पाठ 7 सामाजिक समरसता

पाठ —  7
सामाजिक समरसता
कबीर की साखियॉ (कबीर)

  • प्रश्न - लोहा किसकी श्वास  से भस्म हो जाता है?
 उत्तर -  मरी शाम की स्वास्थ से लोहा भस्म हो जाता है।
  •  प्रश्न -  भक्ति किस प्रकार के प्राणियों से नहीं हो सकती ?
उत्तर - कामी, क्रोधी, लालची व्यक्तियों से भक्ति संभव नहीं है।
  • प्रश्न -  गुण लाख रुपयों में कब बिकता है ?
उत्तर -  जब अच्छा ग्राहक मिलता है, तब गुण लाख रुपयों में बिकता है।
  • प्रश्न - संसार में विद्यमान सचर- अचर प्राणी क्या कर रहे हैं ?
उत्तर - संसार में विद्यमान सभी सचर अचर प्राणी कर्म में लीन है।
  • प्रश्न - दयामयी माता के तुल्य किसे माना गया है ? 
उत्तर - दयामयी माता के तुल वसुधा को माना गया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न -

  • प्रश्न - कबीर ईश्वर से क्या मांगते हैं?
उत्तर - कवि ईश्वर से यह माँँगते हैं कि हे प्रभु! आप मुझे इतना अन्य-धन दीजिए, जिसमें मेरा एवं मेरे परिवार का भरण- पोषण ठीक से हो सके। मेरा यहाँ आया साधु भी भूखा न जाए।
  • प्रश्न - कवि के अनुसार, किस प्रकार के वृक्ष के नीचे विश्राम करना चाहिए ?
उत्तर - कवि के अनुसार फलदाई एवं छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम करना चाहिए ।
  • प्रश्न - साधु से किस प्रकार के प्रश्न नहीं करना चाहिए ? 
उत्तर - साधु-सज्जन व्यक्ति से उसकी जाति नहीं पूछना चाहिए, वरन् उसके ज्ञान को देखना चाहिए। उसके ज्ञान को आत्मसात् करना चाहिए।
  • प्रश्न - लोक-कल्याण कामना से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर  - लोक कल्याण कामना से कवि का आशय है कि व्यक्ति को मातृभूमि, प्रकृति, पर्यावरण, देश सभी के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना चाहिए।
  • प्रश्न - कवि जग की विषम आंँधियों के सम्मुख किस-किस प्रकार के स्वभाव की अपेक्षा कर रहा है?
उत्तर - कवि जग की विषम आंधियों के सम्मुख यह अपेक्षा करता है कि व्यक्ति को साहस पूर्वक संकटों का सामना करना चाहिए। अपना धैर्य, आत्म विश्वास बनाए रखना चाहिए। चंद्रमा के समान शीतल और ध्रुव के समान अटल रहना चाहिए।
  • प्रश्न - कर्म युक्त होने से क्या परिणाम होगा ?
उत्तर - कर्म युक्त होने से व्यक्ति निरंतर सफलता प्राप्त करता है। कर्म हीन होने से निरंतर पतन में गिरता जाता है कभी भी सफलता प्राप्त नहीं करता है। 

 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

  • प्रश्न - दुर्बल को सताने का क्या दुष्परिणाम होता है ? 
उत्तर दुर्बल को सताने से सिर्फ उसकी बद्दुआ लगती है। उसकी हाय बहुत बुरी होती है, जिससे जीवन का सुख-चैन समाप्त हो जाता है। जीवन में कहीं न कहीं ठोकर अवश्य लगती है। अतः इससे बचना चाहिए।
  • प्रश्न - अवगुण का निवास कहाँँ है ?
उत्तर कबीरदास जी कहते हैं कि अवगुणों को हम दूसरों में तलाश करते हैं, जबकि अवगुण स्वयं हम में विद्यमान हैं। यदि हम अपना आकलन करें, तो पाएँँगे कि हमारे अंदर कितने अवगुण हैं।
  • प्रश्न - किन विशेषताओं को खोकर भक्ति की जा सकती है ? 
उत्तर - जो व्यक्ति कामी, क्रोधी, लालची हैं, वह ईश्वर की भक्ति नहीं कर सकता है। ईश्वर की भक्ति के लिए काम, क्रोध, लोभ, मोह-माया से मुक्त होना आवश्यक है।
  • प्रश्न - मनुष्य किन-किन शक्तियों से संपन्न है ? संसार में जीने का उसका उद्देश्य लिखिए। 
उत्तर - मनुष्य अत्यधिक बुद्धि, बल, साहस से निपुण है। संसार में जीने का प्रत्येक का अपना उद्देश्य है। संसार में व्यक्ति को लोक-कल्याण, लोकसेवा को अपना उद्देश्य मानना चाहिए। यही उसका प्रथम कर्तव्य है।
  • प्रश्न - 'जीवन संदेश' कविता का केंद्रीय भाव लिखिए ।
उत्तर - 'जीवन संदेश' कविता का केंद्रीय भाव यह है कि व्यक्ति को उद्देश्य युक्त होना चाहिए। सतत् कर्मशील रहना चाहिए। लोकसेवा, जनकल्याण को अपना उद्देश्य मानना चाहिए। पर्यावरण, मातृभूमि की रक्षा करना चाहिए। विकट परिस्थितियों का साहस पूर्वक सामना करना चाहिए।
  • प्रश्न - संसार परीक्षास्थल है, ऐसा कवि ने क्यों कहा ?
उत्तर - संसार परीक्षा स्थल है। यहाँ दुःख, संकट हमेशा हमारी परीक्षा लेते हैं। परिस्थितियाँँ सदैव एक समान नहीं रहती है। ये हमारे धैर्य, साहस, विवेक की परीक्षा लेती हैं। अतः उनका साहस से सामना करना चाहिए। हमें हर परीक्षा में उत्तीर्ण होना चाहिए। जीवन में हर घड़ी इम्तिहान देना पड़ता है।
 
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