गणतन्त्र दिवस

 गणतन्त्र दिवस 

रूपरेखा - प्रस्तवाना, गणतन्त्र दिवस का इतिहास, 26 जनवरी के कार्यक्रम 26 जनवरी का गौरव स्वतन्त्र भारत के नागरिकों का दायित्व, उपसंहार।

प्रस्तावना - भारत त्यौहारों का देश है। इसकी धरती पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक त्यौहार सम्पन्न किये जाते हैं। परन्तु ये त्यौहार किसी धर्म सम्प्रदाय अथवा जाति से जुडे रहते हैं। लेकिन जो पर्व समस्त देश में एक साथ मानाया जाता है उसे राष्ट्रीय पर्व की संज्ञा से विभूषित किया जाता है। इसी श्रंृखला में 26 जनवरी हमारा राष्ट्रीय पर्व है। हर वर्ष 26 जनवरी को विशेष उल्लास के साथ यह पर्व मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन हमारे देश को पूर्ण गणतन्त्र घोषित किया गया था। 

गणतऩ् दिवस का इतिहास - यद्यपि सन् 1857 में स्वतन्त्रता की चिंगारी भड़की थी, परन्तु पारिवारिक फूट का लाभ उठाकर अंग्रेजों ने इन आन्दोलनों को कुचल दिया। परन्तु तिलक, गाॅधी, सुभाष तथा नेहरू ने देश को आजाद कराने का प्रण लिया। राजनीतिक क्षितिज पर 1947 को भारत को आजादी मिली। 26 जनवरी, सन् 1950 से हमारा संविधार लागू हुआ और यह दिन हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। अंग्रेजों के गवर्नर जनलर की जगह भारत का शासन राष्ट्रपति के हाथों में आया। इस भाॅति 26 जनवरी की महिमा सर्वत्र व्याप्त है। 

26 जनवरी के कार्यक्रम - 26 जनवरी को सभी जगह ध्वजारोहण किया जाता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रभात फेरियाॅ निकाली जाती है। दिल्ली में सैनिकों की परेड भी उत्साहवर्द्धक होती है। आकाशवाणी से राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री के भाषण प्रसारित होते हैं। रात्रि में भी दिन जैसा प्रकाश होता है।

26 जनवरी का गौरव - यह दिन हमें देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने की याद दिलाता है। दिल्ली में आयोजित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम देश के उत्थान के परिचायक हैं।

स्वतन्त्र भारत के नागरिकों का दायित्व - स्वतन्त्र भारत ने अपनी आजादी और इसकी अखण्डता की सुरक्षा के लिए अति महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हमारी सीमाओं की सुरक्षा, आन्तरिक शान्ति व्यवस्था में सैनिक बल और अर्द्ध - सैनिक बल अपना उत्तरदायित्व निभाते हुए पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। साथ ही सम्पूर्ण जनता उनकी अभिवृद्धि और खुशहाली के लिए सहयोग के साथ प्रार्थना भी करती है। 

गणतन्त्र का पर्व हम सभी भारतवासियों का आव्हान करता है कि अभी वास्तविक रूप से गणतन्त्र की स्थापना में कुछ कमी है। वह कमी है सभी सामाजिक व्यवस्था में समानता के अधिकार की। आर्थिक शैक्षिक विपन्न व्यक्ति भारत गणराज्य की ओर एकटक बेबसी की दृष्टि से देखने को मजबूर है। 

उपसंहार - हमारे देश में स्वतन्त्रता देवी का आगमन कठोर साधना एवं बलिदान के फलस्वरूप हुआ है। अतः देश के प्रत्येक नागरिक का कत्र्तव्य है कि इसे अक्षुण्ण बनाने में सहयोग दें। तभी इस पावन पर्व को सम्पन्न करना सार्थक होगा। 


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