- दिन में तारे दिखाई देना — परेशानी में पड़ जाना।
प्रयोग — व्यापार घाटे में चलने पर व्यापारी को दिन में तारे नजर आने लगते है।
- आसमान की छाती छेदना — असम्भव कार्य कर दिखाना।
प्रयोग — वैज्ञानिक उन्नति ने आज आसमान की छाती छेद दी है।
प्रयेाग — हिमालय पर्वत पर चढ़ना टेढ़ी खीर है।
- श्रीगणेश करना — प्रारम्भ करना।
प्रयेाग — राकेश ने आज अपने उघोग का श्रीगणेश किया।
- मुॅह सीना — मुॅह बंद करना।
प्रयेाग — महेश ने रिश्वत देकर अफसर का मुॅह बंद कर दिया।
- कुत्ते की मौत मरना — बेमौत मरना।
प्रयोग — आतंकवादी पुलिस के हाथों कुत्ते की मौत मरते है।
- आॅखों में धूल झॉकना — चकमा देकर भाग जाना।
प्रयोग — चोर पुलिस की आॅखो में धूल झोंककर भाग गया।
- हवाई किले बताना — स्वप्न लोक में विचरना।
प्रयोग — आलसी लोग श्रम करना पसंद नहीं करते। वे सिर्फ हवाई किले बनाते रहते है।
- बॉये हाथ का खेल — आसान कार्य।
प्रयोग — भारी वजन उठाना उसके लिए बायें हाथ का खेल है।
- अपने मुॅह मियॉ मिट्ठू बनन — अपनी प्रशंसा स्वयं करना।
प्रयोग — अपने मुॅह मिट्ठू बनने से क्या लाभ, दूसरे लोग प्रशंसा करें तो कोई बात बने।
- किनारा करना — साथ छोड़ देना।
प्रयेाग — स्वार्थी मित्र दु:ख के समय किनारा कर लेते है।
- कलेजे पर सॉप लोटना — ईष् र्या से जलना।
प्रयोग — परीक्षा में जब मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ, तो हरी के कलेजे पर सॉप लौट गया।
- गिरगिट की तरह रंग बदलना — एक बात पर स्थिर न रहना।
प्रयोग — आजकल के नेता गिरगिट की तरह रंग बदलते रहते है।
- गुदड़ी का लाल — निर्धन किन्तु गुणवान व्यक्ति।
प्रयोग — लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।
- छक्के छूट जाना — साहस टूट जाना।
प्रयेाग — भारतीय सैनिकों के सामने शत्रुओं के छक्के छूट गए।
- तूती बोलना — पर्याप्त प्रभाव होना।
प्रयोग — आजकल संसार में भारत की तूती बोल रही है।
- पौ—बारह होना — चतुर्दिक लाभ होना।
प्रयोग — वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने से व्यापारियों के पौ—बारह हो जाते है।
- बीड़ा उठाना — उत्तरदायित्व निभाना।
प्रयोग — महात्मा गॉधी ने देश को आजाद कराने का बीड़ा उठाया था।
- हथेली पर सरसों जमाना — अति शीघ्रता करना।
प्रयोग — राम ने अपने मित्र सोहन से कहा कि तुम्हारे कार्य में समय लगेगा, क्योंकि हथेली पर सरसों नहीं जम सकती है।
- हाथ धोकर पीछे पड़ना — बुरी तरह पीछे पड़ना।
प्रयोग — दुष्ट व्यक्ति सज्जनों के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है।
- आकाश पाताल का अन्तर — महान् अन्तर।
प्रयोग — महात्मा गॉधी और संजय गॉधी में आकाश—पाताल का अन्तर है।
- आटे—दाल के भाव मालूम होना — कष्ट का अनुभव होना।
प्रयोग — आज की बढ़ती महॅगाई के युग मे निर्धनों को आटे—दाल के भाव मालूम हो रहे है।
- ईद का चॉद होना — बहुत कम दिखाई देना।
प्रयोग — मित्र, आजकल तो तुम ईद के चॉद हो रहे हो। क्या बात है? कभी मिलते ही नहीं हो।
- किताब का कीड़ — हर समय पड़ने वाला।
प्रयोग — किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है।
- गजभर की छाती होना — अत्यन्त उत्साहित होना।
प्रयोग — पुत्र की सफलता का समाचार सुनकर पिता की छाती गजभर की हो गई।
- घोड़े बेचकर सोना — निश्चित होना।
प्रयोग — मजदूर लोग रात को घोड़े बेचकर सोते है।
- दॉतों तले अॅगुली दबाना — आश्चर्य करना।
प्रयोग — भारतीय सैनिको की वीरता के कारनामें सुरकर सारी दुनिया दॉतो तले अॅगुली दबाती है।
- पॉचो अॅगुलियॉ घी में होना — बहुत लाभ होना।
प्रयोग — जब से मेरे चाचा नगर निगम के पार्षद बने हैं, मेरी तो पॉचों अॅगुलियॉ घी में रहती है।
- पेट में दाढ़ी होना — छोटी आयु में चालाक होना।
प्रयेाग — कमाल है इस बच्चे की, जिसने मुझ जैसे बूढ़े को उल्लू बना दिया है। इसके पेट में तो दाढ़ी है।
- बाल बॉका न होना — कुछ भी न विगड़ना।
प्रयेाग — ईश्वर जिसका रखवाला होता है, उसका दुश्मन भी बाल बॉका नही कर सकता।