अथवा
‘जननी जन्मभूमि स्वर्गादपि गरीयसी’
माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। फिर भला मुझे अपने देश व अपनी मातृभूमि की महानता का गर्व कैसे न हो? मैं अपने देश के ऋण से तो भला उऋण न हो पाऊं, किंतु इतना कृतघ्न भी कैसे हो सकता हूँ कि अपने देश, अपनी मातृभूमि के प्रति आभार भी व्यक्त न करूँ? जो भूमि अपने अन्न-जल से मेरा पोषण करती है, उस महान् भारत भूमि का नागरिक होने का गर्व है।
मुझे गर्व है भारत के गौरवपूर्ण अतीत पर। भारत में ही सबसे पहले धर्म, कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, चिकित्सा आदि का विकास हुआ। जब दुनिया के अन्य देश अभी नग्न अवस्था में थे, उस समय भारत पूर्णता को प्राप्त कर चुका था। भारत से ही भानु रश्मियाँ निःसत होकर विश्व के विभिन्न भागों तक पहुँची। भारत के आर्यभट्ट ने गणित के क्षेत्र में महान् खोजें कीं। शून्य, पाई (1) वृत्त, त्रिकोणमिति की जानकारी भारत से ही यूरोपवासियों ने ली। ज्योतिष, खगोलविद्या के लिए विश्व सदैव भारत का ऋणी रहेगा।
भारत में जन्मे चाणक्य ने विश्व को राजनीति, कानून का पाठ पढ़ाया। इन सब विशेषताओं के कारण भारत ‘विश्वगुरु’ कहलाया। यहाँ के नालंदा, काशी, तक्षशिला विश्वविद्यालयों में रहकर ज्ञानार्जन करने के लिए दूर-दूर से छात्र आते थे। चीनी यात्री फाह्यान, हवेनसांग ज्ञान-प्राप्ति के लिए इसी देश में आए थे। इसी देश में राम, कृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर, नानक, गांधी, नेहरू, तिलक, सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव आदि महान् पुरुष उत्पन्न हुए। यहीं से उत्पन्न होकर-‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया’, का नारा समस्त विश्व में गूंज उठा। यही वह महान् देश है जहाँ रामायण, महाभारत तथा वेदों की रचना हुई।
मुझे गर्व है कि राजनीति, आर्थिक स्थिति, विज्ञान, खेल, अंतरिक्ष, उद्योग आदि विभिन्न क्षेत्रों में भारत विकास की दिशा में अग्रसर है। भारत की धर्मनिरपेक्षता, गुटनिरपेक्षता, मैत्रीपूर्ण संबंधों की नीति इसे विश्वभर में प्रतिष्ठा दिला रही है। भारत अपनी विदेश नीति के तहत आयात-निर्यात पर उल्लेखनीय ध्यान देकर अपनी आर्थिक दशा को सुधारने में लगा है। भारत में नित नई-नई वैज्ञानिक खोजें की जा रही हैं।
मेरे देश में हर समस्या का समाधान खोजने हेतु मानवीय मूल्यों को आधार बनाया जाता है। यहाँ के शासन में जनता की पूर्ण भागीदारी है। मेरे देश में प्रजातंत्रात्मक प्रणाली है जिसमें लोगों, लोगों के लिए व लोगों द्वारा बनाई गई सरकार है।
यह एक दुख का विषय है कि मेरे देश के कुछ ही पथभ्रष्ट लोग देश को धर्म, जाति, भाषा, क्षेत्र के आधार पर विभाजित करने में लगे हैं। वे दूसरे देश के बहकावे में आकर अपने भाइयों को मार रहे हैं। इसीलिए भारत सरकार को ऐसी पृथकतावादी प्रवृत्तियों से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
मेरे देश का भविष्य भी अत्यंत उज्ज्वल है। यहाँ लोगों में कर्म की भावना है, भविष्य के प्रति आशावादिता और चेष्टा में निरंतरता है। यहाँ तत्वज्ञान कण-कण में व्याप्त है। प्रकृति आठों पहर अपना सौंदर्य बिखेरती है। भारत में गरमी, सरदी, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिरषड्ऋतुएँ आकर अपनी छटा से जनमानस को मोह लेती हैं। इसके उत्तर में हिममंडित हिमालय प्रहरी बनकर इसकी रक्षा कर रहा है और दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम में समुद्र इसकी सीमा निर्धारित कर रहा है। भारत की जलसेना, थलसेना, वायु सेना तीनों ओर से देश को सुरक्षा प्रदान करती हैं। मेरे देश का प्रभात आशा का संदेश लेकर आता है और रात्रि सुखदायिनी, विश्रामदायिनी है। भारतीय भारतमाता से प्रेम करने वाले हैं और भारतमाता अपने बच्चों पर ममता उड़ेलने वाली है। ऐसे महान् देश के उज्ज्वल भविष्य में क्या कोई संदेह हो सकता है? कदापि नहीं।
“नीलांबर परिधान हरित पट पर सुंदर है,
सूर्य चंद्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम प्रवाह फूल तारे मंडल हैं,
बंदी विविध विहंग, शेषफन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद हैं बलिहारी इस देश की,
हे मातृभूमि तू सत्य ही सगुण मूर्ति सर्वेश की।”
निष्कर्षत: - मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं भारतीय हूँ। भारत मेरे बचपन का झूला है, यौवन का साथी है। जब तक मेरी शिराओं में रक्त का संचार रहेगा, यदि कोई भी मेरे देश पर कुदृष्टि डालेगा तो मैं अपने भारत के लिए अपना जीवन भी न्योछावर कर दूंगा। भले ही मुझे कुछ भी कहे, बस मुझसे ‘भारतीय’ होने का गौरव न छीने।
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