लोक साहित्य किसे कहते हैं?

मानव - जीवन की अनुभूतियों को स्पष्टता और सहजता के साथ लोक - साहित्य में प्राप्त किया जाता है। लोक साहित्य अंचल विशेष में रचा गया साहित्य है। लोक साहित्य की रचना आदिकाल से ही मनुष्य अपनी वाणी के माध्यम से करता रहा है। अपने घुमंतू जीवन से लेकर ग्राम परिवेश तक मनुष्य ने लोक साहित्य को अपनी लोक अभिव्यक्ति में समेटा है। इस साहित्य में प्रकृति से संबंधित उकि्तयों की अधिकता रहती है।
             ग्रामीण समाज के संस्कार, जीवन मूल्य, जीवन की गतिविधियाँँ और उसके लोक - व्यापारो का समावेश लोक - साहित्य में परंपराओं के रूप में अभी भी सुरक्षित है। लोक - साहित्य के अंतर्गत लोक गीत, लोक कथाओं लोकोक्तियाँँ और कहावतो को सम्मिलित किया जा सकता है। लोक साहित्य के इन रूपों में लोक की प्रशंसा, लोक की भक्ति - भावना, लोग -  दर्शन के आधार भूमि, लोक व्यवहार की क्रियाशीलता और लोक - संस्कारों की उत्सवी छटाओं का भी अनुभव किया जा सकता है। लोक - साहित्य हमारी परंपराओं और हमारी मूल्यवान धरोहरोंं को अपनी विषयवस्तु में समेटे होता है।

लोक साहित्य की विशेषताएं -

 लोक - गीतों में प्रभावकारी लयें, मानवीय संवेदनाएं निहित रहती हैं। लोक - कथाओं में मनोरंजन, चातुरी, विवेक पूर्ण व्यवहार, बुद्धि, और जीवन जीने की कला का समावेश होता है। लोकोक्तियों और मुहावरों में लोग - जीवन के स्थान और प्रेरणा पूर्ण अनुभव सीमित शब्दों में व्यक्त रहते हैं।
            संक्षेप में, लोक - साहित्य में ग्रामीण समाज के संस्कार, जीवन मूल्य, जीवन की गतिविधियां और उसमें लोक -  व्यापारो का समावेश रहता है।

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