जल ही जीवन है
प्रस्तावना
जल ही जीवन है यह कथन सत्य है मानव तथा अन्य प्राणियों व वनस्पतियों का अस्तित्व जल पर ही निर्भर है। मनुष्य बिना भोजन के रह सकता है लेकिन बिना जल के जीवन संभव नहीं पशु पक्षियों को भी जल चाहिए वनस्पतियों का विकास जल पर निर्भर है सृष्टि में आदि काल से आज तक जल का महत्व माना गया है। प्राचीन काल में नदियों व अन्य जल स्रोतों की पूजा की जाती थी जो इस बात का प्रतीक है कि जल महत्वपूर्ण प्राकृतिक देन है।
जल के उपयोग
जल के अनेक उपयोग हैं जल का प्रमुख उपयोग पीना है। प्यास मिटाना है जल पाचन क्रिया में सहायक होता है। जल के कारण ही खेती होती है भारत जैसे देश में तो खेती को मानसून का जुआ माना गया है। जो फसलें पैदा की जाती हैं उसके लिए सिंचाई के लिए जल आवश्यक है। जल स्नान करने वस्त्र धोने के काम आता है। मकान बनाने के काम में भी जल का उपयोग किया जाता है। बिना जल के भोजन बनाना (पकाना) संभव नहीं है।
जल के लिए निर्भरता
जल के लिए हम प्राकृतिक पर निर्भर हैं। जल वर्षा द्वारा प्राप्त होता है। यदि भरपूर बारिश हो जाए तो जल का अभाव नहीं रहता है। यदि बरसात कम हो या ना हो तो जल संकट बढ़ जाता है। विगत वर्षों में वर्षा कम होने से मालवा एवं राजस्थान के कई भागों में जल संकट गहरा गया था। पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया था जल संभरण के प्राकृतिक स्त्रोत नदी तालाब पोखर सूख गए थे। भूमिगत जलस्तर भी पाताल छू गया था कई हेडपंप ने काम हो गए थे कई वर्षों से हमने कुएं बावड़ी का उपयोग बंद कर दिया था।
अब हमें जल स्त्रोतों का महत्व समझ में आया वर्षा के जल का संरक्षण करना चाहिए। इस तरफ सरकार तथा जनता का ध्यान गया है। नदियों पर स्थान स्थान पर स्टॉप डैम बनाकर जल रोकने के प्रयास आरंभ हुए हैं। पुराने को बावरियों का उपयोग प्रारंभ हुआ है नदियों व तालाबों को गर्मी में गहरा किया गया वर्षा काल में जल स्त्रोतों के माध्यम से जल संग्रहण का कार्य किया जाना आवश्यक है। भूजल स्तर ज्यादा नीचा ना जाए इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
जल से ही विद्युत उत्पादन किया जाता है। विद्युत उत्पादन द्वारा औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलता है। उद्योगों के गतिशील रहने से उत्पादन बढ़ता है। किसी की अधिक उपज के लिए जल चाहिए कृषि एवं औद्योगिक उत्पादन बढ़ने से देश का आर्थिक विकास होता है। आर्थिक उन्नति होने से लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठता है।
जल का दुरुपयोग
दुख की बात है कि जल का दुरुपयोग भी बड़ा है नदियों तालाबों व को में कचरा फेंक कर उन्हें हमने ही प्रदूषित किया है। कई जल स्त्रोतों को नष्ट करने में मानव का ही हाथ है जिस वर्षा जिस वर्ष वर्षा कम हो उस वर्ष जल का दुरुपयोग रोका जाना चाहिए कम से कम जल का उपयोग करके अपने दैनंदिनी कार्य पूरा करने चाहिए। पेयजल का संरक्षण अति आवश्यक होता है।
वर्षा अधिक हो इसके लिए आवश्यक है कि वनों का संरक्षण हो वनों का विकास हो जिस क्षेत्र में 1 काट लिए गए हैं। वहां वर्षा कम हुई है। जिन भागों में सघन वन होते हैं वहां वर्षा ज्यादा होती है। अतः अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वन विनाश को रोका जाना चाहिए भूमि के 33% भाग पर बंद होना चाहिए। अभी मात्र 23% भाग पर ही बंद है। जल संकट से बचने का एकमात्र उपाय वन विकास है।
उप संहार
यह जान लेने के बाद की जल ही जीवन है। जल का उपयोग की रीति से करना चाहिए। जल स्त्रोतों के माध्यम से जल संग्रहण किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण नहीं किया जाना चाहिए। जल के महत्व को समझकर उसका संरक्षण करना अति आवश्यक है। जल के अभाव में सृष्टि का सर्वनाश संभव है। जल को देवता मानकर उसका सम्मान एवं संरक्षण करें।