नाटक (महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)

प्रश्न - नाटक की परिभाषा दीजिए।
  • उत्तर - अभिनय की दृष्टि से संवादों एवं दृश्यों पर आधारित विभिन्न पात्रों द्वारा रंगमंच पर प्रस्तुत करने के लिए लिखी गई साहित्यिक रचना 'नाटक' कहलाती है।
प्रश्न - हिन्दी के प्रथम नाटक एवं उसके रचयिता का नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिन्दी का प्रथम नाटक गोपालचंद्र गिरिधरदास द्वारा रचित 'नहुष' माना जाता है।
प्रश्न - पश्चात्य विद्वानों ने नाटक के कौन-कौन से तत्व बताएं हैं? उनके नाम लिखिए।
  • उत्तर - पश्चात्य विद्वानों के अनुसार नाटक के निम्नलिखित  छह तत्व हैं - (1) कथावस्तु, (2) चरित्र - चित्रण, (3) कथोपकथन, (4) देश - काल एवं वातावरण, (5) भाषा - शैली एवं (6) उद्देश्य।
प्रश्न - भारतीय आचार्य द्वारा नाटक के कौन-कौन से तत्व बताए गए हैं?
  • उत्तर - भारतीय आचार्यों द्वारा नाटक के निम्नलिखित पाँँच तत्व बताए गए हैं - (1) कथावस्तु, (2) नायक, (3) रस, (4) अभिनय एवं (5) वृत्ति।
प्रश्न - हिन्दी नाटक के विकास को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है? उनके नामों एवं समय का उल्लेख कीजिए।
  • उत्तर - हिन्दी नाटक के विकास को निम्नलिखित पाँच भागों में विभक्त किया जा सकता है -
  1. पूर्व भारतेन्दु काल -  1643 ई. से 1866 ईसवी तक।
  2. भारतेंदु काल - 1867 ईस्वी से 1904 ईसवी तक।
  3. उत्तर भारतेन्दु काल -  1905 ई. से 1915 ई. तक।
  4. प्रसाद काल - 1916 ईस्वी से 1920 ईस्वी तक।
  5. आधुनिक काल - 1921 ई. से वर्तमान समय तक।
प्रश्न - नाटक 'श्रव्य - काव्य' है अथवा 'दृश्य - काव्य'?
  • उत्तर - नाटक रंगमंच पर अभिनय के द्वारा प्रस्तुत करने के उद्देश्य से ही लिखा जाता है इस दृष्टि से नाटक एक दृश्य का प्रश्न - 'नाटक' को 'रूपक' क्यों कहा गया है? कारण लिखिए। उत्तर - नाटक के पात्र किसी दूसरे व्यक्ति या चरित का रूप धारण करके अभिनय करते हैं। नाटक के पात्रों पर रूप के इस आरोप के कारण ही 'नाटक' को रूपक कहा जाता है। किसी पात्र का रूप ग्रहण करना रूपक है। रूपक के अनेक भेदों में से नाटक भी एक है।
प्रश्न - प्रमुख रेडियो रूपककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिन्दी के प्रमुख रेडियो रूपककारों में सुमित्रानंदन पंत, उदयशंकर भट्ट, विष्णु प्रभाकर, अमृतलाल नागर, तथा उपेंद्रनाथ 'अश्क' आदि उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न - भारतेन्दु हरिश्चंद्र के नाटकों का विषय क्या है?
  • उत्तर - भारतेंदु हरिश्चंद्र के नाटक देशप्रेम, समाज - सुधार एवं राष्ट्रीय चेतना पर आधारित है ।
प्रश्न - भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - भारतेन्दु युग के प्रमुख नाटककारों में भारतेन्दु हरिश्चंद्र के साथ-साथ प्रतापनारायण मिश्र, बालकृष्ण भटृ, बद्रीनारायण चौधरी 'प्रेमधन', लाला श्रीनिवास दास, अंबिकादत्त व्यास, राधाकृष्ण दास एवं काशीनाथ खन्नी आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न - प्रसाद के नाटकों के विषय क्या है?
  • उत्तर - प्रसाद के नाटकों के विषय है - भारतीय इतिहास और संस्कृति, प्रेम एवं सौंदर्य, देश - प्रेम आदि।
प्रश्न - जयशंकर प्रसाद के प्रमुख नाटकों के नाम लिखिए। 
  • उत्तर - जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक निम्नलिखित हैं - (1) विशाख, (2) अजातशत्रु, (3) कामना, (4) जनमेजय, (5) स्कन्दगुप्त, (6) चंद्रगुप्त, (7) एक घूँँट, (8) ध्रुवस्वामिनी, (9) राज्यश्री, (10) करुणालय तथा (11) जनमेजय का नागयज्ञ।
प्रश्न - प्रसाद के समकालीन प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - प्रसाद के समकालीन नाटककारों में (1) हरिकृष्ण 'प्रेमी', (2) लक्ष्मीनारायण मिश्र, (3) गोविंदबल्लभ पंत तथा (4) सेठ गोविंददास आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न - प्रसादोत्तर युग के प्रमुख नाटककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - प्रसादोत्तर (छायावादोत्तर) युग के प्रमुख नाटककार (1) उपेंद्रनाथ 'अश्क', (2) डाँ. लक्ष्मीनारायण लाल, (3) मोहन राकेश, (4) धर्मवीर भारती, (5) विष्णु प्रभाकर आदि हैं।
प्रश्न - हिन्दी के ऐतिहासिक नाटककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिन्दी के ऐतिहासिक विषयों पर नाटक लिखने वाले नाटककारों के नाम है - (1) जयशंकर प्रसाद  (2) हरिकृष्ण 'प्रेमी', (3) गोविंदबल्लभ पन्त, (4) लक्ष्मीनारायण मिश्र तथा (5) वृंदावनलाल वर्मा।
प्रश्न - आधुनिक युग के दो नाटककारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - आधुनिक युग के दो नाटककार है - (1) विष्णु प्रभाकर, (2) चिरंजीत।
प्रश्न - आधुनिक नाटकों के प्रमुख विषय क्या है?
  • उत्तर - आधुनिक नाटकों के प्रमुख विषय है - (1) साहित्य, (2) राजनीति, (3) सामाजिक विसंगतियाँँ,  (4) युद्ध (5) मनोविज्ञान, (6) इतिहास आदि।
प्रश्न - नाटक एवं एकांकी में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर -  नाटक और एकांकी दोनों ही दृश्य काव्य के अंतर्गत आते हैं, किंतु कथावस्तु के स्वरूप, अंको और पात्रों की संख्या, प्रभाव और उद्देश्य की दृष्टि से दोनों विधाओं में पर्याप्त अंतर है। यह अंतर निम्नानुसार है -
  1.  नाटक की कथावस्तु नायक के संपूर्ण जीवन पर आधारित, उसके संपूर्ण चरित्र का चित्रण करने वाली, विविध उपकथाओं को समेटे हुए विस्तृत होती है, जबकि एकांकी में जीवन के किसी एक पहलू, पक्ष या घटना का प्रभावपूर्ण चित्रण होता है।
  2. नाटक में अनेक अंक और उनमें अनेक दृश्य होते हैं, जबकि एकांकी में एक अंक और उसके कुछ दृश्य होते हैं।
  3. नाटक में पात्रों की संख्या अधिक रहती है, किंतु एकांकी में पात्र संख्या सीमित रहती है। 
  4. नाटक का प्रभाव उतना तीव्र नहीं होता है, जितना एकांकी का होता है ।
  5. नाटक के उद्देश्य की अपेक्षा एकांकी का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट रहता है। 
  6. नाटक में नायक के पूरे जीवन का चित्रण समाविष्ट होता है, जबकि एकांकी में नायक के जीवन के किसी विशिष्ट पक्ष का चित्रण होता है। 
  7. नाटक की तुलना में एकांकी के संवाद चुस्त, पैने और प्रभावोत्पादक होते हैं।
  8.  संक्षेप में, नाटक और एकांकी दोनों विधाओं में स्पष्ट रूप से अंतर होता है।
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