आलोचना, यात्रावृत्त, पत्र साहित्य, डायरी, रेडियो, रूपक इतिहास, पत्र पत्रिकाएं, लोक - साहित्य (महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)

 आलोचना

प्रश्न - आलोचना किसे कहते हैं?
  • उत्तर - आलोचना में किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण - दोषों को उजागर किया जाता है। किसी भी साहित्यिक रचना को अच्छी प्रकार देखकर उसके गुण - दोषों को प्रकट करना उसकी 'आलोचना' कहलाती है। आलोचना कृति रचना और पाठक के बीच सेतु का काम करती है। डॉ. श्यामसुंदर दास ने आलोचना को जीवन रूपी साहित्य की व्याख्या कहा है। यह आलोचना रसानुभूति  की बौद्धिक व्याख्या है।
प्रश्न - 'आलोचना' का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करके इसकी परिभाषा दीजिए।
  • उत्तर - 'आलोचना' का शाब्दिक अर्थ किसी वस्तु का अन्तर्दर्शन  करना है।
 परिभाषा - किसी रचना के गुण - दोषों के निष्पक्ष विश्लेषण को ही 'आलोचना' कहते हैं।
प्रश्न - हिन्दी में 'आलोचना' का प्रारम्भ कब से हुआ?
  • उत्तर - हिन्दी में 'आलोचना' का प्रारम्भ भारतेंदु युग में, बद्रीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' एवं बालमुकुंद गुप्त द्वारा की गई लाला श्रीनिवास दास के 'संयोगिता स्वयंवर' नाटक की आलोचना से हुआ।
प्रश्न - शुक्लोत्तर युग के आलोचना - लेखकों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध आलोचना - लेखक डॉ. रामकुमार वर्मा, डॉ. नागेंद्र, डॉ. रामविलास शर्मा आदि हैं।
प्रश्न - हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचको के नाम बताइए।
  • उत्तर - हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक हैं - आचार्य रामचंद्र शुक्ल, डॉ. श्यामसुंदर दास डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी।
प्रश्न - आधुनिक युग के किसी एक प्रसिद्ध हिन्दी गद्य  आलोचक का नाम लिखिए।
  • उत्तर - आधुनिक युग में डॉ. नागेंद्र एक प्रसिद्ध हिन्दी गद्य आलोचक माने जाते हैं।
प्रश्न - 'समीक्षा' और 'आलोचना' में क्या अंतर है?
  • उत्तर - 'समीक्षा' और आलोचना एक दूसरे के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त होते हैं। हिन्दी - साहित्य में व्यावहारिक रूप से इनमें कोई अंतर नहीं है।

 यात्रा वृत्त

प्रश्न - 'यात्रावृत्त' किसे कहते हैं?
  • उत्तर - लेखक द्वारा की गई किसी यात्रा अथवा यात्राओं का सजीव और रोचक वर्णन 'यात्रावृत्त' कहलाता है।
प्रश्न - 'यात्रावृत्त' विधा के दो प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - यात्रावृत्त विधा के दो प्रसिद्ध लेखक हैं - (1)मोहन राकेश, (2) राहुल सांस्कृत्यायन।
प्रश्न - हिन्दी में यात्रा - साहित्य के प्रमुख लेखकों एवं उनकी रचनाओं के नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिन्दी में यात्रा - साहित्य के प्रमुख लेखक राहुल सांस्कृत्यायन (घुमक्कड़), अज्ञेय (अरे ! यायावर रहेगा याद) , डॉ. नागेंद्र (अप्रवासी की यात्राएँँ) एवं मोहन राकेश (आखिरी चट्टान) है।
प्रश्न - 'यात्रावृत्त'  के किन्हीं दो तत्वों का उल्लेख कीजिए।
  • उत्तर - 'यात्रावृत्त' के लिए आवश्यक दो तत्व हैं - (1) स्मृति एवं (2) स्मृति के आधार पर लेखन।
प्रश्न - हिन्दी में यात्रा वृत्त लिखने का प्रारंभ किस लेखक ने किया? सर्वाधिक यात्रावृत्त  किस गद्य — युग में लिखे गए हैं?
  • उत्तर - हिन्दीमें यात्रा वृत्त लिखने का प्रारंभ भारतेंदु हरिश्चंद्र से हुआ और सर्वाधिक यात्रा वृत्त या छायावादोत्तर युग में लिखे गए हैं

 पत्र साहित्य

प्रश्न - 'पत्र - साहित्य' विधा क्या है?
  • उत्तर - लेखक द्वारा अपने मित्रों, साहित्यकारों, परिचितों आदि को लिखे गए साहित्यिक कोटि के  पत्र  - संग्रह को 'पत्र - साहित्य' कहा जाता है।
प्रश्न - प्रमुख 'पत्र - साहित्य' लेखकों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - महात्मा मुंशीराम, बैजनाथ सिंह, वियोगी हरि,  बनारसीदास चतुर्वेदी, जानकी वल्लभ शास्त्री तथा 'बच्चन' प्रमुख 'पत्र - साहित्य' के लेखक हैं।

 डायरी

प्रश्न - 'डायरी' विधा क्या है?
  • उत्तर - लेखक द्वारा अपने प्रतिदिन के महत्वपूर्ण क्रियाकलापों का साहित्यिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करना डायरी विधा कहा जाता है।
प्रश्न -  हिंदी के प्रमुख डायरी लेखकों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिंदी के प्रमुख डायरी लेखक हैं - घनश्याम दास बिड़ला, धीरेंद्र वर्मा, लक्ष्मीकांत, सुंदरलाल त्रिपाठी, प्रभाकर माचवे, महादेवी वर्मा, मोहन राकेश आदि।
प्रश्न — संस्मरण और और डायरी में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर संस्मरण में लेखक स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति या घटना का सजीव वर्णन प्रस्तुत करता है, जबकि 'डायरी' में व्यक्ति अपने ही दैनिक जीवन का दिनांक सहित विवरण प्रस्तुत करता है।

 रेडियो रूपक

प्रश्न - रेडियो रूपक किसे कहते हैं?
  • उत्तर - रेडियो से प्रसारित किए जाने के लिए लिखित संवाद, नाटक, प्रहसन आदि को रेडियो 'रूपक' या रेडियो - नाटक कहा जाता है। इसमें ध्वनि प्रभाव की प्रधानता होती है । जैसे श्री विष्णु प्रभाकर का 'वापसी' रेडियो रूपक है।
प्रश्न -  प्रमुख रेडियो रूपक कारों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - प्रमुख रेडियो रूपककार हैं - चिरंजीत आचार बृहस्पति, विष्णु प्रभाकर आदि।

 इतिहास

प्रश्न - हिन्दी  - साहित्य का इतिहास लिखने वाले प्रमुख लेखकों के नाम लिखिए।

  • उत्तर - हिन्दी - साहित्य का इतिहास लिखने वाले प्रमुख लेखक हैं -  मिश्रबन्धु, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, आचार्य नन्ददुलारे बाजपेयी, डॉ. रामकुमार वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, डॉ. नागेंद्र, लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय, डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त आदि।

 पत्र पत्रिकाएं

प्रश्न - हिन्दी - गद्य साहित्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान करने वाली प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
  • उत्तर - हिन्दी - गद्य साहित्य के विकास में उल्लेखनीय योगदान करने वाले प्रमुख पत्रिकाएं हैं - हंस जागरण , सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, विशाल - भारत आदि।
प्रश्न - भारतेंदु युग में प्रकाशित किन्ही दो पत्रों एवं दो पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
  • उत्तर - भारतेंदु युग में प्रकाशित होने वाले दो पत्र थे - (1) ब्राह्मण, (2) हिन्दी प्रदीप ।
          दो पत्रिकाएं थी - हरिश्चंद्र मैगजीन तथा आनंद कादम्बिनी
प्रश्न - द्धिवेदी युग में प्रकाशित होने वाली चार पत्रिकाओं के नाम लिखिए।
  • उत्तर - इस युग में प्रकाशित चार पत्रिका निम्नलिखित थी - सरस्वती, माधुरी, इन्दु, मर्यादा।
प्रश्न - महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किस पत्रिका के माध्यम से हिंदी गद्य के विकास में योगदान किया?
  • उत्तर - महावीर प्रसाद द्विवेदी ने "सरस्वती" पत्रिका के माध्यम से हिन्दी गद्य के विकास में महान योगदान किया।
प्रश्न -  भारतेन्दु युग के दो सम्पादकों के नाम लिखिए।
  • उत्तर - भारतेंदु युग के दो सम्पादक थे - बालकृष्ण भट्ट तथा प्रतापनारायण मिश्र।
प्रश्न - 'सरस्वती' तथा 'हरिश्चन्द्र चन्दिका' के प्रसिद्ध सम्पादक का नाम लिखिए।
  • उत्तर - 'सरस्वती' पत्रिका के सम्पादक महावीर प्रसाद द्विवेदी तथा हरिश्चन्द्र चन्दिका के सम्पादक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे।
प्रश्न - द्विवेदी युग की सर्वाधिक प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका का नाम लिखकर उसके सम्पादक का नाम लिखिए।
  • उत्तर - द्विवेदी युग की सर्वाधिक प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका नाम पत्रिका का नाम 'सरस्वती' था। जिसके संपादक महावीर प्रसाद द्विवेदी थे।
 लोक साहित्य
प्रश्न - लोक साहित्य किसे कहते हैं ?समझाइए।
  • उत्तर - मानव जीवन की अनुभूतियों को स्पष्टता और सहजता के साथ लोक साहित्य में प्राप्त किया जाता है। लोक साहित्य अंचल विशेष में रचा गया साहित्य लोक साहित्य की रचना आदिकाल से ही मनुष्य अपनी वाणी के माध्यम से करता रहा है । अपनी घुमंतू जीवन से लेकर ग्राम परिवेश तक मनुष्य ने लोक साहित्य को अपनी लोक अभिव्यक्ति में समेटा है। इस साहित्य में प्रकृति से संबंधित उक्तियों की अधिकता रहती है। ग्रामीण समाज के संस्कार, जीवन मूल्य, जीवन की गतिविधियां और उसके लोक- व्यापारों का समावेश लोक - साहित्य में परंपराओं के रूप में अभी भी सुरक्षित है । लोक - साहित्य के अंतर्गत लोकगीत, लोककथाओं, लोकोत्तियॉ और कहावतों को सम्मिलित किया जा सकता है । लोक साहित्य के इन रूपों में लोक की प्रसन्नता, लोक की भक्ति - भावना, लोक - दर्शन की आधार भूमि, लोक - व्यवहार की क्रियाशीलता और लोक - संस्कारों की उत्सवी छटाओं का भी अनुभव किया जा सकता है ।लोक - साहित्य हमारी परंपराओं और हमारी मूल्यवान धरोहरों को अपनी विषय वस्तु में समेटे होता है।
प्रश्न - लोक - साहित्य की विशेषताएं लिखिए।
  • उत्तर - लोक-गीतों में प्रभावकारी लये मानवीय संवेदनाएं निहित रहती हैं । लोक - कथाओं में मनोरंजन, चातुरी, विवेकपूर्ण व्यवहार, बुद्धि और जीवन जीने की कला का समावेश रहता है । लोकोक्तियों और मुहावरों में लोक - जीवन के स्थान और प्रेरणापूर्ण अनुभव सीमित शब्दों में व्यक्त रहते हैं । संक्षेप में लोक - साहित्य में ग्रामीण समाज के संस्कार, जीवन मूल्य, जीवन की गतिविधियां और उसके लोक व्यापारों  का समावेश रहता है।
प्रश्न - मध्य प्रदेश के लोक - साहित्य का क्षेत्र बताइए?
  • उत्तर - मध्य प्रदेश में मालवी, निमाड़ी, बुंदेली और बघेली बोलियों में लोक - साहित्य उपलब्ध होता है ।मध्यप्रदेश में मालवा क्षेत्र में इंदौर, धार, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच और शाजापुर जिलों का क्षेत्र आता है  । निमाड़ क्षेत्र में खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी आदि जिले आते हैं। बुंदेली क्षेत्र में सागर, छतरपुर, दमोह, दतिया, टीकमगढ़, होशंगाबाद, विदिशा तथा ग्वालियर जिले आते हैं । बघेली के अंतर्गत रीवा, सतना, सीधी, पन्ना, आदि जिलों का समावेश किया गया है । बालाघाट, मंडला, बैतूल आदि जिलों में गौड़ी, भीली, कोरकू आदि बोलियों का लोक साहित्य मिलता है।

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