समाचार - पत्र का महत्त्व
रूपरेखा - प्रस्तावना, इतिहास, विभिन्न व्यक्तियों को लाभ, समाचार - पत्रों का महत्व, सम्पादक का दायित्व, अखबार प्रकाशन के आज के साधन, स्वतन्त्रता से पूर्व समाचार - पत्रों का दायित्व, युद्ध एवं विपत्ति में समाचार - पत्रों का दायित्व, हानियाॅ, जनता का सम्बन्ध, उपसंहार।
प्रस्तावना - आज समाचार - पत्र जनजीवन का अभिन्न अंग बन गया है। प्रातः काल उठते ही हर व्यक्ति चाय ग्रहण करने के साथ ही अखबार को पढ्रकर अपना मनोरंजन कर लेता है। परिवार में सभी सदस्य अखबार पढ़ने एवं समाचार जानने के लिए लालायित हो उठते हैं। समाचार देश-विदेश की खबरों को जानने का सर्वसुलभ साधन है।
इतिहास - समाचार - पत्र का प्रचलन इटली के वेनिस नगर में तेरहवीं शताब्दी में हुआ। जैसे - जैसे मुद्रण कला का विकास हुआ, समाचार - पत्रों का भी उसी गति से प्रचार एवं प्रसार हुआ।
व्यक्तियों को लाभ - बेरोजगार युवक रोजगार के विषय में, खिलाड़ी खेल के विषय में, नेता राजनीतिक हलचल के विषय में, व्यापारी वस्तु के भावों के विषय में सूचना समाचार - पत्रों के माध्यम से ही प्राप्त करते है।
समाचार - पत्रों का महत्व - आज विश्व की परिस्थिति निरन्तर जटिल होती चली जा रही है। जीवन संघर्षमय हो गया है, राजनीतिक गतिविधियाॅ निरन्तर अपना रंग दिखा रही है, ऐसे में समाचार - पत्रों के माध्यम से इनके विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इनके अभाव में ज्ञान का क्षेत्र अधूरा प्रतीत होता है।
सम्पादक का दायित्व - सम्पादकीय टिप्पणी पढ़कर ही किसी समाचार - पत्र का स्तर निर्धारित होता है। इसमें राष्ट्रीय - अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को उजागर किया जाता है।
अखबार प्रकाशन के आज के साधन - आज हैण्ड कम्पोजिंग के स्थान पर कम्प्यूटर काम में लाया जाता है। इससे समाचार - पत्रों का प्रकाशन सुलभ एवं सस्ता हो गया है। ज्ञान के प्रचारक एवं प्रमुख वाहक - समाचार - पत्र पाठकों के ज्ञान का विस्तार करता है। देश के कर्णधारों के आदर्शो से प्रभावित होकर जन - सामान्य उनका अनुगमन करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं।
आजादी से पूर्व समाचार - पत्रों का दायित्व - सम्पादकों ने अंग्रेजों के शोषण तथा अत्याचार को देश के समक्ष अखबारों के माध्यम से निडरता से उजागर किया। ऐसा करने से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन लक्ष्य से विचलित नहीं हुए।
युद्ध एवं विपत्ति में समाचार - पत्रों का दायित्व - प्राकृतिक प्रकोपों की सूचना जन - सामान्य तक समाचार - पत्रों के माध्यम से पहुॅचती है। इसकों पढ़कर समाज सेवी संस्थाएॅ उन स्थानों तक यथासम्भव सहायता पहुॅचाती है।
समाचार पत्रों से हानियाॅ - कल्पित तथा झूठे समाचार - पत्र जन सामान्य को भुलावे में डाल देते हैं। यदा - कदा इनके फलस्वरूप साम्प्रदायिक दंगों का जन्म होता है।
जनता का सम्बन्ध - समाचार - पत्रों के माध्यम से सरकार जनता की भावनाओं से अवगत हेाती है।
उपसंहार - समाचार - पत्र राष्ट्र विशेष की अमूल्य सम्पत्ति होते हैं, इनकी तनिक - सी लापरवाही से राष्ट्र की विशेष हानि हो सकती है। अतः समाचार - पत्रों को अपने उदृेश्य के प्रति प्रतिपल सजग रहना चाहिए। ये राष्ट्र विशेष के जीवन्त प्रहरी हैं। इनके प्रभाव से राष्ट्र अवनति के गर्त में जा सकता है। अतः इनका प्रतिपल जागरूक रहना अत्यावश्यक है।
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