पाठ 9 जीवन दर्शन प्रश्न — उत्तर

पाठ — 9
जीवन — दर्शन 
चिर सजग आॅखें उनींदी (महादेवी वर्मा)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न -

  • प्रश्न - नाश पद पर कवि कौन से चिन्ह छोड़ जाना चाहता है? 
उत्तर - नाश पद पर कभी अपने पद चिन्ह छोड़ जाना चाहता है। 
  • प्रश्न - मधुप की मधुर गुनगुन विश्व पर क्या प्रभाव डालेगी? 
उत्तर -  मधुप  की मधुर गुनगुन  विश्व का क्रंदन भुला देगी। 
  • प्रश्न - तितलियों के रंग से कवि का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर - तितलियों के रंग से कवि का तात्पर्य सांसारिक सुख सुविधा व भोग विलास से है। 
  • प्रश्न - कवि के अनुसार कांटे की मर्यादा क्या है? 
उत्तर - कांटा तीखा है, कठोर है, उसी में उसकी मर्यादा है। 
  • प्रश्न - कवि ने मुर्दे होंगे किसे कहा है? 
उत्तर - कवि ने मुर्दे होंगे उन्हें कहा है, जिन्हे प्रेम सम्मोहन कारी हाला है।

 लघु उत्तरीय प्रश्न 

  • प्रश्न - कवि की आंखें उनींदी  क्यों है? 
उत्तर - कवि की आंखें उनींदी  हैं, नींद से भरी हैं, क्योंकि वह थका हुआ है, उसे लंबा रास्ता तय करना है, लंबी दूरी पर जाना है। 
  • प्रश्न - मोम के बंधन सजीलेे से कवि का क्या आशय है? 
उत्तर - मोम के बंधन सजीलेे से कवि का यह आशय है कि संसार में जो मोह माया, रिश्ते नाते हैं वे सभी मोम के समान क्षणभंगुर हैं उनमें स्थायित्व नहीं है। 
  • प्रश्न - कवि ने अंतिम रहस्य के रूप में क्या पहचान लिया? 
उत्तर - कवि ने अंतिम रहस्य के रूप में विदग्ध होकर यह जान लिया है कि प्रेम यज्ञ की ज्वाला है। प्रेम न तो सम्मोहनकारी विष है, न अमृत का प्याला है, यह तो यज्ञ आहुति है। 
  • प्रश्न - कुचला जाकर थी कवि किस  रूप में उभरता है? 
उत्तर - कुचला जाकर भी कवि धूल के समान आंधी और तूफान ई के रूप में उभरता है। 
  • प्रश्न - "निर्मम रण में पग—पग पर रुकना" किस प्रकार प्रतिफलित होता है? 
उत्तर - कवि कहता है कि असफलता ही असि धार बने, कामा मेरा जीवन ललकार बने। इस प्रकार निर्मम रण में पग—पग का रूकना ही मेरा बार बने।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

  • प्रश्न - 'जाग तुझको दूर जाना' से कवि का क्या आशय क्या है? 
उत्तर - जाग तुझको दूर जाना से कवि का आश्य है कि जागो, यह सांसारिक मोह माया, भोग विलास में जो उलझे हुए हो, नींद में सोए हुए हो, उससे मुक्त हो जाओ तुम्हें लंबा रास्ता तय करना है, दूर तक जाना है। 
  • प्रश्न - पंथ की बाधा बनेंगे, तितलियों के रंग रंगीले में निहित भाव स्पष्ट कीजिए
उत्तर - इसमें कवि का आशय है कि जो सांसारिक भोग विलास के साधन हैं, जो स्त्री सुलभ सुख है, जो मोह माया है, ये सभी तुम्हारे रास्ते की बाधा बनेंगे तुम्हें अपने में उलझा रखेंगे। तुम इनके कारण कभी भी आगे नहीं बढ़ सकोगे, हमेशा इन में ही डूबे रहोगे। 
  • प्रश्न - 'तू न अपनी छॉह को अपने लिए कारा बनाना' द्वारा कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर - कवि कहता है कि तू कभी भी अपनी छाया को अपने लिए कारा मत बनाना अर्थात संसार में जो तेरे अपने हैं, जिनसे तेरा सुख जुड़ा हुआ है, जो तुम्हारी सुख-सुविधाओं में आते हैं, उन्हें तुम अपने लिए कारा मत बनाना। अर्थात उन्हीं में सिमट कर मत रह जाना। उनके आवरण में ही मत ढके रहना  
  • प्रश्न - 'मैंने आहुति बनकर देखा' कविता का मूल भाव लिखिए  
उत्तर - इस कविता का मूल भाव यह है कि मैं (​कवि) नहीं चाहता कि जीवन फूलों की राह बने उसमें कांटे अर्थात संकट समस्याओं का नाम न हो। जीवन डगर में चोट भी मिले । मैं यह नहीं चाहता कि मैं जगत की श्रद्धा का पात्र बनूॅ। मेरा ऊॅचा महल बने, मैं प्यार करूं तो तुझे उसका प्रतिदान मिले । मैं तो अपने जीवन तक की आहुति देने को तैयार हूं । मैं इस अंतिम विश्लेषण पर पहुॅचा हॅू कि प्रेम यज्ञ की ज्वाला है। मैं कहता हूं कि मेरा जीवन आहुति बन जाए। यही मेरी चाह है। 
  • प्रश्न - प्रस्तुत कविताओं से हमें क्या सीख मिलती है? 
उत्तर - ' चिर सजग आॅखे उनींदी, आज कैसा व्यस्त बाना' और 'मैंने आहुति बनकर देखा' नामक कविताएॅ हमें यह प्रेरणा देती हैं कि सांसारिक मोहमाया, भोग—विलास, सुख—सुविधा में लिप्त होकर हमें अपने कत्र्तव्य नहीं भूलना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ते जाना चाहिए। लोकसेवा, जनकल्याण की राह पर चलते समय अपने जीवन की आहुति भी देना पड़े तो तत्पर रहना चाहिए। 
 
 

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