पत्र — लेखन

  1. पत्र — लेखन — पत्र—लेखन एक महत्वपर्ण कला है। आज के व्यस्त जीवन में उसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। वैज्ञानिक प्रगति के कारण सिकुडती जा रही है। मानव के परस्पर सम्बन्ध बहुत अधिक बढ़ गए है। उसे प्रतिदिन कितने ही व्यक्तियों, सम्बन्धियों, कार्यालयों आदि से सम्पर्क स्थापित करना पड़ता है। वह हर स्थान पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं हो सकता। अत: उसे पत्र—व्यवहार का सहारा लेना पड़ता है। 
  2.  पत्रोंं केे प्रकार — पत्र अनेक प्रकार के होते है, जैसे — व्यक्तिगत, सामाजिक, प्रार्थना—पत्र, आवेदन—पत्र, विभागीय—पत्र, कार्यालयीन—पत्र, सम्पादक को पत्र आदि। 
  3. पत्र के अंग — पत्र के प्रमुख अंग होते हैं — आरम्भ, मध्य, और अन्त। आरम्भ में भेजने वाले का पता, दिनांक, सम्बोधन, आदि होते हैं। मध्य में पत्र—लेखन के विषय का प्रतिपादन रहता है। अन्त में, सम्बन्ध के अनुसार लेखक सम्बोधन लिखकर अपना नाम लिखता है। तत्पश्चात् पत्र—प्राप्तकर्ता का पता लिखा जाता है। अन्त में, आवश्यक डाक—टिकट लगाकर पत्र को प्रेषित किया जा सकता है।  
  4. पत्र — लेखन के नियम — पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखा जाए — 
  1. पत्र लिखने के लिए सदैव सुन्दर और स्वच्छ कागज का प्रयोग करना चाहिए, जिससे कि स्याही न फैले और अक्षरों की स्पष्टता नष्ट न हो। 
  2.  अक्षर साफ—सुथरे और विचार सरल—सीधे एवं निर्मल होने चाहिए। पत्र में शिष्टाचार का प्रयोग होना चाहिए। बड़ों के प्रति सम्मान एवं छोटों के प्रति स्नेह का भाव प्रकट होना चाहिए।
  3. पेन्सिल का प्रयोग सर्वथा अशोभनीय प्रतीत होता है। पत्र में लाल स्याही का प्रयोग भी बिल्कुल नहीं करना चाहिए। 
  4.  पत्र स्पष्ट, सरल और शालीन भाषा में लिखा जाना चाहिए। लम्बे—लम्बे वाक्यों और कठिन तथा अस्पष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।  
  5.  पत्र संक्षिप्त होना चाहिए। उसमें अनावश्यक बातों का समावेश नहीं होना चाहिए।
  6. पत्र में विषय का प्रस्तुतीकरण क्रमबद्ध होना चाहिए।  
  7. पत्र में सहजता, स्वाभाविकता तथा मौलिकता होनी चाहिए। 
  8. पत्र में पता, तिथि, सम्बोधन, अभिवादन, समाप्ति आदि सुस्पष्ट ढंग से होने चाहिए। 
  9.  एक श्रेष्ठ पत्र की सफलता इसमें हैं, कि उसका पाठक पर प्रभाव पड़े।

पत्र का कलेवर 

  • अनौपचारिक तथा औपचारिक पत्रों का कलेवर अत्यन्त विविधतापूर्ण होता है। उसके कलेवर को पॉच भागों में विभाजित किया जा सकता है —  
  • प्रेषक का पता तथा तिथि — पत्र के प्रारम्भ में लेखक को पत्र के दायीं और ऊपर अपना पता अंकित करना चाहिए। पते के ऊपर लेखक का नाम भी लिखा रहे, तो अनुचित नहीं होगा। पते के नीचे पत्र लिखने की तिथि भी अंकित होनी चाहिए। उदाहणार्थ — 
रूपेश श्रीवास्तव
सागर 
दिनांक .......... 
  • इस बात का विशेष ध्यान रहे कि परीक्षा में विद्यार्थी को अपना पता या अन्य कोई गलत पता नहीं देना चाहिए। यह परीक्षा के नियम के विरूद्ध है। इससे उत्तर—पुस्तिका की गोपनीयता भंग होती है। इसलिए परीक्षा में केवल परीक्षा—भवन और केन्द्र का उल्लेख करना पर्याप्त रहता है। उदाहरण — 
परीक्षा — भवन
विद्यालय सागर 
दिनांक ......... 
  • सम्बोधन — पता तथा तिथि लिखने के पश्चात जिस व्यक्ति अथवा सम्बन्धी को पत्र लिखा जा रहा है, उसे सम्बोधित करना चाहिए। यह सम्बोधन पत्र के बाई ओर पते के नीचे लिखा रहना चाहिए। 
  • सम्बोधन व्यक्ति तथा समबन्धों की प्रगाढता के आधार पर होना चाहिए। बड़ों को पत्र लिखते समय आदरणीय, पूजनीय, माननीय, वन्दनीय, पूज्य, श्रद्धेय आदि सम्बोधन लिखना चाहिए। समवयस्कों को प्रिय, बन्धुवर, मित्रवर, स्नेहिल, आदि तथा छोटो को प्रिय, स्नेहिल, आयुष्मान, मेरे प्यारे आदि लिखना चाहिए। जैसे — 
श्रद्धेय दादाजी,
पूजनीय पिताजी, 
स्नेहमयी माताजी,
प्रियमित्र आदि।  
  •  अभिवादन — व्यक्तिगत पत्रों में अभिवादन करना हमारे सहज प्रेम एवं सम्मान का सूचक है। इसलिए ऐसे पत्र में अभिवादन होना आवश्यक होता है। य​ह अभिवादन व्यक्ति और समबोधन के अनुसार बदल जाना चाहिए। यथा — बड़ों के लिए सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्कार आदि, समवयस्कों के लिए सप्रेम नमस्ते, सस्ने​ह मिलन आदि तथा छोटों के लिए सुखी रहो, चिरंजीवी रहो आदि, लिखना चाहिए। 
  • मुख्य विषय — पत्र का वास्तविक कथ्य ही मुख्य विषय होता हैं। हमें अपने विषय को रोचक, सरस शैली में स्पष्ट ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए। उसमें किसी प्रकार का घुमाव — फिराव नहीं होना चाहिए। यदि विषय लम्बा है, और विचार के बिन्दु अधिक हैं, तो उन्हें विभिन्न परिच्छेदों में विभाजित कर लिखा जाना चाहिए। मुख्य विषय के प्रतिपादन में वे सभी गुण होने चाहिए, जो एक श्रेष्ठ पत्र में अपेक्षित हैं। 
  • उपसंहार — विषय पूर्ण हो जाने पर पत्र के अन्त में दायीं ओर लेखक को अपना नाम तथा पत्र — प्राप्तकर्ता के साथ अपना सम्बन्ध दर्शाना चाहिए। यथा — 
आपका प्रिय पुत्र 
आपका अभिन्न मित्र 
आदि वाक्य को लिखना चाहिए।  
  •  स्मरणीय — पत्र/पोस्टकार्ड/लिफाफे पर पत्र — प्राप्तकर्ता का नाम, उपाधि, मकान नम्बर, उपनगर एवं नगर का नाम, प्रेदश का नाम, पिनकोड नम्बर आदि स्पष्ट व साफ ​अक्षरों में लिखा हुआ होना चाहिए। व्यक्तिगत, सामाजिक, सरकारी पत्रों के नमूने आगे प्रस्तुत हैं। इन्हें आधार बनाकर विद्यार्थी अपन ढॅग से पत्र लिखने का अभ्यास जारी रखे, जिससे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। 


 
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