वाक्य किसे कहते हैं?

ऐसा सार्थक शब्द समूह, जो व्यवस्थित हो तथा पूरे अर्थ या आशय प्रगट करता हो, 'वाक्य'  कहलाता है।

 अथवा

              शब्दों का ऐसा समूह,  जिसमें सार्थकता हो अर्थात् जिसमें भाव प्रकट करने की क्षमता हो, उसे 'वाक्य' कहते हैं। जैसे - राम पुस्तक पढ़ता है। यह एक ऐसा सार्थक शब्द - समूह है,  जिसमें पूरा आशय स्पष्ट होता है। अतः यह वाक्य है।

रचना की दृष्टि से वाक्य तीन प्रकार के होते हैं।

  1.  सरल वाक्य (Simple Sentence)
  2. मिश्र वाक्य (Complex Sentence)
  3. संयुक्त वाक्य (Compound Sentence)

1 सरल वाक्य - 

सरल या साधारण वाक्य में एक अथवा एक से अधिक उद्देश्य तथा केवल एक ही विधेय होता है। अथवा एक कत् र्ता और एक क्रिया वाले वाक्य 'सरल वाक्य' कहलाते हैं ।

जैसे - 

  1. लड़के मैदान में खेल रहे हैं।
  2. पक्षी आकाश में उड़ते हैं।
  3. रानी नृत्य करती है।

2  मिश्र वाक्य -

जिस वाक्य में एक से अधिक साधारण वाक्य हो तथा उनमें से एक वाक्य प्रधान हो तथा आश्रित हो, उसे 'मिश्र वाक्य' कहते हैं।

जैसे  - 

  1. यदि कठिन परिश्रम करोगे, तो सफल होगे।
  2. सभी जानते हैं कि वह ईमानदार है।
  3. यह वही छात्र है, जो कक्षा में प्रथम आया था।

 3 संयुक्त वाक्य -

जहां योजक अव्ययों द्वारा दो उपवाक्य सयुक्त हो जाते हैं, किंतु उनमें कोई वाक्य मुख्य आश्रित नहीं होता, वहां संयुक्त वाक्य होता है।

अथवा

जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक अथवा एक से अधिक सामानाधिकारी वाक्य हो, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं।

 जैसे -  

  1. आप कहानी पढेंगे या उपन्यास पड़ेंगे?
  2. आप समय पर पहुंच गये, नहीं तो गाड़ी निकल जाती ।
  3. वह लंबे बाल रखता है और फटी जींस पहनता है।
  4. मोहन मुझसे मिला, किंतु वह मेरी पुस्तक नहीं लाया, क्योंकि वह पुस्तक उसने उसे खो गई थी।

अर्थ की दृष्टि से वाक्य के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं -

1.  विधानवाचक वाक्य - 

जिन वाक्यों से किसी क्रिया के करने या होने की सामान्य जानकारी या सूचना मिलती है, उन्हें 'विधानवाचक वाक्य' कहते हैं। अथवा जिन वाक्यों से किसी कार्य के होने की सूचना मिलती है, उसे 'विधानवाचक वाक्य' कहते हैं।

जैसे -

  1. सूर्य पूर्व में उदय होता है।
  2. हमने अपना अभ्यास कर लिया है।
  3. मैं इंदौर में रहता हूं।
  4. हम दसवीं कक्षा में पढ़ते हैं।

2 निषेधवाचक वाक्य जिन - 

जिन वाक्यों से किसी कार्य के निषेध या न होने की सूचना मिलती है, उन्हें 'निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। अथवा जिन वाक्यों से कार्य के न होने की सूचना मिलती है, उन्हें 'निषेध वाचक वाक्य' कहते हैं ।

जैसे -

  1. मैं आज विद्यालय नहीं जाऊंगा।
  2. तुम पिक्चर नहीं देखते हो।
  3. सूर्या छाया नहीं देता है।
  4. हम बाजार नहीं जाएंगे।

3. प्रश्नवाचक वाक्य -

जिन वाक्यों में किसी व्यक्ति से कोई प्रश्न किया जाए, उन्हें 'प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं।

 जैसे  - 

  1. क्या तुम आज ही घर लौट आओगे?
  2. तुम्हारा नाम क्या है?
  3. क्या सूर्य गर्मी देता है?
  4. तुम्हारे पिताजी क्या करते हैं?

 4 विस्मयादिवाचक वाक्य - 

जिन वाक्यों में विस्मय, हर्ष, शोक, घृणा आदि के भाव व्यक्त हो, उन्हे 'विस्मयादिवाचक वाक्य' कहते हैं।

जैसे - 

  1. अरे ! आप आ गये।
  2. आहा ! कैसा सुंदर दृश्य है।
  3. आहा ! आज सूर्य कितना तप रहा है।
  4. धिक्कार तुम्हें ! जो ऐसे काम करते हो।

 5 आज्ञावाचक वाक्य - 

जिस वाक्यों से आज्ञा या अनुमति की सूचना मिलती है, उन्हें 'आज्ञावाचक वाक्य' कहते हैं।

 जैसे - 

  1. आप जाइए।
  2. तुम विद्यालय से बाहर चले जाओ।
  3. तुम फौरन वहां जाओ।

6. इच्छावाचक वाक्य -

जिन वाक्यों से वक्ता की इच्छा, आशा या आशीर्वाद का बोध हो, उन्हें 'इच्छावाचक वाक्य' कहते हैं।

जैसे - 

  1. ईश्वर तुम्हें चिरायु करें।
  2. तुम्हें परीक्षा में सफलता प्राप्त हो।
  3. मैं चाहता हूं कि तुम कोई नौकरी करो।

 7.  संदेहवाचक वाक्य -

जिन वाक्यों से कार्य के होने में संदेह या सम्भावना का बोध हो, उन्हें 'संदेहवाचक वाक्य' कहते हैं।

 जैसे  - 

  1. शायद मैं देर से लौटूँ। अब सूर्य ढल चुका होगा।
  2. शायद वह यही आ रहा हो।

8.  संकेतवाचक वाक्य - 

जिन वाक्यों से एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो, उन्हें 'संकेतवाचक वाक्य' कहते हैं।

 जैसे - 

  1. यदि तुम मेरे साथ रहोगे, तो मुझे सुविधा होगी।
  2. वर्षा अच्छी होती, तो फसलें अच्छी होती।
  3. यदि तुम प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए, तो मैं तुम्हें इनाम दूंगा।
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