पाठ — 4 नीति — धारा (पद्य — भारती )

पद्य — भारती
पाठ — 4 नीति — धारा
गिरिधर की कुंडलियॉ (गिरिधर)

  1.  गिरिधर की कुंडलियॉ               गिरिधर 
  2. नीति — अष्टम                       भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

अति लघु उत्तरीय प्रश्न — 

  • गिरिधर के अनुसार हमें क्या भूल जाना चाहिए?
उत्तर — गिरिधर के अनुसार, हमें बीत गई बात को भूल जाना चाहिए। 
  • कोयल को उसके किस गुण के कारण पसंद किया जाता है?
उत्तर — कोेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेेयल को उसकी मधुर—मीठी आवाज के कारण पसंद किया जाता है। 

  • गिरिधर द्वारा प्रयुक्त छंद का नाम लिखिए।

उत्तर — गिरिधर द्वारा प्रयुक्त छंद कुण्डलियॉ है।
  • ​कवि के अनुसार क्या करने वाले व्यक्ति् सम्मान योग्य है?
उत्तर — वे व्यक्ति सम्मान के योग्य हैं, जो पर​हित के लिए काम करते है।
  • भारतेन्दु के अनुसार भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर — भारतेन्दु के अनुसार भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण आपसी वैरभाव एवं फूट है। 
  •  ''उठहु छोड़ि बिसराम'' का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर — इसका आशय यह है कि विश्राम छोड़ो और उठ खड़े हो जाओ।

लघु उत्तरीय प्रश्न — 

  • कवि गिरिधर के अनुसार अपने मन की बात को कब तक प्रकट नहीं करना चाहिए?
उत्तर — कबि गिरिधर के अनुसार अपने मन की बात को तब तक प्रकट नहीं करना चाहिए, जब तक अपना कार्य पूर्ण नहीं हो जाता या जब तक विश्वासपूर्ण व्यक्ति नहीं मिल जाता। 
  • धन—दौलत का अभिमान क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर — धन—दौलत का अभिमान इसलिए नहीं करना चाहिए, क्योकि ये स्थाई चीज नहीं है। लक्ष्मी चंचल होती है। वह आज यहॉ तो कल वहॉ। धन—दौलत चार दिन की चीज है। यह स्थाई सम्पत्ति नहीं है। 
  • कवि ने गुणवान के महत्व को किस प्रकार रेखांकित किया है?
उत्तर — गुणवान व्यक्ति को सभी चाहते है। जैसे — कौआ एवं कोयल दोनों का एक रंग है, किन्तु कोयल की आवाज मधुर है, कौए की आवाज कर्कश। इ​सलिए सभी को कोयल अच्छी लगती है। कौए  को सभी अपवित्र मानते हैंं। इसी प्रकार गुणवान व्यक्ति का विशेष महत्व होता है। 
  • भारतेन्दुजी ने कोरे ज्ञान का परित्याग करने की सलाह क्यों दी है?
उत्तर — भारतेन्दु ने कोरे ज्ञान का परित्याग करने की सलाह इसलिए दी है, क्योकि कोर ज्ञान से कोई व्यक्ति माननीय नहीं हो जाता। वही व्यक्ति माननीय होता है, जो परहित के लिए कार्य करता है, जो गुणी व सज्जन हो व जिसमें जनसेवा की भावना हो। 
  • सम्माननीय होने के लिए किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर — सम्मानीय होने के लिए व्यक्ति का गुणवान होना आवश्यक है। जो गुणवान होते है, परहित के लिए कार्य करते हैं, जनसेवा करते हैं, मधुर बोलते हैं, वे सम्मान के पात्र होते हैं।
  • व्यक्ति सम्मान के योग्य कब बन जाता है?
उत्तर — व्यक्ति सम्मान योग्य मात्र उच्चपद पाकर माननीय नहीं हो जाता है, केवल वहीं व्यक्ति माननीय होता है, जो दूसरों की भलाई करने से ही वह सम्मान योग्य बन जाता है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न — 

  • बिना विचारे काम करने में क्या हानि होती हैं? समझाइए। 
उत्तर — बिना विचारे काम करने से बाद में पछताना पड़ता है। काम बिगड़ जाता है। हम अपने काम में सफल नहीं होते हैं। असफलता मिलने पर जग में हॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅॅसाई अलग से होती है। हमेंशा यह दु:ख सालता है कि बिना विचारे काम क्यों किया। चित दु:खी हो जाता है, चैन नहीं मिलता है। 
  • कौआ और कोयल के उदाहरण से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर — कौआ और कोयल दोनों का एक रंग—रूप है, किन्तु दोनों की आवाज अलग—अलग है। कोयल की मधुर आवाज सभी को प्रिय लगती है, किन्तु कौआ अपवित्र माना जाता है। गिरिधर कबि कहते है कि बिना गुण के कोई मूल्य नहीं है। अर्थात् गुणवान ​व्यक्ति की ही पूछ—परख होती है। बिना गुण का कोई मूल्य नहीं है। 
  • पाठ में संकलित भाषा सम्बन्धी दोहों के माध्यम से भारतेन्दुजी क्या संदेश देना चाहते है?
उत्तर — भारतेन्दु ने भाषा सम्बन्धी निम्नलिखित दोहे लिखे हैं —
1 ​निज भाषा, निज धरम, निज मान, करम व्यवहार।
सबै बढ़ावहु बेगि मिलि, कहत पुकार—पुकार।।
2. करहुॅ बिलम्ब न भ्रात अब, उठहु मिटावहु सूल।
निज भाषा उन्नति करहू, प्रथम जो सबको मूल।।
उपर्युक्त भाषा सम्बन्धी दोहों के माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहता है कि अपनी भाषा, अपना धर्म व अपने मान की रक्षा करनी चाहिए। अपनी भाषा की जब तक उन्नति नहीं होगी, तब तक उन्नति सम्भव नहीं है। इसलिए हे नवयुवक!अब उठाो और अपनी राष्ट्रभाषा की उन्नति के लिए प्रयास करों।
  • भारतेन्दु ​हरिश्चंद्र की काव्य प्रतिभा पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर — भारतेंदु हरिश्चन्द्र हिन्दी साहित्य के अप्रतिम साहित्यकार है। उन्होंने अनेक कविताओं, नाटकों, निबन्धों की रचना की है। उनके काव्य में राष्ट्रप्रेम की भावना दृष्टिगोचर होती है। उन्होंने राष्ट्र—भाषा, राष्ट्रधर्म की उन्नति पर जोर दिया है। उनका मानना है कि अपनी भाषा व धर्म की उन्नति के बिना राष्ट्र का कल्याण सम्भव नहीं है। उन्होंने नीति विषय पर भी अपनी कलम चलाई है। नीति सम्बन्धी दोहे भी लिखे हैं। भाषा सरल, सहज एवं शैली उपदेशपरक है। 

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर — 

सही विकल्प चुनकर उत्तर दीजिए — 

  • गिरधर कवि ने किस छन्द में रचनाएॅ की है?
(अ) दोहा (ब) चौपाई  (स) कवित  (द) कुण्डलिया
उत्तर — कुण्डलिया
  •  'भारतेन्दु' किस कवि की उपाधि है?
(अ) तुलसीदास (ब) हरिश्चन्द्र  (स) मैथिलीशरण गुप्त  (द) जयशंकर प्रसाद
उत्तर — हरिश्चन्द्र 
  • 'बैर फूट ही सों भयो, सब भारत को नास' पंक्ति के रचयिता हैं — 
(अ) गिरधर कवि (ब) कबीरदास  (स) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र  (द) तुलसीदास
उत्तर — भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 

 निम्नलिखित पंक्तियों को परा कीजिए — 

  • बिना विचारे जो करै, सौ पीछे ..........।
उत्तर — पछताय
  • दौलत पाय न कीजिए, सपने में .............। 
उत्तर — अभिमान
  • . ..................... के गाहक सहस नर, बिन गुन लहै न कोय। 
उततर — गुन
  • बैर ...............ही सों भयो, सब भारत को नास। 
उत्तर — फूट

 

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