सन्धि किसे कहते हैं? परिभाषा दीजिए।
उत्तर
— ''जब
दो
ध्वनियॉ
आपस
में
मिल
जाती
हैं,
तब
वहॉ
सन्धि
होती
है।''जैसे
— विद्या + आलय
= विद्यालय। रमा
+ ईश = रमेश।
अथवा
''दो या
दो
से
अधिक
वर्णो
के
मेल
से
उत्पन्न
विकार
या
परिवर्तन
को
'सन्धि
कहते
है।''
अथवा
''दो वर्णो
के
पास—पास
आने
के
कारण
परस्पर
मिल
जाने
से
उनमें
जो
विकार
या
परिवर्तन
हो
जाता
है,
उसे
''सन्धि
कहते
है।''
सन्धि — विच्छेद किसे कहते है?
उत्तर — सनिध के नियमों द्वारा मिले हुए वर्णो को पुन: पूर्व अवस्था में ले आने को सन्धि विच्छेद कहते हैं। जैसे — कक्षाध्यापक = कक्षा + अध्यापक, रवीन्द्र = रवि + इन्द्र।
सन्धि के भेद बताइए।
उत्तर — वर्णो के आधार पर सन्धि के तीन भेद होते हैं —
- स्वर सन्धि,
- व्यंजन सन्धि,
- विसर्ग सन्धि
स्वर सन्धि किसे कहते है?
उत्तर — दो स्वरों के मेल से उत्पन्न विकार अथवा रूप—परिवर्तन को 'स्वर—सन्धि' कहते हैं।
स्वर सन्धि के भेद बताइए।
स्वर सन्धि के निम्नलिखित पॉच भेद है —
- दीर्घ सन्धि,
- गुण सन्धि,
- वृद्धि सन्धि,
- यण सन्धि,
- अयादि सन्धि।
दीर्घ स्वर सन्धि की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए।
उत्तर - हस्व या दीर्घ अ, इ, उ के पश्चात् हस्व या दीर्घ स्वर आए, तो दोनों मिलकर क्रमश: आ, ई, ऊ बन जाते हैं। इसे दीर्घ स्वर सन्धि कहते हैं।
- मत + अनुसार = मतानुसार
- कक्षा + अध्यापक = कक्षाध्यापक
- रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
- मुनि + ईश = मुनीश
- शची + इन्दु = शचीन्दु
- रजनी + ईश = रजनीश
- भानु + उदय = भानूदय
- बधू + उत्सव = वधूत्सव
- भू + ऊर्जा = भूर्जा
गुण स्वर सन्धि किसे कहते है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर
-
यदि
अ
या
आ
के
पश्चात्
इ
या
ई
या
उ
या
ऊ
अथवा
ऋ
आए
तो
दोनों
मिलकर
क्रमश:
ए,
ओ,
अर
हो
जाता
है।
इसे
गुण
स्वर
सन्धि
कहते
हैं।
जैसे
-
- देव + इन्द्र = देवेन्द्र ( अ + इ + ए)
- महा + इन्द्र = महेन्द्र (आ + ई + ए)
- रमा + ईश = रमेंश (आ + ई + ए)
- महा + उत्सव = महोत्सव |(आ + उ + ओ)
- सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ + ओ)
- देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ + अर्)
- महा + ऋषि = महर्षि (आ + ऋ + अर्)
वृद्धि सन्धि की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर — यदि अ या आ के पश्चात् ए, ऐ या ओ, औ, हो, तो दोनों के स्थान पर क्रमश: ऐ और औ हो जाते हैं। इसे वृद्धि सवर सन्धि कहते हैं।
- मत + ऐक्य =- मतैक्य (अ + ए + ऐ)
- सदा + एव = सदैव (आ + ए + ऐ)
- महा + ऐश्वर्य = (आ + ऐ + ऐ)
- महा + ओज = महौज (आ + ओ + औ)
- मरम + औषधि = परमौषधि ( अ + ओ + औ)
यण सन्धि किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर — यदि हस्व या दीर्घ इ, ई, उ ऊ या ऋ से परे कोई विजातीय या असमान स्वर हो, तो इ, ई, को यू, उ, ऊ, को व् और ऋ को र् हो जाता है। इसे यण स्वर सन्धि कहते है।
- यदि + अपि = यद्यपि (इ + अ + य्)
- इति + आदि = इत्यादि (इ + आ + य्)
- प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर (इ + उ + य्)
- प्रति + एक = प्रत्येक (इ + ए + य्)
- सु + आगत = स्वागत (उ + आ + व्)
- मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा (ऋ + आ + र्)
अयदि स्वर सन्धि की परिभाषा लिखिए। उदाहरण दीजिए।
यदि ए, ऐ, ओ, औ के आगे इनसे भिन्न स्वर प्रयोग में आए, तो ए का अय्, ऐ का आय्, ओ का अव् हो जाता है। इसे अयादि स्वर सन्धि कहते है।
- ने + अन = नयन ( ए + अ + अय्)
- गै + अक = गायक (ऐ + अ + आय्)
- पो + अन = पवन (ओ + अ + अव्)
- पौ + अन = पावन (औ + अ + आव्)
- नौ + इक = नाविक (ओ + अ + आव्)
जन सन्धि किसे कहते है? उदाहरण दीजिए।
उत्तर — व्यंजन वर्ण के पश्चात् स्वर या व्यंजन आने से व्यंजन मे जो विकार या परिवर्तन आ जाता है, उसे 'व्यंजन सन्धि' कहते है।
- दिक् + गज = दिग्गज (क् + ग् + ग्ग)
- जगत् + ईश = जगदीश (त् + ई + दी)
- अच् + अन्त = अजन्त (च् + अ + ज)
- जगत् + नाथ = जगन्नाथ (त् + न + न्न)
- उत् + ज्वल = उज्ज्वल (त् + ज् + ज्ज्)
- उत् + डयन = उड्डयन (त् + ड + ड्ड)
- उत् + लेख = उल्लेख (त् + ल + ल्ल)
- उत् + श्वास = उच्छवास (त् + श + च्छ)
- उत् + दार = उद्धार (त् + द + द्ध)
- सम् + न्यास = संन्यास
- वि + सम = विषम (व + स + ष)
- सम् + योग = संयोग
विसर्ग सन्धि कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
विसर्ग से परे स्वर या व्यंजन आने से विसर्ग में जो विकार होता है, उसे 'विसर्ग सन्धि' कहते हैं।
- नम: + ते = नमस्ते
- मन: + हर = मनोहर
- नि: + आशा = निराशा
- अध: + पतन = अध: पतन
- नि: + कपट = निष्कपट
- नि: + सार = निस्सार
- यश: + दा = यशोदा
- दु: + बल = दुर्बल
- नि: + चल = निश्चल
- दु: + शासन = दुश्शासन