पाठ — 6
मेरे गॉव की सुख और शान्ति किसने छीन ली?
(पं रामनारायण उपाध्याय)
(गद्य भारती)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न —
- गॉधीजी द्वारा स्थापित आश्रम का नाम लिखिए।
उत्तर — गॉधीजी द्वारा स्थापित आश्रम का नाम 'सेवाग्राम' है।
- लोक — संस्कृति का जन्म कहॉ हुआ?
उत्तर — लोक — संस्कृति का जन्म ग्रामों में हुआ।
- लेखक ने संगीत का जन्म किससे माना है?
उत्तर — लेखक ने संगीत का जन्म श्रम से माना है।
- ललित कलाओं का स्वभाव कैसा होता है?
उत्तर — ललित कलाओं का स्वभाव फूल की तरह कोमल होता है।
- ग्रामीण समूचे गॉव को किस रूप में मानता आया है?
उत्तर — ग्रामीण समूचे गॉव को अपना एक परिवार मानता आया है।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- लेखक समाज से किन प्रश्नों को पूछना चाहता है?
उत्तर — लेखक समाज से पूछना चाहता है —
- मेरे गॉवों की सुख और शान्ति को किसने छीन लिया?
- मेरे गॉवों की अन्न — धन और लक्ष्मी कहॉ चली गई?
- किसान के कण्ठ से गीत कहॉ लुप्त हो गये?
- तीज — त्यौहार की मस्ती किसने चुरा ली? आदि।
- लोक की जीवन्त रस — धारा को किसने और कहॉ सुरक्षित रखा है?
उत्तर — लोक की जीवन्त रस — धारा को गॉवों ने अपने हदय में सुरक्षित रखा है।
अॅधेरे को सुहावने प्रभात में ग्रामीण स्त्रियॉ आटे के साथ धने अॅधेरे को भी पीसकर सुहावने प्रभात में परिवर्तित कर देती है।
- गॉव के समृद्ध किसान की स्थिति अब कैसी हो गई है?
उत्तर — गॉव के समृद्ध किसान की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रह गई है। अब बढ़ती महॅगाई और शोषणकारी समाज — व्यवस्था के चलते वह अपनी जमीन से हाथ धोकर खेतिहर मजदूर बन गया हे।
- श्रम से किसका जन्म होना प्रतीत होता था?
उत्तर — श्रम से संगीत का जन्म होना प्रतीत होता था। यह संगीत लोरी बनकर श्रम को हल्का करने में अपना योगदान देता था
- माटी कुम्हार की हथेली के स्पर्श से किन नवीन रूपों को धारण करती थी?
उत्तर — माटी कुम्हार की हथेली के स्पर्श से कभी गागर, तो कभी खपरैल और कभी दीप की छौनी के रूप धारण करती थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- ललित कलाओं का ग्राम्य जीवन में क्या महत्व था?
उत्तर — ललित कलाओं का ग्राम्य जीवन में बड़ा महत्व था। इनसे ग्रामीण व्यक्तियों को ऊर्जा के साथ रोजी — रोटी मिलती थी। उनके समय का सदुपयोग होता था। उनके मानस का विकास होता था।
- लोक — गीत ग्रामीण — जीवन में किस प्रकार रचे — बसे थे?
उत्तर — लोक — गीत ग्रामीण — जीवन में ताने — बाने के समान उनके हदयों में रचे — बचे थे।
- लेखक के अनुसार 'गोंकुल के सहज — सरल गॉव का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर — लेखक श्री उपाध्यायजी के अनुसार 'गोकुल के सहज — सरल गॉव' का यह आशय है कि गॉवों के लोग बड़े सीधे — सादे, सरल स्वभावी, विनम्र और हमदर्द होते है।
- गॉव के सुसंस्कृत आदमी की पॉच विशेषताएॅ लिखिए।
उत्तर — गॉव के सुसंस्कृत आदमी में ये विशेषताएॅ होती हैं —
- वह सरल स्वभावी होता है।
- उसका रहन — सहन सादगीपूर्ण होता है।
- वह श्रम में निष्ठा रखता है।
- धर्म में उसकी गहरी आस्था होती है।
- दु:ख में भी वह मुस्कराता रहता है।
- वह मिलनसार, हमदर्द और धैर्यवान होता है।
- गॉव के कुटीर उद्योगों पर आधुनिकता का क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर — गॉव के कुटीर उद्योगों पर आधुनिकता का बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा है। गॉवों में अब कोई खादी नहीं बुनता है, तेल नहीं निकालता है, गाड़ियॉ नहीं बनती है। इनका स्थान अब मीलों, कल — कारखानों और कम्पनियों ने ले लिया है।
- गॉव का आदमी अपने समग्र जीवन से क्या — क्या देने की क्षमता रखता है?
उत्तर — गॉव का आदमी अपने समग्र जीवन से रहन — सहन, खान — पान, वस्त्राभूषण, आचार — विचार, रीति — रिवाज, विश्वास, मान्यताएॅ, गीत, कथा, नृत्य, संगीत, कला आदि के क्षेत्र में हमें कुछ — न — कुछ देने की क्षमता अवश्य रखता है। उसके लोक — साहित्य में युग के अनुरूप अपने को ढालने की ओर नये युग का मार्गदर्शन करने की अपूर्व क्षमता रखता है।
- निम्नलिखित शब्दों का सन्धि विच्छेद कीजिए और सन्धि का नाम लिखिए — रवीन्द्र, निरक्षर, संग्रहालय, सज्जन।
उत्तर —
क्र. शब्द सन्धि — विच्छेद सन्धि का नाम
- रवीन्द्र रवि + इन्द्र दीर्घ स्वर सन्धि
- निरक्षर नि: + अक्षर विसर्ग सन्धि
- संग्रहालय संग्रह + आलय दीर्घ स्वर सन्धि
- सज्जन सत् + जन व्यंजन सन्धि
- निम्नलिखित शब्दों का समास — विग्रह कीजिए — कार्य — स्थल, रस — धारा, श्वास — प्रश्वास, लोक — संस्कृति
उत्तर —
क्र. शब्द समास विग्रह समास का नाम
- कार्य — स्थल कार्य का स्थल तत्पुरूष समास
- रस — धारा रस की धारा तत्पुरूष समास
- श्वास — प्रश्वास श्वास और प्रश्वास द्वन्द्व समास
- लोक — संस्कृति लोक की संस्कृति तत्पुरूष समास
- निम्नलिखित शब्दों की सन्धि कीजिए — पर उपकर, देव ऋषि, अति आचार, प्रति एक।
क्र. शब्द सन्धिस्थ शब्द
- पर + उपकार = परोपकार
- देव + ऋषि = देवर्षि
- अति + आचार = अत्याचार
- प्रति + एक = प्रत्येक
- निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक — एक शब्द लिखिए — ठेका लेने वाला, खेती करने वाला, मिट्टी के बर्तन बनाने वाला, पानी भरने वाली।
उत्तर —
वाक्यांश एकल शब्द
- ठेका लेने वाला ठेकेदार
- खेती करने वाला खेतिहर
- मिट्टी के बर्तन बनाने वाला कुम्हार
- पानी भरने वाली पनिहारिन
- निम्नलिखित वाक्यों को पहचानकर अर्थ के आधार पर वाक्य — प्रकार का नाम लिखिए — (1) किसान के कण्ठ से गीत कहॉ लुप्त हो गए? (2) गॉवों में लोक — संस्कृति का जन्म हुआ। (3) मेरे गॉव की शान्ति मत छीनों। (4) निर्मल चॉदनी को नहीं फैली थी। (5) मैं चाहता हॅू कि आप एक बार गॉव अवश्य जाएॅ।
उत्तर —
- किसान के कण्ठ से गीत कहॉ लुप्त हो गए? उत्तर — प्रश्नवाचक वाक्य
- गॉवों में लोक — संस्कृति का जन्म हुआ। उत्तर — विधानवाचक वाक्य।
- मेरे गॉव की शान्ति मत छीनों। उत्तर — आज्ञावाचक वाक्य।
- निर्मल चॉदनी को नहीं फैली थी। उत्तर — निषेधवाचक वाक्य।
- मैं चाहता हॅू कि आप एक बार गॉव अवश्य जाएॅ। उत्तर — इच्छावाचक वाक्य।
- किसी एक गॉव में जाइए और वहॉ के लोक — जीवन की विशेषताओं को अपनी डारयरी में लिखिए।
उत्तर — विद्यार्थी गॉव में जाएॅ और वहॉ के लोक — जीवन को अपनी डायरी में निम्नानुसार दर्शाएॅ — (1) गॉवों के लोग भोले — भाले और सीधे — सादे होते है। (2) वे अपने खेत — खलिहानों में काम करते है। (3) वे एक — दूसरे के दु:ख — दर्द में काम आते है। (4) वे स्वावलम्बी, कठोर परिश्रमी और स्वाभिमानी होते है। (5) ईश्वर में उनकी गहरी आस्था होती है। (6) गॉव के लोगों ने ही भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा है।
- 'बदलते परिवेश में ग्रामीण संस्कृति लुप्त हो रही है।' — इस कथन पर अपने विचार 150 शब्दों मे लिखिए।
उत्तर — बदलते परिवेश में ग्रामीण संस्कृति लुप्त हो रही है। गॉव अपनी पहचान खोते जा रहे है। वहॉ का जीवन प्राकृतिक नहीं दिखाई देता है। लोगों के जीवन में व्यस्तता बढ़ गई है। लोकगीतों की धुर्ने मन्द पड़ गई हैं। आर्थिक दबाव बढ़ गया है। लोगों को कल — कारखानों में काम करने के लिए जाना पड़ता है। गॉवों में अब बेरोजगारी है, नीरसता है, गरीबी है। भारतीय संस्कृति के नष्ट होने का खतरा मॅडराने लगा है।
- '' आधुनिकता का प्रभाव प्रकृति और मानवीय सम्बन्धों के संतुलन का विनाशक है।'' इस विषय के पक्ष — विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर — हमारे गॉव में भी आधुनिकता प्रवेश कर चुकी है। इसका सीधा प्रभाव प्रकृति और मानवीय सम्बन्धों पर पड़ रहा है। परिणामस्वरूप सन्तुलन बिगड़ रहा है। अब गॉवों में शान्ति भंग हो रही है। जनसंख्याा का भारी दबाव है। जीवन में नीरसता आ रही है। गरीबी का आलम हे। अभावों का बाजार गरम है। अत: आज हमें अपने गॉवों को आधुनिकता के प्रभाव से बचाने के हर सम्भव प्रयास करने होंगे।
- गॉवों में कुटीर उद्योग समाप्ति की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में आप कुटीर उद्योग और औद्योगिक विकास के सन्तुलन पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर — वर्तमान में आधुनिकता के प्रभाव में गॉवों के कुटीर उद्योग समाप्त हो रहे है। लोग बेरोजगार हो रहे है। आर्थिक समस्याएॅ जन्म ले रही है। गॉवों की आत्मनिर्भरता कम होती जा रही है। ऐसी स्थिति में शासन को गॉवों में कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना होगा। लोगों को आर्थिक सहायोग देना होगा। कम ब्याज दर पर बैंकों से ऋण उपलब्ध कराना होगा। कारीगरों को उचित पारिश्रमिक देना होगा। उन्हें बाजार भी दिखाने होंगे। तभी कुटीर उद्योग और औद्योगिक विकास में सन्तुलन कायम रह सकता है।
- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए —
- रवीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यस्थल का नाम ............... है। उत्तर — शान्ति निकेतन
- महात्मा गॉधी के कार्यस्थल का नाम ................. है। उत्तर — सेवाग्राम
- ............ में लो — संस्कृति का जन्म हुआ। उत्तर — ग्रामों
- कला और संस्कृति से आदमी ............. पाता है। उत्तर — ऊर्जा
- ................. समूचे गॉव को एक परिवार मानता आया है। उत्तर — ग्रामीण
सत्य/असत्य बताइए —
- भारत गॉवों का देश है। उत्तर — सत्य।
- गॉवों से निरन्तर मजदूरों का पलायन हो रहा है। उत्तर — सत्य।
- गॉव का आदमी निरक्षर और असंस्कृत रहा है। उत्तर — असत्य।
- ग्रामीणों में अंधविश्वास अधिक होता है। उत्तर — सत्य।
- भारतीय किसान अपनी जमीन से हाथ धोकर खेतिहर मजदूर बनता जा रहा है। उत्तर — सत्य।
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