क्रिकेट का खेल
रूपरेखा — (1) प्रस्तावना (2) भारत में क्रिकेट (3) क्रिकेट खेल की विधि (4) उपसंहार
प्रस्तावना —
क्रिकेट एक विदेशी खेल है। इसका उल्लेख सबसे पहले 1478 ई. के फ्रांसीसी खेलों में हुआ है। कहते है, इस खेल का नियमानुसार प्रदर्शन सबसे पहले 1850 ई. में गिलफोर्ड नामक स्कूल में हुआ था। विदेशों में उसके अनेक क्लब स्थापित किये गये है। धीरे—धीरे इस खेल में सुधार किये गये। यह खेल इंग्लैड़ में काफी लोकप्रिय हुआ। अब तो यह अंतर्राष्ट्रीय महत्व भी प्राप्त कर चुका है। क्रिेकेट छात्रों, युवाओं और प्रौढ़ वयक्तियों में काफी लोकप्रिय हो चुका है। सच तो यह है कि आज सभी प्रकार के खेलों में क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय है। लोग महॅगे टिकिट खरीदकर इसका खेल देखने जाते है।
भारत में क्रिकेट —
भारत में क्रिकेट का खेल अंग्रेजों के साथ आया। आरम्भ में अंग्रेजों ने बम्बई में क्रिेकेट क्लब की स्थापना की। फिर वहॉ क्रिकेट टूर्नामेंट प्रारम्भ हुआ। सारे देश में इसका प्रचार हुआ। लोग बड़ी संख्या में इस ओर झुके। अब भारतीय भी इस खेल में रूचि लेने लगे हैं। 1928 ई. में भारतीय क्रिकेट के खिलाडियों की एक टीम इंग्लैड गयी थी। इसके बाद यह खेल विद्यार्थी, शिक्षकों और साधारण लोगों में काफी लोकप्रिय हुआ। इस खेल को देखने के लिए आज दर्शको की भीड़ उमड़ती है। लोग पहले से ही टिकिट खरीदने की कोशिश करते है। छोटे—छोटे बच्चे भी आज सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, कपिलदेव, अजरूद्दीन, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुम्बले, धोनी आदि प्रसिद्ध खिलाडियों के नाम से परिचित है। क्रिकेट का आज जितना प्रचार—प्रचार हैं, उतना किसी दूसरे खेल का नहीं। बच्चे और युवक सड़कों और गलियों में भी क्रिकेट खेलते पाये जाते है।
क्रिकेट खेल की विधि —
क्रिकेट का खेल एक बड़े मैदान में खेला जात हैं। मैदान के बीचों—बीचों 22 गज लम्बा पिच तैयार किया जाता है। इसके दोनों तरफ 3—3 इंच की दूरी पर तीन—तीन विकेट गाड़े जाते है। इसमें ग्यारह —ग्यारह खिलाडियों की दो टीमें होती है। प्रत्येक टीम का अपना कप्टान होता है। खेल शुरू होने के पहले दोनों टीमों के कप्टान मैदान के बीच आकर अंपायर के सामने टॉस द्वारा यह तय करते हैं कि कौन पहले खेलेगा या खेलायेगा। जो टीम जीत जाती है, उसे ऐसा करने का अधिकार होता है। तब खेल शुरू होता है। खेलने वाली टीम के दो खिलाड़ी अपने बैट लेकर मैदान में विकेटों के आगे खड़े हो जाते है और दूसरी टीम का खिलाड़ी बॉलिंग (गेंदबाजी) करता है। अगर गेंद विकेट से छू जाती है तो खेलने वाला आउट हो जाता है। अगर बैट से उसको (गेंद) मारकर दूर फेंक देता है, तो इस बीच वह दौड़कर अपनी रनसंख्या में वृद्धि कर लेता है। एक टीम खेलती है और दूसरी खेलाती है। इस प्रकार दोनों टीमों में जिसकी रनसंख्या अधिक हो जाती है, वही टीम विजयी घोषित हो जाती है। यह है इस खेल की विधि।
उपसंहार —
भारत के क्रिकेट खिलाड़ी और खेल काफी लोकप्रिय हो चुके है। भारतीय टीम आज विदेशों में बुलायी जाती है और खिलाड़ियों का मान—सम्मान बड़े फिल्मी अभिनेताओं की तरह होता है। कुछ लोगों का कहना है कि यह विदेशी खेल नहीं, बल्कि गॉवों में आज भी खेले जाने वाले गुल्ली—डंडा का विकसित और आधुनिक रूप है। जो कुछ भी हो, पर इतना तो तय है कि टी.वी. हो या खेल का मैदान, सभी दर्शक सुधबुध खोकर इस खेल में आनन्द लेते है। इस खेल का भविष्य उज्जवल है।