अपवाह
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1. दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए।
1) निम्नलिखित में से कौन-सा वृक्ष की शाखाओं के समान अपवाह प्रतिरूप प्रणाली को दर्शाता है?
(क) अरीय
(ख) केंद्राभिमुख
(ग) द्वमाकृतिक
(घ) जालीनुमा
2) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?
(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर
3) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्रह्मगिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल
4) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय जलवाली झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर
5) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
6) निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) दामोदर
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी
उत्तर:
(i) (ग) द्रुमाकृतिक
(ii) (घ) जम्मू-कश्मीर
(iii) (ख) अमरकंटक
(iv) (क) सांभर
(v) (ख) गोदावरी
(vi) (घ) तापी
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए –
प्रश्न 1. दिए गए चार विकल्पों में से सही विकल्प चुनिए।
1) निम्नलिखित में से कौन-सा वृक्ष की शाखाओं के समान अपवाह प्रतिरूप प्रणाली को दर्शाता है?
(क) अरीय
(ख) केंद्राभिमुख
(ग) द्वमाकृतिक
(घ) जालीनुमा
2) वूलर झील निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है?
(क) राजस्थान
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू-कश्मीर
3) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्रह्मगिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल
4) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय जलवाली झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर
5) निम्नलिखित में से कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
6) निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) दामोदर
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी
उत्तर:
(i) (ग) द्रुमाकृतिक
(ii) (घ) जम्मू-कश्मीर
(iii) (ख) अमरकंटक
(iv) (क) सांभर
(v) (ख) गोदावरी
(vi) (घ) तापी
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए –
- जल-विभाजक को क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।
- भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
- सिंधु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
- गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए। ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
- लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) क्यों है?
- कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
- नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्त्व को बताएँ।
- कोई उच्चभूमि जैसे पर्वत जो दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को अलग करता है, उसे जल-विभाजक कहते हैं। हिमालय एक महत्त्वपूर्ण जल-विभाजक है।
- भारत की सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा नदी की द्रोणी है। गंगा नदी की लंबाई 2,500 किमी है।
- सिंधु नदी तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। गंगा नदी गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है जो हिमालय के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।
- गंगा नदी की दो प्रमुख धाराएँ भागीरथी और अलकनंदा हैं। ये उत्तराखण्ड के देवप्रयाग नामक स्थान पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
- तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग बहुत लंबा है, परन्तु इस मार्ग में इसे वर्षा अथवा अन्य साधनों से कम जल की प्राप्ति होती है। कम जल के कारण इसकी अपरदन शक्ति कम होती है। इसी कारण इसमें गोद (सिल्ट) की मात्रा कम होती है।
- नर्मदा एवं तापी भारत की दो ऐसी नदियाँ हैं जो गर्त से होकर बहती हैं तथा ज्वारनदमुख को निर्माण करती हैं।
- नदियाँ एवं झीलें नदी के बहाव को नियंत्रित करती हैं। ये अति-वृष्टि के समय बाढ़ को रोकती हैं। अनावृष्टि के समय ये पानी के बहाव को बनाए रखती हैं। इनका उपयोग जल-विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। ये आसपास की जलवायु को मृदु बनाती हैं तथा जलीय परितंत्र का संतुलन बनाए रखती हैं। ये प्राकृतिक सौंदर्य में वृद्धि करती हैं तथा पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3.नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक एवं मानवनिर्मित वर्गों में बाँटिए-
- वूलर
- डल
- नैनीताल
- भीमताल
- गोबिन्द सागर
- लोकताक
- बारापानी
- चिल्का
- सांभर
- राणाप्रताप सागर
- निजाम सागर
- पुलिकट
- नागार्जुन सागर
- हीराकुण्ड
- प्राकृतिक झील
- वूलर
- डल
- नैनीताल
- भीमताल
- लोकताक
- बारापानी
- चिल्का
- सांभर
- पुलिकट
- मानवनिर्मित झील
- गोविन्द सागर
- राणा प्रताप सागर
- निजाम सागर
- नागार्जुन सागर
- हीराकुण्ड
उत्तर: हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों में निम्नलिखित अंतर है-
हिमालय से निकलने वाली नदियाँ:-
- इन नदियों से नहरें निकालना आसान और अधिक उपयोगी है। इनके जल का उपयोग सिंचाई और जल विद्युत दोनों में खूब किया जाता है।
- इन नदियों ने देश के विस्तृत उपजाऊ मैदान का निर्माण कर, देश को कृषिप्रधान बनाया है।
- देश का कुल संभावित जल विद्युत क्षमता को 60 प्रतिशत प्रतिशत भाग हिमालय की नदियों में है।
- समतल भू-भाग से होकर बहने के कारण से नाव्य नदियाँ हैं।
- हिमालय पर्वत से निकलने वाली अधिकांश नदियाँ हिमानियों से जन्मी हैं।
- इन नदियों में जल वर्ष भर पर्याप्त मात्रा में मिलता है।
- इन नदियों से नहरें निकालना कठिन है। अतः सीमित क्षेत्रों में ही सिंचाई हो पाती है।
- ये नदियाँ तेज ढाल वाले क्षेत्रों तथा पथरीले भागों में बहती हैं। अतः जल विद्युत केन्द्रों की स्थापना कर, जल विद्युत के निर्माण के लिए अधिक उपयोगी हैं।
- इन नदियों में देश की संभावित जलशक्ति का 40 भाग पाया जाता है।
- ये नदियाँ मार्ग में प्रपात बनाती चलती हैं। अतः नाव्य नहीं हैं। तटीय मैदानों में ही ये नाव्य हैं।
- प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ वर्षा के जल अथवा भूमिगत जल पर निर्भर हैं। यहाँ कोई हिमानी नहीं है।
- शुष्क मौसम में यहाँ की अधिकांश नदियाँ सूख जाती हैं, शेष की जलधारा बहुत पतली हो जाती है। अतः ये नदियाँ सदानीरा होती हैं।
उत्तर: पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में प्रमुख अंतर इस प्रकार है-
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ:-
- कृष्णा, कावेरी, गोदावरी, महानदी पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं।
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- इन नदियों का अपवाह तंत्र विकसित तथा आकार में बड़ा है।
- ये नदियाँ बहुत गहराई में नहीं बहती हैं।
- ये नदियाँ पूर्वी तट पर बड़े डेल्टा का निर्माण करती हैं।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत मंद हो जाती है।
- इन नदियों की लंबाई अधिक होती है।
- नर्मदा एवं तापी पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं।
- ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
- इन नदियों का अपवाह तंत्र विकसित नहीं है। उनकी सहायक नदियाँ आकार में छोटी होती हैं।
- ये नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं।
- ये नदियाँ डेल्टा की बजाय ज्वारनद का निर्माण करती हैं।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत तेज होती है।
- इन नदियों की लंबाई कम होती है।
उत्तर: नदियों का किसी देश की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट हो जाता है-
- ये जल के बहाव को नियंत्रित करने में सहायता करती हैं।
- ये भारी वर्षा के समय बाढ़ को रोकती हैं।
- ये शुष्क मौसम के दौरान पानी का एकसमान बहाव बनाए रखती हैं।
- इनकी सहायता से जल-विद्युत पैदा की जाती है।
- ये आस-पास के वातावरण को मृदु बना देती हैं।
- ये जलीय परितंत्र को बनाए रखती हैं।
- ये प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि रखती हैं।
- ये पर्यटन का विकास करने में सहायता प्रदान करती हैं और मनोरंजन करती हैं।
- नदियों से हमें प्राकृतिक ताजा मीठा पानी मिलता है जो मनुष्य सहित अधिकतर जीव-जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक है।
- ये नई मृदा बिछाकर उसे खेती-योग्य बनाती हैं जिससे बिना अधिक मेहनत के इस पर खेती की जा सके।
- नदियों के तटों ने प्राचीनकाल से ही आदिवासियों को आकर्षित किया है। ये बस्तियाँ कालांतर में बड़े शहर बन गए।
- नदियाँ अपने प्रवाह क्षेत्र में जल निकासी का कार्य करती हैं।
- नदियाँ अवसादी निक्षेपों का निर्माण करती हैं। इन निक्षेपों में वनस्पति तथा प्राणी अवशेष पाए जाते हैं जो कालांतर में सड़-गलकर कोयले एवं पेट्रोलियम में रूपांतरित हो जाते हैं।
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