पाठ — 9
(गद्य भारती)
परीक्षा (मुंशी प्रेमचन्द)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न —
- सुजानसिंह कौन थे?
उत्तर — सरदार सुजानसिंह देवगढ़ रियासत के दीवान थे।
- देश के प्रसिद्ध पत्रों में विज्ञापन क्यों निकाला गया?
उत्तर — देश के प्रसिद्ध पत्रों में विज्ञापन इसलिए निकाला गया कि देवगढ के लिए एक सुयोग्य दीवान की जरूरत थी।
- रियासत देवगढ़ आए हुए उम्मीदवारों ने कौन — सा खेल खेलने की योजना बनाई?
उत्तर — रियासत देवगढ़ में आए हुए उम्मीदवारों ने हॉकी खेल खेलने की योजना बनाई।
- किसान की गाड़ी कहॉ फॅस गई थी?
उत्तर — किसान की गाड़ी रास्ते में एक नाले में कीचड़ में फॅस गई थी।
- '' अच्छा, तुम गाड़ी पर जाकर बैलों को साधो, मैं पहियों को धकेलता हॅू।'' — यह बात किसने, किससे कही?
उत्तर — यह बात पण्डित जानकीनाथ ने सरदार सुजानसिंह से कही।
- गाड़ी पर किसान के वेश में कौन था?
उत्तर — गाड़ी पर किसान के वेश में सरदार सुजानसिंह थे।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- राजा दीवान सुजान सिंह का आदर क्यों करते थे?
उत्तर — राजा दीवान सुजानसिंह का आदर इसलिए करते थे, क्योंकि उनमें पारखी दृष्टि, अनुभव, साहस, आत्मबल और उदारता जैसे उत्तम गुण थे।
- बूढा जौहरी आड़ में बैठा क्या देख रहा था?
उत्तर — बूढा जौहरी आड़ में बैठा हुआ यह देख रहा था कि इन बगुलों में हंस कहॉ छिपा हुआ है।
- खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को किस भाव से देखा?
उत्तर — खिलाड़ियों ने निराश और असफल किसान को बन्द आॅखों से देखा, जिनमें सहानुभूति न थी। उनमें स्वार्थ था, मगर उदारता और वात्सलय का नाम भी न था।
- खिलाड़ियों के समूह में एक मनुष्य कैसा था?
उत्तर — खिलाड़ियों के समूह में एक मनुष्य ऐसा था, जिसके ह्दय में दया थी और साहस था। हॉकी खेलते हुए उसके पेरों में चोट लग गई थी। वह लंगड़ाता हुआ धीरे — धीरे चला आता था।
- युवक को किसान की तरफ देखकर क्या सन्देह हुआ?
युवक को किसान की तरफ देखकर यह सन्देह हुआ कि क्या यह सुजानसिंह तो नहीं है? आवाज मिलती है, चेहरा मोहरा भी वही है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- '' जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता बना मालूम होता है।'' — इस उक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर — सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद के साक्षात्कार के लिए आए हुए उम्मीदवारों के लिए आदन — सत्कार का अच्छा प्रबन्ध कर दिया था। हर कोई अपनी — योग्यता के प्रदर्शन में लगा हुआ था। कोई उषा: काल में घूमने में लगा था, तो कोई बड़े ग्रन्थ पढ़ने में लगा था। शर्माजी वेद मंत्र पढ़ते थे तो मौलवी साहब नमाज पढ़ने में लगे थे। कोई 'आप' और कोई 'जनाब' कहकर नौकरों से बातचीत कर रहा था। इस प्रकार उन उम्मीदवारों में से जिससे बात कीजिए, वह नम्रता और सदाचार का देवता मालूम होता था।
- दीवान सुजानसिंह ने अपने उत्तराधिकारों का चयन किस प्रकार किया?
उत्तर — दीवान सुजानसिंह ने अपने उत्तराधिकारों का चयन उसमें कत्र्तव्य — बोध, साहस, आत्मबल, उदारता आदि गुणों को देखकर किया। ये गुण पण्डित जानकीनाथ में प्रत्यक्ष में देखे गये। इसलिए उन्हें सार्वजनिक रूप से देवगढ़ की रियासत का दीवान बना दिया गया।
- देवगढ रियासत के 'दीवान' पद के लिए जानकीनाथ का चयन क्यों किया गया?
उत्तर — 'दीवान' का पद एक उत्तरदायी एवं सुयोग्य व्यक्ति का पद था। इसके लिए व्यक्ति में कत्र्तव्य — बोध, साहस, आत्मबल के साथ उदारता का होना भी आवश्यक था। उक्त गुण पण्डित जानकीनाथ में विशेष रूप से देखे गये। अत: उनका देवगढ़ रियासत के 'दीवान' पद पर चयन किया गया।
- 'परीक्षा' कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर — परीक्षा कहानी देवगढ़ रियासत में 'दीवान' पद के उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया से सम्बन्धित है। इसमें उम्मीदवार को अपने योग्य गुणों की परीक्षा के दौर से गुजरना था। अन्य उम्मीदवार इस परीक्षा में अनुत्तीर्ण रहे। किसी में प्रदर्शन अधिक था, तो किसी में मद और किसी में दम्भ अधिक था। परन्तु उदारता और वात्सल्य जैसे मानवीय गुण किसी में नहीं थे। यदि ये गुण थे, तो केवल पण्डित जानकीनाथ में। वे इस चयन प्रक्रिया या परीक्षा में खरें उतरें। इसलिए उनका देवगढ़ रियासत के 'दीवान' के रूप में चयन किया गया। उक्त कहानी का शीर्षक 'परीक्षा' रखा गया है, जो सार्थक है।
भाषा अध्ययन
- निम्नलिखित पदों का समास — विग्रह कर समास का नाम लिखिए — नीति — कुशल, धर्मनिष्ठ, आत्मबली, वेद—मंत्र, कृपा — दृष्टि।
उत्तर —
- नीति — कुशल = नीति में कुशल (सप्तमी तत्पुरूष समास)
- धर्मनिष्ठ = धर्म में निष्ठ (सप्तमी तत्पुरूष समास)
- आत्मबली = जिसकी आत्मा में बल हो (बहुब्रीहि समास)
- वेद — मंत्र = वेद के मंत्र (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- कृपा — दृष्टि = कृपा की दृष्टि (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- निम्नलिखित शब्दों का सन्धि विच्छेद करते हुए सन्धि का नाम लिखिए — परीक्षा, मन्दाग्नि, सहानुभूति, निराशा।
- परीक्षा = परि + रक्षा (दीर्घ स्वर सन्धि)
- मन्दाग्नि = मन्द + अग्नि (दीर्घ स्वर सन्धि)
- सहानुभूति = सह + अनुभूति (दीर्घ स्वर सन्धि)
- निराशा = नि: + आशा (विसर्ग सन्धि)
- निम्नलिखित शब्द — समूह के लिए एक — एक शब्द लिखिए।
- जो धर्म को न मानता हो। उत्तर — अधार्मिक
- जो धर्म को मानता हो। उत्तर — धर्मनिष्ठ या धार्मिक
- उपासना करने वाल। उत्तर — उपासक
- पुत्र के प्रति स्नेह का भाव। उत्तर — वात्सल्य।
- पूजा करने वाला। उत्तर — पुजारी
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए —
- देवगढ़ रियासत के पूर्व दीवान का नाम था —
(1) सुजानसिंह (2) शिवभानुसिंह (3) जानकीनाथ (4) विश्वनाथ।
उत्तर — सुजानसिंह
- आड़ में बैठा बूढा जौहरी कौन था?
(1) विश्वनाथ (2) देवगढ़ नरेश (3) सुजानसिंह (4) जौहरी लाल।
उत्तर — सुजानसिंह
- दीवान — पद के उम्मीदवार कौन — सा खेल खेलने लगे?
(1) फुटबाल का खेल (2) हॉकी का खेल (3) शतरंज का खेल (4) गुल्ली — डण्डे का खेल।
उत्तर — हॉकी का खेल
- ''गहरे पानी में बैठने से ही मोती मिलता है।'' — यह कथन किसका है?
(1) जानकीनाथ का (2) सुजानसिह का (3) युवक का (4) उम्मीदवारों का।
उत्तर — सुजानसिह का
रिक्त स्थानों की उचित पद द्वारा पूर्ति कीजिए —
- सरदार सुजानसिंह बूढे हुए तो .............की याद आई। उत्तर — परमात्मा
- देवगढ़ के लिए सुयोग्य .............की जरूरत थी। उत्तर — दीवान
- किसान की गाड़ी..............फॅस गई थी। उत्तर — नाले में
- गाड़ी पर किसान के वेश में था ...........। उत्तर — सुजानसिंह
सही जोडियॉ बानाइएॅ —
- मैं और मेरा देश डॉ वासुदेव शरण 'अग्रवाल'
- महापुरूष श्री कृष्ण कन्हेयालाल मिश्र 'प्रभाकर'
- परम्परा बनाम आधुनिकता रामवृक्ष 'बेनीपुरी'
- गेहूॅ और गुलाब आचार्य हजारीप्रसाद 'द्विवेदी'
- पहली चूक हरिकृष्ण 'प्रेमी'
- मातृभूमि का मान श्रीलाल शुक्ल
- बैल की बिक्री मुंशी प्रेमचन्द
- परीक्षा सियाराम शरण गुप्त
उत्तर —
- मैं और मेरा देश कन्हेयालाल मिश्र 'प्रभाकर'
- महापुरूष श्री कृष्ण डॉ वासुदेव शरण 'अग्रवाल'
- परम्परा बनाम आधुनिकता आचार्य हजारीप्रसाद 'द्विवेदी'
- गेहूॅ और गुलाब रामवृक्ष 'बेनीपुरी'
- पहली चूक श्रीलाल शुक्ल
- मातृभूमि का मान हरिकृष्ण 'प्रेमी'
- बैल की बिक्री सियाराम शरण गुप्त
- परीक्षा मुंशी प्रेमचन्द
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