पाठ — 8 (गद्य भारती)
मातृभूमि का मान (हरिकृष्ण प्रेमी)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न —
- ''बूॅदी के राव मेवाड़ के अधीन नहीं रहना चाहते।'' क्यों?
उत्तर — बॅूदी के राव मेंवाड़ के अधीन इसलिए नहीं रहना चाहते कि वे प्रेम का अनुशासन मानते है, शक्ति का नहीं। बूॅदी स्वतन्त्र रहकर महाराणाओं का आदर कर सकता है, अधीन रहकर सेवा नहीं कर सकता।
- मुट्ठीभर हाड़ाओं ने किसे पराजित किया था?
उत्तर — मुट्ठीभर हाड़ाओं ने मेवाड़ को पराजित किया था। महाराणा लाखा को पराजित किया था।
- वीरसिंह का प्राणान्त कैसे हुआ?
उत्तर — गोले के वार से वीरसिंह का प्राणान्त हो गया। उस समय वह शत्रुपक्ष पर बड़ी फुर्ती से बाणों की वर्षा कर रहा था।
- ''अनुशासन का अभाव हमारे देश के टुकड़े किए हुए है'' यह कथन किसका है?
उत्तर — उक्त कथन अभयसिंह का है। अभयसिंह मेवाड नरेश महाराणा लाखा के सेनापति हैं।
- महाराणा लाखा वीरसिंह के किस गुण से प्रसन्न हुए?
उत्तर — महाराणा लाखा वीरसिंह के मातृभूमि — प्रेम और वीरता के गुण से बड़े प्रसन्न हुए।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- महाराणा लाखा ने कौन — सी प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर — महाराणा लाखा ने यह प्रतिज्ञा की थी कि ''जब तक बूॅदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नही करूॅगा, तब तक अन्न — जल ग्रहण नहीं करूॅगा।''
- चारणी ने राजपूत — शक्तियों के विषय में महाराणा से क्या कहा था?
उत्तर — चारणी ने राजपूत — शक्तियों के विषय में महाराणा से कहा था — '' ये राजपूत वीर रत्न के समान हैं। इनसे दुनिया में उजाला होगा। ऐसी वीर जाति को अधीन करने की अभिलाषा करना पागलपन है।''
- वीरसिंह ने जन्मभूमि की रक्षा के विषय में अपने साथियों से क्या कहा था?
उत्तर — वीरसिंह ने जन्म — भूमि की रक्षा के विषय में अपने साथियों से कहा था — जिस जन्मभूमि की धूल में हम खेलकर बड़े हुए हैं, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है? जब कभी मेवाड़ की स्वतंत्रता पर आक्रमण हुआ है, हमारी तलवार ने उनके नमक का बदला दिया है। प्रतिज्ञा करो कि प्राणों के रहते हम इस नकली दुर्ग पर मेवाड़ की राज्य — पताका को स्थापित न होने देंगे।
- महाराणा अपनी विजय को पराजय क्यों कहते हैं?
उत्तर — महाराणा अपनी विजय को पराजय इसलिए कहते है कि व्यर्थ के दम्भ ने आज युद्ध में कितने ही निर्दोष प्राणों की बलि ले ली।
- मातृभूमि का मान एकांकी के आधार पर वीरसिंह के चरित्र की कोई दो विशेषताएॅ लिखिए।
उत्तर — (1) वीरसिंह बूंदी के राव हेमू का एक वीर सेनापति है। (2) युद्ध भूमि में वीरसिंह बड़ी फुर्ती से शत्रु पक्ष पर बाणों की वर्षा करता था। (3) वीर सिंह का चरित्र मातृभूमि के सम्मान की शिक्षा देता है। (4) वीरसिंह अपनी मातृभूमि का अपमान कदापि सहन नहीं कर सकता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- ''वीरसिंह का चरित्र मातृभूमि के सम्मान की शिक्षा देता है।'' इस कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर — वीरसिंह बूॅदी के राव हेमू का एक वीर सेनापति हे। वह बूॅदी को अपनी मातृभूमि मानता है। मातृभूमि का अपमान वह कदापि सहन नहीं कर सकता। महाराणा लाखा की विशाल सेना के सामने वीरसिंह अपने साथियों के साथ नकली बूॅदी की रक्षा करते — करते अपना बलिदान कर देता है। इस प्रकार उसने अपने वंश के मान के मंदिर को मिट्टी में मिलने से बचा लिया। युद्ध भूमि में वीरसिंह बड़ी फुर्ती से शत्रु — पक्ष पर बाणों की वर्षा करता रहा, किन्तु अन्त में विपक्ष के गोले के वार से वह वीरगति को प्राप्त हो गया। वीरसिंह की वीरता को देखकर महाराणा लाखा स्वयं चकित थे। निष्कर्षत: वीरसिंह का चरित्र मातृभूमि के सम्मान की शिक्षा देता है और शिक्षा देता है मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणोत्सर्ग करने की।
- महाराणा और अभयसिंह के चरित्र की दो — दो विशेषताएॅ लिखिए।
उत्तर — महाराणा लाखा मेवाड़ के नरेश हैं। वे बड़े बहादुर भी है, आन — बान — शान पर मर मिटने को तैयार रहते है। पराजय उन्हें प्रिय नहीं है।
अभयसिंह महाराणा लाखा का सेनापति हे। वह राजनीति में दक्ष हे। वह राजपूतों को एकता के सूत्र में बॉधने के लिए प्रयत्नशील है। वह जानता है कि अनुशासन के अभाव के कारण हमारे देश के टुकड़े हो रहे हैं। वह वीरसिंह केा युद्ध न करने की सलाह देता है।
- सामाजिक पदों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए — राजपूत, जन्मभूमि, महाराजा, सेनापति, बाण — वर्षा, आदर भाव।
उत्तर —
- राजपूत — राजा का पूत (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- जन्मभूमि — जन्म की भूमि (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- महाराजा — महान है जो राजा (कर्मधारय समास)
- सेनापति — सेना का पति (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- बाण — वर्षा — बाणों की वर्षा (षष्ठी तत्पुरूष समास)
- आदरभाव — आदर भाव (कर्मधारय समास)
- बहुब्रीहि समास उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर — परिभाषा — जहॉ पर पहला पद और दूसरा पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर इंगित करते है, वहॉ पर 'बहुब्रीहि समास' होता है। जैसे — (1) लम्बा है उदर जिसका — लम्बोदर (गणेशजी) (2) दिशाएॅ है वस्त्र जिसकी दिगम्बर (नग्न)
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर —
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए —
- प्रेम का अनुशासन मानने को हाड़ा — वंश सदा तैयार है ..........का नहीं।
उत्तर — अभयसिंह
- मैं जब तक बूॅदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूॅगा, तब तक ............ग्रहण नहीं करूॅगा।
उत्तर — अन्न — जल
- ............... के बलिदान ने हमें जन्मभूमि का मान करना सिखाया है।
उत्तर — वीरसिंह
- ऐसी वीर जाति को अधीन करने की अभिलाषा करना ...........है।
उत्तर — पागलपन
निम्नलिखित कथन किसके हैं?
- ''अनुशासन का अभाव हमारे देश के टुकड़े किए हुए है। ''
उत्तर — अभयसिंह।
- ''प्रेम का अनुशासन मानने को हाड़ा — वंश सदा तैयार है, शक्ति का नहीं।''
उत्तर — राव हेमू।
- '' मैं जब तक बूॅदी के दुर्ग में ससैन्य प्रवेश नहीं करूॅगा, अन्न — जल ग्रहण नहीं करूॅगा।''
उत्तर — महाराण लेखा।
- '' जिस जन्मभूमि की धूल में हम खेलकर बड़े हुए है, उसका अपमान भी कैसे सहन किया जा सकता है?
उत्तर — वीरसिंह।
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