जब परस्पर सम्बंध रखने वाले शब्दों को मिलाकर उनके बीच आई विभक्ति आदि का लोप करके उनसे एक पद बना दिया जाता है, तब इस प्रक्रिया को 'समास' कहते हैं। अथवा दो या दो से अधिक शब्दों के योग को 'समास' कहते हैं। जैसे - राजा का पुत्र = राजपुत्र।
समास के निम्नलिखित 6 भेद हैं -
- तत्पुरुष समास
- द्वन्द्व समास
- बहुब्रीहि समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास,
- अव्ययीभाव समास।
तत्पुरुष समास
जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है और पहले पद के विभक्ति चिन्ह का लोप कर दिया जाता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।जैसे -
- शरण में आगत = शरणागत (कर्म तत्पुरुष)
- ईश्वर द्वारा प्रदत्त = ईश्वरप्रदत्त (करण तत्पुरुष)
- गुरु के लिए दक्षिणा = गुरु दक्षिणा (सम्प्रदान तत्पुरुष)
- पद से भ्रष्ट = पथभ्रष्ट (अपादान तत्पुरुष)
- राजा का कुमार = राजकुमार (सम्बन्ध तत्पुरुष)
- नीति में निपुण = नीतिनिपुण (अधिकरण तत्पुरुष)
- युद्ध में स्थिर = युधिष्ठिर (अलुक तत्पुरुष)
- न धर्म = अधर्म (न तत्पुरुष)
- नीति का ज्ञाता = नीतिज्ञ (उपपद, तत्पुरुष)
द्वन्द्व समास -
जिस समाज में दोनों या सब प्रधान होते हैं, उसे 'द्वन्द्व समास' कहते हैं। जैसे -- दिन और रात = दिन रात।
- सुख अथवा दु:ख = सुख - दुख।
- भला अथवा बुरा = भला - बुरा।
- पाप और पुण्य = पाप - पुण्य।
- लाभ या हानि = लाभ हानि
बहुब्रीहि समास -
जिसके समस्तपद में कोई भी पद प्रधान न हो और समस्त पद किसी अन्य पद का विश्लेषण अथवा पर्याय बन जाए, उसे 'बहुब्रीहि' समास कहते हैं। जैसे -- दस है आनन जिसके = दशानन (रावण)
- पीत है अम्बर जिसका = पीताम्बर (श्री कृष्ण)
- चार है भुजाएं जिसकी = चतुर्भुज (विष्णु)
- चंद्रमा है शेखर पर जिसके = चंद्रशेखर (शंकर)
- मंद है बुद्धि जिसकी = मंदबुद्धि (मूर्ख )
- सुष्ठु है शील जिसका = सुशील (चरित्रवान)
- महान् है आत्मा जिसकी = महात्मा (महापुरुष)
- नीला है कंठ जिसका = नीलकंठ (शंकर जी)
कर्मधारय समास
जिस समास में प्रथम पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य हो उसे 'कर्मधारय समास' कहते हैं। जैसे -- महान् वीर = महावीर
- पीत अम्बर = पीताम्बर,
- नील कमल = नीला कमल
- नील कण्ठ = नीलकंठ
- नीला गगन = नील गगन
दिगु समास
द्विगु समास में प्रथम पद संख्यावाचक विशेषण होता है और उत्तर पर विशेष्य होता है। जैसे -- त्रि लोकों का समूह = त्रिलोकी।
- नौ ग्रहों का समूह = नवग्रह।
- पाँच वटों का समूह = पंचवटी।
- सात सौ दोहों का समूह = सतसई।
अव्यीभाव समास
जिस समास में पूर्व पद प्रधान तथा अव्यय होता है, और उत्तर पद संज्ञा अथवा विशेषण होता है, उसे 'अव्ययीभाव समास' कहते हैं। जैसे -- यथा + शक्ति = यथाशक्ति
- समय के अनुसार = यथासमय
- जीवन भर = आजीवन।
- दिन + दिन = दिनों-दिन
- शक्ति भर = भरसक
- प्रति + एक = प्रत्येक
- जन्म से लेकर = आजन्म।
- बिल्कुल साफ़ = साफ़ - साफ़
- प्राचार्य के समान = उप प्राचार्य
- भरपेट = पेट भर के