पाठ — 10
गद्य भारती
बैल की बिक्री (सियाराम शरण 'गुप्त')
- खेतों के पौधे असमय में ही क्यों मुरझाा रहे थे?
उत्तर — बादल समय पर पानी नहीं देते थे, इसलिए खेतों के पौधे असमय में ही मुरझाा रहे थे।
- महाजन का नाम क्या था?
उत्तर — महाजन का नाम सेठ ज्वालाप्रसाद था।
- किसान के हाथ — पैर किसे कहा गया है?
उत्तर — किसान के हाथ — पैर बैल को कहा गया है।
- शिबू अपना बैल बेचने कहॉ जाता है?
उत्तर — शिबू अपना बैल बेचने हाट (बाजार) जाता है।
- डाकुओं की कुल संख्या कितनी थी?
उत्तर — डाकुओ की कुल संख्या पॉच थी।
- मोहन रामधन के साथ कहॉ गया?
उत्तर — मोहन राधन के साथ ज्वालाप्रसाद की कोठी पर गया।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- मोहन शिबू के विषय में क्यों चिंतित था?
उत्तर — मोहन शिबू के विषय में इसलिए चिंतित था, क्योंकि वह एक बिल्कुल निश्चिन्त प्राणी था। उसे घर के काम — काज से कोई सरोकार नहीं था।
- मोहन को अपने स्वर्गीय पिता का स्मरण क्यों हुआ?
उत्तर — मोहन को अपने बेटे शिबू के व्यवहार से बड़ा असन्तोष था। वह उन्हें बहुत खिझाता था। परन्तु वह अपने पिता जैसा स्नेहपूर्ण व्यवहार करके शिबू को राह पर लाना चाहता था। इसलिए मोहन को अपने स्वर्गीय पिता का स्मरण हो आता था।
- शिबू द्वारा बैल का अपमान करने पर मोहन की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर — शिबू द्वारा बैल का अपमान करने पर मोहन क्रूद्ध होकर बोला — ''कैसा है रे! बैल को पानी पिलाना वाहियात काम बताता है। किसानी न करेगा तो क्या बाबू बनकर डाकखाने में टिकट बेचेगा?'' वह आगे बोला, ............घर में जोडी न होती तो इतनी बातें बनाना न आता। बैल किसान के हाथ — पैर होते हैं। एक हाथ टूट जाने पर कोई दूसरा हाथ भी कआ नहीं डालता। मैं इसका जोड़ मिलाने की फिक्र में हॅू। तू कहता है — बेच दें। दूर हो, जहॉ जाना हो, चला जा, मैं सब कर लूॅगा।
- बैल को बेचने के लिए जाते हुए मोहन ने शिबू से क्या कहा?
उत्तर — बैल को बेचने के लिए जाते हुए मोहन ने शिबू से कहा ''एक बात बेटा, मेरी मानना। बैल किसी भले आदमी को देना, जो उसे अच्छी तरह रखे। दो — चार रूपये कम मिले तो ख्याल न करना।
- शिबू ने डाकूओं का प्रतिकार किस प्रकार किया?
उत्तर — शिबू डाकुओं का प्रतिकार करने के लिए उनके सामने धोती तानकर खड़ा हो गया। बोला — मैं रूपये नहीं दूॅगा। दूसरा डाकू बन्दूक का कुन्दा मारने के लिए उस पर झपटा। यह देख शिबू उससे बोला — तुम मुझे मार सकते है, परन्तु रूपये नहीं छीन सकते। डाकुओं से घिर जाने पर वह बोल रहा था — छोड़ दो, मैं रूपया नहीं दूगा। शिबू का यह भयंकर रूप देखकर डाकू अपने मन में भयभीत हो गये और बन्दूकें लिए हुए फौरन वहॉ से चल दिए।
- ज्वालाप्रसाद ने मोहन से क्या कहा?
उत्तर — ज्वालाप्रसाद ने मोहन से कहा — ''वादें बहुत हो चुके। अब रूपये अदा कर दो, नहीं तो अच्छा न होगा।'' आगे उसे मूर्ख और 'बेईमान' उपाधियों से विभूषित भी किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- शिबू जब अपने पिता से बैल को बेचने के लिए कहता है, तब बैल के बचाव में मोहन क्या कहता है?
उत्तर — शिबू जब अपने पिता से बैल को बेचने के लिए कहता है, तब बैल के बचाव में मोहन उसे फटकार लगाते हुए कहता है — '' चुप रह! घर मैं जोड़ी न होती, तो इतनी बातें बनाना न आता। बैल किसान के हाथ — पैर होते है। एक हाथ टूट जाने पर कोई दूसरा हाथ भी कटा नहीं डालता। मैं इसका जोड़ मिलाने की फिक्र में हॅू। तू कहता है — बेच दो। दूर हो, जहॉ जाना हो, चला जा। मैं सब कर लूॅगा।''
- ''दद्दा सबेरे ज्वालाप्रसाद के आदमी के साथ गये थे और दोपहर की रोटी खाने भी नहीं आए'' — यह जानकर शिबू ने क्या किया?
उत्तर — यह जानकर शिबू झपाटे के साथ घर से निकलकर ज्वालाप्रसाद के यहॉ जा पहॅुचा। पिता को मुॅह सुखए, पसीने — पसीने एक जगह बैठा देखा। बोला — '' चलो। आज रोटी नहीं खानी है?'' यह सुनकर दूर से ज्वालाप्रसाद ने कहा — '' कौन है शिबूआ? दाम लाया या यों ही लिवाने आ गया?'' शिबू ने अपने कर्कश कंठ को और भी कर्कश करके कहा — '' अपनी रूपहट्टी लोगे या किसी की जान? अरे, कुछ तो दया होती? बूढे ने सबेरे से पानी तक नहीं पिया। तु कम — से — कम चार दफे भोजन ठॅूस चके होंगे।
- शिबू के द्वारा किए गए व्यवहार की ज्वालाप्रसाद पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर — शिबू के द्वारा किए गए व्यवहार से जवालाप्रसाद घबरा उठा। बोला — अरे ढोर, कुछ तो समझ की बात कर। किससे किस तरह बोलना चाहिए, आज तक तुझे यह शऊर नहीं आया।''
'' न आने दो। चलो, उठो। मैं तुम्हें यहॉ कसाई की गाय की तरह मरने न दूॅगा। रामपुर की हाट में सोमवार को बैल बेचकर उनकी कौड़ी — पाई चुका दूॅगा।'' — कहकर शिबू ने पिता का हाथ पकड़ा और उसे झकझोरता हुआ साथ ले गया।
ज्वालाप्रसाद हतबुद्धि होकर ज्यों — के — त्यों बैठे रहे। उन्होंने शिबू जैसा निर्भय आदमी न देखा था। उनके मुॅह पर ही उन्हें कसाई बताया गया। गुस्से की अपेक्षा उन्हे डर ही अधिक मालूम हुआ। उस दिन ज्वाला प्रसाद का किसी काम में मन ही नहीं लगा।
- शिबू के द्वारा किए गए व्यवहार की ज्वालाप्रसाद पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर — शिबू के द्वारा किए गए व्यवहार से जवालाप्रसाद घबरा उठा। बोला — अरे ढोर, कुछ तो समझ की बात कर। किससे किस तरह बोलना चाहिए, आज तक तुझे यह शऊर नहीं आया।''
'' न आने दो। चलो, उठो। मैं तुम्हें यहॉ कसाई की गाय की तरह मरने न दूॅगा। रामपुर की हाट में सोमवार को बैल बेचकर उनकी कौड़ी — पाई चुका दूॅगा।'' — कहकर शिबू ने पिता का हाथ पकड़ा और उसे झकझोरता हुआ साथ ले गया।
ज्वालाप्रसाद हतबुद्धि होकर ज्यों — के — त्यों बैठे रहे। उन्होंने शिबू जैसा निर्भय आदमी न देखा था। उनके मुॅह पर ही उन्हें कसाई बताया गया। गुस्से की अपेक्षा उन्हे डर ही अधिक मालूम हुआ। उस दिन ज्वाला प्रसाद का किसी काम में मन ही नहीं लगा।बैल के बेचने का निश्चय होते ही मोहन की हालत कैसी हो गई?बैल के बेचने का निश्चय होते ही मोहन की हालत बिगड गई। वह बीमार दिखाई देने लगा। वह दिनभर बैल के विषय में ही सोचा करता। रात को उठकर कई बार बैल के पास जाता। बैल के गले से लिपटकर वह आॅसू बहाने लगता।
- बैल को बेचने के पश्चात शिबू की मानसिक स्थिति का चित्रण कीजिए।
उत्तर — बैल को बेचने के पश्चात शिबू की मानसिक स्थिति बड़ी विचित्र हो रही थी। आज उसकी चाल में वह तेजी नहीं थी, जो बैल बेचने के लिए जाते समय थी। न जाने कितनी बातें उसके भीतर आ रही थीं। बैल के बिना उसे सूना — सूना मालूम हो रहा था। बार — बार उसे बैल की सूरत याद आती। कभी — कभी उसकी आॅखों में आॅसू छलक आते थे।
- शिबू का चरित्र — चित्रण कीजिए।
उत्तर — शिबू ऋणग्रस्त सीमान्त किसान का बेटा था। उसका मन घर — गृहस्थी में नहीं लगता था। एक बैल की देखभाल से भी वह जी चुरता रहता था।शिबू बिल्कुल मुॅह फट था। पिता उसे कभी बैल की देखीााल करने के लिए कहता तो वह तत्काल जबाब दे देता — मुझसे यह बेगार न होगी। मुझे वाहियात कामों की फुरसत नहीं है।शिबू बड़ा स्वाभिमानी था। पिता को जब उसने सेठ जवालाप्रसाद के यहॉ बन्धक जैसा देखा तो उसका क्रोध आसमान छूने लगा। वह साहूकार जवाला प्रसाद से कहने लगा — अपनी रूपाहट्टी लोगे या किसी की जान? अरे, कुछ तो दया होती। बूढे ने सबेरे से पानी तक नहीं पिया। तुम कम — से — कम चार दफे भेाजन ठूॅस चुके होंगे। यह कहकर वह उसे बैल बेचकर कर्ज अदा करने का कहता है।शिबू शारीरिक दृष्टि से दिखने में हष्ट — पुष्ट और मोटा ताजा था। बोलने में उसे किसी का डर नही था। चलने में किसी का बंधन नही था।शिबू में गजब का साहस था। बैल बेचकर लौटते समय वह रात्रि में डाकुओं से घिर गया। उसने उन्हें साहसपूर्वक जवाब दिया — तुम मुझे मार सकते हो, परन्तु रूपये नहीं छीन सकते। ये रूपये मेंरे पिता के कलेजे के खून से तर हैं। मेरे जीते जी महाजन के सिवाय इन्हें कोई नहीं ले सकता। यह सुनकर डाकू भी दंग रह गये। उन्होंने वहॉ से हटना ही उचित समझा।शिबू में संवेदनशीलता थी। बैल बेच देने पर उसे सूना — सूना लग रहा था। उसके बारे में विचार करते हुए उसकी आॅखों से आॅसू आ जाते थे। वह अनुभव करने लगा कि वह बैल उसका भाई ही था।संक्षेप में, शिबू में अल्हड़पन है, बोलने में वह मुॅह — फट है, स्वाभिमानी है, दिखने में हष्ट — पुष्ट है, साहसी है और संवेदनशील भी है।
निम्नलिखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए —
- ''भीड़ में से एक आदमी निकालकर शिबू के पास आया। बोला — कौन है शिव माते? तुमने आज इतने आदमियों को ........।
शिबू ने कहा — ज्वालाप्रसाद। शरीर पर धोती के सिवाय कोई वस्त्र नहीं। डाकुओं ने रूपये — पैसे के साथ उसके कपड़े भी उतरवाकर रखवा लिए थे। उसे देखते ही उसका मुॅह घृणा से विकृत हो उठा। अण्टी से रूपये निकालकर उसने कहा — बड़ी बात, शिबू माते तुम्हें आज यहीं मिल गये। अपने रूपये चुकते कर लो। अब लुट जाए तो मैं जिम्मेदार नही।''
उत्तर — प्रसंग — शिबू के धैर्य और साहस को देखकर लुटे हुए लोगों की भीड़ में से निकलकर एक व्यक्ति शिबू के पास आया और वह कृतज्ञता व्यक्त करने लगा —
व्याख्या — कौन? तुम शिव माते? शिबू? तुमने आज इतने आदमियों को जीवन दान दिलाया है। शिबू ने भी ज्वाला प्रसाद को पहचान लिया। उस समय ज्वालाप्रसाद के शरीर पर एक धोती के अलावा कुछ नहीं था। कारण, डाकुओं ने रूपये — पैसे के साथ उसके कपड़े भी उतरवाकर अपने पास रख लिए थे। सेठ ज्वालाप्रसाद को पहचान लेने पर शिबू के मन में उसके प्रति घृणा का भाव व्यक्त हुए बिना न रह सका। उसने अपनी अण्टी में से रूपये निकाल लिए और यह कहते हुए उसके हाथों में थमा दिए कि शिबू माते तुम्हें आज यहीं मिल गए। इन दिए गए रूपयों से तुमने अपना कर्ज का रूपया चुकता कर लेना। अब यदि आगे जीवन में कहीं लुट गए तो शिबू जिम्मेदार नहीं रहेगा।
भाषा — अध्ययन
- निम्नलिखित शब्दों का सन्धि — विच्छेद कीजिए — यथेच्छाचार, अन्तस्तल, प्रेमातुर।
उत्तर —
- यथेच्छाचार = यथा + इच्छा + आचार।
- अन्तस्तल = अन्त: + तल।
- प्रेमातुर = प्रेम + आतुर।
- निम्नलिखित शब्दों का समास — विग्रह कीजिए — स्त्री — पुरूष, यथा — समय, क्षतिपूर्ति।
उत्तर —
- स्त्री — पुरूष = स्त्री और पुरूष।
- यथा — समय = समय के अनुसार।
- क्षतिपूर्ति = क्षति की पूर्ति।
- निम्नलिखित शब्दों के लिए एक — एक शब्द लिखिए — (1) जो किसी से भयभीत न हो। (2) जिसे ज्ञान न हो। (3) जिसके पास धन नहीं हो। (4) जो क्षय न हो।
उत्तर —
- जो किसी से भयभीत न हो। — निर्भय
- जिसे ज्ञान न हो। — अज्ञानी
- जिसके पास धन नहीं हो। — निर्धन
- जो क्षय न हो। - अक्षय
- निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए — (1) बादल समय पर पानी नहीं देते थे। (विधान वाचक) (2) सेठ ज्वालाप्रसाद अच्छे महाजन थे। (निषेध वाचक) (3) शिबू बाबू बनकर डाकखाने में टिकट बेचेगा। (प्रश्नवाचक) (4) मोहन बैल को बहुत प्यार करता था। (विस्मायादि वाचक)
उत्तर —
- बादल समय पर पानी नहीं देते थे। (विधान वाचक)
उत्तर — बादल समय पर पानी देते थ।
- सेठ ज्वालाप्रसाद अच्छे महाजन थे। (निषेध वाचक)
उत्तर — सेठ ज्वालाप्रसाद अच्छे महाजन नहीं थे।
- शिबू बाबू बनकर डाकखाने में टिकट बेचेगा। (प्रश्नवाचक)
उत्तर — क्या शिबू बाबू बनकर डाकखाने में टिकट बेचेगा?
- मोहन बैल को बहुत प्यार करता था। (विस्मायादि वाचक)
उत्तर — मोहन बैल को कितना प्यार करता था!
- आज्ञावाचक वाक्य किसे कहते हैं? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर — जिस वाक्य में किसी प्रकार की आज्ञा या उपदेश का बोध हो, उसे 'आज्ञावाचक वाक्य' कहते हैं। उदाहरणार्थ — (1) शान्त रहो! शोरगुल मत करो। अपना अभ्यास करो। (2) सावधान! सामने देखों। बोलो मत।
सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए —
- महाजन का नाम था —
(1) ज्वालाप्रसाद (2) शीतलप्रसाद (3) लालूप्रसाद (4) गोविन्द प्रसाद
उत्तर — ज्वालाप्रसाद
- डाकुओं की कुल संख्या थी।
(1) 5 (2) 10 (3) 15 (4) 25
उत्तर — 5
- मोहन रामधन के साथ ज्वालाप्रसाद की .............. पर गया।
(1) बंगला (2) कोठी (3) दुकान (4) फैक्ट्री
उत्तर — कोठी
- भीड़ में से बाहर निकलकर आने वाला व्यक्ति था।
(1) डाकू (2) ज्वालाप्रसाद (3) मोहन (4) शिबू
उत्तर — ज्वालाप्रसाद
- '' बैल की बिक्री'' कहानी का केन्द्रीय चरित्र है।
(1) मोहन (2) शिबू (3) साहूकार (4) शिबू
उत्तर — शिबू
- रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए —
- मोहन ...........सीमांत किसान था। उत्तर — ऋणग्रस्त
- मोहन को ............चिंता थी? उत्तर — शिबू की
- बैल किसान के ..............होते है। उत्तर — हाथ — पैर
- महाजन का नाम ...........था। उत्तर — ज्वाला प्रसाद
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