बोली भाषा, मातृभाषा, राष्ट्रीय भाषा, अंतर्राष्ट्रीय भाषा,

 बोली भाषा

किसी सीमित क्षेत्र में प्रयोग में आने वाली भाषा के आवेशित एवं लघु रूप को बोली कहते हैं। यह स्थानीय बोलचाल की भाषा होती है जिसका व्याकरण नहीं होता है।

 भाषा

सुमित्रानंदन पंत - के अनुसार भाषा संसार का आनंद में चित्र है धोनी मैं स्वरूप है यह विश्व की हृदय तंत्री की झंकार है।
भाषा की विशेषताएं - भाषा की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं।
 एक भाषा का प्रयोग विशाल जन समूह द्वारा शिष्टता पूर्व ढंग से किया जाता है। 2 भाषा का अपना व्याकरण होता है। तीन इसका अपना साहित्य होता है।

 मातृभाषा

जिस भाषा का प्रयोग घर परिवार में होता है उसे मातृभाषा कहते हैं जैसे मध्यप्रदेश में अधिकांश परिवारों में जन्म धारण करने वाले शिशु को प्रारंभ से ही हिंदी भाषा सुनने एवं सीखने को वंश परंपरा से मिलती है। इसलिए उस बालक की मातृभाषा हिंदी कह लाएगी तात्पर्य यह है कि किसी प्रांत विशेष में मूल रूप से निवास करने वालों की भाषा उनकी मातृभाषा कहलाती है। दूसरे शब्दों में बालक अपने समीपवर्ती वातावरण से जिस आशा को सीखता है वह उसकी मातृभाषा कहलाती है।

 राजभाषा

राजभाषा से तात्पर्य कुछ भाषा से होता है जिसका प्रयोग राज्य के शासन कार्यों में किया जाता है। अथवा किसी राज्य के शासन कार्यों में जो भाषा प्रयोग में लाई जाती है। उसे वहां की राजभाषा माना जाता है। जैसे बंगाल में बंगाली भाषा का राज्य कार्यों में प्रयोग होने से वहां वहां की राज्य भाषा है। मध्य प्रदेश में शासकीय कार्यों में हिंदी भाषा का प्रयोग होता है अतएव हिंदी मध्य प्रदेश की राज्य भाषा है।

 राष्ट्रीय भाषा

राष्ट्रीय भाषा का अभिप्राय उस भाषा से होता है जिसे राष्ट्र के अधिकांश निवासी प्रयोग में लाते हैं। अथवा जिस भाषा में राष्ट्र के अधिकांश निवासी अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं जो संपूर्ण राष्ट्र की भावनात्मक एकता की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जिसमें राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना नहीं रहती है उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं जैसे भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है। जापान की राष्ट्रभाषा जापानी है।

राष्ट्रीय भाषा की प्रमुख विशेषताएं

राष्ट्रभाषा की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार है। एक राष्ट्रभाषा राष्ट्र के अधिकांश लोगों की भाषा होती है। दो यह राष्ट्र की भावनात्मक एकता की प्रतीक होती है। तीन यह राष्ट्र की जनसंख्या होती है। चार इसमें राष्ट्र की ऐतिहासिक साहित्य सांस्कृतिक आदि रूपों की झलक मिलती है। पांच यह व्याकरण संबंध और पूर्ण वैज्ञानिक भाषा होती है।

Share:

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Copyright © Hindi Digital Paathshala | Powered by Blogger Distributed By Protemplateslab & Design by ronangelo | Blogger Theme by NewBloggerThemes.com