पाठ — 7
(गद्य भारती)
सच्चा धर्म (सेठ गोविन्ददास)
- पुरूषोत्तम कौन है?
उत्तर — पुरूषोत्तम दिल्ली निवासी एक महाराष्ट्रीय ब्राहम्ण है। वह 'सच्चा — धर्म' एकांकी का मुख्य मात्र भी हे।
- शिवाजी के पुत्र का क्या नाम था?
उत्तर — शिवाजी के पुत्र का नाम सम्भाजी था।
- शास्त्रों में किसकी व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है?
उत्तर — शास्त्रों में सत्य और असत्य की व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है।
- पुरूषोत्तम किस कार्य को दुष्कर्म की संज्ञा देते है?
उत्तर — पुरूषोत्तम विश्वासघात को शरणगत का बलिदान और दुष्कर्म की संज्ञा देते है।
- सत्य का आश्रय छोड़ने का क्या दुष्परिणाम होता है?
उत्तर — सत्य का आश्रय छोड़ने का दुष्परिणाम यह होता है कि मनुष्य के सामने तरह — तरह के प्रश्न उठ खड़े होते है। उसके सामने भयंकर आपत्ति आकर खड़ी हो जाती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- सत्य स्वयं ही सारे प्रश्नों का निराकरण कब करता है?
उत्तर — यदि मनुष्य एक सत्य का आश्रय लिए रहे, तो वह सत्य स्वयं ही सारे प्रश्नों का निराकरण कर देता है।
- असत्य किन परिस्थितियों में सत्य से बड़ा हो जाता है?
उत्तर — अनेक बार सतय के स्थान पर मिथ्या भाषण सत्य से भी बड़ा होता है। धर्म की रक्षा असत्य से होती है, तो असत्य से बड़ा हो जाता है।
- पुरूषोत्तम अपने किन गुणों के कारण सबके सम्मानपात्र थे?
उत्तर — पुरूषोत्तम अपने सत्यनिष्ठता, आचारनिष्ठता, कत्र्तव्यनिष्ठता, शरणागत वातसल्य आदि गुणों के कारण सबके सम्मानपात्र थे।
- सम्भाजी पुरूषोत्तम के आश्रय में कैसे पहुॅचे?
उत्तर — शिवाजी अपने कौशल से मिठाई के टोकने में बैठकर औरंगजेब की जेल से मुक्त हो गये। तब उन्होंने अपने पुत्र सम्भाजी को दिल्ली के एक महाराष्ट्रीय ब्राहम्ण पुरूषोत्तम राव के घर में छिपा दिया। इस प्राकर सम्भाजी पुरूषोत्तम के आश्रय में पहॅुचे।
- पुरूषोत्तम की दृष्टि में सबसे बड़ा पातक क्या है?
उत्तर — पुरूषोत्तम की दृष्टि में सबसे बड़ा पातक (पाप) विश्वासघात करना है। इसमें शरणागत के प्राण जाने का भय रहता है।
- पुरूषोत्तम ने अहिल्या से सत्य और असत्य की क्या व्याख्या की?
पुरूषोत्तम ने अहिल्या से सत्य और असत्य की व्याख्या करते हुए बताया कि अनेक बार सत्य के स्थान पर असत्य भाषण सत्य से बड़ा होता है। धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है तो असत्य, सत्य से बड़ा होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- पुरूषोत्तम के चरित्र की क्या विशेषताएॅ थी?
उत्तर — पुरूषोत्तम के चरित्र में निम्नलिखित विशेषताएॅ थी —
- सत्यनिष्ठ — पुरूषोत्तम सत्यनिष्ठ व्यक्ति थे। उनकी सत्यनिष्ठता अधिकांश दिल्ली में प्रसिद्ध थी। उन्होंने जीवन में कभी एक शब्द भी असत्य नहीं बोला।
- आचारनिष्ठ — पुरूषोत्तम अचारनिष्ठ व्यक्ति थे। वे त्रिकाल संध्या, तर्पण, हवन आदि नियमपूर्वक करते थे। पवित्र — अपवित्र, भक्ष्य — अभक्ष्य का सदैव ध्यान रखते थे।
- कत्र्तव्यनिष्ठ — वे बड़े कत्र्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। अपश्ना कत्र्तव्य स्वयं समझते थे। पत्नी के द्वारा हर तरह से समझाने पर भी वे अपने कत्र्तव्य पर डटे रहे।
- शरणागत वत्सल — पुरूषोत्तम ने जिसे एक बार अपने आश्रय या शरण में लिया, उसकी वे पूर्ण निष्ठा से रक्षा करते और उसे अभय प्रदान करते थे।
- पुरूषोत्तम के समक्ष कौन — सा धर्म संकट उपस्थित हुआ?
उत्तर — पुरूषोत्तम के समक्ष उस समय महान धर्म संकट उपस्थित हो गया, जब उन्हें आत्मधर्म से बढ़कर लोकधर्म, मानव — धर्म की रक्षा करनी पड़ी और असत्य बोलकर सम्भाजी के प्राणों की रक्षा करनी पड़ी।
- '' दिनभर का भूला — भटका यदि रात को भी घर लौट आए, तो वह भूला नहीं कहलाता।'' — इस कथन का भाव — विस्तार कीजिए।
उत्तर — यह कथन अहिल्या का है। वह अपने पति पुरूषोत्तम को राह पर लाना चाहती है। उससे सत्य कबूल करवाना चाहती है। इस सन्दर्भ में वह यह कथन करता है कि दिनभर का भूला — भटका व्यक्ति रात के समय तक भी अपने घर लौट आता है, तो उसे भूला हुआ नहीं कहते हैं। कारण, वह व्यक्ति इस बीच अपनी भूल को सुधार लेता हे। अहिल्या यही चाहती है कि उसका पति पुरूषोत्तम स्वयं औरंगजेब के सैनिको के सामने इस बात को स्पष्ट कर दे कि सम्भाजी उसका भांजा नहीं है और वह शिवाजी का पुत्र है।
- 'सच्चा — धर्म' एकांकी का केन्द्रीय भाव समझाइए।
उत्तर — 'सच्चा — धर्म' एकांकी एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। इसके माध्यम से लेखक ने धर्म के वास्तविक स्वरूप को भारतीय लोगों के सामने रखने का प्रयास किया है। एकांकीकार ने बताया है कि व्यक्ति के जीवन में धर्म से बड़ी कोई चीज नहीं है। यदि धर्म की रक्षा असत्य से होती है, तो वह असत्य, सत्य से बड़ा है। इस सिद्धांत को प्रमाणित करने के लिए पुरूषोत्तम राव स्वयं सम्भाजी के साथ एक थाली में बैठकर भोजन करते हैं। वे अपनी सम्पूर्ण आचार — निष्ठता को त्यागकर अपने व्यक्ति — मूल्य और सामाजिक — मूल्य की रक्षा करते हैं। सम्पूर्ण एकांकी परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित धर्म के स्वरूप को महत्व प्रदान करता है। यहॉ पर लेखक का दृष्टिकोण स्पष्टत: क्रान्तिकारी ज्ञात होता है।
- एकांकी के तत्वों के नाम लिखकर 'सच्चा धर्म' एकांकी के संवादों पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर — एकांकी के प्रमुख तत्व हैं — (1) कथावस्तु, (2) पात्र या चरित्र — चित्रण, (3) संवाद, (4) देशकाल — वातावरण, (5) संकलन — त्रय, (6) अभिनेयता, (7) रंग — संकेत (8) उद्देश्य।
'सच्चा — धर्म' एकांकी के संवाद —
संवाद या कथनोपकथन किसी भी एकांकी के प्राण होते है। ये कथानक को गति प्रदान करते है। पात्रों के चरित्र को उद्घाटित करते हैं। इस दृष्टि से 'सच्चा धर्म' एकांकी के संवाद, संक्षिप्त, स्पष्ट, प्रखर, प्रभावशाली और पात्रानुकूल है। इनकी भाषा पात्रानुकूल है। अहिल्या के कथन कुछ लम्बे अवश्य हें, परन्तु वे परिस्थिति के अनुकूल हैं। संक्षेप में, एकांकी के तत्वेां की दृष्टि से 'सच्चा — धर्म' एकांकी एक सफल एकांकी है। संवादों की दृष्टि से भी यह एकांकी काफी सफल रहा है।
- निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए — सत्यवादी, बलिदान, दुष्कर्म, निस्तब्धता।
उत्तर —
- सत्यवादी — पुरूषोत्तम एक सत्यवादी व्यक्ति थे।
- बलिदान — शरणागत का बलिदान उचित नही है।
- दुष्कर्म — शरणागत का बलिदान सबसे बड़ा दुष्कर्म है।
- नि:स्तब्धत — संध्याकाल में वन में नि: स्तब्धता व्याप्त हो जाती है।
- निम्नलिखित शब्दों का सन्धि — विच्छेद करके सन्धि का नाम लिखिए — शरणागत, पुरूषोत्तम, यज्ञोपवीत।
उत्तर —
- शरणागत = शरण + आगत (दीर्घ स्वर सन्धि)
- पुरूषोत्तम = पुरूष + उत्तम (गुण स्वर सन्धि)
- यज्ञोपवीत = यज्ञ + उपवीत (गुण स्वर सन्धि)
- प्रश्न 'क' स्तम्भ में दिए गए शब्दों का 'ख' स्तम्भ में दिए गए शब्दों से सही सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- जिसका ज्ञान कम हो अशक्त
- जिसमें शक्ति न हो अल्पज्ञ
- जिसे क्षमा न किया जा सके अनुयायी
- अनुसरण करने वाल पुरूषोत्तम
- जिसके समान कोई दूसरा न हो अक्षम्य
- जो पुरूषों में उत्तम हो अद्वितीय
उत्तर —
- जिसका ज्ञान कम हो अल्पज्ञ
- जिसमें शक्ति न हो अशक्त
- जिसे क्षमा न किया जा सके अक्षम्य
- अनुसरण करने वाल अनुयायी
- जिसके समान कोई दूसरा न हो अद्वितीय
- जो पुरूषों में उत्तम हो पुरूषोत्तम
- समास किसे कहते है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर — दो या दो से अधिक पदों के मेल को 'समास' कहते है।
जैसे — राजा का कुमार राजकुमार। नीला है जो कमल नीलकमल
- समास के प्रकार लिखिए और प्रत्येक का एक — एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर — समास के निम्नलिखित छह प्रकार है —
- तत्तपुरूष समास। यथा — विद्याादन।
- द्वन्द्व समास। यथा — माता — पिता।
- बहुब्रीहि समास। यथा — पीताम्बर।
- कर्मधारय समास। यथा — नीलगगन।
- द्विगु समास। यथा — पंचवटी।
- अव्ययीभाव समास। यथा — प्रतिदिन।
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर —
- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए —
- जीवन में ............से बड़ी कोई चीज नहीं है। उत्तर — धर्म
- धर्म की रक्षा यदि असत्य से होती है, तो ............सत्य से बड़ा हो जाता है। उत्तर — असत्य
- शिवाजी के पुत्र का नाम ...........था। उत्तर — सम्भाजी
- पुरूषोत्तम की पत्नी का नाम ............था। उत्तर — अहिल्या
- औरंगजेब की खुफिया जमात का सरदार ............था। उत्तर — दिलावर खॉ
सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए —
- शिवाजी के पुत्र का नाम था...........।
(1) बाजीराव (2) सम्भाजी (3) छत्रसाल (4) कोई नहीं।
उत्तर — सम्भाजी
- शास्त्रों में ............की व्याख्या बड़ी बारीकी से की गई है।
(1) धर्म और अधर्म (2) सत्य और असत्य (3) आत्मा और परमात्मा (4) व्यष्टि और समष्टि।
उत्तर — सत्य और असत्य
- पुरूषोत्तम की दृष्टि में सबसे बड़ा पातक है..........।
(1) सत्य वचन (2) विश्वासघात (3) हिंसा (4) शरणागत की उपेक्षा।
उत्तर — विश्वासघात
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें