रूपरेखा -
(1) प्रस्तावना (2) विज्ञान और उन्नति, (3) विज्ञान वरदान के रूप में, (4) विज्ञान मनोरंजन व सूचना का माध्यम, (5) विज्ञान और चिकित्सा, (6) विज्ञान अभिशाप के रूप में, (7) उप संहार।
प्रस्तावना -
मानव आदिकाल से नये - नये आविष्कार करता आ रहा है और विकास की एक - एक सीढ़ी तक करता रहा है। अविष्कारों के बल पर ही उसने अपना जीवन सजाया सँवारा है। आज हम जिस युग में साँँस ले रहे हैं, वह विज्ञान का युग है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान की उपलब्धियों के प्रभाव को देखा जा सकता है। वैज्ञानिक अनुसंधानो ने मानव - जीवन को पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित और आरामदेह बना दिया है।
2 विज्ञान और उन्नति -
दुनिया के विभिन्न देशों के विकास पर एक नजर डालने से यह स्पष्ट हो जाता है कि आज जिस देश ने वैज्ञानिक उपलब्धियों के सहारे अपना औद्योगिकरण कर लिया है, उसी को उतना उन्नत देश कहा जाता है। जिस देश में औद्योगिकरण का स्तर नीचा है वह देश पिछड़ा हुआ देश कहा जाता है। विज्ञान ने मानव को पूरी तरह बदल दिया है।
3 विज्ञान से लाभ -
आज वैज्ञानिक गतिविधियों के देखने से यह जान नहीं पड़ता है विज्ञान मानव के लिए वरदान है या अभिशाप। यह तो सभी मानते हैं कि विज्ञान ने मानव को बहुत अधिक सुख - सुविधाएं प्रदान की है। मानव के दैनिक जीवन से लेकर उसके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं तक विज्ञान का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। प्राचीन काल में मानव लंबी दूरियाँँ तय करने में कठिनाई महसूस करता था, लेकिन अब मोटरकार, रेलगाड़ी, वायुयान व जलयान की मदद से वह हजारों मील की दूरी कुछ ही घंटों में तय कर लेता है। विज्ञान के साधनों ने दुनिया के देशों को बहुत आसपास ला दिया है। टेलीफोन और कम्प्यूटर आदि का अविष्कार भी मानव के लिए वरदान सिद्ध हुआ है। हजारों मील दूर बैठे हुए व्यक्ति से हम टेलीफोन से बातचीत कर सकते हैं तथा इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से न केवल बातचीत वरन् उसको चलते - फिरते हुए भी देख सकते हैं। इनके अविष्कार से व्यापारिक क्रियाकलापों में भी काफी सफलता मिलती है। व्यापारिक सम्बन्धों की स्थापना मेें इससे काफी सहायता मिलती है।
4 विज्ञान मनोरंजन व सूचना का माध्यम -
मनोरंजन के लिए तो विज्ञान ने तमाम साधन प्रस्तुत किए हैं, टेलीविजन, कम्प्यूटर और इंटरनेट विज्ञान की आधुनिकतम प्रगति है। देश-विदेश में होने वाली घटनाओं को हम इनके माध्यम से घर बैठे ही देख सकते हैं, इनके माध्यम से अपना मनोरंजन भी कर सकते हैं। आज तो ऐसा लगता है कि अगर वैज्ञानिक आविष्कारों को मानव जीवन से हटा दिया जाए तो जी मानव जीवन बेकार हो जयेगा। विज्ञान के माध्यम से दुनिया मानव की मुट्ठी में हो गई है। सम्पूर्ण संसार उसके आसपास नजर आ रहा है। पृथ्वी एवं आकाश के रहस्य का उद्घाटन विज्ञान से ही हुआ है।
5 विज्ञान और चिकित्सा -
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी बहुत प्रगति हुई है। आज विज्ञान द्वारा हृदय एवं मस्तिष्क का ऑपरेशन भी सम्भव हो गया है। अनेक जानलेवा बीमारियों से छुटकारा मिलने लगा है। चिकित्सा विज्ञान ने अंधो को आँँखें दी है और बहरों को कान। उसने जीवन को सुखद, सुंदर और दीघ्र बना दिया है।
6 विज्ञान से हानि -
परन्तु आज मानव के सामने एक बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है कि विज्ञान के नित नये आविष्कारों के कारण यह बदलती हुई परिस्थिति उसके लिए वरदान होगी या अभिशाप? यह प्रश्न इसलिए उठता है कि एक ओर जहाँँ मानव विज्ञान का उपयोग अपने हित में कर रहा है वहीं दूसरी ओर भयंकर अस्त्र - शस्त्रों द्वारा मानव की सभ्यता, संस्कृति और उसकी अब तक की अर्जित समस्त पूँँजी को क्षण में समाप्त कर देने की तैयारी भी कर रहा है। आज एक देश दूसरे देश को वैज्ञानिक शक्ति के आधार पर ही दबा रहा है। जिस देश के पास जितनी अधिक वैज्ञानिक शक्ति है, वह देश स्वयं को उतना ही श्रेष्ठ मान रहा है। वैज्ञानिकों ने ऐसे परमाणु बमों को भी आविष्कार किया है कि यदि कभी विस्फोट हुआ तो देश के देश नष्ट हो जाएँँगे। विज्ञान का दुरुपयोग हानिकारक है।
7 उपसंहार -
कुछ लोग विज्ञान को इसलिए अभिशाप मानते हैं कि इसने बड़े-बड़े संहारक अस्त्रों को जन्म दिया है। इतने प्रकार के घातक हथियारों का निर्माण किया गया है कि सारे संसार को मिनटों में नष्ट किया जा सकता है। विश्व का असंतुलित विकास, गरीब और अमीर देशों में दुनिया का विभाजन एवं विकसित पूँँजीवादी देशों द्वारा अल्पविकसित देशों पर प्रभुत्व बनाये रखने की महत्वाकांक्षा ने इस विचार को जन्म दिया है। अतः विज्ञान को अभिशाप होने से बचाने के लिए विश्व व्यवस्था में परिवर्तन करना होगा। नई व्यवस्था में हथियारों की होड़ समाप्त करनी होगी और विज्ञान अभिशाप कहलाने के कलंक से बच जाएगा।