गेहूॅ और गुलाब (रामवृक्ष बेनीपुरी)

गद्य भारती
पाठ — 4
गेहूॅ और गुलाब (रामवृक्ष बेनीपुरी) प्रश्न — उत्तर

  • पृ​थ्वी पर मानव अपने साथ क्या लेकर आया है?
उत्तर — पृथ्वी पर मानव अपने साथ क्षुधा और पिपासा (भूख और प्यास) लेकर आया है।
  • मानव को मानव किसने बनाया?
उत्तर — मानव को मानव गुलाब ने बनाया। मानव, मानव तब बना, जब उसने शरीर की आवश्यकताओं पर मानसिक वृत्तियों को महत्व दिया।
  • मानव — जीवन सुखी और आनन्दित कब होता है?
उत्तर — मानव — जीवन सुखी और आनन्दित तब होता है, जब जीवन में गेहॅू और गुलाब का सन्तुलन रहता है।
  • गुलाब किसका प्रतीक बन गया है?
उत्तर — गुलाब विलासिता का, गन्दगी का, गलीज का प्रतीक बन गया है। यह ऐसी विलासिता है, जो शरीर और मानस दोनों को नष्ट करती है।
  • आज का मानव किस परम्परा से प्रभावित है?
उत्तर — आज का मानव महाभारत और निजवंश के सर्वनाश की परम्परा से प्रभावित है। इसलिए आज चारों ओर महाभारत है, गृह युद्ध है, सर्वनाश है, महानाश है।
  • कामनाओं के स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठकर हमारी प्रवृत्ति किस ओर होनी चाहिए?
उत्तर — कामनाओं के स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठकर प्रवृत्ति सूक्ष्म भावनाओं की ओर होनी चाहिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न — 

  • गेहूॅ और गुलाब से मानव को क्या प्राप्त होता है?
उत्तर — गेहूॅ और गुलाब से मानव को सुख और आनन्द प्राप्त होता है।
  • मनुष्य पशु से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर — मनुष्य और पशु में बड़ा अन्तर है। पशु केवल शारीरिक आवश्यकताओं को तरजीह या महत्व देता है, ज​बकि मनुष्य शरीर की आवश्यकताओं के साथ मानसिक वृत्तियों के समाधान को भी तरजीह या महत्व देता है।
  • विज्ञान ने गेहॅू के बारे में क्या बतलाया है?
विज्ञान ने गेहॅू के बारे में यह बतलाया है कि पृथ्वी और आकाश के कुछ तत्व एक विशेष प्रक्रिया से पौधों की बालियों में संगृहीत होकर गेहॅू बन जाते है।
  • गेहूॅ और मानव शरीर का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर — गेहॅू और मानव शरीर का परस्पर घनिष्ट सम्बन्ध है। गेहूॅ से ही मानव — शरीर का निर्माण होता है। गेहूॅ या अन्न न मिले तो मानव — शरीर धीरे — धीरे क्षीण होकर व्यक्ति मरण को प्राप्त हो जाता है।
  • वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान ने कौन — से उपाय बतलाए है?
उत्तर — वृत्तियों को वश में करने के लिए मनोविज्ञान ने दो उपाय बताएॅ है — (1) इन्द्रियों को संयमित रखना और (2) वृत्तियों का उन्नयन करना।
  • लेखक के अनुसार शुभ दिन का स्वरूप कैसा होगा?
उत्तर — लेखक के अनुसार शुभ दिन का स्वरूप कुछ भिन्न ही होगा। उस दिन हम स्थूल शारीरिक आवश्यकताओं की जंजीर तोड़कर सूक्ष्म मानव — जगत् का नया लोक बसाएॅगे। उस दिन मानव — जीवन रंगमय, सुगंधमय, नृत्यमय और गीतमय बन जाएगा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न — 

  • 'गेहॅू और गुलाब' में लेखक सन्तुलन स्थापित करना क्यों चाहता है?
उत्तर — लेख​क गेहूॅ और गुलाब में सन्तुलन बना कर रखना चाहता है। जब तक मनुष्य के जीवन में गेहूॅ और गुलाब का सन्तुलन रहा, वह सुखी रहा। परिश्रम करने के साथ — साथ वह गाता भी था और गाने के साथ कमाता भी था। जब यह सन्तुलन टूट जाएगा, तब परिणाम होगा महाभारत होना, संघर्ष बढ़ना और विनाश होना। शोषक और शोषित के बीच खाई बढ़ती जाएगी।
  • वृत्तियों के उन्नयन का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए। 
वृत्तियों के उन्नयन का आशय है — चित्तवृत्तियों को शुभ कार्यो में लगाना, अच्छे कार्यो में लगाना, उन्हें ऊध्र्वमुखी बनाना, अध्यातम की ओर लगाना, आत्मोत्थान में लगाना। दूसरे शब्दों में, वृत्तियों को स्थूल वासनाओं के क्षेत्र से ऊपर उठाकर सूक्ष्म भावनाओं की ओर प्रवृत्त करना ही वृत्तियों का उन्नयन है।
  • 'उसके श्रम के साथ संगीत बॅधा हुआ था और संगीत के साथ श्रम' — इस पंक्ति् का भाव विस्तार कीजिए। 
उत्तर — प्राचीन मानव भौतिकता से दूर था। वह अपनी जीविका के लिए धन कमाता था और सुख् — शान्ति के लिए गाता और मुस्कराता था। इसी प्रकार गाते हुए भी उसे जीविकोपार्जन का भी ध्यान रहता था। उसके जीवन में एक प्रकार का सन्तुलन था। उसके श्रम के साथ संगीत बॅधा हुआ था। इसी प्रकार संगीत के साथ उसकी श्रम — साधना जुड़ी हुई थी।

निम्नलिखित अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए — 

  • ''मानव शरीर में पेट का स्थान नीचे है, ह्दय का ऊपर और मस्तिष्क का सबसे ऊपर। पशुओं की तरह उसका पेट और मानस समान्तर रेख में नहीं है।''
उत्तर —
प्रसंग — प्रस्तुत सूक्ति में शारीरिक सन्तुष्टि अथवा अनियन्त्रित भावनाओं की तुष्टि की अपेक्षा बुद्धि को अधिक महत्व देने पर बल दिया गया है।
व्याख्या — विधाता ने एक सुनि​र्धारित क्रम में ही मानव — शरीर के विभिन्न अंगों की रचना की है। उसने सबसे ऊपर मस्तिष्क की और सबसे नीचे पेट की रचना की है। ह्दय को इन दोनों के मध्य स्थान दिया गया है। इन तीनों को इनकी स्थिति के अनुसार ही महत्व ​प्रदान किया गया है। मस्तिष्क बुद्धि के माध्यम से व्यक्ति को विचारशील बनाता है, ह्दय भावनाओं को जन्म देता है और पेट शारीरिक भूख उत्पन्न करता है। इस दृष्टि से व्यक्ति को मानसिक तुष्टि को ही सबसे अधिक महत्व प्रदान करना चाहिए। इसके उपरान्त भावनात्मक तुष्टि पर और सबसे अन्त में शारीरिक सन्तुष्टि पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • रामवृक्ष बेनीपुरी की भाषा — शैली पर अपने विचार लिखिए। 
उत्तर — बेनीपुरी जी की भाषा सरल एवं व्यावहारिक है। आपने भावों के अनुरूप शब्दों का चयन किया है। मुहावरों एवं कहावतों के प्रयोग से आपकी भाषा जीवन्त हो उठी है। आपकी भाषा में लाक्षणिकता, व्यंग्यात्मकता, ध्वन्त्मकता, प्रतीकात्मकता और आलंकारिता विद्यमान है। भाषा के आप सम्राट है।
बेनीपुरीजी ने विषय के अनुरूप विविध शैलियों का प्रयोग किया है। आपने कहीं वर्णनात्मक तो कहीं भावात्मक और कहीं चित्रात्मक और प्रतीकात्मक शैलियों का भी प्रयोग किया है।
इस प्रकार बेनीपुरीजी भाषा के जादूगर और एक कुशल शब्द — शिल्पी है।

भाषा — अध्ययन 

  • निम्न सामासिक शब्दों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए — सौन्दर्य — बोध, मन — मोर, गृहयुद्ध, कीट — पतंग, इन्द्र — धनुष। 
                  शब्द                            समास विग्रह                समास का नाम
  1. सौन्दर्य — बोध      =         सौन्दर्य का बोध              (षष्ठी तत्पुरूष)
  2. मन — मोर           =         मन मोर ही                   (कर्मधारय समास)
  3. गृहयुद्ध                =          गृह में युद्ध                   (सप्तमी तत्पुरूष) 
  4. कीट — पतंग      =          कीट और पतंग             (द्वन्द्व समास)
  5. इन्द्र — धनुष।     =         इन्द्र का धनुष                (षष्ठी तत्पुरूष) 
  • दिए गए शब्दों से वाक्य बनाइए — कच्चा, शारीरिक, मानसिक, भ्रष्टाचार। 
उत्तर —
  1. कच्चा — कच्चा आम खट्टा होता है। 
  2. शारीरिक — श्रमिक शारीरिक श्रम अधिक करता है। 
  3. मानसिक — शिक्षित वर्ग मानसिक परिश्रम करता है। 
  4. भ्रष्टाचार — भ्रष्टाचार आजकल शिष्टाचार बन गया है। 

योग्यता — विस्तार 

  • जीवन में सौन्दर्य और कला की आवश्यकता सम्बन्धी एक आलेख तैयार कीजिए। 
उत्तर — जीवन में सौन्दर्य और कला की बड़ी आवश्यकता होती है। यदि मनुष्य में सौन्दर्य और कला का बोध न हो, तो उसका जीवन पशु तुल्य माना जाता है। कलाएॅ व्यक्ति के जीवन को आनन्द से भर देती है, उसके जीवन को सुन्दरता से भर देती है। सौन्दर्य और कला मनुष्य के जीवन को मानसिक सन्तुष्टि प्रदान करते हैं। मनुष्य को सौन्दर्य और कला — प्रेमी बनना चाहिए।
  • एक अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए आप किन — किन गुणों का होना आवश्यक समझते हैं? अपने सुझाव लिखिए। 
उत्तर — एक अच्छा विद्यार्थी बनने के लिए व्यक्ति में निम्निलिखित गुणों का होना आवश्यक है —
  1. सर्वप्रथम विद्यार्थी का जीवन विद्याध्ययन के प्रति समर्पित होना चाहिए। 
  2. विद्यार्थी का जीवन सरल, संयत और अनुशासित होना चाहिए। 
  3. उसे गुणग्राही होना चाहिए। व्यर्थ की बातों से दूर रहना चाहिए। 
  4. उसे माता — पिता, गुरूजनों और बड़ों का सदैव आदर करना चाहिए। 
  5. लक्ष्य प्राप्ति के लिए सदैव सजग रहना चाहिए। 

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर — 

सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए —

  •  'गेहॅू और गुलाब' .................... निबन्ध है।
भावात्मक
  • जब मानव शरीर पृथ्वी पर आया, तब वह अपने साथ ............. लाया। 
भूख — प्यास
  • मानव को मानव किसने बनाया?
गुलाब ने
  • मानव शरीर में ................ का स्थान सबसे नीचे है। 
पेट

सत्य/असत्य बताइए — 

  • जब मानव पृथ्वी पर आया तब साथ में भूख — प्यास लेकर आया। 
सत्य
  • मानव को गुलाब ने मानव बनाया।
सत्य
  • जब तक मानव के जीवन में गेहूॅ और गुलाब का सन्तुलन रहा, वह सुखी और आनन्द रहा। 
सत्य
  • पशु और मानव में कोई अन्तर नहीं है। 
असत्य
  • आज चारों ओर महाभारत है, गृहयुद्ध है, सर्वनाश है, महानाश है। 
सत्य

पाठ — 4 गेहूॅ और गुलाब (रामवृक्ष बेनीपुरी) व्याख्या 

 


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