मुहावरे का प्रयोग भाग - 2

  • दिन में तारे दिखाई देना — परेशानी में पड़ जाना।
प्रयोग — व्यापार घाटे में चलने पर व्यापारी को दिन में तारे नजर आने लगते है। 
  • आसमान की छाती छेदना — असम्भव कार्य कर दिखाना। 
प्रयोग — वैज्ञानिक उन्नति ने आज आसमान की छाती छेद दी है।
  • टेढ़ी—खीर — कठिन कार्य। 
प्रयेाग — हिमालय पर्वत पर चढ़ना टेढ़ी खीर है। 
  • श्रीगणेश करना — प्रारम्भ करना। 
प्रयेाग — राकेश ने आज अपने उघोग का श्रीगणेश किया। 
  • मुॅह सीना — मुॅह बंद करना। 
प्रयेाग — महेश ने रिश्वत देकर अफसर का मुॅह बंद कर दिया। 
  • कुत्ते की मौत मरना — बेमौत मरना। 
प्रयोग — आतंकवादी पुलिस के हाथों कुत्ते की मौत मरते है। 
  • आॅखों में धूल झॉकना — चकमा देकर भाग जाना। 
प्रयोग — चोर पुलिस की आॅखो में धूल झोंककर भाग गया। 
  • हवाई किले बताना — स्वप्न लोक में विचरना। 
प्रयोग — आलसी लोग श्रम करना पसंद नहीं करते। वे सिर्फ हवाई किले बनाते रहते है। 
  • बॉये हाथ का खेल — आसान कार्य। 
प्रयोग — भारी वजन उठाना उसके लिए बायें हाथ का खेल है। 
  • अपने मुॅह मियॉ मिट्ठू बनन — अपनी प्रशंसा स्वयं करना। 
प्रयोग — अपने मुॅह मिट्ठू बनने से क्या लाभ, दूसरे लोग प्रशंसा करें तो कोई बात बने। 
  • किनारा करना — साथ छोड़ देना। 
प्रयेाग — स्वार्थी मित्र दु:ख के समय किनारा कर लेते है। 
  • कलेजे पर सॉप लोटना — ईष् र्या से जलना। 
प्रयोग — परीक्षा में जब मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ, तो हरी के कलेजे पर सॉप लौट गया। 
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना — एक बात पर स्थिर न रहना। 
प्रयोग — आजकल के नेता गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते है। 
  • गुदड़ी का लाल — निर्धन किन्तु गुणवान व्यक्ति। 
प्रयोग — लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे। 
  • छक्के छूट जाना — साहस टूट जाना। 
प्रयेाग — भारतीय सैनिकों के सामने शत्रुओं के छक्के छूट गए। 
  • तूती बोलना — पर्याप्त प्रभाव होना। 
प्रयोग — आजकल संसार में भारत की तूती बोल रही है। 
  • पौ—बारह होना — चतुर्दिक लाभ होना। 
प्रयोग — वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने से व्यापारियों के पौ—बारह हो जाते है। 
  • बीड़ा उठाना — उत्तरदायित्व निभाना। 
प्रयोग — महात्मा गॉधी ने देश को आजाद कराने का बीड़ा उठाया था।
  • हथेली पर सरसों जमाना — अति शीघ्रता करना। 
प्रयोग — राम ने अपने मित्र सोहन से कहा कि तुम्हारे कार्य में समय लगेगा, क्योंकि हथेली पर सरसों नहीं जम सकती है।
  • हाथ धोकर पीछे पड़ना — बुरी तरह पीछे पड़ना। 
प्रयोग — दुष्ट व्यक्ति सज्जनों के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है। 
  • आकाश पाताल का अन्तर — महान् अन्तर। 
प्रयोग — महात्मा गॉधी और संजय गॉधी में आकाश—पाताल का अन्तर है। 
  • आटे—दाल के भाव मालूम होना — कष्ट का अनुभव होना। 
प्रयोग — आज की बढ़ती महॅगाई के युग मे निर्धनों को आटे—दाल के भाव मालूम हो रहे है। 
  • ईद का चॉद होना — बहुत कम दिखाई देना। 
प्रयोग — मित्र, आजकल तो तुम ईद के चॉद हो रहे हो। क्या बात है? कभी मिलते ही नहीं हो। 
  • किताब का कीड़ — हर समय पड़ने वाला। 
प्रयोग — किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। 
  • गजभर की छाती होना — अत्यन्त उत्साहित होना। 
प्रयोग — पुत्र की सफलता का समाचार सुनकर पिता की छाती गजभर की हो गई। 
  • घोड़े बेचकर सोना — निश्चित होना। 
प्रयोग — मजदूर लोग रात को घोड़े बेचकर सोते है। 
  • दॉतों तले अॅगुली दबाना — आश्चर्य करना। 
प्रयोग — भारतीय सैनिको की वीरता के कारनामें सुरकर सारी दुनिया दॉतो तले अॅगुली दबाती है। 
  • पॉचो अॅगुलियॉ घी में होना — बहुत लाभ होना। 
प्रयोग — जब से मेरे चाचा नगर निगम के पार्षद बने हैं, मेरी तो पॉचों अॅगुलियॉ घी में रहती है।
  • पेट में दाढ़ी होना — छोटी आयु में चालाक होना। 
प्रयेाग — कमाल है इस बच्चे की, जिसने मुझ जैसे बूढ़े को उल्लू बना दिया है। इसके पेट में तो दाढ़ी है। 
  • बाल बॉका न होना — कुछ भी न विगड़ना। 
प्रयेाग — ईश्वर जिसका रखवाला होता है, उसका दुश्मन भी बाल बॉका नही कर सकता। 
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