ अपनाई जाएँ।
  3. मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी – भारत में प्राचीनकाल से खेती होते रहने से मृदा की उपजाऊपन की क्षमता कम हो गई है। इधर जनसंख्या के बढ़ने से वर्ष में 2-3 फसलें लेना भी आवश्यक है। यह सिंचाई के साधनों के विस्तार तथा रासायनिक उर्वरकों के भरपूर उपयोग से भी संभव है। ऐसा करने पर मृदा में क्षारीय तत्त्वों का बढ़ना तथा भूमि का जलाक्रान्त होना स्वाभाविक है। इससे मृदा का उपजाऊपन कम हो जाता है और कहीं-कहीं तो मृदा की समाप्ति भी देखी गई है। अतः इस समस्या के निदान के लिए रासायनिक खादों का वैज्ञानिक उपयोग तथा मृदा सर्वेक्षण की आवश्यकता है।
  4. वनों का तेजी से ह्रास – पेट की भूख मिटाने के लिए कृषि का विकास और विस्तार आवश्यक हो जाता है। खाद्यान्नों की माँग को पूरा करने के लिए वनों को साफ करके खेतों में बदला गया है। फलतः देश में 21 प्रतिशत से भी कम भू-भाग पर वनों का विस्तार रह गया। वनों की कमी से वर्षा से कभी बाढ़ों का आना, मृदा का अपरदन होना तथा बहुमूल्य वन संपदा के न मिलने से समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं। अतः वनों के विस्तार एवं वृक्षारोपण पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।
  5. चरागाह भूमि की कमी – भारत में पशु संपदा संसार में सर्वाधिक है। चरागाह भूमि घटते-घटते केवल 4% रह गई। फलतः पशुओं से अपेक्षित उत्पाद नहीं मिल पाते हैं। वनीय भूमि का पशुचारण के लिए उपयोग किया जा रहा है। इससे समस्या का निदान नहीं, अपितु दूसरे प्रकार की समस्या और उठ खड़ी होती है। अतः योजनाबद्ध तरीकों से चरागाह भूमि का विस्तार कर पशुपालन को सुव्यवस्थित व सुदृढ़ किया जाए।
  6. कृषि योग्य भूमि का घटना – जनसंख्या के बढ़ने से पैतृक कृषि भूमि का बँटवारा निरंतर होता चला आ रहा है। फलतः कृषि योग्य भूमि का प्रति व्यक्ति अनुपात घटकर 0.29 हेक्टेयर रह गया है। इस समस्या का एक ही हल है कि जनसंख्या की वृद्धि पर नियंत्रण किया जाए।
प्रश्न 6. भारत के सबसे अधिक तथा सबसे कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों का जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों को ध्यान में रखते हुए विवरण दीजिए।
उत्तर: भारत में जनसंख्या का वितरण असमान है। सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल जनसंख्या 121.08 करोड़ है और जनसंख्या का औसत घनत्व 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। लेकिन दिल्ली में तो घनत्व 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है तो अरुणाचल प्रदेश में 17 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। उदाहरण के लिए पश्चिमी बंगाल, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु में घनत्व 401 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी से 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी तक है। कुछ संघ राज्यों जैसे दिल्ली, चंडीगढ़, लक्षद्वीप तथा पांडिचेरी में 2547 से 11320 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक है। कहीं दूसरे राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मेघालय, नगालैण्ड, सिक्किम, मणिपुर आदि में घनत्व 17 से लेकर 128 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी ही है।
इस असमान वितरण के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं-
  1. औद्योगिक विकास – देश के जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास अधिक हुआ है, वहाँ रोजगार के अवसर तथा अन्य सुविधाएँ बढ़ जाती हैं। अतः इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व बढ़ जाता है। इसके विपरीत जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास कम हुआ है, वहाँ जनसंख्या का घनत्व कम है।
  2. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता – संसाधनों से संपन्न क्षेत्र जनसंख्या को आकर्षित करते हैं। जल, मृदा, खनिज, वन आदि देश की बहुमूल्य प्राकृतिक संपदा है। इसके लिए जनशक्ति चाहिए। दामोदर घाटी खनिज संपदा से संपन्न है। फलतः वहाँ अधिक जनसंख्या पाई जाती है। उपजाऊ मृदा क्षेत्र सघन आबाद हैं। डेल्टाई-क्षेत्र देश के सघनतम जनसंख्या वाले हैं।
  3. यातायात की सुविधाओं का विकास – जिन क्षेत्रों में नदियों, नहरों, सड़कों व रेल मार्गों का जाल है, वहाँ आवश्यक वस्तुएँ आसानी से उपलब्ध होती हैं। लोग काम के केंद्रों पर आसानी से आ-जा सकते हैं। परिवहन के साधनों के विकास से मैदानी भागों में अधिक जनसंख्या पाई जाती है। पर्वतीय, मरुस्थलीय तथा वनीय क्षेत्रों में यातायात के साधनों की कमी के कारण विरल आबाद है।
  4. स्थल का स्वरूप – भारत में पर्वत, पठार एवं मैदान तीनों ही स्थलाकृतियाँ विस्तृत क्षेत्र में फैली हैं। देश की अधिकांश जनसंख्या मैदानी भागों में रहती है, क्योंकि मैदानी भाग में कृषि करना आसान व लाभदायक है, जिससे अधिक लोगों का जीवन निर्वाह होता है। मैदानों में जनसंख्या के वितरण में भी असमानता है। अधिक उपजाऊ मैदानी भागों में अधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है।
  5. जलवायु – अधिक गर्म व शुष्क भागों में जनसंख्या कम पाई जाती है। अधिक ठंडे प्रदेश भी विरल जनसंख्या वाले हैं। राजस्थान का पश्चिमी भाग तथा हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। देश के समजलवायु वाले क्षेत्रों तथा उष्ण आई भागों में सघन जनसंख्या  पाई जाती है। पश्चिमी बंगाल और केरल क्रमशः सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।
प्रश्न 7. भारतीय जनसंख्या से संबंधित पाँच समस्याएँ नीचे दी गई हैं। प्रत्येक समस्या का एक दुष्परिणाम और प्रत्येक समस्या का एक व्यवहारिक समाधान लिखो।
  1. उच्च जनघनत्व
  2. असंतुलित लिंग-अनुपात
  3. सभी को स्वास्थ्य-सुविधाओं को अभाव
  4. बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण संबंधी समस्या
  5. स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी।
उत्तर:
1.    उच्च जनघनत्व
  1. दुष्परिणाम : जनघनत्व से प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ता है तथा पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
  2. समाधान : नए उद्योगों की स्थापना करके रोजगार के नए अवसरों का सृजन करना होगा। अधिक जन-घनत्व वाले क्षेत्रों से कम जनघनत्व वाले क्षेत्रों की ओर उद्योगों तथा कार्यालयों को स्थानान्तरित करना होगा।
2.    असंतुलित लिंग-अनुपात
  1. दुष्परिणाम : स्त्रियों के प्रति दुर्व्यवहार तथा समाज में स्त्रियों के प्रति प्रतिकूल दृष्टिकोण।
  2. समाधान : स्त्रियों में शिक्षा का प्रसार करके उनके हितों की रक्षा करना।
3.    सभी को स्वास्थ्य-सुविधाओं का अभाव
  1. दुष्परिणाम : प्रति व्यक्ति समुचित स्वास्थ्य-सुविधाओं के न मिलने के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव।
  2. समाधान : स्त्री-बच्चों सहित सबके लिए एकीकृत स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराना।
4.    बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण संबंधी समस्या
  1. दुष्परिणाम : वायु जल तथा ध्वनि प्रदूषण की समस्या।
  2. समाधान : पर्यावरण के संरक्षण के लिए लोगों में जागृति उत्पन्न करना।
5.    स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी
  1. दुष्परिणाम : स्त्रियों में आर्थिक भागीदारी का बहुत कम होना।
  2. समाधान : शिक्षा के अवसर प्रदान करके स्त्रियों की आर्थिक भागीदारी बढ़ाना।
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Class 9th Social Science (Geography) Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

प्रश्न 1. वैकल्पिक प्रश्न-
(i) रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?
(क) टुंड्रा
(ख) हिमालय
(ग) मैंग्रोव
(घ) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन
 (ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?
(क) 100 सेमी
(ख) 70 सेमी
(ग) 50 सेमी
(घ) 50 सेमी से कम वर्षा
(iii) सिमलीपाल जीवमण्डल निचय कौन से राज्य में स्थित है?
(क) पंजाब
(ख) दिल्ली
(ग) ओडिशा
(घ) पश्चिम बंगाल
(iv) भारत में कौन-से जीवमण्डल निचय विश्व के जीवमण्डल निचयों के लिए गए हैं?
(क) मानस
(ख) मन्नार की खाड़ी
(ग) नीलगिरि
(घ) नंदादेवी
उत्तर:-
(i) (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
(ii) (क) 100 सेमी
(iii) (ग) ओडिशा
(iv)(घ) नंदा देवी।
प्रश्न 2. संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न -
  1. पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं?
  2. भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?
  3. जीवमण्डल निचय से क्या अभिप्राय है? कोई दो उदाहरण दो।
  4. कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।
उत्तर:-
  1. किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से आपस में संबंधित होते हैं। और एक पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र भौतिक पर्यावरण एवं इसमें निवास करने वाले जीव-जन्तुओं की पारस्परिक निर्भरता का तंत्र है। मनुष्य भी इस पारिस्थितिक तंत्र का अभिन्न अंग है। मनुष्य वनस्पति एवं वन्य जीवों का उपयोग करता है।
  2. भारत में पादपों एवं जीवों के वितरण को निर्धारित करने वाले तत्त्व इस प्रकार हैं-जलवायु, मृदा, उच्चावच, अपवाह, तापमान, सूर्य का प्रकाश, वर्षण आदि।
  3. जीवमण्डल निचय - जैवविविधता को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए स्थापित क्षेत्रों को जीवमण्डल निचय कहते है। एक संरक्षित जीवमण्डल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल इसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है। उदाहरण, नीलगिरी, सुंदरबन।
  4.  
  1. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन-लंगूर, बंदर, हाथी।।
  2. पर्वतीय वनस्पति-घने बालों वाली भेड़, लाल पांडा, आइवेक्स।
 प्रश्न 3. निम्नलिखित में अंतर कीजिए-
  1. वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।
  2. सदाबहार और पर्णपाती वन।।
उत्तर: (i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत में अंतर-
प्राणी जगत:-

  1. भोजन की आदत के आधार पर प्राणियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-1. शाकाहारी जीव,2. मांसाहारी जीव।
  2. कुछ वन्यप्राणी विलुप्त होने की स्थिति में हैं, उनके संरक्षण के लिए विशेष प्रयत्न किए जा रहे हैं।
  3. सूक्ष्म जीवाणु से लेकर विशालकाय ह्वेल तथा हाथी जीवों की श्रेणी प्राणी जगत कहलाती है।
  4. प्राणियों को तीन वर्गों में बाँटा गया है-(i) थल-चर, (ii) जल-चर, (iii) नभ-चर।
  5. हमारे देश के प्राणियों में भी विविधता पाई जाती है। यहाँ लगभग 89,000 जातियों के जीव-जन्तु पाए जाते हैं।
  6. 2,500 जातियों की मछलियाँ तथा 2,000 जातियाँ पक्षियों की पाई जाती हैं।
वनस्पति जगत:-
  1. पौधों को दो वर्गों-फूल वाले पौधे तथा बिना फूल वाले पौधे के रूप में बाँटा जाता है।
  2. हमारे देश में विविध प्रकार की वनस्पति मिलती है। यहाँ  उष्ण कटिबंधीय वनस्पति से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक के दर्शन होते हैं।
  3. किसी प्रदेश या क्षेत्र में स्वतः ही पैदा होने वाले हरित स्वरूप को वनस्पति जगत कहते हैं।
  4. प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, झाड़ियों तथा घास भूमियों को शामिल किया जाता है।
  5. भारत में पौधों की 47,000 प्रकार की जातियाँ पाई जाती  हैं।
  6. पौधों की 5,000 जातियाँ तो ऐसी हैं जो केवल भारत में  पाई जाती हैं।
(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन में अन्तर-
पर्णपाती वन:-
  1. इन वनों में बहुत से पक्षी, छिपकली, सांप, कछुए आदि पाए जाते हैं।
  2. ये वन भारत के पूर्वी भागों, उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालय के पास की पहाड़ियों, झारखंड, पश्चिम ओडिशा, छत्तीसगढ़ तथा पूर्वी घाट के पूर्वी ढलानों, मध्य प्रदेश तथा बिहार में पाए जाते हैं।
  3. इन वनों में पाए जाने वाले पेड़ों में सागोन, बाँस,साल, शीशम, चंदन, खैर, नीम आदि प्रमुख हैं।
  4. ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 70 से 200 सेमी के बीच होती है।
  5. इने वनों में पौधे अपने पत्ते शुष्क गर्मी के मौसम में 6 से 8 सप्ताह के लिए गिरा देते हैं।
  6. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले पशुओं में शेर और बाघ हैं।
सदाबहार वन:-
  1. इन वनों में बहुत से पक्षी, चमगादड़, बिच्छु एवं घोंघे आदि पाए जाते हैं।
  2. ये वन पश्चिमी घाट के ढलानों, लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार, असम के ऊपरी भागों, तटीय तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल, ओडिशा एवं भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में पाए जाते हैं।
  3. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले वृक्षों में आबनूस, महोगनी, रोजवुड आदि हैं।
  4. ये उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेमी  या इससे अधिक होती है।
  5. इन वनों में पौधे अपने पत्ते वर्ष के अलग-अलग महीनों में  गिराते हैं जिससे ये पूरे वर्ष हरे-भरे नजर आते हैं।
  6. इन वनों में प्रायः पाये जाने वाले पशुओं में हाथी, बंदर, लैमूर, एक सींग वाले गैंडे और हिरण हैं।
प्रश्न 4. भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर: भारत में पायी जाने वाली प्रमुख वनस्पतियाँ इस प्रकार हैं-

  1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन,
  2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन,
  3. उष्ण कटिबन्धीय कैंटीले वन तथा झाड़ियाँ,
  4. पर्वतीय वन,
  5. मैंग्रोव वन।
इन वनों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
  1. पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस प्रकार का अंतर हम उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों से टुंड्रा की ओर देखते हैं उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ-साथ देखने को मिलता है।
  2. 1000 मी से 2000 मी तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में आई शीतोष्ण कटिबंधीय वन पाए जाते हैं। इनमें चौड़ी पत्ती वाले ओक तथा चेस्टनट जैसे वृक्षों की प्रधानता होती है।
  3. 1500 से 3000 मी की ऊँचाई के बीच शंकुधारी वृक्ष जैसे चीड़, देवदार, सिल्वर-फर, स्पूस, सीडर आदि पाए जाते हैं।
  4. ये वन प्रायः हिमालय की दक्षिणी ढलानों, दक्षिण और उत्तर-पूर्व भारत के अधिक ऊँचाई वाले भागों में पाए जाते हैं।
  5. अधिक ऊँचाई पर प्रायः शीतोष्ण कटिबंधीय घास के मैदान पाए जाते हैं। प्रायः 3600 मी से अधिक ऊँचाई पर शीतोष्ण कटिबंधीय वनों तथा घास के मैदानों का स्थान अल्पाइन वनस्पति ले लेती है। सिल्वर-फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं।
प्रश्न 5. भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं, उदाहरण सहित कारण दीजिए।
उत्तर: भारत में बड़ी संख्या में जीव एवं पादप प्रजातियाँ संकटापन्न हैं। लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ भारत में संकट में हैं जबकि 20 पादप प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। बहुत बड़ी संख्या में पादप और जीव प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के निम्नलिखित कारण हैं-
  1. कृषि, उद्योग एवं आवास हेतु वनों की तेजी से कटाई।
  2. विदेशी प्रजातियों का भारत में प्रवेश।
  3. व्यापारियों द्वारा अपने व्यवसाय के विकास के लिए जंगली जानवरों का बड़े पैमाने पर अवैध शिकार।
  4. रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थों तथा तेजाबी जमाव के कारण जीवों की मृत्य।
वास्तव में मानव द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ तथा पेड़-पौधों एवं जीवों के अत्यधिक दोहन से पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ गया है। इसी कारण पेड़-पौधों तथा वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
प्रश्न 6. भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?
उत्तर: भारत में लगभग प्रकृति की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं जैसे-पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार, सागरीय तट, सदानीरा नदियाँ, द्वीप एवं मीठे तथा खारे पानी की झीलें। ये सभी कारक भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की वृद्धि एवं विकास : के लिए अजैविक विविधता के लिए अनुकूल हैं। विश्व की कुल जैवविविधता का 12 प्रतिशत भारत में पाया जाता है। भारत में लगभग 47,000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15,000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधे का 6 प्रतिशत है। इस देश में बहुत से बिना फूलों के पौधे हैं जैसे फर्न, शैवाल (एलेगी) तथा कवक (फंजाई) भी पाए जाते हैं।
भारत में लगभग 89,000 जातियों के जानवर तथा ताजे और समुद्री पानी की विभिन्न प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मृदा, आर्द्रता एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का वातावरण पाया जाता है। पूरे देश में वर्षा का वितरण भी असमान है। वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियाँ एवं विभिन्न प्रकार की मृदा चाहिए होती है। इसलिए भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी है।

मानचित्र कौशल

प्रश्न 1. भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाएँ और अंकित करें-
1.    उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन
2.    उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
3.    दो जीवमण्डल निचय भारत के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी भागों में।

उत्तर:





परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
  1. अपने पड़ोस में पाए जाने वाले कुछ ओषधि पादप का पता लगाएँ।
  2. किन्हीं दस व्यवसायों के नाम ज्ञात करो जिन्हें जंगल और जंगली जानवरों से कच्चा माल प्राप्त होता है।
  3. वन्य प्राणियों का महत्त्व बताते हुए एक पद्यांश या गद्यांश लिखिए।
  4. वृक्षों का महत्त्व बताते हुए एक नुक्कड़ नाटक की रचना करो और उसका अपने गली-मुहल्ले में मंचन करो।
  5. अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के जन्मदिन पर किसी भी पौधे को लगाइए और देखिए कि वह कैसे बड़ा होता है और किस मौसम में जल्दी बढ़ता है?
उत्तर:-
  1. अर्जुन, तुलसी, मरबा, करी पत्ता, नीम, जामुन, कीकर आदि।
  2. लकड़ी व्यवसाय, फर्नीचर, कागज, लाख, गोंद, भवन निर्माण, जूते, चमड़े का सामान, सींग, खास, ब्रुस आदि।
  3. यह कार्य स्वयं करें।
  4. विद्यार्थी स्वयं करें।
  5. विद्यार्थी स्वयं करें।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में कैंटीले वन पाए जाने के दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत के उत्तरी पश्चिमी भाग में कॅटीले वन पाए जाने के कारण इस प्रकार हैं-
  1. यह प्रदेश मरुस्थलीय है और यहाँ की मिट्टी रेतीली है।
  2. इस प्रदेश में वर्षा बहुत कम होती है।
प्रश्न 2. कॅटीले वन में कौन-कौन से वृक्ष और जानवर पाए जाते हैं?
उत्तर: कॅटीले वनों में खजूर, अकासिया, नागफनी, यूफोरबिया, कीकर, खैर, बबूल आदि वृक्ष पाए जाते हैं। इन वनों में प्रायः चूहे, लोमड़ी, खरगोश, शेर, सिंह, भेड़िए, घोड़े, जंगली गधा तथा ऊँट पाए जाते हैं।
प्रश्न 3. मैंग्रोव वनों में पाए जाने वाले वृक्ष और जानवरों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: मैंग्रोव वन में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं जिनसे मजबूत लकड़ी प्राप्त होती है। नारियल, ताड़, क्योड़ा, ऐंगार के वृक्ष भी इन भागों में पाए जाते हैं। इस क्षेत्र का रॉयल बंगाल टाइगर प्रसिद्ध जानवर है। इसके अतिरिक्त कछुए, मगरमच्छ, घड़ियाल एवं कई प्रकार के साँप भी इन जंगलों में मिलते हैं।
प्रश्न 4. उष्ण कटिबंधीय वन क्यों पूरे भारत वर्ष में पाए जाते हैं?
उत्तर: उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन पूरे भारत में इसलिए पाए जाते हैं क्योंकि उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन, मानसूनी वन के विशिष्ट वन हैं और भारत में भी मानसूनी जलवायु पायी जाती है।
प्रश्न 5. भारत में शेर व बाघ कहाँ पाए जाते हैं?
उत्तर: भारतीय शेरों को प्राकृतिक वास स्थल गुजरात में गिर जंगल है। बाघ मध्य प्रदेश तथा झारखंड के वनों, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन तथा हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
प्रश्न 6. उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: उष्ण कटिबंधीय वर्षा वनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. ये सदैव हरे-भरे रहते हैं। ये किसी ऋतु विशेष में अपनी पत्तियाँ नहीं गिराते हैं।
  2. ये वन 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भली-भाँति पनपते हैं।
प्रश्न 7. स्पष्ट कीजिए कि भारत एक जैवविविधता वाला देश है?
उत्तर: भारत विश्व के मुख्य 12 जैवविविधता वाले देशों में से एक है। लगभग 47000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15000 फूलों के पौधे हैं जोकि विश्व में फूलों के पौधों का 6 प्रतिशत है। भारत में लगभग 89000 जातियों के जानवर तथा विभिन्न प्रकार की मछलियाँ, ताजे तथा समुद्री पानी की पाई जाती हैं।
प्रश्न 8. भारत में पाए जाने वाले कँटीले वनों की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: भारत में पाए जाने वाले कॅटीले वनों की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. इन वृक्षों के वृक्ष छितरे होते हैं।
  2. इन वृक्षों की जड़े लम्बी होती हैं जो अरीय आकृति में फैली होती हैं।
प्रश्न 9. देशज और विदेशज पौधों में अंतर बताइए।
उत्तर: वह वनस्पति जो कि मूलरूप से भारतीय है उसे देशज’ पौधे कहते हैं लेकिन जो पौधे भारत के बाहर से आए हैं उन्हें विदेशज पौधे कहते हैं।
प्रश्न 10. प्रवासी पक्षियों के बारे में बताइए।
उत्तर: भारत के कुछ दलदली भाग प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध हैं। शीत ऋतु में साइबेरियन सारस बहुत संख्या में आते हैं। इन पक्षियों का एक मनपसंद स्थान कच्छ का रन है। जिस स्थान पर मरुभूमि समुद्र से मिलती है वहाँ लाल सुंदर कलंगी वाली फ्लैमिगोए हजारों की संख्या में आती हैं और खारे कीचड़ के ढेर बनाकर उनमें घोंसले बनाती हैं और बच्चों को पालती हैं। देश में अनेकों दर्शनीय दृश्यों में से यह भी एक है।
प्रश्न 11. ज्वारीय वनों की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: ज्वारीय वनों की दो विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
  1. सुंदरी नामक वृक्ष इस वन का प्रमुख वृक्ष है।
  2. ज्वारीय वन खारे और ताजे पानी दोनों में पनप सकते हैं।
प्रश्न 12. भारत के दो संकटापन्न वन्यजीवों के नाम बताइए तथा जीव आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के दो उद्देश्य बताइए।
उत्तर: बाघ एवं गैंडा भारत के दो संकटापन्न जीव हैं।
जीव आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने के दो उद्देश्य हैं-
  1. पेड़-पौधों की प्रजातियों की रक्षा करना।
  2. वन्य प्राणियों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाना।
प्रश्न 13. पारिस्थितिकी तंत्र के असंतुलित होने को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर: मनुष्यों द्वारा पादपों और जीवों के अत्यधिक उपयोग के कारण पारिस्थितिक तन्त्र असंतुलित हो गया है। उदाहरणस्वरूप लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ संकट में हैं तथा 20 प्रजातियाँ विनष्ट हो चुकी हैं। काफी वन्य जीवन प्रजातियाँ भी संकट में हैं और कुछ विनष्ट हो चुकी हैं।
प्रश्न 14. पारिस्थितिकी तंत्र के असन्तुलन का प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर: पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन का मुख्य कारण लालची व्यापारियों का अपने व्यवसाय के लिए अत्यधिक शिकार करना है। रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट तथा तेजाबी जमाव के कारण प्रदूषण, विदेशी प्रजातियों का प्रवेश, कृषि तथा निवास के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई पारिस्थितिक तंत्र के असंतुलन के कारण हैं।
प्रश्न 15.मकाक किस वन्यप्राणी की प्रजाति है? इसकी विशेषता भी बताइए।
उत्तर: मकाक बंदर की एक प्रजाति है। इसके मुँह पर चारों ओर बाल उगे होते हैं जो एक आभामण्डल जैसा दिखायी देता है।
प्रश्न 16. पारिस्थितिकी तंत्र को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:पृथ्वी पर एक जीव दूसरे जीव से अंतर्संबंधित है, एक के बिना दूसरे की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसे पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं।
प्रश्न 17.प्राकृतिक वनस्पति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ है वनस्पति का वह भाग जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है और लंबे समय तक उस पर मानवी प्रभाव नहीं पड़ता।
प्रश्न 18. जीवमण्डल निचय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:एक संरक्षित जीवमण्डल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल उसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है।
प्रश्न 19. राष्ट्रीय उद्यान किसे कहते हैं?
उत्तर:राष्ट्रीय उद्यान से आशय उन सुरक्षित स्थलों से है जहाँ पर जानवरों को उनकी नस्ले सुरक्षित रखने के लिए रखा जाता है। कार्बेट नेशनल पार्क और काजीरंगा नेशनल पार्क इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रश्न 20.वन्य प्राणियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तर:
  1. भारत में विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु पाए जाते हैं। उनकी देखभाल न होने से जीवों की कई जातियाँ या तो लुप्त हो गयीं या विलुप्ति के कगार पर हैं। इन जीवों के महत्त्व को देखते हुए अब इनका संरक्षण आवश्यक हो गया है।
  2. पारिस्थितिकी संतुलन में भी वन्य प्राणियों का अत्यधिक महत्त्व है। अतः इनका संरक्षण आवश्यक है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.वनों के क्षेत्र को बढ़ाना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: भारत में वनों को बढ़ाना निम्न कारणों से आवश्यक है-
  1. वन वन्य प्राणियों को संरक्षण प्रदान करते हैं।
  2. वन अकाल की स्थिति से देश को बचाते हैं।
  3. वनों से मरुस्थल का विस्तार होने पर प्रतिबंध लगता है तथा मृदा अपरदन रुकता है।
  4. वन वायुमंडल से नमी आकर्षित कर वर्षा कराने में सहायक हैं।
  5. भारत में वनों का कुल क्षेत्र (22.5%) है जो वांछनीय सीमा (33.3%) से बहुत कम है।
  6. पारितंत्र को बनाए रखने के लिए तथा कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में वांछनीय मात्रा तक रखने के लिए वनों का विस्तार अधिक क्षेत्र पर चाहिए।
प्रश्न 2.उन प्रमुख वनस्पति प्रदेशों के नाम लिखिए जिनसे आबनूस और सुंदरी वृक्ष संबंधित हैं। उन दो राज्यों के नाम लिखिए जहाँ हाथी पाए जाते हैं। प्राचीन जलोढ़क (बांगर) की दो विशेषताएँ दीजिए।
उत्तर: दो वनस्पतियों के नाम-
  1. आबनूस-उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन।
  2. सुंदरी – ज्वारीय वन।
दो राज्यों के नाम जहाँ हाथी पाये जाते हैं-
  1. पश्चिमी बंगाल तथा
  2. केरल
प्राचीन जलोढ़क (बांगर) की दो विशेषताएँ-
  1. प्राचीन जलोढ़क उस क्षेत्र में मिलती है जहाँ अब बाढ़ का पानी नहीं पहुँचता।
  2. यह कम उपजाऊ होती है।
प्रश्न 3.उन प्रमुख वनस्पति प्रदेशों के नाम लिखिए जिनसे साल तथा रोजवुड वृक्ष संबंधित हैं। एक सींग वाले गैंडे कहाँ पाए जाते हैं? दो क्षेत्रों के नाम बताइए। नवीन जलोढ़क (खादर) की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
वृक्ष  -         वनस्पति के प्रकार
साल -         उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
रोजवुड -     उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन।
एक सींग वाले गैंडे निम्नलिखित क्षेत्रों में पाए जाते हैं-
  1. काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क,
  2. मानस राष्ट्रीय पार्क।
नवीन जलोढ़क की विशेषताएँ-
  1. नवीन जलोढ़क प्रतिवर्ष बाढ़ के समय प्राप्त होती है।
  2. यह बांगर की अपेक्षा अधिक उपजाऊ होती है।
  3. इसमें सिंचाई के बिना भी साक् सब्जियों की खेती की जाती है।
प्रश्न 4. पारितंत्र के संरक्षण के तीन उपाय लिखिए।
उत्तर: पारितंत्र के संरक्षण के तीन उपाय इस प्रकार हैं-
  1. हर प्रकार के प्रदूषण जैसे-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण को रोका जाए। उपर्युक्त उपायों में सरकार के साथ मानवीय प्रयासों का विशेष महत्त्व है। उनको अपने पारितंत्र के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण | भूमिका निभानी है।
  2. जंगली जीवों तथा वन-संपदा के शिकार तथा काटने पर प्रतिबंध लगाया जाए।
  3. मृदा अपरदन पर रोक लगाई जाए।
प्रश्न 5.ज्वारीय वनों की तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
  1. ज्वारीय क्षेत्र में मिलने के कारण इन वनों को ज्वारीय वन कहा जाता है। ज्वारीय वन सुंदरी नामक वृक्षों के लिए प्रसिद्ध हैं। अतः इन वनों को सुंदरी वन भी कहा जाता है। सुंदरी, ताड़, गरान (मैंग्रोव) आदि इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं। ऐसे वन गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी और महानदी के डेल्टा प्रदेशों में मिलते हैं। व्यापारिक दृष्टि से इन वनों का विशेष महत्त्व है।
  2. ये वन तट के सहारे नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में पाए जाते हैं।
  3. ज्वारीय क्षेत्र में मीठे व ताजे जल का मिलन होता है। अतः इन वनों के वृक्षों में, ऐसे जल में पनपने की क्षमता होती है।
 प्रश्न 6. गंगा-ब्रह्मपुत्र के डेल्टा में ज्वारीय वन क्यों पाए जाते हैं? इन वनों की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: गंगा और ब्रह्मपुत्र के डेल्टा प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनों की भाँति ज्वारीय वन पाए जाते हैं।
ज्वारीय वनों की विशेषताएँ-
  1. ज्वारीय क्षेत्र में ताजे पानी एवं खारे पानी की सुलभता निरंतर बनी रहती है।
  2. डेल्टाई क्षेत्र में मृदा की उर्वरता वनों को और अधिक सघन बनाने और समृद्ध करने में सहायक होती है। इन वृक्षों की नीचे की डालियाँ भूमि में पहुँचकर जड़ों का रूप धारण कर लेती हैं। इससे सघनता और बाढ़ जाती है।
प्रश्न 7. सदाबहार वन पश्चिमी घाटों के पश्चिमी ढालों पर क्यों पाए जाते हैं? दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में सदाबहार वन पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल पर पाए जाते हैं। क्योंकि-
  1. यहाँ 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
  2. यहाँ वर्षभर उच्च तापमान पाया जाता है। वर्षा की अधिकता एवं उच्च तापमान के कारण पश्चिमी घाट में पश्चिमी ढालों पर सदाबहार वन पाए जाते हैं।
प्रश्न 8.भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में कैंटीले वन क्यों पाए जाते हैं? दो कारण बताइए।
उत्तर: भारत में कॅटीले वन उत्तर-पश्चिमी भागों में ही सीमित हैं। यहाँ इनके पाए जाने के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-
  1. जहाँ 75 सेमी से कम वर्षा होती है, साथ ही वार्षिक और दैनिक तापांतर अधिक पाया जाता है।
  2. ये वन कॅटीले इसलिए हैं, जिससे ये पशुओं से तथा मनुष्यों से अपनी रक्षा कर सकें। इन वनों के वृक्षों की किस्में सीमित होती हैं। कीकर, बबूल, खैर और खजूर इन वनों के उपयोगी वृक्ष हैं। इनकी जड़े लंबी और अरीय आकृति में फैली होती हैं।
प्रश्न 9. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन शुष्क ऋतु में अपनी पत्तियाँ क्यों गिरा देते हैं?
उत्तर: उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन सामान्यतः 75 सेमी से 200 सेमी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। वर्षा भी 4 महीनों तक ही सीमित रहती है। शुष्क ऋतु के प्रारंभ होते ही पर्णपाती वनों में वृक्ष अपनी पत्तियाँ गिराना प्रारंभ कर देते हैं, जिससे लंबी और शुष्क ऋतु को सहन करने की क्षमता उनमें रहे और वे अपने को जीवित रख सकें। ये शुष्क, ऋतु में 6 से लेकर 8 सप्ताह तक अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। प्रत्येक जाति के वृक्षों के पतझड़ का समय अलग-अलग होता है।
प्रश्न 10. वन्य प्राणियों की लुप्त होने वाली जातियों के संरक्षण के लिए क्या-क्या उपाय किए जा रहे हैं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर: भारत में वन्य प्राणियों की लुप्त होने वाली जातियों के संरक्षण हेतु अपनाए गए उपाय इस प्रकार हैं-
  1. विभिन्न वन्य प्राणियों की संख्या की गणना समय-समय पर की जाती है जिससे उनके घटने या बढ़ने की जानकारी प्राप्त की जा सके तथा उपचारिक कदम उठाए जा सकें।
  2. लुप्त होने वाली जातियों का पता लगाकर उनके संरक्षण के लिए विशेष आंदोलन चलाए गए हैं जैसे प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट रिनौ, प्रोजेक्ट बस्टारड आदि।
  3. जीव आरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की जा रही है, जिससे वन्य प्राणियों को सुरक्षित अगली पीढ़ी को सौंपा जा सके।
प्रश्न 11. पश्चिमी राजस्थान में मिट्टी और प्राकृतिक वनस्पति के संरक्षण के दो उपाय सुझाइए।
उत्तर: पश्चिमी राजस्थान वर्षा के अभाव में पूर्णतः मरुस्थल है। मरुस्थलों में पवन मृदा को स्थानांतरित करती रहती है।
  1. मिट्टी को पवन के प्रहार से बचाने का एकमात्र उपाय है कि इन क्षेत्रों में पानी पहुँचाया जाए। पानी के पहुँचने से वनस्पति एवं कृषि फसलों का साम्राज्य बन जाएगा और पवन का प्रहार प्रभावहीन हो जाएगा।
  2. प्राकृतिक वनस्पति का यहाँ लगभग अभाव उसे बनाए रखने के लिए पशुओं से उसे बचाकर रखने की आवश्यकता
 प्रश्न 12. वनों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: नवीनीकरण, संसाधन वन वातावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता को बनाए रखने और उसमें वृद्धि करने में वन महत्त्वपूर्ण वन भूमिका निभाते हैं।
निम्नलिखित कारणों से वन महत्त्वपूर्ण हैं-
  1. ये पवन तथा तापमान को नियंत्रित करते हैं और वर्षा लाने में भी सहायता करते हैं।
  2. इनसे मृदा को जीवाश्म मिलता है और वन्य प्राणियों को आश्रय।
  3. ये विभिन्न उपभोक्ता सामग्री जैसे जलावन, ओषधि तथा जड़ी बूटियाँ उपलब्ध कराते हैं।
  4. ये कई समुदायों को जीविका प्रदान करते हैं।
  5. ये हमारे वातावरण की वायु प्रदूषण से रक्षा करने में सहायता करते हैं।
  6. वन स्थानीय वातावरण को बदल देते हैं।
  7. ये मृदा अपरदन को नियंत्रित करते हैं।
  8. ये नदियों के प्रवाह को रोकते हैं।
  9. ये बहुत सारे उद्योगों के आधार हैं।
  10. ये मनुष्य को जड़ी-बूटी व ओषधियाँ उपलब्ध कराते हैं तथा उन्हें स्वयं को कई बीमारियों से सुरक्षित रखने में सहायता करते हैं।
प्रश्न 13. घनस्पति एवं प्राणी जगत की सुरक्षा क्यों आवश्यक है?
उत्तर:निम्नलिखित कारणों से वनस्पति एवं प्राणी जगत की सुरक्षा करना आवश्यक है-
  1. पौधे हमें भोजन, आश्रय तथा अन्य कई लाभदायक चीजें प्रदान करते हैं। औषधीय पादप जैसे सर्पगंधा व जामुन मानव जाति के लिए अत्यधिक महत्त्व के हैं।
  2. प्रत्येक प्रजाति पारिस्थितिक तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अतः उनका संरक्षण अति आवश्यक है।
  3. पालतू पशु हमें दूध उपलब्ध कराते हैं। वे हमें मांस, अंडे, मछली आदि भी उपलब्ध कराते हैं तथा परिवहन में सहायता करते हैं।
  4. कीट पतंगे हमारी फसलों तथा फलदार पौधों के परागण में सहायता करते हैं तथा हानिकारक कीटों पर जैविक नियंत्रण करने में सहायक हैं।
प्रश्न 14. पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए। पारिस्थितिकी तंत्र के अंगों तथा उनकी परस्पर निर्भरता के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर: किसी क्षेत्र विशेष के समस्त पेड़-पौधे एवं जीव-जन्तु उनके भौतिक वातावरण में परस्पर निर्भर तथा एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। इस प्रकार एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। इस प्रकार पारिस्थितिकी तंत्र पारस्परिक निर्भरता से निर्मित भौतिक वातावरण एवं उसमें रहने वाले जीवों का तंत्र है।
पौधे, प्राणी, मनुष्य तथा वातावरण पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न अंग हैं।पौधे पृथ्वी का प्रमुख प्राकृतिक अंग हैं जो सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन बना सकते हैं। पौधे किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों की रीढ़ हैं। किसी क्षेत्र के पादपों की प्रकृति काफी हद तक उस क्षेत्र के प्राणी जीवन को प्रभावित करती है। जब वनस्पति बदल जाती है तो प्राणी जीवन भी बदल जाता है। मानव भी पारिस्थितिक तंत्र का एक अभिन्न अंग है। वे वनस्पति तथा वन्य जीवन का उपभोग करते हैं। किसी भी क्षेत्र के पादप तथा प्राणी आपस में तथा अपने भौतिक पर्यावरण से अंतर्संबंधित होते हैं।

दीर्घ उतरीय प्रश्न

प्रश्न 1.भारत में प्रयुक्त होने वाले कुछ औषधीय पादपों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए। ये औषधीय पादप किन रोगों का उपचार करते हैं?
उत्तर: भारत में प्रयोग में लाए जाने वाले औषधीय पादपों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
  1. कचनार : फोड़ा (अल्सर) व दमा रोगों के लिए प्रयोग होता है। इस पौधे की जड़ और कली पाचन शक्ति में सहायता करती है।
  2. अर्जुन : ताजे पत्तों को निकाला हुआ रस कान के दर्द के इलाज में सहायता करता है। यह रक्तचाप की नियमितता के लिए भी लाभदायक है।
  3. बबूल : इसके पत्ते आँख की फुसी के लिए लाभदायक हैं। इससे प्राप्त गोंद का प्रयोग शारीरिक शक्ति की वृद्धि के लिए होता है।
  4. नीम : जैव और जीवाणु प्रतिरोधक है।
  5. तुलसी पादप : जुकाम और खाँसी की दवा में इसका प्रयोग होता है।
  6. सर्पगंधा : यह रक्तचाप के निदान के लिए प्रयोग होता है।
  7. जामुन : पके हुए फल से सिरका बनाया जाता है जो कि वायुसारी और मूत्रवर्धक है और इसमें पाचन शक्ति के भी गुण हैं। बीज का बनाया हुआ पाउडर मधुमेह रोग में सहायता करता है।
 प्रश्न 2. भारत में वन्य जीवन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर: भारत प्राणी संपत्ति में एक सम्पन्न देश है। भारत में उच्चावच, वर्षण तथा तापमान आदि में भिन्नता के कारण जैव एवं वानस्पतिक विविधता पायी जाती है। भारत में जीवों की 89000 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ 1200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यह कुल विश्व का 13 प्रतिशत है। यहाँ मछलियों की 2500 प्रजातियाँ हैं जो विश्व का लगभग 12 प्रतिशत है। भारत में विश्व के 5 से 8 प्रतिशत तक उभयचरी, सरीसृप तथा स्तनधारी जानवर भी पाए जाते हैं। स्तनधारी जानवरों में हाथी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। ये असोम, कर्नाटक और केरल के उष्ण तथा आर्द्र वनों में पाए जाते हैं। एक सींग वाले गैंडे अन्य जानवर है जो पश्चिमी बंगाल तथा असोम के दलदली क्षेत्रों में रहते हैं। कच्छ के रन तथा थार मरुस्थल में क्रमशः जंगली गधे तथा ऊँट रहते हैं। भारतीय भैंसा, नील गाय, चौसिंघा, गैजल तथा विभिन्न प्रजातियों वाले हिरण आदि कुछ अन्य जानवर हैं जो भारत में पाए जाते हैं।
यहाँ बन्दरों, बाघों एवं शेरों की भी अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारतीय बाघों का प्राकृतिक वास स्थल गुजरात में गिर जंगल है। बाघ मध्य प्रदेश तथा झारखंड के वनों, पश्चिमी बंगाल के सुंदरवन तथा हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। लद्दाख की बर्फीली ऊँचाइयों में याक पाए जाते हैं जो गुच्छेदार सींगों वाला बैल जैसा जीव है,जिसका भार लगभग एक टन होता है। तिब्बतीय बारहसिंघा, भारल (नीली भेड़), जंगली भेड़ तथा कियांग (तिब्बती जंगली गधे) भी यहाँ पाए जाते हैं। कहीं-कहीं लाल पांडा भी कुछ भागों में मिलते हैं। नदियों, झीलों तथा समुद्री क्षेत्रों में कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। घड़ियाल, मगरमच्छ की प्रजाति का एक ऐसा प्रतिनिधि है जो विश्व में केवल भारत में पाया जाता है। नदियों, झीलों तथा समुद्री क्षेत्रों में कछुए, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। मोर, बत्तख, तोता, सारस, पैराकीट आदि,अन्य जीव हैं जो भारत के वनों तथा आई क्षेत्रों में रहते हैं।
प्रश्न 3. अल्पाइन एवं मैंग्रोव वनों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: अल्पाइन वन – ये वन हिमालच प्रदेश में 3600 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर पाए जाते हैं। अल्पाइन वनों में कम लम्बाई वाले वृक्ष एवं झाड़ियाँ उगती हैं। बर्च इन वनों का मुख्य वृक्ष है। उसके अलावा कहीं-कहीं पर सिल्वर-फर, जूनिपर, देवदार, पाईन आदि के वृक्ष पाए जाते हैं। हिमरेखा के समीप टुण्ड्रा तुल्य वनस्पति पाई जाती है। यहाँ झाड़ियाँ तथा काई उत्पन्न होती है।
मैंग्रोव वन – ये वन तटीय प्रदेशों में नदियों के डेल्टाओं में पाए जाते हैं, इसलिए इनको डेल्टा वन भी कहते हैं। इन वनों में सुंदरी वृक्ष की प्रधानता है। अतः उन्हें सुंदरी वन भी कहते हैं। सबसे अधिक मैंग्रोव सुंदरवन डेल्टा में पाए जाते हैं।
प्रश्न 4. ऊँचाई के अनुसार पर्वतीय वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: हिमालय पर्वत पर पाए जाने वाले वनों को पर्वतीय वन कहते हैं। इस क्षेत्र की वनस्पति में ऊँचाई के अनुसार अंतर पाया जाता है।
इस क्षेत्र को ऊँचाई के अनुसार निम्न वानस्पतिक क्रमों में बाँटा गया है-
  1. शंकुधारी वन – 1,500 से 3,000 मीटर की ऊँचाई तक शंकुधारी (कोणधारी) वन पाए जाते हैं। इनकी पत्तियाँ नुकीली होती हैं। इन वनों के मुख्य वृक्ष देवदार, सीडर, स्थूस तथा सिल्वर-फर हैं। इन शंकुल वृक्षों के साथ अल्पाइन चरागाह 2,250 से 2,750 मीटर तक की ऊँचाई के मध्य पाए जाते हैं। इन चरागाहों का उपयोग ऋतु-प्रवास चराई के लिए किया जाता है। प्रमुख पशुचारक जातियाँ गुंजर तथा बकरवाल हैं।
  2. उपोष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वनस्पति – यह वनस्पति 1,000-2,000 मीटर की ऊँचाई तक उत्तरी-पूर्वी हिमालय एवं पूर्वी हिमालय पर पाई जाती है। इस भाग में वर्षा अधिक होती है। अतः इन वनों में सदाहरित वृक्ष पाए जाते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के ओक, चेस्टनट और चीड़  के वृक्ष पाए जाते हैं। ये सदापर्णी वन हैं।
  3. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन – ये वन उत्तरी-पश्चिमी हिमालय पर 1,000 मी की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। यहाँ वर्षा की मात्रा कम होती है। इस कारण यह वृक्ष शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं। इनका मुख्य वृक्ष साखू है।
प्रश्न 5. वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत में भिन्नता के लिए उत्तरदायी कारकों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
उत्तर: तापमान, आर्द्रता, भूमि-मृदा एवं वर्षण भारत में वानस्पतिक एवं वन्य-प्राणियों में विविधता हेतु उत्तरदायी प्रमुख कारक हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है-
  1. तापमान – हवा में नमी के साथ तापमान, वर्षण तथा मृदा वनस्पति के प्रकार को निर्धारित करते हैं। हिमालय की ढलानों तथा प्रायद्वीपीय पहाड़ियों पर उपोष्ण कटिबंधीय तथा अल्पाइन वनस्पति पाई जाती है।
  2. सूर्य का प्रकाश – किसी भी स्थान पर सूर्य के प्रकाश का समय उस स्थान के अक्षांश, समुद्र तल से ऊँचाई। एवं ऋतु पर निर्भर करता है। प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं।लंबे समय तक सूर्य का प्रकाश पाने वाले क्षेत्रों में गहन वनस्पति पाई जाती है।
वर्षण – भारत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून तथा लौटती हुई उत्तर-पूर्वी मानसून द्वारा वर्षा होती है। भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा वाले क्षेत्रों की अपेक्षा कम गहन वनस्पति पाई जाती है। भूमि-भूमि प्राकृतिक वनस्पति को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। यह वनस्पति के प्रकार को प्रभावित करती है। उपजाऊ भूमि को कृषि के लिए प्रयोग किया जाता है जबकि वन चरागाहों एवं विभिन्न वन्य प्राणियों को आश्रय प्रदान करते हैं।
विभिन्न प्रकार की मृदा, विभिन्न प्रकार की वनस्पति को उगने में सहायता प्रदान करती है। मरुस्थल की रेतीली जमीन कैक्टस एवं काँटेदार झाड़ियों को उगने में सहायता प्रदान करती है जबकि गीली, दलदली, डेल्टाई मृदा मैंग्रोव तथा डेल्टाई वनस्पति के उगने में सहायक होती है। कम गहराई वाली पहाड़ी ढलानों की मृदा शंकुधारी वृक्षों के उगने में सहायक होती है।
प्रश्न 6. हिमालय क्षेत्र की प्रमुख वानस्पतिक पेटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: हिमालय क्षेत्र की प्रमुख वानस्पतिक पेटियाँ – ऊँचाई के आधार पर पर्वतीय क्षेत्रों के अनेक विभाग होते हैं। ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में भी कमी आती जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा के वितरण में भी अन्तर पाया जाता है। पर्वतीय क्षेत्रों में उष्ण कटिबंधीय सदाहरित वनों से लेकर ध्रुवीय वनस्पति तक पायी जाती है।
हिमालय क्षेत्र की वनस्पति को प्रमुख रूप से चार भागों में बाँटा जा सकता है-
  1. उष्ण कटिबन्धीय आई पर्णपाती वन – हिमालय की गिरिपाद शिवालिक श्रेणियाँ उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वनों से ढकी हैं। इन वनों का आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्त्वपूर्ण वृक्ष साल है। बाँस भी यहाँ खूब होता है।
  2. उपोष्ण कटिबंधीय पर्वतीय वन – इस क्षेत्र से ऊपर उपोष्ण कटिबंधीय वन मिलते हैं। समुद्र तल से 1000 से 2000 मीटर तक की ऊँचाई वाले भागों में आई पर्वतीय वन पाए जाते हैं। ये वन सदाबहार की श्रेणी में आते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की ओक, चेस्टनट, सेब और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। ऐश और बीच यहाँ के अन्य वृक्ष हैं।
  3. शंकुधारी वन – समुद्र तल से 1600 से 3300 मीटर की ऊँचाई के बीच चीड़, सीडर, सिल्वर-फर और स्पूस के वृक्षों की प्रधानता है। ये शीतोष्ण कटिबंध के प्रसिद्ध शंकुधारी वन हैं। हिम वर्षा को सहन करने के कारण इन वृक्षों की पत्तियाँ नुकीली हैं, जो शंकु के समान दिखाई पड़ती हैं। अल्पाइन वन-ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ इन शंकुधारी वनों का स्थान अल्पाइन वन ले लेते हैं। ये हिमालय पर 3,300 से 3,600 मीटर की ऊँचाई तक पाए जाते हैं। इन वनों में छोटे कद के वृक्ष तथा झाड़ियाँ उगती हैं। इन वनों के प्रमुख वृक्ष सिल्वर-फर, चीड़, भुर्ज तथा हपुषा हैं।
 प्रश्न 7. वनस्पति का अर्थ बताइए। भारतीय वनस्पति आज कितनी प्राकृतिक रह गयी है?
उत्तर: एक दिए गए पर्यावरण की रूपरेखा में एक-दूसरे से परस्पर मिलकर रहने वाले पादप प्रजातियों के समुदाय को वनस्पति कहते हैं।
वर्तमान भारत में प्राकृतिक वनस्पति प्राकृतिक नहीं रह गयी है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं-
  1. भारत के अधिकांश क्षेत्रों (हिमालय तथा थार मरुस्थल के आंतरिक भागों को छोड़कर) में मानवीय हस्तक्षेप के कारण प्राकृतिक वनस्पति या तो नष्ट कर दी गई है या उसे बदल दिया गया है।
  2. भारत में 40% पादप प्रजातियाँ विदेशों से लाकर उत्तर भारत तथा राजस्थान में थार मरुभूमि में लगाई गई हैं।
  3. अधिकांश प्राकृतिक वनस्पति को काटकर उसके स्थान पर कृषि तथा औद्योगिक इकाइयों को लगा दिया गया है। और यह वनस्पति बिल्कुल समाप्त हो गई है।
प्रश्न 8. भारत में उच्चावच तथा वर्षा ने प्राकृतिक वनस्पति को किस तरह प्रभावित किया है?
उत्तर: भारत में उच्चावच तथा वर्षा प्राकृतिक वनस्पति के वितरण को निम्नलिखित प्रकार से प्रभावित करते हैं –
  1. उच्चावच तथा वर्षा का सीधा संबंध है। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक वर्षा होती है। अतः इन क्षेत्रों में सदाबहार वनों का विस्तार पाया जाता है।
  2. जिन भागों में पठारी तथा मैदानी उच्चावच है वहाँ वर्षा सामान्य होती है और इन क्षेत्रों में पर्णपाती वनों का विस्तार मिलता है।
  3. मरुस्थली उच्चावच में वर्षा कम होती है। अतः यहाँ कॅटीले वन तथा झाड़ियों का विस्तार है।
  4. दलदली उच्चावचं तथा खारे और मीठे पानी के मिश्रण के क्षेत्र में सुंदरी वृक्ष उगते हैं।
प्रश्न 9. भारत में उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वनों में पर्याप्त वर्षा तथा उच्च तापमान के कारण वृक्षों की ऊँचाई 60 मीटर से अधिक होती है। इन वृक्षों के ऊपरी भाग आपस में इतने मिले होते हैं कि सूर्य का प्रकाश ऊपर से नीचे की ओर कठिनाई से ही पहुँच पाता है। इन वृक्षों की जड़ों में बेलें उग आती हैं। ये बेलें पेड़ों पर चढ़ जाती हैं। इस तरह से ये पेड़ इतने सघन होते हैं कि उनमें से गुजरना अत्यन्त कठिन होता है। इन वनों में पतझड़ का एक निश्चित समय न होने से ये सदैव हरे भरे रहते हैं। ये सदाहरित वन 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं। भारत में ये वन पश्चिमी तटीय प्रदेश, पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल, उत्तर-पूर्वी पर्वतीय प्रदेश तथा अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप इत्यादि में पाए जाते हैं।
इन वनों के मुख्य वृक्ष रबड़, बाँस, ताड़, जामुन, महोगनी, आबनूस, रोजवुड, बैंत, नारियल, सिनकोना इत्यादि हैं। इन वृक्षों से मूल्यवान एवं उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। उपयोगी रबड़ के वृक्ष से रबड़, सिनकोना के वृक्ष की छाल से कुनैन और नारियल की लकड़ी से नाव और सजावट का सामान, इसके फल से तेल तथा रेशे से रस्से, टाट, ब्रश, पायदान आदि बनाए जाते हैं। आर्थिक दृष्टि से इन वनों का महत्त्व बहुत कम है क्योंकि सघनता के कारण इनको काटना बहुत कठिन है तथा इनमें एक ही स्थान पर एक प्रकार के वृक्ष नहीं उगते हैं। 
प्रश्न 10. भारतीय वनस्पति एवं जैव-विविधता संरक्षण पर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर: भारतीय वनस्पति-
  1. भारत में प्राकृतिक वनस्पति का आवरण साफ करके प्राप्त भूमि पर उद्योग तथा कृषि का विस्तार किया गया है।
  2. भारत में लगभग 49,000 पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस दृष्टि से भारत का संसार में 10 वाँ स्थान तथा एशिया में चौथा स्थान है।
  3. 15,000 प्रजातियों के फूल वाले पौधे मिलते हैं। यह संसार का 6% है।
  4. बिना फूल वाले पौधों में फर्न, शैवाल तथा फंजाई हैं।
  5. उच्चावच, तापमान तथा वर्षा की विविधता के कारण यहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार (वर्षा) वनों से लेकर ध्रुवीय प्रदेश तक की वनस्पति पाई जाती है।
  6. भारत के हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीपीय पठार पर देशज वनस्पति का विस्तार है जबकि 40% वनस्पति बाहर से लाकर लगाई गई है। जैव-विविधता
संरक्षण-
  1. वन्य-प्राणियों की सुरक्षा तथा संरक्षण के उपाय किए जा रहे हैं –
  2. संकटापन्न बने जीवों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  3. इनकी अब गणना की जाने लगी है।
  4. बाघ परियोजना को सफलता मिल चुकी है।
  5. असम में गैंडे के संरक्षण की एक विशेष योजना चलाई जा रही है। सिंहों की घटती संख्या चिंता का विषय बन गई है।
अतः आरक्षित क्षेत्रों की संख्या और उनके क्षेत्रों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है।
  1. वन्य-प्राणियों से हमने बहुत कुछ सीखा है। सभी प्राणी श्रमशील हैं। उनमें प्यार, लगाव, आक्रमण, सुरक्षा, सामंजस्य, साहस, समझदारी, चतुराई, क्रीड़ा, उत्सव आदि सहज भाव से पाया जाता है, जिनको मनुष्य ने उनसे सीखा और अपनाया है। अतः वन्य-जीवों का संरक्षण बहुत की आवश्यक है।
  2. जैव-विविधता प्रकृति की धरोहर है। यह प्राकृतिक धरोहर हमारी ही नहीं अपितु भावी पीढ़ियों की भी है। इस प्राकृतिक धरोहर को भावी पीढ़ियों तक ज्यों-का-त्यों पहुँचाना प्रत्येक नागरिक का धर्म और कर्तव्य है।
  3. प्राकृतिक परिवर्तन तथा मनुष्य के हस्तक्षेप से अनेक जीव-जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं और कई के निकट भविष्य में विलुप्त होने का भय बना हुआ है।
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