गद्य भारती
पाठ — 2
महापुरूष श्री कृष्ण (वासुदेव शरण अग्रवाल)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न —
- कृष्ण द्वैपायन को देश किस नाम से जानता है?
उत्तर — कृष्ण द्वैपायन को आज सारा देश महर्षि वेद व्यास के नाम से जानता है।
- भारतीय साहित्य का एक बड़ा भाग किस चरित्र से अनुप्राणित है?
उत्तर — भारतीय साहित्य का एक बड़ा भाग श्रीकृष्ण — चरित्र से अनुप्राणित है।
- ''गीता शास्त्र'' के महान् उपदेशक कौन हैं?
उत्तर — 'गीता शास्त्र' के महान् उपदेशक श्रीकृष्ण हैं।
- कृष्ण, बलदेव और कुन्ती पाण्डवों के घनिष्ट सम्बन्धों का सूत्रपात किस स्थान पर हुआ?
उत्तर — कृष्ण, बलदेव और कुन्ती पाण्डवों के घनिष्ट सम्बन्धों का सूत्रपात कुलक्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था।
- श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर माहिष्मति की गद्दी पर किसे बैठाया?
उत्तर — श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर माहिष्मति की गद्दी पर धृष्टकेतु को बैठाया।
लघु उत्तरीय प्रश्न —
- भारतीय राष्ट्रीय जीवन पर किन दो समकालीन व्यक्तियों के उदात्त मस्तिष्क की गहरी छाप है?
उत्तर — भारतीय राष्ट्रीय जीवन पर द्वैपायन कृष्ण (महर्षि वेदव्यास) और कृष्ण (देवकी — पुत्र) इन दो समकालीन व्यक्तियों के उदात्त मस्तिष्क की गहरी छाप अंकित है।
- महर्षि वेदव्यास क्यों प्रसिद्ध हैं?
उत्तर — महर्षि वेदव्यास वेदों के रचयिता और महाभारत महाग्रन्थ के प्रणेता थे। उनके मस्तिष्क की अप्रतिहत प्रतिभा से आज तक हमारे धार्मिक जीवन और विश्वासों का प्रत्येक अंग प्रभावित है। इसलिए वे प्रसिद्ध हैं।
- श्रीकृष्ण ने एक दूसरे ही प्रकार के जगत् में कब प्रवेश किया?
उत्तर — श्रीकृष्ण ने एक — दूसरे ही प्रकार के जगत् में उस समय प्रवेश किया, जब उन्होंने वृन्दावन छोड़कर मथुरा में पदार्पण किया। यह उनके लिए, उस जगत का देहली द्वार है। यहॉ पर जीवन के कठोर सतय उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।
- मस्तिष्क साधना हेतु श्रीकृष्ण कहॉ गये? वहॉ उन्हें क्या लाभ हुआ?
उत्तर — मस्तिष्क साधना हेतु श्रीकृष्ण उज्जैन में स्थित सान्दीपनि ऋषि के गुरूकुल में गये। वहॉ उन्हें आर्ष — ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसके कारण वे गीता के प्रवक्ता बन सके।
- कृष्ण — जन्म सम्बन्धी कुछ तथ्य लिखिए।
उत्तर — अष्टमी के दिन, रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के समय मामा कंस के बन्दीगृह में कृष्ण का जन्म हुआ था। उनके जन्म के भय से मामा कंस ने माता — प्तिा देवकी और नन्द को बन्दीगृह में डाल दिया था।
- श्रीकृष्ण हस्तिनापुर क्यों गये? हस्तिनापुर जाकर कृष्ण ने क्या किया?
महाभारत का युद्ध रोकने के लिए पाण्डवों की ओर से समस्त अधिकारों को लेकर सन्धि करने के लिए श्रीकृष्ण हस्तिनापुर गये। वहॉ जाकर उन्होंने कहा, '' कौरवों और पाण्डवों में बिना वीरों का नाश हुए ही शान्ति हो जाए, मैं यही प्रार्थना करने आया हॅू।''
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न —
- ''श्रीकृष्ण का जीवन तो एक काव्य ही है'' — इस उक्ति को सिद्ध कीजिए।
उत्तर — जन्म से ही श्रीकृष्ण के अतिमानवी होने का सबको पता चल गया था। उनकी बाल — लीलाएॅ सबके लिए आकर्षण का केन्द्र रहीं। यमुना के किनारे कदम के वृक्ष पर उनका बंशी — बादन सुनकर कौन मोहित नहीं हुआ? यमुना की कछार में उनकी रास — लीलाएॅ किसे प्रिय नहीं लगती थी।? गोवर्धन पर्वत को धारण करना किस मथुरावासी को स्मरण नहीं है? इन सब क्रमिक घटनाओं से प्रभावित होकर कहना पड़ता है कि श्रीकृष्ण का जीवन तो एक काव्य है, जिसे पाठक पढ़ता चला जाए और आनन्द लोक में खो जाए।
- श्रीकृष्ण ने रमणीय बाल चरित्रों की सुखदायी भूमिका के रूप में कौन — कौन से कार्य किए?
उत्तर — श्रीकृष्ण ने रमणीय बाल — चरित्रों की सुखदायी भूमिका के रूप में अनेक कार्य किए जैसे —
बाबा नन्द के महल में किलकारियॉ भरना, घुटनों के बल चलना, बडे होने पर गलियों में घूमना, माखन चुराना, गोपियों को छेड़ना आदि।
गायें चराने वृन्दावन में जाना, यमुना के किनारे कदाम के पेड़ पर चढ़कर बैठना और बंशी बजाना, गोप — गोपियों का वहॉ एकत्र होना रास — लीलाएॅ करना आदि।
गोवर्धन पर्वत धारण करना और वृन्दावनवासियों को अतिवृष्टि से मुक्ति दिलाना आदि।
- हस्तिनापुर से सम्पर्क के पश्चात् श्रीकृष्ण को जो अनुभव हुआ, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर — शान्ति का सन्देश लेकर श्रीकृष्ण धृतराष्ट्र की सभा में उपस्थित हुए। धृतराष्ट्र तो युद्ध न हो, इस बात के लिए मान गये। परन्तु दुर्योधन को समझाना मुश्किल रहा। उसका एक ही जवाब था — ''सुई की नोंक के बराबर भी भूमि पाण्डवों के लिए मैं नही छोड़ सकता। बस, यही से युद्ध का संकेत मिल गया। श्रीकृष्ण समझ गये कि युद्ध के अलावा अब कोई समाधान नहीं है। उन्होंने पाण्डवों को युद्ध के लिए तैयार किया।
- श्रीकृष्ण के बुद्धि — कौशल के आगे कौन — कौन से अराजक व्यक्तित्व परास्त हुए?
उत्तर — श्रीकृष्ण एक महान् राजनीतिज्ञ थे। उनके बुद्धि — कौशल के आगे कंस, मगध के जरासंघ, चेदि जनपद के शिशुपाल, सौमनगर के शाल्वराज, निर्माचन के भौम नरक, बाणसुर, कलिंग राज और काशीराज जैसे अराजक व्यक्तितव परास्त हुए।
- ''महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास की एक दारूण घटना है।'' इस उक्ति की सार्थकता में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर — सचमुच, महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास की एक दारूण घटना है। इस प्रलंयकारी युद्ध में दुर्योधन की ओर से गांधार, वाल्टीक, काम्बोज, सिन्ध, मद्र, त्रिगर्त आदि देशों के योद्धाओं ने भाग लिया। युधिष्ठिर की ओर से विराट, पांचाल, काशी चेटि, संजय आदि वंशों के योद्धाओं ने मुकाबला किया। इस भयंकर युद्ध में दोनों पक्ष के लाखों योद्धा मारे गये। कौरवो का सर्वनाश हो गया। अरबों की सम्पति युद्ध की ज्वाला में स्वाहा हो गई। इसे भारतीय इतिहास की एक दारूण घटना नहीं तो और क्या कहा जाए?
- श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का अवतार क्यों कहा गया है।
उत्तर — भारतीय ग्रन्थों में श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का अवतार कहा गया है। जिस प्रकार सोलह कलाओं से चन्द्रमा का स्वरूप पूर्णतम होता है, उसी प्रकार मानवीय आत्मा का पूर्णतम विकास भी सोलह कलाओं के द्वारा ही प्रकट होता है। श्रीकृष्ण में सोलह कलाओं की अभिव्यक्ति थी। दूसरे शब्दों में, मनुष्य का मस्तिष्क मानवीय विकास का जो पूर्णतम आदर्श प्रस्तुत कर सकता है, वह हमें श्रीकृष्ण में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उनके चरित्र में हमें नृत्य, गीत, वाहन, वाग्मिता, राजनीति, योग, अध्यात्म आदि विविध विधाओं का बहुरंगी संगम दिखाई देता है। इसलिए श्रीकृष्ण को सोलह कलाओं का अवतार कहना समीचीन है।
- निबन्ध के आधार पर कृष्ण युगीन भारतीय राजनीति एवम् समाज की जो तस्वीर बनती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर — कृष्णयुगीन भारतीय राजनीति अच्छी नहीं थी। राजाओं के अत्याचार बढ़े हुए थे। वे निरंकुश हो रहे थे। जनता को मनमाने ढंग से परेशान करते थे। स्वयं कंस ने श्रीकृष्ण के परिवार के प्रति क्या अत्याचार नहीं किए? जरासंध का चारों तरफ आतंक था। दुर्योधन सत्ता के मद में चूर था।
कृष्णायुगीन भारतीय जीवन त्रस्त था। प्रजा क्षुब्ध होकर कष्ट भोग रही थी। स्त्री — जाति का जीवन सुरक्षित और सम्माननीय नहीं था। द्रौपदी के साथ होने वाले अपमान व अत्याचार को इतिहास कभी भुला नहीं सकेगा।
पाठ — 2 महापुरूष श्री कृष्ण (व्याख्याएॅ)