निबंध किसे कहते हैं?

 निबंध किसे कहते हैं?

हिंदी में निबंध का विकास आधुनिक काल में हुआ है। 'निबंध' शब्द 'लेख' और 'प्रस्ताव' का पर्यायवाची है, किंतु साहित्य - जगत् इसका प्रयोग एक विशेष प्रकार की   गद्य - रचना के लिए हो गया है। इसमें लेखक का व्यक्तित्व न्यूनाधिक मात्रा में अवश्य प्रतिबिमि्बत होना चाहिए। 'निबंध' का अर्थ है - बांधना। निबंध शब्द में नि + बन्ध के योग से बना है। इसका अर्थ है - भली प्रकार बंधी हुई रचना। अंग्रेजी भाषा में इसे 'ऐसे' (Essay) कहते हैं।

 निबंध की परिभाषा -

निबंध को परिभाषित करते हुए डॉ. गुलाब राय ने कहा है - "निबंध उस गद्य - रचना को कहते हैं, जिसमें एक निश्चित सीमा एवं आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एवं विशेष स्वच्छन्दता, सौष्ठव और सजीवता तथा सम्द्धता के साथ किया जाता हैं।"
               आचार्य रामचंद्र शुक्ल - निबन्ध को अत्यंत गंभीर विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम मानते हैं। वे इसे 'गद्य की कसौटी' कहते है। उनके शब्दों में "यदि पद्य कवियों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी है।"
              डॉ. भागीरथ मिश्र के अनुसार -  "निबंध गद्य रचना है, जिसमें लेखक किसी भी विषय पर स्वच्छन्दतापूर्वक परंतु एक विशेष सौष्ठव, सजीवता और वैयक्तिकता  के साथ अपने भावों, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करता है।
              'निबंध' उस गद्य रचना को कहते हैं, जिसमें लेखक किसी विषय पर अपने विचारों को सीमित, सजीव, स्वच्छन्द    और सुव्यवस्थित रूप से व्यक्त करता है।

               निबंध की प्रमुख विशेषताएं -

(1) निबंध में संक्षिप्ता, रोचकता, क्रमबद्यता और यथास्थान हास्य - व्यंग्य का समावेश रहता है।
(2) निबंध का विषय कोई भी हो सकता है।
(3) इसमें निबंधकार का व्यक्तित्व झलकता है।
(4) इसमें स्वच्छन्दता और चिंतन अवश्य आवश्यक है।
(5) इसमें लेखक अपने जीवन के अनुभवों को बड़ी आत्मीयता के साथ व्यक्त करता है।
(6) इसमें आकार एवं विस्तार का उचित तालमेल रहता है।

 निबंध के प्रकार -

निबंध सामान्यतः चार प्रकार के होते हैं।
(1) कथात्मक - इस प्रकार के निबंधों में काल्पनिक वृत, आत्मचरित्रात्मक प्रसंग, पौराणिक आख्यान आदि का वर्णन होता है।
(2) वर्णनात्मक इन निबंधों में प्राकृतिक या मनुष्य जीवन की घटनाओं का वर्णन होता है।
(3) विचारात्मक - इसमें किसी विषय पर सुसम्बद्ध रूप में और विशेष दृष्टिकोण से विचारों की अभिव्यक्ति होती है।
(4) भावात्मक - ऐसे निबंध में ह्रदय पक्ष की प्रधानता होती है। इसमें भाव अधिक और विचार कम होते
          हिंदी निबंधो का विकास आधुनिक काल में भारतेंदु युग से हुआ। अब तक इस विधा का समुचित और विविध आयामी समृद्ध विकास हो चुका है।

निबंधों के विकास के युगों के नाम -

निबंध के विकास को निम्नलिखित चार भागों में विभाजित कर सकते हैं -
 (1) भारतेंदु युग  -  सन् 1800 से 1900 ई.
 (2) द्विवेदी युग    - सन् 1900 से 1920 ई.
 (3) शुक्ल युग   -   सन 1920 से 1945 ई.
 (4) शुक्लोत्तर युग  - सन 1945 से वर्तमान तक।
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