पुस्तकालय की उपयोगिता एवं महत्ता

  1. प्रस्तावना - जिज्ञासा मानव की सहज प्रवृत्ति है वह जिस जिज्ञासा को अधिकाधिक शांत करने का प्रयास करता है। बच्चे युवा बूढ़े सभी अपने ज्ञान में वृद्धि कर मानसिक सौदा को शांत करना चाहते हैं। आज के महंगाई के युग में हर कोई व्यक्ति इतना संपन्न तो नहीं होता है कि वह सभी प्रकार की पुस्तकें खरीद कर उनका अध्ययन कर सकें। इस दिशा में पुस्तकालय उनकी सबसे बड़ी सहायता कर सकता है। पुस्तकालय ज्ञान का अक्षय भंडार होता है। वह व्यक्ति की जिज्ञासा की शांति का स्थल तथा बौद्धिक विकास एवं आत्म तृप्ति का आश्रय स्थल है। यह शिक्षा ज्ञान एवं विधा का प्रचारक और प्रसारक है। लाड व्हीकल के अनुसार पुस्तकालय ऐसे मंदिरों की तरह है। जहां प्राचीन संत महात्माओं के सद्गुणों से परिपूर्ण तथा निर्माण पाखंड रहित अवशेष सुरक्षित रखे जाते हैं। एडिशन के अनुसार पुस्तकें माहिती प्रतिभाओं के द्वारा मानव जाति के लिए छोड़ी गई पैट्रिक संपत्ति है जो पीढ़ी दर पीढ़ी को सौंपी जाने के लिए हैं। मानो वे अभी आ जन्मे व्यक्तियों के लिए दिए गए ज्ञान की उपहार हो।
  2. पुस्तकालय से अभिप्राय  - पुस्तकालय पुस्तक शब्द और आलय के योग से बना है जिसका अर्थ है पुस्तकों का भंडार यथार्थ में पुस्तकालय का अभिप्राय है भवन जिसमें अध्ययन और संदर्भ के लिए विविध विषयों की अधिक से अधिक पुस्तकें रखी गई हो या वह स्थान जहां से सर्वसाधारण को पढ़ने के लिए पुस्तकें मिलती हो वस्तुतः पुस्तकालय में पुस्तकों का संग्रह होता है। जहां मनुष्य की रूचि के अनुसार पुस्तकें उपलब्ध रहती हैं। जिस स्थान पर पुस्तकों को व्यवस्थित ढंग से सुरक्षित रखा जाता है। तथा पाठकों के लिए बैठने और पठन-पाठन के लिए सुविधा होती है। पुस्तकालय के दो भाग होते हैं वाचनालय तथा पुस्तकालय वाचनालय में पत्र पत्रिकाएं और पुस्तकालय में पुस्तकें होती हैं।
  3. पुस्तकालय के प्रकार  - पुस्तकालय चार प्रकार के होते हैं। एक निजी पुस्तकालय। यह व्यक्तिगत पुस्तकालय होते हैं इनमें व्यक्ति अपनी पसंद और रूचि की पुस्तकों का संग्रह रखता है और यथा समय उनका उपभोग कर सकता है। इनका उपयोग सीमित होता है दो विद्यालय इन पुस्तकालय यह पुस्तकालय विद्यालय महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय से संबंधित होते हैं। इनका उपयोग इन के सदस्यों तक ही सीमित रहता है। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय वृत्ताकार और सर्व सुविधा संपन्न होते हैं। तीन संस्थागत पुस्तकालय यह पुस्तकालय बड़ी-बड़ी कंपनियों उद्योग 1 संस्थानों बैंकों क्लबों सरकारी कार्यालयों से संबंधित होते हैं। इनसे इनके सदस्य विशेष रूप से लाभान्वित। लाभान्वित होते हैं चार सार्वजनिक पुस्तकालय इन पुस्तकालय से प्रत्येक नागरिक लाभ उठा सकता है। यह बड़ी संख्या में होते हैं इनमें पर्याप्त पुस्तके रहती हैं। इनके साथ वाचनालय भी रहते हैं। इनमें देश-विदेश की उच्च कोटि की पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध रहती हैं। इन पुस्तकालयों का कोई भी व्यक्ति निश्चित धनराशि जमा कर सदस्य बन सकता है और लाभान्वित हो सकता है इस प्रकार के पुस्तकालय हराया शासन तथा सार्वजनिक से समाज सेवी संस्थानों द्वारा संचालित किए जाते हैं। दिल्ली कोलकाता मुंबई तमिलनाडु जैसे महानगरों में नेशनल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। प्राचीन काल में हमारे यहां नालंदा छवि के पुस्तकालय विश्व विख्यात थे।
  4. पुस्तकालय की उपयोगिता  - पुस्तकालय मानव सभ्यता के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुए हैं। पुस्तकालयों से हमें निम्नानुसार लाभ होते हैं। एक पूर्वजों के ज्ञान और अनुभव की प्राप्ति पुस्तकालय में पुस्तकों का विशाल संग्रह होता है। पुस्तकों के द्वारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता है। यदि हजारों वर्ष पूर्व के ज्ञान को पुस्तकें अगले युग तक ना पहुंच आती तो शायद इस वैज्ञानिक सभ्यता का उदय ना होता। इस प्रकार पुस्तकों के द्वारा हम अपने पूर्वजों के ज्ञान और अनुभव से लाभान्वित हो सकते हैं। दो पुस्तकें हमारी सर्वश्रेष्ठ मित्र इस विशाल विश्व में पुस्तकों से बढ़कर हमारा कोई सच्चा एवं श्रेष्ठ नहीं हो सकता यह उन दिनों में हमें घर बनाती हैं। एकाकीपन दूर करती हैं अंधकार में प्रकाश का काम करती हैं। व्यक्ति को आदर का पात्र बनाती हैं। महात्मा गांधी ने कहा था अच्छी पुस्तकों के पास होने से हमें अपने भले मित्रों के साथ ना रहने की कमी नहीं खटकती है। तीन प्रेरणा का स्त्रोत पुस्तकें प्रेरणा की महान स्त्रोत होती हैं। यह हमें शुभ कार्यों की प्रेरणा प्रदान करती हैं। उर्जा प्रदान करती हैं। दिशा बोध कराती हैं पुस्तकें जागृत देवता हैं उनकी सेवा करके तत्काल वरदान प्राप्त किया जा सकता है। गिब्बन की कथा अनुसार पुस्तकें व विश्व स्तर दर्पण हैं जो संतों और वीरों के मस्तिष्क का परावर्तन हमारे मस्तिष्क पर करती हैं। चार मनोरंजन पुस्तकें मनोरंजन करने में सहायता करती हैं। यह हमारा मन बहलाती है। उगने से बचाते हैं पांच प्रचार का प्रबल माध्यम पुस्तकें किसी भी विचार संस्कार या भावनाओं के प्रचार का सबसे शक्तिशाली माध्यम है। समाज राष्ट्र और विश्व में क्रांति लाने का सबसे सशक्त माध्यम पुस्तकें ही हैं यह आग में बाघ और बाघ में आग लगाने का काम कर सकती हैं। मानव मस्तिष्क की खुराक मस्तिक मानव मस्तिष्क के लिए टानिक का काम करती हैं।  यह मस्तिष्क को खाद्य सामग्री प्रदान कर उसे बौद्धिक रूप से सदैव शक्तिशाली एवं सक्रिय बनाते हैं।  निस्संदेह दुनिया की समस्त महान विभूतियां पुस्तकों के रस वादन करके ही यशस्वी बन सकी है।
Share:

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Copyright © Hindi Digital Paathshala | Powered by Blogger Distributed By Protemplateslab & Design by ronangelo | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com